तो नरेंद्र मोदी सरकार के उस मंत्री का इस्तीफा हो ही गया, जिसका निष्कासन होना चाहिए था। जो काम जब और जिस तरह होना चाहिए वह तभी और उसी तरह नहीं होता है तो वह अर्थहीन भी हो जाता है और श्रीहीन भी। विदेश राज्यमंत्री मुबशिर जावेद अकबर का मामला जिस वक्त...
तो नरेंद्र मोदी सरकार के उस मंत्री का इस्तीफा हो ही गया, जिसका निष्कासन होना चाहिए था। जो काम जब और जिस तरह होना चाहिए वह तभी और उसी तरह नहीं होता है तो वह अर्थहीन भी हो जाता है और श्रीहीन भी।
विदेश राज्यमंत्री मुबशिर जावेद अकबर का मामला जिस वक्त फूटा और उसे गंधाने के लिए छोड़ दिया गया लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री की निजी और सरकारी छवि में रत्ती भर नैतिक इजाफा हुआ? क्या अकबर की अपनी छवि थोड़ी भी धुल सकी? क्या सत्ता के ऊंचे आसनों पर संयोगवश पहुंच गए किन्हीं लोगों को यह सारा प्रकरण थोड़ा भी सावधान कर सका? क्या किसी में भी प्रायश्चित का कोई भाव किसी स्तर पर भी जागा?
हम इसी तस्वीर का रुख जरा बदल कर देखें। जैसे ही अकबर पर यह आरोप लगा, वहीं विदेश से ही अकबर ने कहा होता कि मैं अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री को भेजता हूं (क्योंकि वह जानते थे और जानते हैं कि जो कुछ कहा जा रहा है वह शब्दश: सही है, भले वह उसे तब भी और अब भी गलत न मानते हों) और प्रधानमंत्री कहते कि अकबर भारत के कूटनीतिक प्रतिनिधि बन कर विदेश गए हैं, सो हम उन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त नहीं कर सकते हैं लेकिन भारत की धरती पर पांव रखते ही वह मंत्री नहीं रह जाएंगे, तो क्या संदेश जाता? अचानक ही संबंधों का यह जो बदबूदार परनाला बहा दिया गया है, वह सहम जाता, दूसरे सारे बेपर्दा अपराधी सिर झुका कर पीछे हट जाते और ‘मी टू’ की ताकत स्थापित हो जाती !
‘मी टू’ अब शब्द नहीं है, एक नया सहचारी भाव हमारे जमाने में दाखिल हुआ है। इसका मतलब यह नहीं है कि लड़कियां आगे आकर बताएं कि कब, कहां, कैसे, किसने उनका यौन शोषण किया। ‘मी टू’ का अर्थ यह भी है कि हम पुरुष आगे आ कर कहें कि अपनी नासमझी में, शक्ति के अपने उन्माद में, लड़कियों का सही मतलब नहीं समझने और मर्द होने का गलत मतलब समझने के कारण आज या कल या बीस वर्ष पहले मैंने ऐसी गर्हित हरकत की थी, जिसकी माफी मांगने और उसकी सजा भुगतने के लिए मैं सामने आता हूं। यह हुआ ‘मी टू’ का पूरा सांस्कृतिक मतलब ! यह चूंकि पश्चिम से चल कर हमारे यहां आया है इसलिए इतना एकांगी और सपाट बना दिया गया है। इसे पुरुषों की पहल से परिपूर्ण कर हम पश्चिम को वापस भेजें तो उन्हें भारतीय संदर्भ की समझ होगी।
हमें समझना यह है कि गलत क्या है? स्त्री-पुरुष के बीच का आकर्षण गलत है? क्या किसी के लिए मन में प्यार का पनपना गलत है? आकर्षण में फिसल जाना भी स्वाभाविक नहीं है क्या? फिसलन किसकी तरफ से हुई, यह फिसलने वालों के बीच का मामला है, हमारे लिए यह जानना काफी होना चाहिए कि फिसलन हुई। फिसलने वाले को हाथ बढ़ा कर उठाते हैं, न कि गड्ढे में धकेलते हैं। जो धकेले वह समाज नहीं है, विवेकहीन भीड़ है। दो वयस्क स्त्री-पुरुष या दो वयस्क स्त्रियां या पुरुष आपसी सहमति व रजामंदी से, निजी जीवन में जो भी रिश्ता बनाते व चलाते हैं उसमें दखल देने का अधिकार किसी को भी नहीं है। धारा 497 को समाप्त करते हुए अदालत ने भी तो यही कहा न कि यह अधिकार उसका भी नहीं है।
यह सारी बात पलट जाती है, जब इसमें जबरदस्ती का तत्व जुड़ जाता है-फिर वह जबरदस्ती तख्त की हो या तिजोरी की अथवा तलवार की। नाना पाटेकर या ऐसे ही दूसरे सब नानाओं को लगता है कि वे लोकप्रियता से मिली अपनी ताकत को तलवार बना लें और फिर जो चाहें करें। फिल्मी दुनिया तो टिकी ही इसी खोखली ताकत के सहारे है न! आपसी सहमति व इकरार से जिए जा रहे जीवन में कुछ भी अनैतिक नहीं होता है। अगर उसमें कुछ भी अनैतिक, असभ्य या अमानवीय हुआ तो वह दोनों में से किसी को, कभी भी नीचे गिराता हुआ, अपमानित करता हुआ लगेगा ही और उसी दिन उस अस्वस्थ रिश्ते का अंत हो जाएगा। ‘मी टू’ अगर स्त्री और पुरुष में इतना विवेक जगाता हो तो तमाम अकबरों को हम शहीद का दर्जा दे देंगे।-कुमार प्रशांत
बहुत से लोग अभी भी नही जानते है पूछते है मी टू अभियान Me too meaning in Hindi Me Too Kya Hai Mee too in bollywood मी टू मीनिंग इन हिंदी ME too ka matlab Me Too meaning भारत में मीटू अभियान को किस अभिनेत्री ने गति प्रदान की Me too also meaning in hindi इसका हिंदी मीन हुआ मेरे साथ इसका फुल फॉर्म हुया मेरे साथ भी क्या आप जानना चाहते थे me too movement full form #me too meaning in english campaign
सोशल मीडिया (Facebook, twitter) पर चलाए जाने वाला एक ऐसा अभियान जिसकी शुरुआत तो अमेरिका ऑस्ट्रेलिया यूनाइटेड स्टेट जैसे देशों में हुई पर लपेटे में भारत भी आ गया,,
सर्वप्रथम इसकी शुरुआत हॉलीवुड की एक एक्ट्रेस ने की थी 2014 में यह अभियान सोशल मीडिया पर पहली बार उजागर हुआ था तब इतना इस अभियान में जोर नहीं पकड़ा जितना इस अभियान ने भारत में जो पकड़ा
आइए जानते हैं इसके बारे में कुछ इंटरेस्टिंग बातें
भारत मे कैसे आया me too movement
भारत में इस अभियान को शुरुआत आशिक बनाया आपने इमरान हाशमी और तनुश्री दत्ता इन ने इस गाने में अच्छी खासी प्रसिद्धि हासिल की थी इमरान हाशमी इससे पहले भी फिल्में कर चुके हैं पर तनुश्री दत्ता की एक शुरुआती मूवी थी जिसमें ने काफी अच्छा तारीफें बटोरने मिली थी
me too story in hindi
तनुश्री दत्ता ने सर्वप्रथम हेड टैग लगाकर सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी फोटो अपलोड की थी जिसमें उन्होंने नाना पाटेकर जो पहले से ही काफी प्रसिद्ध एक्ट्रेस हैं भारत की इन्होंने बहुत सी बॉलीवुड में प्रसिद्धि हासिल कर रखी है
इनकी कुछ प्रसिद्ध मूवी या नाना पाटेकर की क्रांतिवीर अब तक छप्पन 26 11 मुंबई अटैक अपहरण जैसी कई प्रसिद्ध मोबिया है और उनकी एक्टिंग की काफी सराहना भी हुई है नाना पाटेकर इससे पहले भारतीय सेना में भी सैनिक के तौर पर काम कर चुके हैं
#me too se kya Hoga india me starting
तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर पर सीधे तौर पर कहा था कि यह एक गंदा युवक है और लड़कियों पर गलत नजर रखता है इस तरह के आरोप लगाकर सोशल मीडिया ने और भारत की टीवी समाचार मीडिया ने काफी टीआरपी हासिल की थी और इस विषय को अपने समाचार पत्रों में और समाचारों में काफी दिखाया था
तब यह सब भारत के आम नागरिकों के बीच भी पहुंच गया मी टू कैंपेन उम्मीद करते हैं यह जानकारी आपको पसंद आई होगी जानकारी अगर पसंद आई हो तो अधिक से अधिक सोशल मीडिया पर शेयर करें