प्रश्न 13-5. 'एक तिनका' कविता में घमंडी को उसकी 'समझ' ने चेतावनी दी -
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है -
तिनका कबहूँ न निंदिए, पाँव तले जो होय।
कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय।।
• इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर? लिखिए।
उत्तर :
तिनके का प्रयोग दोनों काव्यांश में उदहारण देने के लिए किया गया है। यह समानता है।
पहले काव्यांश में कवि हरिऔधजी जी ने हमें घमंड न करने की
सीख दी है तथा दूसरे काव्यांश में कबीरजी ने हमें किसी को भी तुच्छ न समझने की सीख दी है। यह दोनों में अंतर है।
घमंडी की आँखों से तिनका निकालने के लिए आसपास के लोगों ने क्या किया?
घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने क्या किया? उत्तर : घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने कपड़े की मूँठ बनाकर उसकी आँख पर लगाकर तिनका निकालने का प्रयास किया। एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
लोगों ने कवि की आंख से तिनका कैसे निकाला?
उत्तर - कवि की बेचैनी का कारण उसकी आँख में गिरा हुआ तिनका था। प्रश्न-11 लोगों ने कवि की आँख से तिनका कैसे निकाला? उत्तर – लोगों ने कवि की आँख से तिनका कपड़े की मूँठ बनाकर निकाला।
आँख में गिरा नन्हा तिनका कवि के लिए क्या संदेश छोड़ गया?
इस कविता से यह संदेश मिलता है कि हमें घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि कई बार छोटी से छोटी वस्तु या प्राणी भी घमंड चूर-चूर करने में सफल हो जाता है। प्रश्न 3. आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई? घमंडी की आँख में तिनका पड़ने पर उसकी आँखे लाल होकर दुखने लगी।
कविता एक तिनका में कवि की समझ ने कवि को क्या चेतावनी दी?
(ख) इन दोनों काव्यांशों की पंक्तियों में अंतर-दोनों काव्यांशों में अंतर यह है कि हरिऔध जी द्वारा लिखी पंक्तियों में किसी प्रकार के अहंकार से दूर रहने की चेतावनी दी गई है, क्योंकि एक तिनका भी हमारे अहंकार को चूर कर | सकता है। छोटे-से छोटे वस्तु का अपना महत्त्व होता है। दोनों में घमंड से बचने की शिक्षा दी गई है।