स्वतंत्रता दिवस पर विशेष: जरा याद करो कुर्बानी
फोटो नंबर: 16
-आजादी के लिए अंतिम सास तक करते रहे अंग्रेजों से संघर्ष
कृष्ण कुमार, रेवाड़ी: अहीरवाल का इतिहास वीरता की गौरव गाथाओं से भरा पड़ा है। जंग-ए-आजादी में भी यहां के वीरों का अहम योगदान रहा था। यहां के राजा राव तुलाराम सन् 1857 की क्रांति के महान नायक थे।
मा भारती को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए शुरू हुई 1857 की क्राति बेशक विफल हो गई थी, लेकिन यह निर्विवाद सत्य है कि इसी क्राति ने भारतीयों में आजादी पाने का ऐसा जज्बा पैदा किया था, जिससे अंग्रेजों को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। स्वतंत्रता संग्राम की इस पहली जंग में एक ओर थे मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर, तात्या टोपे, महारानी लक्ष्मीबाई, मंगल पांडे, नाना साहब पेशवा व नाना फड़नवीस जैसे महान जांबाज थे तो दूसरी ओर थे रेवाड़ी स्थित रामपुरा रियासत के राजा राव तुलाराम।
14 वर्ष की उम्र में संभाला था राजपाट
अहीरवाल की वीरभूमि पर अंग्रेजों की ताकतवर सेना से मुकाबला करने वाले राजा राव तुलाराम को अदम्य साहस के कारण ही सन् 1857 की क्राति का महानायक कहा जाता है। राव तुलाराम को पिता के निधन के कारण मात्र 14 वर्ष की अल्पायु में ही राजकाज संभालना पड़ गया था। उन्होंने अपनी सूझबूझ से अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ अंतिम सास तक संघर्ष किया।
यूं तो 10 मई 1857 को मेरठ से शुरू हुए संघर्ष को ही आजादी की पहली लड़ाई माना जाता रहा है, लेकिन इस संघर्ष में बहादुरशाह जफर, तात्या टोपे तथा नाना फड़नवीस जैसे योद्धाओं के साथ यहा के राव राजा तुलाराम व राव गोपालदेव आदि भी शामिल थे। राव तुलाराम की वीरता को हरियाणा सरकार भी सम्मान देती आ रही है। हरियाणा में कई वर्षो से राव तुलाराम के शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में 23 सितंबर को वीर एवं शहीदी दिवस पर अवकाश घोषित किया जा रहा है। इस दिन प्रदेश के तमाम वीर शहीदों का भावपूर्ण स्मरण किया जाता है।
1825 में हुआ था जन्म
राव तुलाराम का जन्म 9 सितंबर 1825 को रेवाड़ी के राज परिवार में हुआ था। राव तुलाराम ने जिस समय होश संभाला, तब मातृभूमि पर अंग्रेजों का अधिकार था। बचपन में ही पिता पूर्ण सिंह का साया सिर से उठने के कारण बालक तुलाराम का लालन-पालन उनकी माता ज्ञानकंवर की देख रेख में हुआ था। पिता का साया सिर से उठने पर राव तुलाराम को मात्र 14 वर्ष की अल्पायु में ही राजगद्दी सौंपी गई थी। इस बीच जब मई 1857 की क्रांति की लहर अहीरवाल क्षेत्र में पहुची तब राव राजा ने भी क्रांति का बिगुल बजा दिया। राव तुलाराम ने इस इलाके से अंग्रेजी सेना के खात्मे का एलान कर दिया। क्रांतिकारी नेताओं ने दिल्ली के सिंहासन पर कब्जा कर बहादुरशाह जफर को हिंदुस्तान का बादशाह घोषित कर दिया। अंग्रेज गुड़गांव व आसपास का इलाका छोड़ कर भाग गए तथा इस पूरे इलाके पर राव तुलाराम का शासन कायम हो गया। गुस्साये अंग्रेजों ने संगठित होकर राव तुलाराम को घेरने की कोशिश की। इस दौरान ही 16 नवंबर 1857 को नारनौल के समीप नसीबपुर के मैदान में अंग्रेजों व भारतीय योद्धाओं के बीच भीषण युद्ध हुआ।
काबुल पहुंचे थे राव
इस लड़ाई में अंग्रेजी सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा। राव तुलाराम अंग्रेजी सेना को चकमा देकर भेष बदलकर अपने विश्वसनीय साथियों के साथ अंग्रेजों के खिलाफ मदद मांगने के लिए काबुल पहुंच गए, परतु भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। काबुल पहुचकर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चाबंदी मजबूत करने से पहले ही उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। 23 सितंबर 1863 को आजादी का यह महानायक सदा के लिए सो गया, परतु आजादी की जो चिंगारी उन्होने सुलगाई थी, वही भविष्य में ज्वाला बनकर देश को आजाद कराने का कारण बनी। काबुल से राव तुलाराम की अस्थिया लाने के लिए कुछ वर्ष पूर्व प्रयास भी शुरू हुए थे, लेकिन यह प्रयास अन्यान्य कारणों से सिरे नहीं चढ़ पाये। उनके वंशज राव इंद्रजीत सिंह जहां एक बार फिर रक्षा राज्य मंत्री का ओहदा संभाल रहे हैं, वहीं उनके दूसरे पुत्र भी राजनीति में सक्रिय है।
1857 का विद्रोह उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश कब्जे के खिलाफ भारत में उत्तरी हिस्से और मध्य हिस्से में एक लंबे समय तक चलने वाला एक सशस्त्र विद्रोह था। 1857 के विद्रोह के साथ जुड़े महत्वपूर्ण नेताओं की सूची जिससे परीक्षार्थी आसानी से यह याद रख सकते है।
1857 का विद्रोह उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश कब्जे के खिलाफ भारत में उत्तरी हिस्से और मध्य हिस्से में एक लंबे समय तक चलने वाला एक सशस्त्र विद्रोह था। ये केवल भारतीय सिपाहियो द्वारा शुरू नहीं किया गया था बल्कि कंपनी के प्रशासन के खिलाफ लोगों की शिकायतों और विदेशी शासन के लिए उनकी नापसंदगी का परिणाम था ।1857 के विद्रोह के साथ जुड़े महत्वपूर्ण नेताओं की सूची जिससे परीक्षार्थी आसानी से यह याद रख सकते है।
1857 के विद्रोह के साथ जुड़े महत्वपूर्ण नेताओं की सूची
बैरकपुर | मंगल पांडे |
दिल्ली | बहादुर शाह द्वितीय, जनरल बख्त खान |
दिल्ली | हकीम अहसान उल्लाह ( बहादुर शाह द्वितीय को मुख्य सलाहकार ) |
लखनऊ | बेगम हजरत महल , बिर्जिस कादिर , अहमद उल्लाह ( अवध के पूर्व नवाब के सलाहकार) |
कानपुर | नाना साहब , राव साहिब (नाना के भतीजे ), तात्या टोपे , अज़ीम उल्लाह खान ( नाना साहिब के सलाहकार) |
झांसी | रानी लक्ष्मीबाई |
बिहार ( जगदीशपुर ) | कुंवर सिंह , अमर सिंह |
इलाहाबाद और बनारस | मौलवी लियाकत अली |
फैजाबाद | मौलवी अहमद उल्लाह (वह अंग्रेजी के खिलाफ जिहाद के रूप में विद्रोह घोषित) |
फर्रुखाबाद | तुफजल हसन खान |
बिजनौर | मोहम्मद खान |
मुरादाबाद | अब्दुल अली खान |
बरेली | खान बहादुर खान |
मंदसौर | फिरोज शाह |
ग्वालियर / कानपुर | तात्या टोपे |
असम | कंडा परेश्वर सिंह, मनीराम |
ओडिशा | राजा प्रताप सिंह |
कुल्लू | जय दयाल जय दयाल सिंह और हरदयाल सिंह |
राजस्थान | गजाधर सिंह |
गोरखपुर | सेवी सिंह , कदम सिंह |
मथुरा | सेवी सिंह, कदम सिंह |
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