मैहर में सती का कौन सा अंग गिरा था? - maihar mein satee ka kaun sa ang gira tha?

Ram kumar

Technical executive - Intarvo technologies | पोस्ट किया 26-Sep-2018 |

मैहर माता के मंदिर का रहस्य क्या है ?

Content writer | पोस्ट किया 17-Dec-2018

मैहर वाली माता का नाम बड़ा ही प्रसिद्द है | मैहर मध्य प्रदेश में आता है | मैहर 51 शक्तिपीठों में से एक है | 51 शक्तिपीठ क्या है, इसके बारे में भी आपको बताते हैं | जब माता सती अपने पिता के घर महायज्ञ के समय बिना बुलाए पहुँच गई और अपने पिता के द्वारा भगवान शिव की बुराई को सहन नहीं कर पाई तो उन्होंने आत्मदाह कर लिया और वो अग्नि में जलकर सती हो गई |

भगवान शिव ने माता सती के शव को उठाया और पूरे ब्रह्माण्ड में चक्कर लगाने लगे | इस तरह सभी देवी देवता परेशान हो गए और उनकी चिंता का कारण यह था कि इसी तरह अगर चलता रहा तो धरती का सञ्चालन सही तरीके से नहीं हो पाएगा | इसलिए इस समस्या को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शव के टुकड़े करना शुरू कर दिया |

माता सती के अंग जहाँ-जहाँ गिरे वहां-वहां उनके मंदिर बन गए | माता सती के अंग के कुल 51 टुकड़े हुए जिनको 51 शक्तिपीठ कहा जाता है | उनमें एक मैहर है | कहा जाता है, यहाँ माता का गले का हार गिरा था इसलिए इसको मैहर नाम दिया गया |

यहाँ की एक मान्यता है कि माता के मंदिर में हर रोज सुबह आल्हा पूजा करने आते हैं | आज ही सबसे पहले पूजा वही करते हैं | यहाँ रात को रुकना मना है | यह बहुत ही प्रसिद्द मंदिर है, और बहुत ही चमत्कारी भी | यहाँ सभी की मनोकामना पूरी होती है | 

student | पोस्ट किया 30-Jul-2021

लोग अच्छे स्वास्थ्य, लंबी उम्र और कई अन्य चीजों की प्रार्थना करने के लिए मंदिरों में जाते हैं। लेकिन क्या आपने किसी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है जहां माना जाता है कि मंदिर में रहने पर भी लोगों की मौत हो जाती है? बिल्कुल विपरीत लगता है, है ना?


यह कहानी है मैहर देवी मंदिर नाम के एक मंदिर की, जहां यह दावा किया जाता है कि रात भर इस मंदिर में रहने पर लोगों की जान चली जाती है! तो, आप सभी जिज्ञासु आत्माएं, इस मंदिर के तथ्यों और लोगों के विश्वास के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ना जारी रखें।

मंदिर के बारे में सब कुछ भारत में यह प्रसिद्ध मंदिर भोपाल में सतना जिले के पास मैहर के पहाड़ों पर स्थित है। यह प्रसिद्ध मंदिर देवी 'शारदा' का है। मंदिर के नाम 'मैहर' का अर्थ है 'माँ का हार', जिसका दूसरे शब्दों में अर्थ है देवी की माला। यह एक पर्वत में स्थित है यह प्रसिद्ध मंदिर 'त्रिकूट' पर्वत के मध्य में स्थित है। यह दावा किया जाता है कि हर साल हजारों भक्त देवी शारदा के इस मंदिर में आते हैं, इस तथ्य को जानने के बावजूद कि मंदिर के पीछे एक भूतिया इतिहास है ...

मंदिर के बारे में विश्वास... यह दावा किया जाता है कि इस मंदिर के बारे में कई प्राचीन कहानियां हैं। बहुत से लोग इन मान्यताओं को सच होने का दावा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि रात में कोई भी मंदिर में नहीं रह सकता है। यदि वे करते हैं, तो व्यक्ति के मरने की भी संभावना है।

विश्वास के पीछे का कारण... इस विश्वास के पीछे का कारण दो अमर आत्माओं के अस्तित्व का दावा किया जाता है, अर्थात् आल्हा और उदम, जिन्हें देवी शारदा का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है। माना जाता है कि इन दो अमर आत्माओं ने पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। यह भी माना जाता है कि इन दोनों लोगों ने सबसे पहले इस 'मैहर देवी' मंदिर को पहाड़ों पर खोजा था।

रात में मंदिर बंद कर दिया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ये दोनों भाई रात में मंदिर जाते हैं और वे देवी को तैयार करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। इसलिए ऐसा माना जाता है कि रात के समय किसी को भी मंदिर में रुकने की अनुमति नहीं है। और अगर कोई ऐसा करता है, तो उसे अपनी जान गंवानी पड़ेगी!

Content Writer | पोस्ट किया 26-Sep-2018

भारत देश में ऐसे कई रहस्य है, जिनके बारें में जानना या जिनके बारें में पढ़ना लोगों को बहुत पसंद आता है | आज हम आपको मैहर माता के मंदिर के बारें में कुछ विशेष जानकारी देंगे |

मैहर वाली माता :-

मैहर वाली माता का मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले में एक छोटा सा नगर मैहर है, जहां माता का एक मंदिर है | एक मान्यता के अनुसार जब देवी सती ने खुद को अग्नि में प्रवाहित किया तो भगवान शिव जी ने उनके शरीर को अपने कंधे पर उठाकर पूरी पृथ्वी का भ्रमण किया | तब पृथ्वी को विनाश से बचने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के मृत शरीर के एक-एक कर के अंग काट दिए | मैहर में माता सती का हार गिर गया तब से उस मंदिर को मैहर माता का नाम दिया गया |

मंदिर की खोज :-

मैहर में रहने वाले लोगों के अनुसार बुन्देलखण्ड के महोबा के वीर योद्धा आल्हा और उदल ने राजा पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्घ किया और इस दौरान मंदिर की खोज हुई | मान्यता है कि आल्हा ने मैहर मंदिर में 12 साल तक कठिन तपस्या की | जिससे माता प्रसन्न हुई और उस मंदिर में विराजमान हुई | मैहर में शारदा माता का मंदिर है |

मंदिर का रहस्य :-

माता का हार गिरने पर इस मंदिर को मैहर नाम दिया गया | मैहर वाली माता के सबसे बड़े भक्त आल्हा को कहा जाता है | इस मंदिर की मान्यता है, कि यहाँ आज भी आल्हा माता शारदा की पूजा सुबह सबसे पहले करते हैं | माता का पहला श्रृंगार आज भी आल्हा के द्वारा ही किया जाता है | जब ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:24 मिनट से 5:12 मिनट के बीच) में माता शारदा के मंदिर का द्वार खोला जाता है तब उनका शृंगार और उनकी पूजा होती है |

1063 सीढ़ियां चढ़ कर भक्त उनके दर्शन के लिए जाते हैं | यह मंदिर जितना मान्यता से भरा है, उतना ही रहस्य से | रात्रि के समय इस मंदिर में कोई नहीं रुकता |

क्या आपने कभी ऐसी बात सुनी है की मंदिर में रात भर रहने पर लोगों की मौत हो जाती है जी हां यह बात बिल्कुल सही है क्योंकि मध्यप्रदेश के सतना जिले के मैहर में मां शारदा की एक ऐसी मंदिर है जहां पर लोग रात में रुक जाते हैं तो उनकी मृत्यु हो जाती है। मैहर का मतलब होता है मां का हार कहा जाता है कि माता सती का हार यहां पर गिरा था इसकी गणना शक्ति पीठ में की जाती है मां शारदा के दर्शन करने के लिए 1063 सीढ़ियों को चढ़कर जाने पर मां शारदा के दर्शन होते हैं और यह भी कहा जाता है कि माता के सबसे बड़े भक्त आल्हा रोज सुबह जब मंदिर के पट बंद रहते हैं तो उनकी पूजा करने आते हैं और मां का श्रृंगार करके चले जाते हैं। इस प्रकार मां शारदा के कई रहस्यमई बातें हैं जिसे सुलझाना बहुत ही कठिन है।

 

मैहर में माता का कौन सा अंग गिरा था?

मैहर का माता शारदा का मंदिर विंध्य पर्वत श्रेणी के त्रिकूट पर्वत की चोटी पर स्थित है। यहाँ माता सती के गले का हार गिरा था इस कारण इस स्थान का नाम मैहर (माई का हार) पड़ा।

माता पार्वती के कितने टुकड़े हुए थे?

Shakti Peeth of Goddess: पौराणिक कथा के अनुसार देवी के 51 शक्ति पीठ (Shakti Peeth) जिन जगहों पर स्थापित हैं, वहां देवी सती के शरीर के अंग (Body Parts) गिरे थे. Shakti Peeth of Goddess: देवी के 51 शक्ति पीठ (Shakti Peeth) का हिन्दू धर्म में बेहद महत्त्व है.

51 शक्तिपीठ कौन कौन सी है?

कहां स्थित हैं मां सती के ये 51 शक्तिपीठ.
बायां हाथ पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिला के पास अजेय नदी तट पर मां सती का बायां हाथ गिरा है, जहां मां को देवी बाहुला के नाम से पूजा जाता है..
दायीं कलाई ... .
बायां पैर ... .
दायें पैर का अगूंठा ... .
बाएं पैर का अगूंठा ... .
अस्थि ... .
बायीं एड़ी ... .

9 शक्तिपीठ कौन कौन से हैं?

मुख्य 9 शक्तिपीठ.
कालीघाट मंदिर कोलकाता- पांव की चार अंगुलियां गिरी.
कोलापुर महालक्ष्मी मंदिर- त्रिनेत्र गिरा.
अम्बाजी का मंदिर गुजरात- हृदय गिरा.
नैना देवी मंदिर- आंखों का गिरना.
कामाख्या देवी मंदिर- योनि गिरा था.
हरसिद्धि माता मंदिर उज्जैन बायां हाथ और होंठ यहां पर गिरे थे.
ज्वाला देवी मंदिर सती की जीभ गिरी.

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