क्या आप मूल स्वरकी परिभाषा जानना चाहते हैं? मूल स्वर कौन कौन से होते हैं और उसका संख्या कितना है? इन तीनों ही प्रश्नों के उत्तर आपको इस लेख में मिलने वाला है. धैर्य से नीचे तक पढ़ें.
मूल स्वर की परिभाषा
जिन स्वरों की उत्पति किसे दूसरे स्वरों से नहीं होती हों, उन स्वरों को मूल स्वर कहते हैं. जैसे – अ
हिंदी वर्णमाला में कौन-कौन से मूल स्वर हैं
हिंदी वर्णमाला में कुल मूल स्वरों की संख्या चार होती हैं. अ, इ, उ, ऋ – यह चार मूल स्वर हैं.
मूल स्वरों की संख्या कितनी होती है
अ, इ, उ, ऋ, यही चार मूल स्वर हैं. आप जैसा कि पहले से ही जानते हैं हिंदी वर्णमाला में कुल स्वर की संख्या 11 है. बाकी बचे हुए स्वर संधि स्वर हैं.
स्वर के कुल कितने प्रकार हैं जानिए – ह्रस्व, दीर्घ, प्लुत स्वर, अग्र, मध्य, पश्च स्वर, एवं संधि.
Conclusion
जिन स्वरों की उत्पति किसे दूसरे स्वरों से नहीं होती हों, उन स्वरों को मूल स्वर कहते हैं. अ की उत्पत्ति किसी अन्य स्वर से नहीं हुई है. इसीलिए इसे मूल स्वर कहा जाता है.
आशा करता हूं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा. आपके पास कोई अन्य प्रश्न हो तो आप जरूर कमेंट बॉक्स में पूछें. मुझे आपके प्रश्न का उत्तर देने में बेहद खुशी होगी.
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दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि मूल स्वर कितने प्रकार के होते है? या मूल स्वर की परिभाषा क्या है? और यह कितने प्रकार का होता है? तो आइए जानते है कि मूल स्वर किसे कहते है?
मूल स्वर क्या है ?
जिसके वर्णों उच्चारण करने पर मुख से ध्वनि बिना किसी रुकावट के निकलती है उन्हें स्वर कहते है, एवं जिन स्वरों की उत्पति बिना किसी दूसरे स्वरों के सहायता से होती हों, उन स्वरों को मूल स्वर कहते हैं. जैसे – अ
हिंदी वर्णमाला के मूल स्वर एवं इनकी संख्या
हिंदी वर्णमाला में कुल मूल स्वरों की संख्या चार होती हैं.
- अ,
- इ,
- उ,
- ऋ
हिंदी वर्णमाला में स्वरों कि संख्या 11 होती है, इन 4 स्वरों के अलावा बाकी के स्वर – संधि स्वर हैं.
- चार अक्षर वाले शब्द 4 Letter Words In Hindi
- 2 अक्षर वाले शब्द Two Letter Words In Hindi
- तीन अक्षर वाले शब्द, 3 Letter Words in Hindi
स्वर के भेद या प्रकार –
उच्चारण के समय की दृष्टि से स्वर के चार भेद होते हैं –
- ह्रस्व स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में कम-से-कम समय लगता हैं उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं। ये चार हैं- अ, इ, उ, ऋ। इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं।
- दीर्घ स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से दुगुना समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ दीर्घ स्वर के उदाहरण है।
- संयुक्त स्वर – दो भिन्न प्रकृति (विजातीय) स्वरों के मिलने से जो स्वर बनते है, उन्हें संयुक्त स्वर कहते है।
- प्लुत स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में दीर्घ स्वरों से भी अधिक समय लगता है उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। प्रायः इनका प्रयोग दूर से बुलाने में किया जाता है।
मित्रो आज का यह पोस्ट मूल स्वर कितने होते है? मूल स्वर की परिभाषा क्या है? आप सब को कैसा लगा हमें जरूर बताइएगा।
स्वर उन ध्वनियों को कहते हैं जो बिना किसी अन्य वर्णों की सहायता के उच्चारित किये जाते हैं। स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण,स्वर कहलाते हैं। हिन्दी भाषा में मूल रूप से ग्यारह स्वर होते हैं। ग्यारह स्वर के वर्ण : अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ऋ,ए,ऐ,ओ,औ आदि। हिन्दी भाषा में ऋ को आधा स्वर(अर्धस्वर) माना जाता है,अतः इसे स्वर में शामिल किया गया है। हिन्दी भाषा में प्रायः ॠ और ऌ का प्रयोग नहीं होता है। ॠ और ऌ प्रयोग प्रायः संस्कृत भाषा में होता है। अं और अः को भी स्वर में नहीं गिना जाता। इसलिये हम कह सकते हैं कि हिन्दी में 10 स्वर होते हैं। परंतु भारत सरकार द्वारा स्वीकृत मानक हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर और 35 व्यंजन हैं। जिसमें ऋ(अर्धस्वर) को भी स्वर में ही गिना जाता है। हालांकि, पारंपरिक हिंदी वर्णमाला को 13 स्वरों और 33 व्यंजनों से बना माना जाता है। अक्षर अं [हूँ] और अ: [आह] को पारंपरिक हिंदी में स्वर और मानक हिंदी में व्यंजन के रूप में गिना जाता है। यदि ऍ,ऑ नाम की विदेशी ध्वनियों को शामिल करें तो हिन्दी में 11 2=13 स्वर होते हैं, फिर भी ऋ, अं, अः को हटा दे तो 10 स्वर हिन्दी में मूलभूत हैं। यदि हम ऋ, अं, अः को हटा दे तो स्वरों कि संख्या 10 होगी । परंतु भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 11 स्वर हैं जिसमें ऋ(अर्धस्वर) कि गिनती स्वरों में ही शामिल है।
स्वरों के भेद[संपादित करें]
स्वरों के तीन भेद होते हैं।
ह्रस्व स्वर[संपादित करें]
वह स्वर जिनको सबसे कम समय में उच्चारित किया जाता है। ह्रस्व स्वर कहलाते हैं। जैसे- अ, इ, उ, ऋ,
दीर्घ स्वर[संपादित करें]
वह स्वर जिनको बोलने में ह्रस्व स्वरों से अधिक समय लगता है। जैसे- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ,
प्लुत स्वर[संपादित करें]
वह स्वर जिनको बोलने में ह्रस्व स्वरों की अपेक्षा तिगुना समय लगता है। जैसे - ॐ = अ + ओ + म्
वर्गीकरण[संपादित करें]
स्वरों को कई तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है :
- जिह्वा
की ऊँचाई की दृष्टि से :
- विवृत (खुला हुआ, यानि कि जीभ नीचे गिरी हुई है) / Open
- अर्धविवृत / half-open
- बीच का
- अर्धसंवृत / half-closed
- संवृत (अत्यन्त संकीर्ण, यानि कि जीभ मुँह की छत तक उठी हुई है) / closed
- जिह्वा का कौन हिस्सा उठा हुआ है :
- अग्रस्वर / front vowel
- मध्यस्वर / mid vowel
- पश्वस्वर / back vowel
- होंठों की स्थिति से :
- प्रसृत (खुले होंठ) / unrounded
- वर्तुल (गोलाकार होंठ) / rounded
- अर्ध-वर्तुल / semi-rounded
- मात्रा की दृष्टि से :
- ह्रस्व / short
- दीर्घ / long
- प्लुत / very long
नीचे दी गयी तालिका में सभी भाषाओं के स्वरों का वैज्ञानिक वर्गीकरण और उनके IPA वर्णाक्षर दिये गये हैं :
अग्रस्वर लगभग अग्रस्वर मध्यस्वर लगभग पश्वस्वर पश्वस्वर | |||||||||
प्रसृत | वर्तुल | प्रसृत | वर्तुल | प्रसृत | वर्तुल | प्रसृत | वर्तुल | प्रसृत | वर्तुल |
i | y | ɨ | ʉ | ɯ | u | ||||
ɪ | ʏ | ʊ | |||||||
e | ø | ɘ | ɵ | ɤ | o | ||||
Schwa: ə | |||||||||
ɛ | œ | ɜ | ɞ | ʌ | ɔ | ||||
æ | ɐ | ||||||||
a | ɶ | ɑ | ɒ |
जिस स्वर पर बलाघात लगता है, उसके शब्दांश के पहले एक << ' >> का निशान लगा दिया जाता है। जिस स्वर में नासिकीकरण होता है, उसके ऊपर टिल्ड << ~ >> का निशान लगा दिया जाता है। दीर्घ स्वरों के बाद << : >> का निशान लगाया जाता है।
हिन्दी भाषा के स्वर[संपादित करें]
- अ / ə /
- आ / ɑ , a /
- इ / ɪ /
- ई / i /
- उ / ʊ /
- ऊ / u /
- ऋ / ɻɪ /
- ए / e /
- ऐ / ɛ /
- ओ / o /
- औ / ɔ /
- ऑ / ɒ /
अंग्रेज़ी भाषा के स्वर[संपादित करें]
A E I O U