मानव विकास के चार प्रमुख घटकों के नाम लिखिए ।
मानव विकास के चार प्रमुख घटक अथवा स्तंभ निम्नलिखित हैं-
- समता,
- सतत् पोषणीयता,
- उत्पादकता,
- सशक्तीकरण ।
मानव विकास शब्द से आपका क्या अभिप्राय है?
मानव विकास - मानव विकास की अवधारणा का प्रतिपादन प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ० महबूब-उल-हक ने किया था । उन्होंने मानव विकास की कल्पना एक ऐसे विकास
के रूप में की जिसका संबंध लोगों के विकल्पों में बढ़ोतरी से है, ताकि वे आत्म-सम्मान के साथ दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन जी सकें। सन् 1990 की मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार मानव विकास को इस प्रकार से परिभाषित किया गया है, ''मानव विकास मनुष्य की आकांक्षाओं एवं उन्हें उपलब्ध जीवनयापन की सुविधाओं के स्तर को विकसित करने की प्रक्रिया है।''
मानव विकास के उद्देश्य - मानव विकास का मूल उद्देश्य ऐसी परिस्थितियों को उत्पन्न करना है जिनमें लोग सार्थक जीवन
व्यतीत कर सकें। मानव विकास के तीन महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं:- (1) दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन, (2) शिक्षा का प्रसार, (3) संसाधनों तक पहुँच ।
उपरोक्त तीनों पक्ष मानव विकास के केंद्र बिंदु हैं। इन पक्षों में से प्रत्येक के मापन के लिए उपयुक्त सूचकों का विकास किया गया है।
मानव विकास के लिए क्षमताओं का निर्माण - जब तक लोगों की क्षमताओं का निर्माण नहीं किया जाता, तब तक उनके विकल्पों को बढ़ाया नहीं जा सकता । विकल्पों को बढ़ाए बिना स्वास्थ्य, शिक्षा व संसाधनों तक लोगों की पहुँच
संभव नहीं है। उदाहरणतया एक अशिक्षित बच्चा इंजीनियर अथवा डॉक्टर बनने का विकल्प नहीं चुन सकता, क्योंकि उसका विकल्प शिक्षा के अभाव में सीमित हो जाता है।
मानव विकास के चार स्तंभ - मानव विकास के चार स्तंभ निम्नलिखित हैं-
- समता,
- सतत् पोषणीयता,
- उत्पादकता,
- सशक्तीकरण ।
मानव विकास के उपागम - मानव विकास की समस्या को देखने के अनेक उपागम हैं जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं :-
- आय उपागम,
- आधारभूत आवश्यकता उपागम,
- क्षमता उपागम,
- कल्याण उपागम ।
मानव विकास अवधारणा के अंतर्गत समता और सतत् पोषणीयता से आप क्या समझते हैं?
समता :- प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध संसाधनों के लिए समान पहुँच की व्यवस्था करना समता कहलाता है। लोगों को उपलब्ध अवसर धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान तथा आय के भेदभाव के विचार के बिना समान होने चाहिएँ। भारतीय संविधान में भी समानता का अधिकार प्रदान किया गया है।
सतत् पोषणीयता :- सतत् पोषणीयता से अभिप्राय है कि लोगों को विकास करने के अवसर लगातार मिलते रहें। सतत् पोषणीयता मानव विकास तभी होगा जब प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर मिलें। अत: यह जरूरी है कि हम पर्यावरणीय, वित्तीय और मानव संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करें कि वे भावी पीढ़ी को भी पर्याप्त मात्रा में मिल सकें।
निम्नलिखित में से कौन-सा विकास का सर्वोत्तम वर्णन करता है?
आकार में वृद्धि
गुण में धनात्मक परिवर्तन
आकार में स्थिरता
गुण में साधारण परिवर्तन
B.
गुण में धनात्मक परिवर्तन
मानव विकास की अवधारणा निम्नलिखित में से किस विद्वान की देन है?
प्रो० अमर्त्य सेन
डॉ० महबूब-उल-हक
एलन सी० सेंपल
रेटज़ेल
निम्नलिखित में कौन-सा देश उच्च मानव विकास वाला नहीं है?
नार्वे
अर्जेंटाइना
जापान
मिस्र
मानव विकास की अवधारणा निम्नलिखित में से किस विद्वान की देन है?
प्रो० अमर्त्य सेन
डॉ० महबूब-उल-हक
एलन सी० सेंपल
रेटज़ेल
मानव विकास के चार प्रमुख घटकों के नाम लिखिए ।
मानव विकास के चार प्रमुख घटक अथवा स्तंभ निम्नलिखित हैं-
- समता,
- सतत् पोषणीयता,
- उत्पादकता,
- सशक्तीकरण ।
निम्नलिखित में कौन-सा देश उच्च मानव विकास वाला नहीं है?
नार्वे
अर्जेंटाइना
जापान
मिस्र
निम्नलिखित में से कौन-सा विकास का सर्वोत्तम वर्णन करता है?
आकार में वृद्धि
गुण में धनात्मक परिवर्तन
आकार में स्थिरता
गुण में साधारण परिवर्तन
B.
गुण में धनात्मक परिवर्तन
मानव विकास के तीन मूलभूत क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
- दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन,
- शिक्षा,
- संसाधनों तक पहुँच ।
मानव विकास के प्रमुख घटक निम्नलिखित है:-
1 स्वास्थ्य
2 साक्षरता
3 संसाधनों तक पहुँच
1. स्वास्थ्य- स्वास्थ्य का मूल्यांकन जन्म के समय जीवन-प्रत्याशा (Lile Expectancy at Birth) से किया जाता है। जीवन प्रत्याशा जीवन की अभिलाषा है।
यह जीवन प्रत्याशा वर्षों के रूप में नापी जाती है। जितनी ही उच्च जीवन प्रत्याशा होगी, उतना ही अधिक विकास का सूचकांक होगा। यह 25 से 85 वर्ष के बीच देखी जाती है।
जीवन प्रत्याशा बढ़ाने या दीर्घ आयु के महत्वपूर्ण मापों में पूर्व एवं प्रसवोत्तर स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाकर शिशु मृत्यु दर, मातृ प्रसवोत्तर मृत्यु दर को कम करना, वृद्ध आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए उत्तम स्वास्थ्य सेवाएँ, पर्याप्त पोषण तथा व्यक्तियों की सुरक्षा सम्मिलित है।
2.साक्षरता– साक्षरता के मूल्यांकन के लिए प्रौढ़ साक्षरता दर, विद्यालयों में सकल नामांकित बच्चों को संख्या तथा स्कूलिंग की अवधि को आधार माना जाता है।
3. संसाधनों तक पहुँच– संसाधनों तक पहुँच का आशय उत्तम ढंग से जीवन जीने हेतु साधनों की प्राप्ति से है।
इसे राष्ट्रीय आय या प्रति व्यक्ति आय या मानव की क्रय शक्ति के आधार पर मापा जाता है।
सामान्यत: न्यूनतम 100 अमेरिकी डॉलर से 40,000 अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर तक आय का विवरण देखा जाता है।
किसी देश की स्थिति मानव विकास के इन्हीं तीनों आधारभूत आयामों के आधार पर निर्धारित की जाती है।
मानव विकास सूचकांक विभिन्न देशों का स्थान निर्धारण एक-दूसरे की तुलना में करता है, ताकि उन्हें बताया जा सके कि वे मानव विकास की दिशा में कितना अग्रसर हो चुके हैं और कितना और आगे जाना है।
इस प्रकार मानव विकास सूचकांक मानव विकास के स्तरों को दर्शाता है, न कि विकास के सम्पूर्ण मूल्यांकन को।
मानव विकास के आधारभूत सूचकांक
मानव विकास सूचकांक का प्रतिपादन सर्वप्रथम वर्ष 1990 में भारतीय अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन तथा अर्थशास्त्री महबूब-उल-हक ने किया था।
मानव विकास मापन हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व के 193 देशों में से 188 सदस्य देशों का मानव विकास रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
इससे मानव विकास सूचकांक (Human Development Index : HDI) ज्ञात किया जाता है। यह सूचकांक स्वास्थ्य, साक्षरता तथा संसाधनों तक पहुंच के सन्दर्भ में मापा जाता है।
इनमें से प्रत्येक को 1/3 भारित दी जाती है। इस आधार पर मानव विकास सूचकांक का मूल्य0 से 1 के मध्य पर आधारित होता है।
मानव विकास सूचकांक का मूल्य एक के जितना अधिक समीप होता है, उतना ही मानव विकास का स्तर अधिक माना जाता है या उच्च ही माना जाता है।
मानव विकास का 0.938 मूल्य मानव विकास का उच्च स्तर माना जाता है, जबकि 0.268 मूल्य मानव विकास का अत्यन्त निम्न स्तर माना जाता है।