नई दिल्ली। इस दुनिया में मौत शाश्वत है। जिस व्यक्ति, जीव ने जन्म लिया है, उसका मरना तय है। मौत के बाद की दुनिया क्या है, इस बारे में कई बार पढ़ने-सुनने को मिलता है लेकिन मौत के तुरंत बाद से मृत शरीर में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं, यह जानना भी रोचक है। मौत के तुरंत बाद से शरीर में कई ऐसे बदलाव होते हैं जो जानने योग्य हैं।
मौत किसी भी कारण से हो सकती है किसी की नेचुरल डेथ होती है, कोई एक्सीडेंट से तो कोई हत्या की वजह से दुनिया से असमय अलविदा कह देता है। मौत का तरीका कुछ भी हो लेकिन मौत के वक्त भी शरीर में कई बदलाव होते हैं। मरते समय इंसान का दिल धड़कना बंद कर देता है और इंसान तेजी से सांसें लेना शुरू कर देता है। खून का दौड़ना बंद हो जाता है जिससे कान ठंडे हो जाते हैं। खून में एसिडिटी बढ़ जाती है और गले में कफ जमा हो जाता है जिससे सांस लेते हुए खड़-खड़ जैसी आवाज आने लगती है। फिर फेफड़े और दिमाग भी काम करना बंद कर देते हैं।
सबसे पहले तो जिस व्यक्ति की मौत हुई है, उसके शरीर के रंग में परिवर्तन होने लगता है। रंग तेजी से बदलता है। कारण यही है कि मौत हो जाने पर ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है और दिमाग तक ऑक्सीजन नहीं पहुंचती है। ब्लड सर्कुलेशन रुकते ही खून पानी में बदलता है और शरीर का रंग नीला पड़ने लगता है।
मौत के बाद शरीर फूलने भी लगता है। इसका कारण यह है कि शरीर के अंदर ऐसे सूक्ष्म जीव भी होते हैं जो किसी की मौत के बाद भी शरीर में जीवित रहते है। इनमें पैरासाइटिक भी होते है। ये पैरासाइटिक वो हैं जो कि भोजन को पचाने में मदद करते है। मौत के बाद भी ये आंतों में जीवित रहते हैं और अपना काम करते रहते हैं। इस वजह से शरीर में गैस बनती है और मौत के बाद शरीर फूलने भी लगता है।
मौत के बाद बालों और नाखूनों के बढ़ने की भी बातें होती है। कई धर्मों में मौत के बाद शरीर को दफन किया जाता है और ऐसी चर्चाएं भी होती हैं कि शव के बाल पहले से लंबे हो गए है लेकिन ये बात पूरी तरह सच नहीं है। यह कुछ हद तक ही बढ़ सकते लेकिन ऐसा प्रतीत होने का मुख्य कारण त्वचा के खिंच जाने के कारण महसूस होता है कि बाल बढ़ गए हैं। वहीं मौत के बाद नाखूनों के बढ़ने की बातें भी सामने आती हैं। इसका भी यही कारण है कि त्वचा के खिंचाव के कारण नाखून बढ़े हुए दिखाई देते है।
आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि मौत के बाद भी मृत व्यक्ति की त्वचा के कई सेल्स काम करते रहते हैं। कई सेल्स कुछ दिन में मर जाते हैं लेकिन कुछ सेल्स कुछ दिन तक जीवित रह सकते हैं।
आपको यह जानकर भी अचंभा होगा कि मरने के बाद भी मृत शरीर से मूत्र विसर्जन होता है। इसका कारण यह है कि ब्लड सर्कुलेशन रुकने से मांसपेशियों में कड़कपन आ जाता है। इसके कुछ समय के बाद जब वो लचीला पड़ने लगती है तो उस दौरान मूत्र उत्सर्जन की क्रिया होती है। इस प्रक्रिया में इसी तरह से वीर्य का स्त्राव भी होने लगता है।
हिन्दू दर्शन के अनुसार जन्म और मृत्यु बस एक समय है जबकि जीवन इसके पहले, बीच में और बाद में भी निरंतर जाती है। हिन्दू धर्म के अनुसार मृत्यु कैसी भी हो काल या अकाल, उसकी प्रक्रिया छह माह पूर्व ही शुरू हो जाती है। छह माह पहले ही मृत्यु को टाला जा सकता है, अंतिम तीन दिन पूर्व, सिर्फ देवता या मनुष्य के पुण्य ही मृत्यु को टाल सकते हैं। यह याद रखना चाहिए कि मौत का अहसास व्यक्ति को छह माह पूर्व ही हो जाता है। विकसित होने में 9 माह, लेकिन मिटने में 6 माह। 3 माह कम। जानिए मौत के लक्षण।
पहला संकेत : मनुष्य शरीर के सात चक्र बताए गए हैं। पुराणों में वर्णित है कि मृत्यु की आहट सबसे पहले मस्तिष्क में नहीं बल्कि नाभि में होती है। यानी पहली आहट नाभि चक्र पर महसूस की जा सकती है। मृत्यु आने के सबसे पहले पता नाभि चक्र से जाना जा सकता है। यह नाभि चक्र एक दिन में नहीं टूटता है, इसके टूटने की क्रिया लंबे समय तक जारी रहती है और जैसे-जैसे चक्र टूटता जाता है मृत्यु के करीब आने के दूसरे कई लक्षण महसूस होने लगते हैं। नाभि से ही जन्मा व्यक्ति नाभि से ही मर जाता है।
दूसरा संकेत : समुद्रशास्त्र में उल्लेखित है कि जब मृत्यु आती है, तो हथेली में मौजूद रेखाएं अस्पष्ट और इतनी हल्की दिखाई देने लगती हैं, कि उसे देख पाना मुश्किल होता है।
तीसरा संकेत : जिस व्यक्ति की मृत्यु हो रही है उसको अपने आस-पास कुछ सायों के मौजूद होने का अहसास होता रहता है। ऐसे व्यक्तियों को अपने पूर्वज और कई मृत व्यक्ति नजर आते रहते हैं। स्वप्नशास्त्र वर्णित है कि सपने कई बार भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत देते हैं जैसे कि उसे अशुभ स्वप्न आने लगते हैं।
चौथा संकेत : गरूड़ पुराण उल्लेखित है कि जब बिल्कुल मौत करीब आती है तो व्यक्ति को अपने करीब बैठा इंसान भी नजर नहीं आता है। ऐसे समय में व्यक्ति के यम के दूत नजर आने लगते हैं और व्यक्ति उन्हें देखकर डरता है। इसीलिए जब तक जीवन चक्र चलता रहता है तब तक सांसें सीधी चलती है। लेकिन जब किसी व्यक्ति की मृत्यु करीब आ जाती है तो उसकी सांसें उल्टी चलने लगती है।
पांचवां संकेत : जब किसी नशा, रोग, अत्यधिक चिंता, अत्यधिक कार्य से भीतर के सभी स्नायु, नाड़ियां आदि कमजोर हो जाते हैं। यह उसी तरह है कि हम किसी इमारत के सबसे नीचे की मंजिल को खोद दें। ऐसे व्यक्ति की आंखों के सामने बार-बार अंधेरा छा जाता है। उठते समय, बैठते समय या सफर करते समय अचानक आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। यदि यह लक्षण दो-तीन सप्ताह तक बना रहे तो तुरंत ही योग, आयुर्वेद और ध्यान की शरण में जाना चाहिए या किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लें।
माना यह भी जाता है कि इस अंधेरा छा जाने वाले रोग के कारण उस चांद में भी दरार जैसा नजर आता है। उसे लगता है कि चांद दो टुकड़ों में है, जबकि ऐसा कुछ नहीं होता।
छठा संकेत : जिन लोगों की मृत्यु एक माह शेष रहती है वे अपनी छाया को भी स्वयं से अलग देखने लगते हैं। कुछ लोगों को तो अपनी छाया का सिर भी दिखाई नहीं देता है।
सातवां संकेत : आयुर्वेदानुसार मृत्यु से पहले मानव शरीर से अजीब-सी गंध आने लगती है। इसे मृत्यु गंध कहा जाता है। यह किसी रोगादि, हृदयाघात, मस्तिष्काघात आदि के कारण उत्पन्न होती है। यह गंध किसी मुर्दे की गंध की तरह ही होती है। बहुत समय तक किसी अंदरुनी रोग को टालते रहने का परिणाम यह होता है कि भीतर से शरीर लगभग मर चुका होता है।
आठवां संकेत : आंखों की कमजोरी से संबंधित ही एक लक्षण यह भी है कि व्यक्ति को दर्पण में अपना चेहरा न दिखकर किसी और का चेहरा होने का भ्रम होने लगता है।
नौवां संकेत : जब कोई व्यक्ति चंद्र, सूर्य या आग से उत्पन्न होने वाली रोशनी को भी नहीं देख पाता है तो ऐसा इंसान भी कुछ माह और जीवित रहेगा, ऐसी संभावनाएं रहती हैं।
दसवां संकेत: जब कोई व्यक्ति पानी में, तेल में, दर्पण में अपनी परछाई न देख पाए या परछाई विकृत दिखाई देने लगे तो ऐसा इंसान मात्र छह माह का जीवन और जीता है।
ग्यारहवां संकेत : जिस व्यक्ति का श्वास अत्यंत लघु चल रहा हो तथा उसे कैसे भी शांति न मिल रही हो तो उसका बचना मुश्किल है। नासिका के स्वर अव्यवस्थित हो जाने का लक्षण अमूमन मृत्यु के 2-3 दिनों पूर्व प्रकट होता है। कहते हैं कि जो व्यक्ति की सिर्फ दाहिनी नासिका से ही एक दिन और रात निरंतर श्वास ले रहा है (सर्दी-जुकाम को छोड़कर) तो यह किसी गंभीर रोग के घर करने की सूचना है। यदि इस पर वह ध्यान नहीं देता है तो तीन वर्ष में उसकी मौत तय है।
जिसकी दक्षिण श्वास लगातार दो-तीन दिन चलती रहे तो ऐसे व्यक्ति को संसार में एक वर्ष का मेहमान मानना चाहिए। यदि दोनों नासिका छिद्र 10 दिन तक निरंतर ऊर्ध्व श्वास के साथ चलते रहें तो मनुष्य तीन दिन तक ही जीवित रहता है। यदि श्वास वायु नासिका के दोनों छिद्रों को छोड़कर मुख से चलने लगे तो दो दिन के पहले ही उसकी मृत्यु जानना चाहिए।
बारहवां संकेत : जिसके मल, मूत्र और वीर्य एवं छींक एकसाथ ही गिरते हैं उसकी आयु केवल एक वर्ष ही शेष है, ऐसा समझना चाहिए।
तेरहवां संकेत : जिसके वीर्य, नख और नेत्रों का कोना यह सब यदि नीले या काले रंग के हो जाएं तो मनुष्य का जीवन छह से एक वर्ष के बीच समाप्त हो जाता है।
चौदहवां संकेत : जब किसी व्यक्ति का शरीर अचानक पीला या सफेद पड़ जाए और ऊपर से कुछ लाल दिखाई देने लगे तो समझ लेना चाहिए कि उस इंसान की मृत्यु छह माह में होने वाली है।
पंद्रहवां संकेत : जो व्यक्ति अकस्मात ही नीले-पीले आदि रंगों को तथा कड़वे-खट्टे आदि रसों को विपरीत रूप में देखने-चखने का अनुभव करने लगता हैं वह छह माह में ही मौत के मुंह में समा जाएगा।
सौलहवां संकेत : जब किसी व्यक्ति का मुंह, जीभ, कान, आंखें, नाक स्तब्ध हो जाएं यानी पथरा जाए तो ऐसे माना जाता है कि ऐसे इंसान की मौत का समय भी लगभग छह माह बाद आने वाला है।
सत्रहवां संकेत : जिस इंसान की जीभ अचानक से फूल जाए, दांतों से मवाद निकलने लगे और सेहत बहुत ज्यादा खराब होने लगे तो मान लीजिए कि उस व्यक्ति का जीवन मात्र छह माह शेष है।
अठारहवां संकेत : यदि रोगी के उदर पर सांवली, तांबे के रंग की, लाल, नीली, हल्दी के तरह की रेखाएं उभर जाएं तो रोगी का जीवन खतरे में है, ऐसा बताया गया है।
उन्नीसवां संकेत : यदि व्यक्ति अपने केश एवं रोम को पकड़कर खींचे और वे उखड़ जाएं तथा उसे वेदना न हो तो रोगी की आयु पूर्ण हो गई है, ऐसा मानना चाहिए।
बीसवां संकते : हाथ से कान बंद करने पर किसी भी प्रकार की आवाज सुनाई न दे और अचानक ही मोटा शरीर दुबला और दुबला शरीर मोटा हो जाए तो एक माह में मृत्यु हो जाती है। सामान्य तौर पर व्यक्ति जब आप अपने कान पर हाथ रखते हैं तो उन्हें कुछ आवाज सुनाई देती है लेकिन जिस व्यक्ति का अंत समय निकट होता है उसे किसी भी प्रकार की आवाजें सुनाई देनी बंद हो जाती हैं।
इक्कीसवां : मौत के ठीक तीन-चार दिन पहले से ही व्यक्ति को हर समय ऐसा लगता है कि उसके आसपास कोई है। उसे अपने साथ किसी साए के रहने का आभास होता रहता है। यह भी हो सकता है कि व्यक्ति को अपने मृत पूर्वजों के साथ रहने का अहसास होता हो। यह अहसास ही मौत की सूचना है।
बावीसवां संकेत : समय बीतने के साथ अगर कोई व्यक्ति अपनी नाक की नोक देखने में असमर्थ हो जाता है तो इसका अर्थ यही है कि जल्द ही उसकी मृत्यु होने वाली है, क्योंकि उसकी आंखें धीरे-धीरे ऊपर की ओर मुड़ने लगती हैं और मृत्यु के समय आंखें पूरी तरह ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं।
तेवीसवां संकेत : यदि किसी व्यक्ति को नीले रंग की मक्खियां घेरने लगे और अधिकांश समय ये मक्खियां व्यक्ति के आसपास ही रहने लगें तो समझ लेना चाहिए कि व्यक्ति की आयु मात्र एक माह शेष है।
चौवीसवां संकेत : प्रतिदिन कोई कुत्ता घर से निकलने के बाद आपके पीछे चलने लगे और ऐसा तीन-चार दिन तक लगातार हो तो आपको सतर्क होने की जरूरत है।
पच्चीसवां संकेत : यदि बायां हाथ लगातार एक सप्ताह तक अकारण ही फड़कता रहे, तो समझना चाहिए कि मृत्यु किसी भी कारण से निकट है।