मटर का सबसे अच्छा बीज कौन सा है? - matar ka sabase achchha beej kaun sa hai?

Last Updated on October 5, 2022 by

आज के समय हरी मटर की उन्नत खेती कर, कम समय मे अच्छी नगद आय प्राप्त कर सकते है | फसल को मुनाफेदार बनाने के लिए खेत की अच्छी तैयारी, खाद-उर्वरक, सिंचाई, देखरेख और उन्नत किस्म के बीज का होना बहुत आवश्यक है | हरी मटर की उन्नत खेती के तरीकों मे आज हम बात करेंगे – मटर की वैरायटीयां जो देगी अच्छा उपज-उत्पादन और मुनाफ़ा –

विस्तृत लेख में आप जानेंगे की, मटर की उन्नत किस्में कौन कौन सी होती है? मटर की कौनसी वैरायटीयां अच्छी होती है |

मटर का सबसे अच्छा बीज कौन सा है? - matar ka sabase achchha beej kaun sa hai?

टॉप 10 मटर की उन्नत किस्में कौन कौन सी है?

नीचे दी गई कुछ मटर की विशेष बीज वैराइटियाँ है, जो लगातार इसकी खेती मे प्राथमिक रूप से काम मे ली जा रही है –

अपर्णा मटर बीज –

अपर्णा मटर की वैराइटी को सर्वाधिक मध्य पूर्वी और पश्चिम क्षेत्र में की जाती है | इस किस्म की फसल तैयार होने मे 120 से 140 दिनों तक का समय लगता है| अपर्णा बीज मुख्यतः विल्ट और पॉड बोरर्स रोगों के प्रति, प्रतिरोधी है | पाउडर फफूंद, लीफ माइनर के प्रति काफी सहनशील किस्म है| उत्पादन की बात करें तो, 25 से 30 क्विंटल / हेक्टेयर तक ले सकते है|

रचना मटर बीज –

रचना मटर की खेती देश के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में अधिक होती है| सफेद फफूंद और चूर्णिल आसिता रोग के प्रति प्रतिरोधी का विशेष गुण है | इस फसक को पकने में 130 से 140 दिन का समय लगता है | प्रति हैक्टेयर उपज 20 से 25 क्विंटल तक ली जा सकती है |

आर्किल मटर बीज –

यह बीज एक बौनी किस्म का बीज है, आर्किल किस्मे के पौधे की ऊंचाई 50 से 60 सेंटीमीटर तक होती है| बाजार/मंडियों मे हरी मटर की ताजा फलियाँ बेचने हेतू, किसानों मे इस किसान के प्रति काफी विश्वास जुड़ा हुआ है | आर्किल मटर की पैदावार 65 से 70 कुंटल प्रति हैक्टेयर तक होती है|

जवाहर मटर बीज किस्म –

जवाहर किस्म मे भी 3-4 किस्म के बीज आते है, जो अपनी अलग-अलग परिस्थति मे लगाई जाती है | इस मटर की फलियां बुआई के 65 से 75 दिनों बाद तोड़ने योग्य हो जाती है| इसकी औसत पैदावार 125 से 140 कुंटल प्रति हेक्टर होती है| इस किस्म की प्रत्येक फलियों में 5 से 10 बीज होते है|

काशी उदय मटर सीड्स –

यह मटर की अगेती किस्म का बीज है, इसके पौधे की ऊंचाई 55 से 65 सेंटीमीटर तक की होती है और इसकी फलियां 8 से 10 सेंटीमीटर लंबी होती है | इसकी पैदावार 110 से 130 क्विंटल / हैक्टेयर होती है |

पंत सब्जी मटर की किस्में –

इस वैराइटी की फलियाँ हरी, आकार में छोटी जिसमे 6- 8 मीठे बीजों से युक्त होती है | बीज बुवाई के 60- 65 दिन बाद पहली तुड़ाई की जा सकती है | इस किस्म की फसल को पकने में 125 से 130 दिनों का समय लगता है| इसका अपयोग सर्वाधिक सब्जी में किया जाता है, सब्जी उत्पादक किसान, इस किस्म की खेती करना अधिक पसंद करते है|

बी.एल. अगेती मटर –

यह किस्म अगेती किस्म की बौनी प्रजाति की किस्म है| इस बीज को विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा में तैयार की गया किस्म है | पौधे बौने, फलियाँ हलके हरे रंग मे 8 से.मी. की एवं 6-7 बीजों से भरी होती है | उपज पैदावार की बात करें तो 10 टन / हैक्टेयर की औसत उपज ली जा सकती है |

मटर की वैरायटीयां

अंकुर रजस मटर के बीज –

इस किस्म के पौधे में चिकनी फलियां और नुकीली आकार की फलियां होती है| लंबी फलियां बहुत ही मीठे 10 से 14 बीज दानों मे होती है| इसको पकने में 70 से 80 दिन लग जाते है| इसकी बुआई का सही समय अक्टूबर से नवंबर तक का होता है|

मालवीय मटर-2 –

इस वैराइटी की खेती सर्वाधिक उत्तर पूर्वी मैदान के क्षेत्रों में होती है| मटर की यह प्रजाति 110 से 130 दिनों में पक जाती है| मालवीय मटर-2 बीज, रतुआ रोग और सफेद फफूंद रोगों के प्रति प्रतिरोधक होती है| पैदावार की बात करें तो 20-25 क्विंटल/ हैक्टेयर आकी जा सकती है |

पूसा प्रभात –

इस किस्म की खेती सर्वाधिक उत्तर पश्चिम मैदानी क्षेत्र में होती है| इसको पकने में 95 से 120 दिनों तक समय लागत है| प्रति हैक्टेयर 18 से 25 क्विंटल की पैदावार होने के कारण, किसान भाई भी इस वैराइटी को लगाना पसंद करते है|

विधानसभा अध्यक्ष श्री गिरीश गौतम ने रीवा जिले के ढेरा/पथरहा में आयोजित कार्यक्रम के दौरान किसानों को बीज के पैकेट भी बांटे। इस अवसर पर 159 किसानों को 795 किलोग्राम मटर एवं 318 किलोग्राम राई के बीज के पैकेट बांटे गए। #JansamparkMP pic.twitter.com/NZCHY4z56j

— JD Rewa (@jdjsrewa) October 1, 2022

पूसा पन्ना मटर की वैरायटी –

इसे डीडीआर-27 के नाम से भी जाना जाता है | पूसा पन्ना मटर को सर्वाधिक पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, और उत्तराखंड में सर्वाधिक बोई जाती है| यह प्रजाति अगेती किस्म है, जो 100 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | पूसा पन्ना किस्म पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक किस्म है |

मटर की उन्नत वैरायटीयां कहाँ से खरीदे ?

मटर की उन्नत वैरायटीयां आप किसी अन्य किसान से ले सकते है, जिसने पिछले वर्ष ही इस किस्म की खेती करी हो, विशेष ध्यान रखें- बुवाई से पहले उपचारित करें |

नजदीकी बीज भंडार या कृषि बाजार से भी खरीद सकते है | आजकल ऑनलाइन माध्यम से भी इन किस्मों को ऑर्डर/बुक कर सकते है|

Matar ki variety के लाभ और विशेषताए ?

  • सामान्य बीजों की तुलना मे प्रमाणित बीजों से कई गुना लाभ/पैदावार लिया जा सकता है |
  • मटर की प्रमाणित वैराइटियों मे रोग-कीट लगने की काफी कम समस्या आती है |
  • इन किसानों के अनुसार किसान किसी भी मोशम मे खेती कर सकते है |
  • हरी सब्जियों के लिए मटर की कई किस्मे ऐसी है, जो मीठे और चिकने दानों की विशेषता मे होती है |
  • दलहन मे होने वाले कई खतरनाक रोगों के प्रति रोग प्रतिरोधक है |

मटर की वैरायटीयां

Matar beej hybrid variety का औसत उत्पादन ?

मटर की कई उन्नत किस्म है, अलग अलग वैरायटी का उत्पादन अलग-अलग होता है| परंतु भी यदि हम एक औसत आकडा देखें तो 20 क्विंटल / हैक्टेयर तक होती है |

मटर की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?

क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी, देखरेख, सिंचाई, के आधार पर फसल की पैदावार निर्भर करती है | लेकिन मटर की सबसे अच्छी किस्म की बात करें तो – ऊपर दी गई सारी किस्में किसान की पहली पसंद बनी हुई है, इनकी पैदावार सबसे अच्छी और रोग लगने की बीमारी भी कम रहती है|

मटर की खेती सबसे ज्यादा कहां होती है?

उत्तर प्रदेश, उतराखंड, महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, छतीसगढ़ जैसें राज्यो में मटर की खेती सबसे ज्यादा होती है|

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मटर की सबसे अच्छी प्रजाति कौन सी है?

टॉप 10 मटर की उन्नत किस्में कौन कौन सी है?.
अपर्णा मटर बीज –.
रचना मटर बीज –.
आर्किल मटर बीज –.
जवाहर मटर बीज किस्म –.
काशी उदय मटर सीड्स –.
पंत सब्जी मटर की किस्में –.
बी.एल. अगेती मटर –.

मटर में कौन सा खाद देना चाहिए?

खाद और उर्वरक सब्जी मटर की खेती में 20 टन खूब सड़ी गोबर की खाद), 25 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50-70 किलोग्राम फास्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश युक्त उर्वरक प्रति हेक्टेयर देना बेहतर रहता है।

मटर की कितनी प्रजातियां होती है?

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने मटर की अगेती प्रजाति की कई किस्मों को विकसित किया है। जिसमें आजाद मटर-3, काशी नंदिनी, काशी मुक्ति, काशी उदय और काशी अगेती प्रमुख हैं।

मटर की खेती कैसे किया जाता है?

मटर के लिए भूमि को अच्छी तरह तैयार करना चाहिए। खरीफ की फसल की कटाई के बाद भूमि की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल करके २-3 बार हैरो चलाकर अथवा जुताई करके पाटा लगाकर भूमि तैयार करनी चाहिए। धान के खेतों में मिट्टी के ढेलों को तोड़ने का प्रयास करना चाहिए। अच्छे अंकुरण के लिए मिट्टी में नमी होना जरुरी है।