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क्या आापको पता है सबसे कम समय के लिए रात कहां होती है? अगर नहीं पता तो चलिए हम आपको बताते हैं विदेश में बसे इस बेहद खूबसूरत शहर के बारे में।
क्या आपको पता है कि दुनिया में ऐसी जगहों की कमी नहीं है, जहां सब कुछ एक समान नहीं होता। दुनियाभर में कई ऐसे देश हैं, जो अपनी किसी खास खूबी की वजह से विश्वभर में फेमस हैं। दिनभर के भागदौड़ के बाद सुकून की नींद लेना सबको पसंद होता है और ऐसे में नींद के आगे आठ से नौ घंटे की रात भी छोटी लगने लगती है। लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में एक जगह ऐसी भी है, जहां सिर्फ चालीस मिनट की ही रात होती है।
दरअसल, साल के कुछ महीनों में यहां ऐसा दुर्लभ नजारा देखने को मिलता है। ये शहर बेहद खूबसूरत है और अगर आप इसके बारे में और भी ज्यादा जानकारी चाहते हैं तो इस स्टोरी को पूरा जरूर पढ़ें। आपको यह जानकर आश्चर्य हो रहा होगा लेकिन यह सच है। तो चलिए जानते हैं इस शहर के बारे में।
कौन सा शहर है जहां सिर्फ 40 मिनट होती है रात?
यह शहर है नॉर्वे का हेमरफेस्ट, जहां रात बारह बजे होती है। यहां सूरज रात 12 बजकर 43 मिनट पर छिपता है और महज चालीस मिनट के अंतराल पर उग आता है और रात करीब डेढ़ बजे चिड़िया चहचहाने लगती हैं। यहां ऐसा एक-दो दिन नहीं होता, बल्कि यहां ऐसा ढाई महीने तक होता है, जब सूरज छिपता ही नहीं है। इसलिए इसे 'कंट्री ऑफ मिडनाइट सन' भी कहा जाता है। मई से जुलाई के बीच करीब 76 दिनों तक यहां सूरज नहीं डूबता। बता दें कि नॉर्वे आर्कटिक सर्कल के अंदर आता है।
रात में अचानक तेज रोशनी के कारण ही नार्वे को कंट्री ऑफ मिडनाइट सन भी कहा जाता है. भौगोलिक कारणों की बात करें तो ये देश पृथ्वी के आर्कटिक सर्कल के अंदर आता है. इसलिए यहां मई से जुलाई के बीच करीब 76 दिनों तक सूरज अस्त नहीं होता. ये घटना नॉर्वे के उत्तरी छोर के बसे इलाकों में होती है. वहीं नॉर्थ पोल में सूरज छह महीने अस्त ही नहीं होता. वहीं मिडनाइट सन की घटना कुछ इलाकों में ही होती है.
(माथुर परिवार, फोटो: फेसबुक)
मिडनाइट सन बस एक प्रचलित नाम है, असल में इसे इसे मिडनाइट लाइट यानी 'मध्यरात्रि प्रकाश' के नाम से जाना जाता है. खासकर आर्कटिक सर्कल के ठीक नीचे के शहरों में. उदाहरण के लिए ट्रॉनहैम सिटी जो कि आर्कटिक सर्कल के नीचे करीब सौ मील की दूरी पर है, लेकिन गर्मियों के संक्रांति के आसपास कुछ हफ्ते के लिए यहां आधी रात को काफी तेज प्रकाश होता है. इतना प्रकाश कि आप आराम से बैठकर पढ़ाई कर सकते हैं या बिना लाइट ऑन किए आप अपना कोई जरूरी घरेलू काम निपटा सकते हैं. इस टाइम भी अलग अलग होता है. जैसे उत्तरी नॉर्वे के सबसे बड़े शहर ट्रोम्सो में लोग हर साल लगभग दो महीने तक मिडनाइट घटना का अनुभव करते हैं. ये समय 20 मई से 22 जुलाई का होता है. वहीं उत्तरी केप मिडनाइट सन बस कुछ हफ्तों तक दिखाई देता है, ये करीब 14 मई से 29 जुलाई के बीच का समय होता है.
जैसा कि हम जानते हैं कि पृथ्वी हर 24 घंटे में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करती है. इसी एक खगोलीय घटना से पृथ्वी पर दिन और रात निर्धारित होते हैं. लेकिन, यहां ये भी समझें कि अगर पृथ्वी अपनी धुरी पर लंबवत हो तो हमें 12 घंटे दिन के और 12 घंटे रात के मिलेंगे. फिर चाहे वो कोई भी ग्रह हो. लेकिन पृथ्वी वास्तव में लगभग 23.5 डिग्री झुकी हुई है, इसलिए गर्मियों में संक्रांति के दौरान उत्तरी ध्रुव पर आर्कटिक सर्कल क्षेत्र में सूर्य अस्त नहीं होता है. यहां पूरे छह माह दिन जैसा माहौल ही रहता है.
मिडनाइट सन का इंसानी जिंदगी पर असर
अभी वैज्ञानिक ठीक से इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं कि आखिर कौन से न्यूरोट्रांसमीटर इससे प्रभावित होते हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में मून नॉर्वे के एक शोधार्थी ने इस पर लिखा है कि मैंने गर्मियों में देश के उत्तर के चारों ओर बड़े पैमाने पर यात्रा की. मैंने महसूस किया है रात में होने वाली ये रोशनी इंसान के दिमाग और उसकी बॉडी क्लॉक पर बहुत बुरा असर डालती है. वहीं नार्वे में मिडनाइट सन की रोशनी से बचने के लिए ज्यादातर होटलों में रात में काले पर्दे इस्तेमाल किए जाते हैं. लोग घरों में भी इसी तरह के इंतजाम करते हैं, मसलन आई मास्क भी इसी का हिस्सा है.