प्रश्न 3: बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है। यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर: कहानी के लिए विचार, घटना और पात्र उतने ही जरूरी हैं, जितना की पेट भरने के लिए भोजन। मैं लेखक के इस विचार से सहमत नहीं हूँ। बहरहाल, मैं लेखक द्वारा किए गए कटाक्ष से जरूर सहमत हूँ कि जब केवल सूँघकर और देखकर पेट की तृप्ति हो सकती है तो फिर बिना विचार, घटना और पात्र के कहानी क्यों नहीं लिखी जा सकती है।
प्रश्न 4: आप इस निबंध को और क्या नाम देना चाहेंगे?
उत्तर: हवा में पकौड़े तलना
प्रश्न 5: नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर: नवाब साहब ने बड़े करीने से खीरों को तौलिये पर रखा। फिर उन्होंने अपनी जेब में से चाकू निकाला और खीरे के सिरे को काट दिया। फिर खीरे के सिरे को गोदकर उसे रगड़कर झाग निकाला। कई जगह इस प्रक्रिया को खीरे का बुखार निकालना कहते हैं। उसके बाद नवाब साहब ने खीरे के छिलके उतारे। फिर उन्होंने खीरे की पतली-पतली फाँकें काटीं और उन्हें तौलिये पर सजा दिया। उसके बाद उन फाँकों पर नमक-मिर्च छिड़का जिससे उनकी खीरा खाने की तैयारी पूरी हो गई।
प्रश्न 6: किन-किन चीजों का रसास्वादन करने के लिए आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं?
उत्तर: मैं आम का रसास्वादन करने के लिए पहले आम को पानी से अच्छी तरह से धोता हूँ। फिर आम को दबाकर उसका दूध निकाल देता हूँ। उसके बाद आम चूसने के लायक बन जाता है। जलेबी के साथ अगर तीखी सब्जी हो तो इससे जलेबी का स्वाद बढ़ जाता है।
प्रश्न 7: खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। आपने नवाबों की और भी सनकों और शौक के बारे में पढ़ा सुना होगा। किसी एक के बारे में लिखिए।
उत्तर: एक बार लखनऊ के एक नवाब मसनद के सहारे बैठकर शतरंज खेल रहे थे। तभी उन्हें खबर मिली कि अंग्रेजों की सेना ने आक्रमण कर दिया है। नवाब साहब ने अपने अर्दली को आवज लगाई ताकि वह आकर उन्हें जूते पहना दे। लेकिन अर्दली तो अपनी जान बचाकर भाग चुका था। फिर क्या था, नवाब साहब वहीं बैठे रहे। एक नवाब भला अपने हाथों से जूते कैसे पहन सकता था। अंग्रेजों के सैनिक आये और नवाब साहब को पकड़कर ले गए।
प्रश्न 8: क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: यदि किसी व्यक्ति में लगन से काम करने की सनक हो तो इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हमने ऐसे कई वैज्ञानिकों के बारे में सुना है जो दिन रात प्रयोगशाला में काम करते थे। अपनी इसी सनक के कारण उन वैज्ञानिकों ने कई महत्वपूर्ण आविष्कार किए हैं।
- Prev
- Next
Home » Class 10 Hindi » NCERT Solutions for Class X Chhitij Part 2 Hindi Chapter 12 – Yashpal छितिज भाग -2 यशपाल प्रश्न 1: लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं? प्रश्न 2: नवाब साहब ने बहुत ही
यत्न से खीरा काटा, नमक-मिर्च बुरका, अंतत: सूँघकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने प्रश्न 3: बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है। यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक
सहमत प्रश्न 4: आप इस निबंध को और क्या नाम देना चाहेंगे? प्रश्न 5: (ख) (1) हम हलवे का रसास्वादन करने के लिए उसे अच्छी तरह से एक प्लेट में रखते हैं तथा उसके ऊपर काजू, किशमिश डालकर अच्छी तरह से उसकी सजावट करते हैं फिर उसे खाने के लिए परोसते हैं।
उत्तर: लेखक के अचानक डिब्बे में कूद पड़ने से नवाब-साहब की आँखों में एकांत चिंतन में विघ्न पड़ जाने का असंतोष दिखाई दिया तथा लेखक के प्रति नवाब साहब ने संगति के लिए कोई विशेष उत्साह नहीं दिखाया। इससे लेखक को स्वयं के प्रति नवाब साहब की उदासीनता का आभास हुआ।
ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है?
उत्तर: नवाब साहब द्वारा दिए गए खीरा खाने के प्रस्ताव को लेखक ने अस्वीकृत कर दिया। खीरे को खाने की इच्छा तथा सामने वाले यात्री के सामने अपनी झूठी साख बनाए
रखने के कश्मकश में नवाब ने खीरे को काटकर खाने की सोची तथा फिर अन्तत: जीत नवाब के दिखावे की हुई। अत: इसी इरादे से उसने खीरे को फेंक दिया।
नवाब के इस स्वभाव से ऐसा लगता है कि वो दिखावे की जिंदगी जीते हैं। खुद को श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए वो कुछ भी कर सकते हैं।
हैं?
उत्तर: अपने इस कथन के द्वारा लेखक ने नई कहानी के दौर के लेखकों पर व्यंग किया है। किसी भी कहानी की रचना उसके आवश्यक तत्वों – कथावस्तु, घटना, पात्र आदि के बिना संभव नहीं होती। घटना तथा कथावस्तु कहानी को आगे बढ़ाते हैं, पात्रों द्वारा संवाद कहे जाते हैं। ये कहानी के लिए आवश्यक तत्व हैं।
उत्तर:
इस कहानी का नाम ‘झूठी शान’ भी रखा जा सकता है क्योंकि नवाब ने अपनी झूठी शान-शौकत को बरकरार रखने के उद्देश्य सेअपनी इच्छा को नष्ट कर दिया।
(क) नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
(ख) किन-किन चीज़ों का रसास्वादन करने के लिए आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं?
उत्तर:
(क) सेकंड क्लास के एकांत डिब्बे में बैठे नवाब साहब खीरा खाने की इच्छा से दो ताज़े खीरे एक तौलिए पर रखे हुए थे। पहले तो उन्होंने खीरे को खिड़की से बाहर निकालकर लोटे के पानी से धोया फिर उसको करीने से काटकर, उसे गोदकर कड़वा झाग निकाला। फिर खीरों को बहुत सावधानी से छीलकर फाँको पर बहुत कायदे से जीरा, नमक-मिर्च की सुर्खी
बुरक दी। इसके बाद एक- एक करके उन फाँको को उठाते गए और उन्हें सूँघकर खिड़की से बाहर फेंकते गए।
(2) आम के अचार का रसास्वादन करने के लिए हम पहले उसे करीने से निकाल कर उसे उलट-पुलट कर देखते हैं। फिर उसे खाने के लिए धीरे-धीरे अपने मुँह के पास लाते हैं और उसके खट्टे स्वाद का आनंद लेते हुए उसे खाते हैं।
प्रश्न
6: खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। आपने नवाबों की और भी सनकों और
शौक के बारे में पढ़ा-सुना होगा। किसी एक के बारे में लिखिए।
उत्तर: पाठ में प्रस्तुत खीरे के प्रसंग द्वारा नवाब के दिखावटी ज़िंदगी का पता चलता है, इससे उनके
सनकी व्यक्तित्व का ज्ञान होता है। ऐसे कुछ और भी प्रसंग हैं –
(1) नवाब अपनी शान और शौकत के लिए पैसे लुटाने से बाज़ नहीं आते हैं। फिर चाहे उनके घर में पैसों की तंगी ही क्यों न हो पर बाहर वे खूब पैसे लुटाते हैं।
(2) नवाब नाच-गानों का शौक भी रखते हैं। वे मुजरों पर खूब पैसा लुटाते हैं।
(3) अपनी झूठी समृद्धि को कायम रखने के लिए ये किसी से लड़ने से भी बाज़ नही आते हैं।
(4) प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी ‘पर्दा’ में नवाबी शानो-शौकत का उल्लेख है। जिसमें एक नवाब अपने घर की इज्ज़त कायम रखने के
लिए पर्दे पर खर्च करता है भले ही उसे खाने तथा कपड़े की कमी होती है।
प्रश्न 7: क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: सनक के दो रुप होते हैं –
एक सकारात्मक तथा दूसरा नकारात्मक। जहाँ एक ओर नकारात्मक सनक किसी व्यक्ति को समाज में हँसी का पात्र बना देता है वहीं सनक का सकारात्मक पक्ष उसे रातों-रात प्रसिद्ध कर देता है।
ऐसे कुछ सनकों का उल्लेख नीचे दिया जा रहा है –
(1) राजा राम मोहन राय की सनक ही थी कि उन्होंने समाज में विधवा विवाह का कानून लागू करवाया।
(2) देशभक्ति की सनक सुभाष चंद्र बोस तथा महात्मा गाँधी को भी थी जिससे उन्होंने देश को आज़ादी दिलवाई।
प्रश्न 8:निम्नलिखित वाक्यों में से क्रियापद छाँटकर क्रिया-भेद भी लिखिए –
(क) एक सफ़ेदपोश सज्जन बहुत सुविधा से पालथी मारे बैठे थे।
(ख) नवाब साहब ने संगति के लिए उत्साह नहीं दिखाया।
(ग) ठाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है।
(घ) अकेले सफ़र का वक्त काटने के लिए ही खीरे खरीदे होंगे।
(ङ) दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोदकर झाग निकाला।
(च) नवाब साहब ने सतृष्ण आँखों से नमक-मिर्च के संयोग से चमकती खीरे की फाँकों की ओर देखा।
(छ) नवाब साहब खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए।
(ज) जेब से चाकू निकाला।
उत्तर:
(क) बैठे थे −
अकर्मक क्रिया
(ख) दिखाया − सकर्मक क्रिया
(ग) आदत है − सकर्मक क्रिया
(घ) खरीदे होंगे − सकर्मक क्रिया
(ङ) निकाला − सकर्मक क्रिया
(च) देखा − सकर्मक क्रिया
(छ) लेट गए − अकर्मक क्रिया
(ज) निकाला − सकर्मक क्रिया