इसे सुनेंरोकेंकारखानों द्वारा उत्पन्न अवांछित उत्पाद यथा ठोस अपशिष्ट, प्रदूषित जल, विषैली गैसें, धूल, राख, धुआँ इत्यादि जल, थल तथा वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक हैं। औद्योगिक इकाइयों से उत्पन्न दूषित जल, विषैली गैस तथा ठोस अपशिष्टों से प्राकृतिक संसाधनों का अवनयन हो रहा है।
व्यापार और पर्यावरण के बीच संबंधों को क्या कर रहे हैं?
इसे सुनेंरोकेंपर्यावरण का व्यवसाय से गहरा संबंध है। पर्यावरण और व्यवसाय के बीच एक निरंतर ‘देना और लेना’ है। व्यवसाय पर्यावरण से इनपुट, सूचना और प्रौद्योगिकी प्राप्त करता है और इसे आउटपुट (माल और सेवाओं) के रूप में वापस देता है।
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कौन सी योजना पर्यावरण से संबंधित है?
इसे सुनेंरोकेंपर्यावरण और वन मंत्रालय (एमओईएफ) द्वारा राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) का उद्देश्य नदियों के प्रदूषण को रोकना और पानी की गुणवत्ता में सुधार करना है।
औद्योगिकीकरण क्या है इसके दो प्रभाव बताइए?
इसे सुनेंरोकेंऔद्योगीकरण से आधुनिकीकरण में वृध्दि होती है। क्योकि औद्योगीकरण में उत्पादन मे नई तकनीक का प्रयोग, नया बजार, यातायाता के साधन आदि आधुनिकीकरण की पृष्ठभूमि तैयार करते है। नागरीकरण की तरह ही औद्योगीकरण से भी स्त्रियों की स्थित में परिवर्तन होता है। औद्योगीकरण में स्त्रियों को शिक्षा और रोजगार के समान अवसर प्रदान किए हैं।
पर्यावरण सुधार व्यवसाई का कौन सा उद्देश्य है?
इसे सुनेंरोकेंसामान्यतया व्यवसाय का उद्देश्य अपने लाभ को अधिकतम करना होता है। इसके बावजूद विभिन्न उद्योगों के उच्च पदस्थ अधिकारी ‘कुछ मूल्यों’ ( ) को मान्यता देते हैं जिससे उनकी नीतियाँ, व्यवहार तथा सम्पूर्ण आन्तरिक पर्यावरण प्रभावित होता है। इसी के फलस्वरूप व्यवसाय में श्रम कल्याण कार्यों की ओर ध्यान दिया जाता है।
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उद्योग से पर्यावरण को हानि कैसे होती है?
इसे सुनेंरोकें(i) वायु प्रदूषण- चिमनी से निकलने वाला धुआँ वायु को प्रदूषित करता है। अनचाही गैसे जैसे सल्फर डाईऑक्साइ तथा कार्बन मोनोऑक्साइड वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है। छोटे-बड़े कारखाने प्रदूषण के नियमों का उलंघन करते हुए धुआँ निष्कासित करते है।
उद्योग से पर्यावरण को क्या हानि होती है?
इसे सुनेंरोकेंउद्योगों से होने वाले प्रदूषण हैं- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, तापीय प्रदूषण, औद्योगिक उत्सर्ग, बहिर्स्राव से पेड़ और फसलों की बर्बादी, जन हानि।
पर्यावरण शिक्षा से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय संस्था कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंसंयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम – UNEP UNEP (United Nations Environment Programme) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण व उसकी समस्त दशाओं का अध्ययन किया जाता है; और वार्षिक विवरण प्रस्तुत किया जाता है। इसी संस्था के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण की संस्थाओं के मध्य समन्वय स्थापित किया जाता है।
इसे सुनेंरोकेंविभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप पर्यावरण में सर्वथा नवीन तत्व समावेशित हो जाते हैं जो पर्यावरण के भौतिक एवं रासायनिक संघटकों को भी परिवर्तित कर देते हैं। कारखानों द्वारा उत्पन्न अवांछित उत्पाद यथा ठोस अपशिष्ट, प्रदूषित जल, विषैली गैसें, धूल, राख, धुआँ इत्यादि जल, थल तथा वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक हैं।
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पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव क्या है?
इसे सुनेंरोकेंपर्यावरण का दूषित होना ही पर्यावरण प्रदूषण है। पर्यावरण प्रदूषण के कुछ ऐसे कारण है जो प्राकृतिक है, जैसे सूखा, बाढ़, भूकम्प, लावा, सुनामी आदि से जब वनस्पति नष्ट होती है, जल स्त्रोत नष्ट होते है, जीव-जन्तुओं की मृत्यु होती है तथा बहुत सी बाधाएँ उत्पन्न होती है, जिससे मानव हानि होती है।
पर्यावरण प्रदूषण क्या है मनुष्य के जीवन पर पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव की विवेचना कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंमानव की विकास सम्बन्धी गतिविधियाँ जैसे भवन निर्माण, यातायात और निर्माण न केवल प्राकृतिक संसाधनों को घटाती है बल्कि इतना कूड़ा-कर्कट (अपशिष्ट) भी उत्पन्न करती हैं जिससे वायु, जल, मृदा और समुद्र सभी प्रदूषित हो जाते हैं। वैश्विक ऊष्मण बढ़ता है और अम्ल वर्षा बढ़ जाती है।
औद्योगीकरण का प्रभाव 19वीं शताब्दी में आय के बढ़ते स्तरों में देखा जा सकता है। इसमें 1750 और 1900 के बीच यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, जापान आदि तथाकथित प्रम विश्व राष्ट्रों और तीसरी दुनिया के देशों (पूर्वी यूरोप, दक्षिणी एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका) के प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद का अन्तर देखा जा सकता है।
औद्योगीकरण एक सामाजिक तथा आर्थिक प्रक्रिया का नाम है। इसमें मानव-समूह की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बदल जाती है जिसमें उद्योग-धन्धों का बोलबाला होता है। वस्तुत: यह आधुनीकीकरण का एक अंग है। बड़े-पैमाने की उर्जा-खपत, बड़े पैमाने पर उत्पादन, धातुकर्म की अधिकता आदि औद्योगीकरण के लक्षण हैं। एक प्रकार से यह निर्माण कार्यों को बढ़ावा देने के हिसाब से अर्थप्रणाली का बड़े पैमाने पर संगठन है।
औद्योगीकरण [1] तथा नगरीकरण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। ये दोनों ही एक दूसरे सें सम्बन्धित प्रक्रियाएं करते हैं। जहां नगरों के विकास में औद्योगीकरण एक महत्वपूर्ण साधन हैं वहीं नगरों में औद्योगीकरण के प्रसार हेतु अनुकूल परिस्थियां पायी जाती है।
नीचे तीन विभिन्न क्षेत्रों के देशों की सकल घरेलू उत्पाद दिये गये हैं-[1]
अफ्रीका के कृषि-प्रधान देशों में तृतीयक क्षेत्र का योगदान द्वितीयक क्षेत्र से अधिक होता है, जैस कि नीचे की तालिका से स्पष्ट है।