पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या में कमी का मतलब केवल उनकी प्रजनन क्षमता पर सवालिया निशान नहीं है बल्कि इससे पता चलता है कि कई अन्य तरह की भी स्वास्थ्य समस्याएं हैं.
एक नई स्टडी से यह बात सामने आई है कि शुक्राणुओं की संख्या में गिरावट ये बताती है कि आपके शरीर में सबकुछ ठीक नहीं है.
शुक्राणुओं की कम संख्या वाले 5,177 पुरुषों पर एक स्टडी की गई. स्टडी से पता चला कि इनमें से 20 फ़ीसदी लोग मोटापे, उच्च रक्त चाप और बीमार करने वाले कोलेस्ट्रॉल से ग्रसित थे.
इसके साथ ही इनमें टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की भी कमी थी. इस स्टडी का कहना है कि जिनके वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम है उन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याओं की भी जांच करानी चाहिए.
वीर्य में शुक्राणुओं की कमी या वीर्य की गुणवत्ता में गिरावट के कारण हर तीन में से एक जोड़ा मां-बाप बनने की समस्या से जूझ रहा है. इस नई स्टडी में डॉक्टरों ने इटली में तहक़ीक़ात की है जो पुरुष प्रजनन क्षमता से जूझ रहे हैं उनकी सामान्य स्वास्थ्य में भी समस्या है.
स्टडी का कहना है कि जिन पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम है वो मेटाबोलिक सिंड्रोम से जूझ रहे हैं. इनका वजन लंबाई के हिसाब से ज़्यादा होता है और इनमें हाई ब्लड प्रेशर की आशंका बनी रहती है.
इनमें डायबीटीज, दिल की बीमारी और स्ट्रोक की भी आशंका प्रबल होती है.
इसके साथ ही इनमें सामान्य से 12 गुना कम टेस्टोस्टेरोन हार्मोन होता है जो कि यौनेच्छा को जगाता है. इससे मांसपेशियों के कमज़ोर होने की भी आशंका रहती है और हड्डियां भी पतली होने लगती हैं.
हड्ड़ियां कमज़ोर होने लगती हैं और चोट लगने पर टूटने की आशंका प्रबल हो जाती है.
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रेसा में एन्डोक्रनॉलजी के प्रोफ़ेसर डॉ अल्बर्टो फर्लिन के नेतृत्व में ये स्टडी की गई है. उन्होंने कहा, ''प्रजनन क्षमता में गिरावट से जूझ रहे पुरुषों के लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि वो इसके साथ कई और समस्याओं से जूझ रहे हैं. मसला केवल उनकी प्रजनन क्षमता का नहीं है बल्कि उनके जीवन का है. प्रजनन क्षमता का मूल्यांकन पुरुषों के लिए एक अच्छा मौक़ा होता है कि वो अपने शरीर की अन्य बीमारियों को भी पकड़ सकें.''
हालांकि इस स्टडी के लेखक का कहना है कि वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या कम होना मेटाबोलिक समस्या का प्रमाण नहीं है लेकिन दोनों समस्याएं एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं.
इस रिसर्च टीम का कहना है कि टेस्टोस्टेरोन में कमी का संबंध इन समस्याओं से सीधा है. डॉ फर्लिन का कहना है कि अगर कोई पुरुष अपनी प्रजनन क्षमता की जांच कराने जाता है तो उसे प्रॉपर हेल्थ जांच करानी चाहिए.
उन्होंने कहा, ''जो पुरुष पिता नहीं बन पा रहे हैं उन्हें स्पर्म के साथ कई चीज़ों की जांच कराने की ज़रूरत है.'' कई विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा कम ही होता है कि जो स्पर्म की गुणवत्ता की समस्या से जूझ रहे हैं वो शायद ही शरीर की अन्य समस्याओं की जांच कराते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) उन शिशुओं को जिंक की खुराक लेने की सलाह देता है, जिन्हें बार-बार दस्त की समस्या होती है। इस बात के प्रमाण हैं कि यह दस्त के लक्षणों को कम कर सकता है, विशेष रूप से उन लोगों में जो पौष्टिक आहार नहीं लेते हैं।
घाव भरने की स्पीड बढ़ाए
लंबे समय तक घाव या अल्सर से परेशान वाले लोगों में अक्सर जिंक की कमी का लेवल देखा जाता है। लंबे समय तक जिन लोगों के घाव नहीं भरते, उन्हें डॉक्टर्स जिंक लेने की सलाह देते हैं। 2018 में Ncbi की एक छपी रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, जिंक त्वचा की मरम्मत से लेकर संक्रमण को रोकने तक, घाव भरने के हर काम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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स्थायी बीमारी दूर करे
जिंक में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। जैसे, यह ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद कर सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऑक्सीडेटिव तनाव और पुरानी बीमारियों, जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के अन्य पहलुओं के बीच एक संबंध है।
2018 में Ncbi के रिसर्च पेपर में बताया गया कि जिंक मेटाबॉलिक सिंड्रोम को रोकने में मदद कर सकता है। जिंक हेल्थ को कैसे प्रभावित करता है, इसकेलिए वह अध्ययन को आगे जानने की सलाह देते।
यहां से ले सकते हैं इम्यूनिटी बूस्टर, एंटी-ऑक्सीडेंट, महिलाओं और पुरुषों के लिए जिंक सप्पलीमेंट
यौन स्वास्थ्य में सुधार
जिन पुरुषों के शरीर में जिंक लेवल लो होता है, उन्हें प्रजनन और अन्य यौन स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। 2018 में किए गए एक शोध के मुताबिक जस्ता को पुरुष यौन स्वास्थ्य के लिए आवश्यक बताया गया। इसके कारणों में एक एंटीऑक्सिडेंट और हार्मोन बैलेंसर के रूप में जस्ता की भूमिकाएं शामिल हो सकती हैं।
जहां, जिंक की कमी का नकारात्मक प्रभाव देखा गया है वहीं, बहुत अधिक जिंक विषाक्तता का कारण हो सकता है, जो शुक्राणु के लिए हानिकारक हो सकता है। अपने यौन स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए जिंक की खुराक पर विचार करना चाहिए और डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
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ऑस्टियोपोरोसिस
2020 में छपे एक शोध के अनुसार जिंक हड्डियों के निर्माण और स्वास्थ्य में एक आवश्यक भूमिका निभाता है। साथ ही यह ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद कर सकता है।
न्यूरोलॉजिकल लक्षण
2020 के एक छोटे से अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि लो जिंक लेवल और न्यूरोलॉजिकल लक्षणों के बीच एक लिंक हो सकता है। शोधकर्ताओं ने 63 ऐसे लोगों को शोध में शामिल किया, जिनके सिर में दर्द, झनझनाहट और परिधीय न्यूरोपैथी के साथ-साथ जिंक और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी थी। इन कमियों के उपचार के बाद प्रतिभागियों ने अपने न्यूरोलॉजिकल लक्षणों में सुधार पाया। हालांकि, शोधकर्ता आगे के शोध की आवश्यकता को स्वीकार करते हैं।
सर्दी-जुखाम की परेशानी
2011 से किए गए अध्ययन के अनुसार जिंक सामान्य सर्दी की अवधि को कम करने में मदद कर सकता है, लेकिन केवल 75 मिलीग्राम (मिलीग्राम) से अधिक दैनिक खुराक के साथ। इस बात का कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है कि जिंक लेने से सर्दी से बचाव होता है। यहां से ले सकते हैं प्लांट आधारित जिंक सप्पलीमेंट, 60 कैप्सूल
जिंक के कुछ प्राकृतिक स्रोत
जिंक की कमी को आप अपने आस-पास मौजूद खाद्य पदार्थों से पूरा कर सकते हैं। इसके अच्छे स्रोत जैसे दूध, दही, पनीर, मशरूम, गोभी, जई, Quinoa, कद्दू के बीज, काजू, लहसुन, तिल मटर, गेहूं, बादाम, फलिया, राजमा, सोयाबीन और दालें हैं।