प्रतिरक्षा की कमी से कौन सी बीमारी होती है? - pratiraksha kee kamee se kaun see beemaaree hotee hai?

अधिकतर समय शरीर को बीमारियों और संक्रमण से इम्‍यून सिस्‍टम बचाता है। हालांकि, कुछ लोगाें का इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर होने की वजह से उन्‍हें बार-बार संक्रमण होने का खतरा रहता है। स्‍वस्‍थ रहने और बीमारियों से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र यानी इम्‍यून सिस्‍टम का मजबूत होना बहुत जरूरी होता है।
सफेद रक्‍त कोशिकाओं, एंटीबॉडीज और अन्‍य तत्‍वों जैसे कि अंगों और लिम्‍फ नोड्स से इम्‍यून सिस्‍टम बनता है। कई विकार प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर कर देते हैं। ये इम्‍यूनोडेफिशिएंसी विकार हल्‍के से गंभीर हो सकते हैं और व्‍यक्‍ति जन्‍म से ही या पर्यावरणीय कारकों की वजह से भी इम्‍यूनोडेफिशिएंसी विकारों से ग्रस्‍त हो सकता है।
इनमें एचआईवी, कुछ प्रकार के कैंसर, कुपोषण, वायरल हेपेटाइटिस और कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट शामिल हैं। कभी-कभी इम्‍यूनोडेफिशिएंसी विकार इतने हल्‍के होते हैं कि व्‍यक्‍ति को कई सालों तक इसका पता नहीं चल पाता है। कुछ मामलों में ये विकार इतना गंभीर रूप ले लेते हैं कि व्यक्ति को बार-बार संक्रमण होता रहता है।
इस स्थिति में आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि आपका इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर है या नहीं ताकि आप समय रहते इसका इलाज कर इसे गंभीर रूप लेने से बच सकें।

प्रतिरक्षा की कमी से कौन सी बीमारी होती है? - pratiraksha kee kamee se kaun see beemaaree hotee hai?


इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर होने के लक्षण
प्रतिरक्षा तंत्र के कमजोर होने का प्रमुख लक्षण बार-बार संक्रमण होना ही है। इन्‍हें बाकी लोगों की तुलना में ज्‍यादा जल्‍दी इंफेक्‍शन होता रहता है और ये बीमारियां ज्‍यादा गंभीर और इलाज के लिए मुश्किल हो सकती हैं।
मजबूत इम्‍यूनिटी वाले लोगों की तुलना में इन्‍हें संक्रमण से लड़ने में भी दिक्‍कत होती है। कमजोर इम्‍यूनिटी वाले लोगों में निमोनिया, मेनिनजाइटिस, ब्रोंकाइटिस और त्‍वचा संक्रमण का खतरा अक्‍सर बना रहता है। ये संक्रमण व्‍यक्‍ति को बार-बार परेशान करते हैं।
वहीं कमजोर इम्‍यूनिटी के अन्‍य लक्षणों में ऑटोइम्‍यून डिस्‍ऑर्डर, आंतरिक अंगों में सूजन, खून से संबंधित विकारों या असामान्‍यताओं जैसे कि एनीमिया, पाचन से जुड़ी परेशानियां जैसे कि भूख कम लगना, दस्‍त या पेट में ऐंठन, बच्‍चों और नवजात शिशु के विकास में देरी होना शामिल हैं।

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कैसे होता है इलाज
प्रत्‍येक इम्‍यूनोडेफिशिएंसी विकार का इलाज हर व्‍यक्‍ति की स्थिति पर निर्भर करता है। जैसे कि एडृस कई विभिन्न संक्रमण पैदा करता है। डॉक्‍टर हर इंफेक्‍शन के लिए दवाई देते हैं।
इम्‍यूनोडेफिशिएंसी विकारों के इलाज में आमतौर पर एंटीबायोटिक और इम्‍यूनोग्‍लोबुलिन थेरेपी शामिल हैं। अन्‍य एंटीवायरल दवाओं में एमैंटाडिन और एसिक्‍लोविर आदि दवाएं शामिल हैं।
यदि बोन मैरो पर्याप्‍त लिम्‍फोसाइट्स का उत्‍पादन नहीं कर पा रहा है तो डॉक्‍टर बोन मैरो ट्रांस्‍प्‍लांट कर सकते हैं।

क्‍या करें
जिन लोगों की इम्‍यूनिटी कमजोर होती है उन्‍हें स्‍वस्‍थ रहने और संक्रमण से बचने के लिए यहां बताई गई बातों पर ध्‍यान देना चाहिए :
  • साफ-सफाई का ध्‍यान रखें।
  • तनाव से दूर रहें।
  • बीमार लोगों से पर्याप्‍त दूरी बनाकर रखें।
  • पर्याप्‍त नींद लें।
  • संतुलित आहर खाएं।
  • नियमित व्‍यायाम करें।
हम सभी जानते हैं कि इम्‍यून सिस्‍टम का मजबूत होना कितना जरूरी और आज के कोराना से संक्रमण वातावरण में तो ये और भी ज्‍यादा जरूरी हो जाता है। अगर आपको अपने अंदर कमजोर इम्‍यूनिटी के लक्षण दिख रहे हैं तो इसका इलाज जरूर करवाएं ताकि आप स्‍वस्‍थ जीवन जी सकें। इस बात का खास ख्‍याल रखें कि स्‍वस्‍थ रह कर ही आप जीवन के अन्‍य सुखों को भोग सकते हैं।

एक 40 वर्षीय महिला के लिए सबसे अच्छा आहार सब्जियों की सही किस्म का चयन करना है जिसमें गहरे हरे, लाल और नारंगी, बीन्स और मटर, स्टार्ची और गैर-स्टार्ची शामिल हैं। उन्हें तरह-तरह के फल खाने चाहिए।

40 साल की महिला को कितना प्रोटीन खाना चाहिए?

शोध से पता चला है कि एक महिला को प्रतिदिन 50 से 50 ग्राम प्रोटीन खाना चाहिए। लेकिन यह गतिविधि स्तर और समग्र स्वास्थ्य के साथ भिन्न हो सकता है।

मैं अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को तेजी से कैसे बढ़ा सकता हूं?

एक व्यक्ति अपनी प्रतिरक्षा को तेजी से बढ़ा सकता है:

  • धूम्रपान छोड़ने के
  • नियमित व्यायाम
  • स्वस्थ वजन बनाए रखना
  • शराब से बचें
  • पर्याप्त नींद
  • तनाव कम करें

क्या खाद्य पदार्थ प्रतिरक्षा बढ़ा सकते हैं?

अध्ययनों से पता चला है कि विभिन्न फल और सब्जियां बीटा-कैरोटीन, विटामिन सी और विटामिन ई जैसे पोषक तत्व प्रदान करते हैं जो प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद करेंगे।

अगर आपका इम्यून सिस्टम अच्छा है, तो आप बार-बार बीमार नहीं पड़ते। कई बार हममें से कुछ लोग बारिश में थोड़ा भीग जाते हैं या हम बाहर कुछ खाते हैं तो वे लोग तुरंत बीमार पड़ जाते हैं । हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कितनी ही बार विदेशी खाना खा लें, वे स्वस्थ रहते हैं और जल्दी बीमार नहीं पड़ते। इसके पीछे का कारण इम्यून सिस्टम है। बहुत से लोगों में उत्कृष्ट प्रतिरक्षा प्रणाली होती है। लेकिन कुछ का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। वे तुरंत संक्रमित हो सकते हैं। शरीर में अगर ये लक्षण दिखें तो जान लें कि आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया है-

लगातार बुखार या ठंड लगना

कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण बार-बार सर्दी या फ्लू हो सकता है। जब हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होता है तो उसमें खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया से हमारी रक्षा करने की क्षमता नहीं होती है। जिससे हमें फ्लू और सर्दी बहुत आसानी से और बार-बार हो जाती है। लोगों को साल में 2 से 3 बार सर्दी-जुकाम होना काफी आम बात है। लेकिन अगर यह समस्या इससे ज्यादा बार होती है तो यह इस बात का संकेत है कि आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया है।

लगातार पेट खराब होना

प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे पाचन तंत्र की स्थिति से संबंधित है। यदि आपको बार-बार पेट में दर्द जैसे दस्त, सूजन और कब्ज की समस्या होती है, तो यह कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का संकेत हो सकता है। इसलिए अगर पेट से जुड़ी कोई समस्या है तो उसे लेकर बिल्कुल भी लापरवाही न करें, उसे नजरअंदाज न करें।

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सुस्ती महसूस करना

सुस्ती महसूस करना भी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का संकेत है। हमारा शरीर हमेशा बीमारियों से लड़ता रहता है, इसलिए शरीर में ऊर्जा की खपत अधिक होती है। यह नियमित नींद के बाद भी थकान और सुस्ती का कारण बनता है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण थकान और सुस्ती महसूस हो सकती है।

इस तरह घर पर मजबूत करें इम्यून सिस्टम

न्यूट्रिशनिस्ट्स के मुताबिक, आपको अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए रोज सुबह उठकर एक गिलास हल्दी वाला पानी पीना चाहिए। इसके लिए एक गिलास पानी में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं। एक चम्मच धनिया और दो छोटी इलायची के दाने हल्दी के पानी के साथ खाएं।

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आप नाश्ते के बाद यानी 10 या 11 बजे तक कोई भी फल खा सकते हैं। बीच में आप पपीता, अनानास, कीवी या सेब खा सकते हैं। ये सभी फल विटामिन सी का भंडार हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए जरूरी है।

प्रतिरक्षा से संबंधित रोग कौन सा है?

प्रतिरक्षा-प्रणाली में खराबी को इम्यूनोडेफिशिएंसी कहते हैं। इम्यूनोडेफिशिएंसी या तो किसी आनुवांशिक रोग के कारण हो सकता है, या फिर कुछ खास दवाओं या संक्रमण के कारण भी संभव है। इसी का एक उदाहरण है एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) जो एचआईवी वायरस के कारण फैलता है।

रोग प्रतिरक्षा से आप क्या समझते?

प्रतिरक्षा एक जैविक प्रक्रिया है जो संक्रमण, बीमारी या अन्य अवांछित जैविक हमलावरों के लिए पर्याप्त जैविक रोग प्रतिरोध होने कि स्थिति का वर्णन करती है। रोगक्षमता दोनों विशिष्ट और गैर विशिष्ट घटकों को शामिल करती है।

प्रतिरक्षा प्रणाली को कैसे मजबूत करें?

विटामिन-सी साइट्रस फलों में अधिक पाया जाता है। इसके लिए रोजाना अपनी डाइट में नींबू संतरे अंगूर स्ट्राबेरी पालक केल ब्रोकली आदि फलों और सब्जियों को जरूर शामिल करें। चूंकि विटामिन-सी का उत्सर्जन नहीं होता है और न ही इसे स्टोर किया जा सकता है।

कौन से विटामिन शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में मदद करते हैं?

कौन से विटामिन बढ़ाएंगे रोग प्रतिरोधक क्षमता ?.
विटामिन - ए और विटामिन - इ विटामिन ए और विटामिन इ शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं । ... .
विटामिन – सी ... .
विटामिन – डी ... .
जिंक और आयरन ... .
ओमेगा – 3. ... .
लहसुन का सेवन करें ... .
ग्रीन-टी है उत्तम ... .
दूध में हल्दी का सेवन.