विषयसूची
- 1 पत्ती के कितने भाग होते है?
- 2 पत्ती का विकास कैसे होता है?
- 3 विसर्पी लता और आरोही लता क्या है?
- 4 का मुख्य कार्य क्या है?
- 5 पादप में जाइलम का मुख्य कार्य क्या है?
- 6 पर्ण क्या है पर्ण के उत्पत्ति एवं परिवर्तन की व्याख्या कीजिए?
पत्ती के कितने भाग होते है?
इसे सुनेंरोकेंइसे आगे तीन भागों में विभाजित किया गया है: i) लीफ एपेक्स – लीफ ब्लेड की नोक, ii) लीफ मार्जिन – पत्ती का किनारा और, iii) लीफ वेन्स – छोटे चैनल या केशिकाएं, जिन्हें आगे वेन्यूल्स में विभाजित किया जाता है।
हिंदी में कितने प्रकार के पत्ते का प्रयोग किया जाता है?
इसे सुनेंरोकेंसाधारणतः पत्तियाँ दो प्रकार की होती हैं, सरल पत्ती एवं संयुक्त पत्ती।
पौधे के कौन कौन से अंग होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंजैसे- जड़, तना, पत्ती, और फल व फलों में संचित कर लिया जाता है।
पत्ती का विकास कैसे होता है?
इसे सुनेंरोकेंपत्तियों में यह अंतर पौधे की उम्र से जुड़ा है। खुली धूप और छायादार स्थानों पर उगने वाले पेड़-पौधे क्रमशः उनके जैविक विकास के दौरान वहां मिलने वाले प्रकाश की मात्रा के अनुसार अनुकूलित हो जाते हैं। जो पौधे छायादार स्थानों या घने जंगलों में पेड़ों की छाया तले उगते। हैं, उनकी पत्तियां पतली और अधिक क्षेत्रफल वाली होती हैं।
हरी पत्तियों में हम कौन सा रंग प्राप्त होता है?
इसे सुनेंरोकेंहरी पत्तियों से हमें क्लोरोफिल, एक हरे रंग का वर्णक प्राप्त होता है | क्लोरोफिल सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करता है और ऊर्जा देता है। क्लोरोफिल एक प्रोटीनयुक्त जटिल रासायनिक यौगिक है। पत्तों का हरा रंग इसी वर्णक के कारण होता है।
सरल पत्ती कितने प्रकार की होती है?
इसे सुनेंरोकें1. सरल पत्ती (simple leaf) : जब पर्णफलक अछिन्न अथवा कटी हुई न होकर पूर्ण रूप से फैली हुई होती है तथा कटाव मध्य शिरा तक नहीं हो। तो इसे सरल पत्ती कहते है। उदाहरण : आम , बरगद , पीपल , अमरुद आदि।
विसर्पी लता और आरोही लता क्या है?
इसे सुनेंरोकेंविसी लता-ऐसे पौधे के तने जो कमजोर होने के कारण सीधे खड़े नहीं हो सकते और भूमि पर फैल जाते हैं, इन्हें विसपी लता कहते हैं, जैसे खीरा, खरबूजे। आरोही लता-कुछ कमजोर तने वाले पौधे आस-पास के सहारे की सहायता से ऊपर चढ़ जाते हैं, इन्हें आरोही लता कहते हैं, जैसे मनी-प्लांट, अंगूर आदि की लताएँ।
पौधे के कितने अंग होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंपौधे के भाग (1) जड़, (2) तना, (3) पत्ती, (4) फल, (5) फूल, (6) बीज। (1) जड़ें पौधे के लिए मिट्टी से पानी और आवश्यक पोषक पदार्थ शोषित करती हैं। (2) कुछ जड़ें भोजन-संग्रह का कार्य भी करती हैं, जैसे मूली, चुकंदर, शलगम आदि।
पत्तियां कितने प्रकार की होती हैं?
का मुख्य कार्य क्या है?
Step by step video solution for [object Object] by Biology experts to help you in doubts & scoring excellent marks in Class 9 exams….जाइलम का मुख्य कार्य क्या है?
Type of Answer | Video |
Question Language | In Video – Hindi In Text – Hindi |
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पत्ती का चौड़ा पृष्ठ क्या कहलाता है?
इसे सुनेंरोकेंRight Answer is: D लामिना या अंकुर पत्ती का चौड़ा, समतल हिस्सा होता है।
पत्ते का चौड़ा भाग क्या कहलाता है?
इसे सुनेंरोकेंRight Answer is: D लामिना या अंकुर पत्ती का चौड़ा, समतल हिस्सा होता है। प्रकाश संश्लेषण अंकुर में होता है, जिसमें हरी भोजन बनाने वाली कई कोशिकाएँ होती हैं।
पादप में जाइलम का मुख्य कार्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंजाइलम मूल से पानी तथा खनिज लवण को तने तथा पत्तियों तक पहुँचाने के लिए एक संवहन ऊतक की तरह कार्य करता है।
प्रश्न 2 रूक्षांश का मुख्य कार्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंरूक्षांश-रूक्षांश वनस्पति पदार्थ है जिसकी कोशिका भित्ति सेल्यूलोज़ से बनी होती है। हमारे शरीर में इसे पचाने वाले एंजाइम नहीं होते फिर भी यह हमारे भोजन का एक आवश्यक अंग है। यद्यपि यह हमारे शरीर में पच नहीं पाता, किंतु यह अन्य पदार्थों को पचाने में सहायता करता है।
पत्तियों में क्या बनता है?
इसे सुनेंरोकेंपत्ती जल का उपयोग अपना भोजन बनाने के लिए करती है, पत्तियों से जल की कुछ मात्रा का ह्रास वाष्पोत्सर्जन द्वारा होता है। तने और पत्ती को जल कैसे प्राप्त होता है? यह कार्य जड़ें करती हैं।
पर्ण क्या है पर्ण के उत्पत्ति एवं परिवर्तन की व्याख्या कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंपत्ती / पर्ण (Leaf) : पर्ण स्तम्भ या शाखा की पाश्र्व अतिवृद्धि है , यह चपटी व फैली हुई पर्वसन्धि पर विकसित होती है। ये अग्राभिसारी क्रम में व्यवस्थित होती है। पत्ती के कक्ष में कली होती है जो शाखा बनाती है। पत्तियाँ सामान्यतया हरी व प्रकाश संश्लेषण कर भोजन का निर्माण करती है।
पर्ण प्रतान क्या है?
इसे सुनेंरोकेंपर्ण प्रतान (Leaf tendril)- इसमें पत्तियाँ रूपान्तरित होकर लम्बी, पतली, तारनुमा कुण्डलित रचना में बदल जाती हैं जिसे प्रतान (Tendril) कहते हैं। ये प्रतान अति संवेदनशील होते हैं और ज्योंहि वे किसी आधार के सम्पर्क में आते हैं, उसके चारों ओर लिपट जाते हैं। इस प्रकार वे पौधों को आरोहण में सहायता प्रदान करते हैं। जैसे- मटर।