चित्र:पदार्थ की अवस्थायें.png
पदार्थ की अवस्थायें।
पदार्थ की अवस्थायें (States of matter) वह विशिष्ट रूप हैं, जो कोई पदार्थ धारण या ग्रहण कर सकता है। ऐतिहासिक संदर्भ मे, इन अवस्थाओं का अंतर पदार्थ के समग्र गुणों के आधार पर किया जाता था। ठोस वह अवस्था है जिसमें पदार्थ एक निश्चित आकार और आयतन ग्रहण करता है, द्रव अवस्था में पदार्थ का आयतन तो निश्चित होता है पर आकार यह उस पात्र का ग्रहण करता है जिसमे इसे रखा जाता है, गैस के मामले में ना तो कोई निश्चित आकार ना ही कोई निश्चित आयतन होता है और पदार्थ फैल कर उपलब्ध आयतन को ग्रहण कर लेता है।
"लेकिन अब पदार्थ की दो अवस्थाएं और खोजी गई है वह हैं प्लाज्मा और बोस आइंस्टाइन संघनन ।"
अवस्थायें[संपादित करें]
- ठोस
- तरल
- वाष्प
- प्लाज़्मा
- बोस-आइंस्टाइन संघनन
निम्न तापमान
- बोस-आइंस्टीन कंडन्सेट
- फर्मियोनिक कंडन्सेट
- अतिद्रव
- अतिठोस
उच्च ऊर्जा
- डीजेनेरेट पदार्थ
- क्वार्क-ग्लूऑन प्लाज्मा
- स्ट्रेन्ज पदार्थ
- सुपरक्रिटिकल द्रव
अन्य
- कोलॉयड
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- प्रावस्था (Phase)
- प्रावस्था संक्रमण (Phase transition)
- पदार्थ
| ||||
बोस-आइंस्टीन कंडन्सेट · फर्मियोनिक कंडन्सेट · अतिद्रव · अतिठोस | ||||
डीजेनेरेट पदार्थ · क्वार्क-ग्लूऑन प्लाज्मा · स्ट्रेन्ज पदार्थ · सुपरक्रिटिकल द्रव | ||||
कोलॉयड | ||||
क्वथनांक · त्रिक बिन्दु · संकट बिंदु · अवस्था का समीकरण · शीतलन वक्र · गलनांक · प्रावस्था संक्रमण | ||||
पदार्थ के अवस्थाओं की सूची |
यह लेख मुख्य रूप से अथवा पूर्णतया एक ही स्रोत पर निर्भर करता है। कृपया इस लेख में उचित संदर्भ डालकर इसे बेहतर बनाने में मदद करें। (अप्रैल 2020) |
रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान में पदार्थ (matter) उसे कहते हैं जो स्थान घेरता है व जिसमे द्रव्यमान (mass) होता है। पदार्थ और ऊर्जा दो अलग-अलग वस्तुएं हैं। विज्ञान के आरम्भिक विकास के दिनों में ऐसा माना जाता था कि पदार्थ न तो उत्पन्न किया जा सकता है, न नष्ट ही किया जा सकता है, अर्थात् पदार्थ अविनाशी है। इसे पदार्थ की अविनाशिता का नियम कहा जाता था। किन्तु अब यह स्थापित हो गया है कि पदार्थ और ऊर्जा का परस्पर परिवर्तन सम्भव है। यह परिवर्तन आइन्स्टीन के प्रसिद्ध समीकरण E=m*c<su के अनुसार होता है। पदार्थ की तीन अवस्थाएँ होती हैं। पदार्थ की मुख्य अवस्थाएं हैं - ठोस, द्रव तथा गैस। इसके अतिरिक्त कुछ विशेष परिस्थितियों में पदार्थ प्लाज्मा, अतितरल (सुपरफ्लुइड), अतिठोस आदि अन्य अवस्थायें भी ग्रहण करता है।2
परिभाषा[संपादित करें]
पदार्थ की आम परिभाषा है कि 'कुछ भी' जिसका कुछ-न-कुछ वजन (Mass) हो और कुछ-न-कुछ 'जगह घेरती' (Volume) हो उसे पदार्थ कहते है। उद्धरण के तौर पर, एक कार जिसका वजन होता है और वह जगह भी घेरती है उसे पदार्थ कहेंगे।
पदार्थ के कणों की विशेषताएँ[संपादित करें]
पदार्थ के कणों की विशेषताये-
- पदार्थ के कण बहुत छोटे होते हैं।
- पदार्थ के कणों के बीच स्थान होता है।
- पदार्थ के कण निरंतर घूमते रहते हैं।
- पदार्थ के कण एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।
पदार्थ की अवस्थाएं[संपादित करें]
पदार्थ तीन अवस्थाओं- ठोस, द्रव और गैस में पाये जाते हैं। ताप और दाब की दी गई निश्चित परिस्थितियों में, कोई पदार्थ किस अवस्था में रहेगा यह पदार्थ के कणों के मध्य के दो विरोधी कारकों अंतराआण्विक बल और उष्मीय ऊर्जा के सम्मिलित प्रभाव पर निर्भर करता है। अंतराआण्विक बलों की प्रवृत्ति अणुओं (अथवा परमाणुओं अथवा आयनों) को समीप रखने की होती है, जबकि उष्मीय ऊर्जा की प्रवृत्ति उन कणों को तीव्रगामी बनाकर पृथक रखने की होती है।[1]
ठोस[संपादित करें]
ठोस में, कण बारीकी से भरे होते हैं। ठोस के कणों में आकर्षण बल (Force of attaraction) आधिक होने के कारण इनका निश्चित आकार और आयतन होता है। ठोस के कुछ आम उद्हरण - जैस पत्थर, ईट, बॉल, कार, बस आदि।[1]
द्रव[संपादित करें]
द्रव में कणों के मध्य बन्धन ठोस की तुलना में कम होती है अतः कण गतिमान होते हैं। इसका निश्चित आकर नहीं होता मतलब इसे जिस आकार में ढाल दो उसी में ढल जाता है लेकिन इसका आयतन निश्चित होता है।
गैस[संपादित करें]
गैस में कणों के मध्य बन्धन ठोस और द्रव की तुलना में कम होती है अतः कण बहुत गतिमान होते हैं। इनका न तो निश्चित आकार (Shape) और न ही निश्चित आयतन (Volume) होता है।
पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन[संपादित करें]
पदार्थ तीन भौतिक अवस्था में रह सकते है :- ठोस अवस्था, द्रव अवस्था और गैस अवस्था। उदाहरण के तौर पर, पानी बर्फ के रूप में ठोस अवस्था में रह सकता है, पानी के रूप में द्रव अवस्था में रह सकता है और भाप के रूप में गैस अवस्था में रह सकता है।
भारतीय दर्शन में पदार्थ[संपादित करें]
भारत के विभिन्न दर्शनकारों ने पदार्थों की भिन्न-भिन्न संख्या मानी है। गौतम ने 16 पदार्थ माने, वेदान्तियों ने चित् और अचित् दो पदार्थ माने, रामानुज ने उनमें एक 'ईश्वर' और जोड़ दिया। सांख्यदर्शन में 25 तत्त्व हैं और मीमांसकों ने 8 तत्त्व माने हैं। वस्तुतः इन सभी दर्शनों में ‘पदार्थ’ शब्द का प्रयोग किसी एक विशिष्ट अर्थ में नहीं किया गया, प्रत्युत उन सभी विषयों का, जिनका विवेचन उन-उन दर्शनों में है, पदार्थ नाम दे दिया गया।
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ अ आ रसायनशास्त्र, भाग-१, (कक्षा १२), एनसीईआरटी, नई दिल्ली, पृष्ठ-२
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- पदार्थ की अवस्थाएँ
- पदार्थ की अविनाशिता का नियम
- पदार्थ विज्ञान
- पदार्थवाद
- पदार्थ (भारतीय दर्शन)
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- वेदों में पदार्थविज्ञान