होम /न्यूज /नॉलेज /पृथ्वी पर कब आई नाइट्रोजन, वैज्ञानिकों को मिला इस सवाल का जवाब
ज्वालामुखी से निकलने वाली नाइट्रोजन को अलग से पहचान पाने से रहस्य खुला.
वैज्ञानिक अब यह अंतर करने में सफल रहे हैं हवा में मौजूद नाइट्रोजन (Nitrogen) में कितनी ज्वालामुखी से निकली है और कितनी पहले से ही हवा में थी.
- News18Hindi
- Last Updated : April 18, 2020, 23:34 IST
नई दिल्ली: पृथ्वी (Earth) पर जीवन की उत्पत्ति में वैज्ञानिकों की विशेष दिलचस्पी है. वे यह जानकर पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर जीवन होने की संभावनाओं को भी जानना चाहते हैं. इसमें सबसे खास है पृथ्वी के विकास में उसके पर्यावरण का वर्तमान हालात तक पहुंचना, जिसकी वजह से उसका वायुमंडल आज की स्थिति में पहुंच सका. इसी सिलसिले में वैज्ञानिक यह पता लगाने में कामयाब हो गए हैं कि पृथ्वी पर नाइट्रोजन कैसे आई.
अहम गैस है नाइट्रोजन हमारे वायुमंडल की
पृथ्वी के वायुमंडल पर 78 प्रतिशत नाइट्रोजन होती है और 21 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है. बाकी एक प्रतिशत
सम्मिश्रण अन्य गैसों का होता है. अब वैज्ञानिकों ने भूरसायन उपकरण (Geochemical tool) से यह पता लगाने में सफलता हासिल की है कि पृथ्वी पर नाइट्रोजन कैसे आई.
बहुत उपयोगी है यह उपकरण
कैलीफोर्निया लॉस एंजेसिल यूनिवर्सिटी के वुंड्स होल ओसियोनोग्राफिक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने एक नए उपकरण का उपयोग किया, जिसने पृथ्वी पर नाइट्रोजन और अन्य पदार्थों की उत्पत्ति पर प्रकाश डाला है. इतना ही नहीं यह उपकरण ज्वालामुखी की गतिविधियों पर उपयोगी नजर रख सकेगा.
नाइट्रोजन हवा में और पृथ्वी के अंदर भी
हाल ही में नेचर जर्नल में प्रकाशित इस शोध में हमारे वायुमंडल की सबसे अहम गैस नाइट्रोजन के बारे में यह खास जानकारी मिली है. नाइट्रोजन हवा के अलावा चट्टानों और पृथ्वी के मेटल में पाया जाता है. अब तक ज्वालामुखियों से निकली गैसों
को जांचते समय यह अंतर कर पाना मुश्किल था कि किसी नाइट्रोजन का स्रोत वायुमंडल से है या कि पृथ्वी की सतह के नीचे से है.
मिले कई सवालों के जवाब
शोध के सहलेखक जियोकेमिस्ट पीटर बैरी ने बताया, “हमने पाया सम्मिश्रित वायु में बहुत सी ज्वालामुखीय गैस नमूनों में प्रिस्टीन सोर्स सिग्नेचर था. इस अंतर के बिना अब तक हम कई मूल प्रश्नों के उत्तर नहीं जान पा रहे थे. जैसे कि क्या पृथ्वी पर नाइट्रोजन उसके बनने के दौरान से ही थी या फिर यह हमारे ग्रह पर बाद में आई और हवा में मौजूद
नाइट्रोजन और ज्वालामुखियों से निकलने वाली नाइट्रोजन में क्या रिश्ता है.
दुनिया भर के कई नमूनों का किया अध्ययन
बैरी और शोध के प्रमुख लेखक जबरेन लैबिदी अंतरराष्टराष्ट्रीय जियोकैमिस्ट के साथ मिलकर दुनिया भर के ज्वालामुखी गैसों के नमूनों का अध्ययन किया. इसके लिए उन्होंने नाइट्रोजन आईसोटोप का अध्ययन करने के लिए एक नई विधि का उपयोग किया.
तो पृथ्वी के बनने के समय से है नाइट्रोजन
इस विधि से उन्हें हवा में मौजूद नाइट्रोजन और पृथ्वी की सतह के भीतर मेंटल से आए नाइट्रोजन में अंतर करने में सहायता मिली. तभी उन्हें यह पता लगा कि पृथ्वी के मेंटल की नाइट्रोजन तभी से मौजूद है जब से हमारी पृथ्वी बनी है.
यह भी पता चल सकेगा अब
एक बार हमें हवा में मिश्रण पता चला तो हम जान सके कि नाइट्रोजन कैसे धरती पर
आई थी और हमें हमारे ग्रह के विकास के बारे में अहम जानकारी मिली. इस विधि से वैज्ञानिकों को पृथ्वी पर कई गैसीय तत्वों के आने की जानकारी मिली, ज्वालामुखियों की गतिविधियों के बारे में जानकारी हासिल करने में भी यह विधि उपयोगी सिद्ध हो सकती है. ऐसा इसलिए है कि ज्वालामुखी से बाहर आने से पहले गैसों की रासायनिक संरचना बदल जाती है. यह भी हो सकता है हवा और मेंटल की नाइट्रोजन के सम्मिश्रण से हमें यह ज्वालामुखी फूटने के संकेत मिलने लगें.
यह भी पढ़ें:
जानिए क्या है BCG, क्यों हो रही है इसकी कोरोना वारयस के लिए चर्चा
Covid-19 काबू होने तक UK में प्रकाशित नहीं होगी वैज्ञानिक सलाह, कई लोग नाराज
धरती पर महाविनाश लाने वाले Climate change की वजह ने वैज्ञानिकों को किया चिंतित
नासा ने जारी की विशेष तस्वीरें, दे रहीं हैं सूर्य के कोरोना के दुर्लभ जानकारी
NASA और ESA मिलकर लाएंगे मंगल से मिट्टी के नमूने, जानिए कैसे होगा यह काम
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Earth, Science
FIRST PUBLISHED : April 18, 2020, 23:34 IST