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Short Note
लेखक को नवाब साहब के
किन हाव-भावों से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं?
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Solution
लेखक के अचानक डिब्बे में कूद पड़ने से नवाब-साहब की आँखों में एकांत चिंतन में विघ्न पड़ जाने का असंतोष दिखाई दिया तथा लेखक के प्रति नवाब साहब ने संगति के लिए कोई विशेष उत्साह नहीं दिखाया।
इससे लेखक को स्वयं के प्रति नवाब साहब की उदासीनता का आभास हुआ।
Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A)
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Chapter 12: यशपाल - लखनवी अंदाज़ - प्रश्न-अभ्यास [Page 80]
Q
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APPEARS IN
NCERT Class 10 Hindi - Kshitij Part 2
Chapter 12 यशपाल - लखनवी अंदाज़
प्रश्न-अभ्यास | Q 1 | Page 80
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लेखक ने नवाब के हावभाव देखकर क्या सोचा?
लेखक के अचानक डिब्बे में कूद पड़ने से नवाब-साहब की आँखों में एकांत चिंतन में विघ्न पड़ जाने का असंतोष दिखाई दिया तथा लेखक के प्रति नवाब साहब ने संगति के लिए कोई विशेष उत्साह नहीं दिखाया। इससे लेखक को स्वयं के प्रति नवाब साहब की उदासीनता का आभास हुआ।
नवाब साहब अपने हाव भाव से लेखक को क्या दर्शाना चाहते थे?
लेखक को नवाब साहब के किन हाव-भाव से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं हैं? खिड़की से बाहर झाँकते रहे और लेखक को न देखने का नाटकीय प्रदर्शन करते रहे। नवाब साहब के इन हाव-भावों को देखकर लेखक अनुमान लगा रहा था कि वे बातचीत करने के लिए किंचित भी उत्सुक नहीं हैं।
लेखक ने नवाब साहब के बारे में क्या कल्पना की?
<br> (ख) लेखक ने नवाब साहब के बारे में सोचा कि वे शायद इस डिब्बे में अकेले यात्रा करना चाहते थे। उन्होंने सोचा होगा कि सेकंड क्लास का डिब्बा खाली मिलेगा। इसीलिए उन्होंने किराया बचाने के लिए इस दर्जे का टिकट खरीद लिया होगा। परन्तु अब वे नहीं चाहते कि कोई सफेदपोश उन्हें मँझले दर्जे में सफर करता देखे।
लेखक कनखियों से देखकर क्या सोच रहे थे?
हम कनखियों से देखकर सोच रहे थे, मियाँ रईस बनते हैं, लेकिन लोगों की नज़रों से बच सकने के खयाल में अपनी असलियत पर उतर आए हैं। नवाब साहब ने फिर एक बार हमारी ओर देख लिया, 'वल्लाह, शौक कीजिए, लखनऊ का बालम खीरा है! ' दिया, 'शुक्रिया, इस वक्त तलब महसूस नहीं हो रही, मेदा भी ज़रा कमज़ोर है, किबला शौक फरमाएँ ।