रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार से क्यों भगाया गया? - rohingya musalamaanon ko myaammaar se kyon bhagaaya gaya?

विषयसूची

  • 1 म्यांमार से रोहिंग्या को क्यों भगाया गया?
  • 2 रोहिंग्या का मतलब क्या होता है?
  • 3 रोहिंग्या भारत में कब आए?
  • 4 भारत मे कितने रोहिंग्या है?
  • 5 रोहिंग्या मुसलमान क्या खाते हैं?
  • 6 रोहिंग्या मुसलमान कैसे होते हैं?
  • 7 भारत में कितने शरणार्थी?
  • 8 बर्मा में कौन सा धर्म है?
  • 9 म्यांमार में भारत का राजदूत कौन है?

म्यांमार से रोहिंग्या को क्यों भगाया गया?

इसे सुनेंरोकें१९४८ से ही रोहिंग्या अपने लिए एक स्वशासित प्रान्त की मांग कर रहे थे. १९६० में तत्कालीन प्रधानमंत्री उनुस ने आराकान को एक प्रान्त का दर्जा दिया था. १९६२ में बर्मा में सैन्य विद्रोह के बाद हालात बदल गए और १९८२ के नागरिकता कानून में रोहिंग्या से नागरिकता छीन ली गयी.

रोहिंग्या का मतलब क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंरोहिंग्या लोग (/ˈroʊɪndʒə/; ऐतिहासिक तौर पर अरकानी भारतीय (आकनीज़ इंडियंज़) के नाम से भी पहचाने जाते हैं) म्यांमार देश के रखाइन राज्य और बांग्लादेश के चटगाँव इलाक़े में बसने वाले राज्यविहीनरखाइन राज्य पर बर्मी क़ब्ज़े के बाद अत्याचार के माहौल से तंग आ कर बड़ी संख्या में रोहिंग्या लोग थाईलैंड में शरणार्थी हो गए।

रोहिंग्या मतलब क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंरोहिंग्या म‍ुस्लिम प्रमुख रूप से म्यांमार (बर्मा) के अराकान (जिसे राखिन के नाम से भी जाना जाता है) प्रांत में बसने वाले अल्पसंख्यक मुस्लिम लोग हैं। म्यांमार में करीब 8 लाख रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं और वे इस देश में सदियों से रहते आए हैं, लेकिन बर्मा के लोग और वहां की सरकार इन लोगों को अपना नागरिक नहीं मानती है।

रोहिंग्या भारत में कब आए?

इसे सुनेंरोकेंजम्मू: जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में रोहिंग्या (Rohingya) रिफ्यूजी कब कहां से आए, इसका खुलासा पुलिस रिकॉर्ड से मिलता है कि 1986 में रोहिंग्या रिफ्यूजी का पहला परिवार जम्मू में अवैध तरीके से पाकिस्तान (Pakistan) से बॉर्डर क्रॉस करके आया था.

भारत मे कितने रोहिंग्या है?

इसे सुनेंरोकेंभारत में लगभग ४० हज़ार रोहिंग्या मुस्लिम विभिन्न शहरों में रह रहे हैं, जिनमे से १७००० के पास सयुंक्त राष्ट्र का शरणार्थी पहचान पत्र है.

बर्मा में मुसलमानों के साथ क्या हुआ था?

इसे सुनेंरोकेंवर्ष 1785 में बर्मा के बौद्ध लोगों ने देश के दक्षिणी हिस्से अराकान पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने हजारों की संख्या में रोहिंग्या मुस्लिमों का कत्ल कर इलाके से बाहर खदेड़ दिया। इसी के बाद से बौद्ध धर्म के लोगों और रोहिंग्या मुस्लिमों के बीच से हिंसा और कत्लेआम का दौर शुरू हुआ, जो अब तक जारी है।

रोहिंग्या मुसलमान क्या खाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंरोहिंग्या समुदाय ने मानव के मांस को काट-काट कर खाया है उन्होंने मानव के मांस को काट-काट कर खाने का काम किया है। ऐसी तस्वीरें मीडिया में आ चुकी हैं।” -“इन्हें मुसलमान से नहीं जोड़ना चाहिए। यह तो ऐसे राक्षस हैं जो मनुष्य का मांस खाने का काम करते हैं।

रोहिंग्या मुसलमान कैसे होते हैं?

म्यांमार में हिंसा क्यों हो रही है?

इसे सुनेंरोकेंम्यांमार के इतिहास में ये दूसरा बड़ा जन आंदोलन है. पहला 1988 में सैन्य शासन के ख़िलाफ़ छात्रों ने एक बड़ा आंदोलन शुरू किया था. इस आंदोलन में आंग सान सू ची एक राष्ट्रीय नेता बनकर उभरीं थीं. इसके बाद जब 1990 में सैन्य प्रशासन ने चुनाव कराया, तो उनकी पार्टी, नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी ने ज़बरदस्त जीत हासिल की.

भारत में कितने शरणार्थी?

इसे सुनेंरोकेंअब सवाल उठता है ऐसे लोगों की भारत में कितनी संख्या है. भारत में अन्य देशों में कितने नागरिक शरण लिए हुए हैं. तो इसका जवाब है 46 हजार. UNHCR के मुताबिक, 31 जनवरी 2022 तक, 46,000 से अधिक शरणार्थी और शरण चाहने वाले UNHCR भारत के साथ पंजीकृत हैं.

बर्मा में कौन सा धर्म है?

इसे सुनेंरोकेंबर्मा सरकार की 2014 की जनगणना दोनों के मुताबिक बौद्ध धर्म 88% आबादी का प्रमुख धर्म है,विशेष रूप से बामर, राखीन, शान, सोम, करेन लोगों और चीनी जातीय समूहों द्वारा किया जाता है।

म्यांमार में कौन से धर्म के लोग रहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंबर्मा सरकार की 2014 की जनगणना दोनों के मुताबिक बौद्ध धर्म 88% आबादी का प्रमुख धर्म है,विशेष रूप से बामर, राखीन, शान, सोम, करेन लोगों और चीनी जातीय समूहों द्वारा किया जाता है। बामर लोग भी बौद्ध धर्म के नाम पर बर्मी लोक धर्म का अभ्यास करते हैं।

म्यांमार में भारत का राजदूत कौन है?

इसे सुनेंरोकेंनयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा) विनय कुमार को म्यामां में भारत का अगला राजदूत नियुक्त किया गया है। विदेश मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी। विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, कुमार भारतीय विदेश सेवा के 1992 बैच के अधिकारी हैं और अभी मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं।

हिंदी न्यूज़ विदेशरोहिंग्याओं को म्यांमार से क्यों भगाया जा रहा है और इसके पीछे कौन शख्स है?, जानें यहां

रोहिंग्याओं को म्यांमार से क्यों भगाया जा रहा है और इसके पीछे कौन शख्स है?, जानें यहां

रोहिंग्या मुसलमानों पर जिस तरह से जुल्म ढाए जा रहे हैं उसे लेकर सबके मन में सवाल है कि आख

म्यांमार में विराथू के नाम से डरते हैं मुसलमान

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पिछले दो सप्ताह में करीब 2 लाख 70 हजार रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से पलायन कर चुके हैं। इनमें से 60 हजार से ज्यादा बंगलादेश में शरण ले चुके हैं जबकि 40 हजार रोहिंग्या भारत में शरण लिए हुए हैं। रोहिंग्या मुसलमानों पर जिस तरह से जुल्म ढाए जा रहे हैं उसे लेकर सबके मन में सवाल है कि आखिरी इसकी वजह क्या है? दशकों से रह रहे रोहिंग्याओं को म्यांमार से क्यों भगया जा रहा है और इसके पीछे कौन है?

रोहिंग्या के पलायन के कारण को लेकर जो खबरें चल रही हैं उनके अनुसार, म्यांमार के बौद्ध भिक्षु विराथू ही वह शख्स हैं जिनके वजह से यहां रोहिंग्याओं का पलायन हो रहा है। म्यांमार के उत्तर पश्चिम इलाके में गरीब मुसलमानों के ढाई हजार से ज्यादा घर जला दिए गए। इस घटना से म्यांमार रहने वाले मुसलमानों में ऐसा खौफ पैठा किया वह जान बचाकर दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हैं।

इस सब के बीच म्यांमार सरकार का जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहा है। कुछ दिनों पहले इंडोनेशिया में यहां के मुस्लिम संगठनों ने म्यांमार दूतावास के बाहर प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया। लेकिन इस प्रदर्शन में कुछ लोगों को म्यांमार के बौद्ध भिक्षु अशीन विराथू की तस्वीर लिए देखा गया। विराथू को लोग कट्टरपंथी बौद्ध भिक्षु मान रहे हैं। अशीन विराधू इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में हैं। तो आइए जानते हैं विराथ कौन हैं और उन पर रोहिंग्याओं के पलायन का आरोप क्यों लगा।

14 साल की उम्र में बौद्ध भिक्षु बने थे विराथू

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विराथू का जन्म 1968 म्यांमार में मंडल्ये के पास एक गांव में हुआ था। बताते हैं कि 14 साल की उम्र में बौद्ध भिक्षु बनने के लिए विराथू ने स्कूल छोड़कर बौद्ध गुरुओं के साथ हो लिया था। 2001 में मुसलमानों के खिलाफ चलाए जा रहे '969 आंदोलन' (तीन अंकों 969 को भगवान बुद्ध का प्रतीक माना जाता है) में शामिल हो गए। 2013 में उन्हें एक धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ उपदेश देने के लिए 25 साल की सजा भी हुई लेकिन राजनीतिक कैदियों की रिहाई के दौरान 2012 में उन्हें भी रिहा कर दिया गया। विराथू अब सोशल मीडिया व अन्य माध्मों से अपने अनुयायियों में सक्रिय रहते हैं।

2013 में एक मैगजीन के कवर पेज पर विराथू की स्टोरी छपी और उन्हें इसमें म्यांमार का ओसामा बिन लादेन बताया गया। विराथू का कहना है कि आप कितना भी दयालु और प्यार करने वाले हों लेकिन पागल कुत्ते के साथ नहीं सो सकते। विराथू का यह बयान मुसलमानों के संदर्भ में देखा जा रहा है। विराथू मुसलमानों के खिलाफ बयान देकर कई बार चर्चा में रह चुके हैं। कहा जाता है कि म्यांमार में विराथू के नाम से ही मुसलमान खौफ खाते हैं।

म्यांमार में इस वक्त 80 फीसदी से ज्यादा लोग बौद्ध हैं जबकि 4-5 फीसदी ही मुसलमान हैं। म्यांमार में होने वाले संप्रदायिक दंगों में हर बार सबसे ज्यादा नुकसान रोहिंग्या मुसलमानों का हुआ।

बौद्ध समुदाय के लोग जिस वजह से रोहिंग्याओं के खून के प्यासे हैं और उन्हें देश से खदेड़ रहे हैं उसके पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें एक कारण रोहिंग्या मुसलमान द्वारा एक बौद्ध लड़की का बलात्कार है।

आगे पढ़ें- बौद्ध लड़की के बलात्कार से बढ़ी नफरत की आग

बौद्ध लड़की के बलात्कार से बढ़ी नफरत की आग

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खबरों की मानें तो रोहिंग्याओं से म्यांमार के बौद्ध जिस कारण से घृणा कर रहे हैं उसके पीछे दो कारण हैं। पहला- 2012 में यहां के रखाइन राज्य में एक बौद्ध लड़की से किसी रोहिंग्या मुसलमान बलात्कार किया। यह विवाद इतना बढ़ गया कि दो समुदायों के बीच हिंसा की लपटें भड़क उठीं।

दूसरा- एक कहानी ऐसी भी है कि म्यांमार के सैनिक रोहिंग्याओं पर जुल्म ढाते हैं। इस जुल्म के खिलाफ रोहिंग्या मुसलमानों के समूह ने म्यांमार सैनिकों की एक टुकड़ी पर हमला बोल दिया जिसके बाद से यहां रोहिंग्याओं को भगाने का अभियान शुरू हुआ। कहा जा रहा है कि यहां की सेना एकतरफा कार्रवाई कर रोहिंग्याओं को देश से बाहर खदेड़ रही है। म्यांमार में कुछ 4 लाख रोहिंग्या मुसलमान थे जिनमें से करीब 2 लाख 70 हजार को खदेड़ दिया गया है।

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