राजा शांतनु के पूर्वज कौन थे? - raaja shaantanu ke poorvaj kaun the?

शांतनु महाभारत के एक प्रमुख पात्र थे। महाकाव्य महाभारत में, शांतनु हस्तिनापुर के एक कुरु राजा थे ! वह भरत जाति का वंशज था, चंद्र वंश, पांडवों और कौरवों के परदादा थे। वह हस्तिनापुर के राजा प्रतिपदा के सबसे छोटे पुत्र थे और उनका जन्म उत्तरार्द्ध काल में हुआ था।


सबसे बड़े पुत्र देवपति को कुष्ठ रोग हो गया था! और उन्होंने अपना उत्तराधिकार छोड़ दिया मध्य पुत्र बहलिका ने अपने पैतृक राज्य को त्याग दिया और बल्ख में अपने मामा के साथ रहने लगे और इस प्रकार शांतनु हस्तिनापुर साम्राज्य के राजा बन गए 



राजा शांतनु का जन्म कैसे हुआ हिंदी में  ? How was Raja Shantanu born in Hindi?


कुरु राजा प्रतिप एक बार गंगा किनारे ध्यान में लीन थे, उसी समय गंगा ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण किया, और राजा के पास पहुंची और उनकी दाहिनी जांघ पर बैठ गई। 



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जब राजा प्रतिप ने उससे पूछा कि वह क्या चाहती है, तो गंगा ने उनसे कहा वह आपसे विवाह करना चाहती हैं । हालाँकि प्रतिप ने मना कर दिया क्योंकि उन्होंने किसी से भी वासना नहीं करने का संकल्प लिया था, और यह भी कि वह उनकी दाहिनी जांघ पर बैठी थी ! 



और परंपराओं के अनुसार एक पुरुष की दाहिनी जांघ उसकी बेटी या बहू के लिए थी जबकि बाईं जांघ बीवी लिए थी । फिर राजा प्रतिप ने उसे प्रस्ताव दिया कि क्या वह मेरे बेटे से शादी करेगी? जिससे वह सहमत हो गई। और वंहा से चली गयी ।  



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अब महाराजा ने पुत्र प्राप्ति के लिए गहन तपस्या करना शुरू कर दिया उनके तप के परिणामस्वरूप, उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ, जिसका नाम उन्होंने शांतनु रखा । 


राजा शांतनु और गंगा का विवाह / देवव्रत (भीष्म ) जन्म कथा / Marriage of King Shantanu and Ganga / Devavrat (Bhishma) Birth Story in Hindi


जब शांतनु छोटे थे, तभी महाराजा प्रतिप स्वर्ग लोक सिधार गए।  कुछ समय बाद जब शांतनु युवा हुए तो उन्हें अपने पिता की बात का पता चली की उन्हें गंगा से विवाह करने का आदेश दिया था, अपने पिता के आदेश का पालन करने के लिए शांतनु गंगा के पास गए और उससे शादी करने के लिए आग्रह किया।



गंगा ने कहा,  हे राजन! मैं आपसे शादी कर सकती हूं, लेकिन आपको वादा करना होगा कि आप मेरे किसी भी काम में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। शांतनु ने गंगा को वचन दिया और उनसे विवाह किया, गंगा के गर्भ से आठ बच्चे पैदा हुए जिनमें से गंगा ने सात को गंगा नदी में बहा दिया था और महाराज शांतनु अपने वचन के कारण एक शब्द भी बोलने में असमर्थ थे।



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लेकिन जब गंगा को आठवां पुत्र हुआ और वह उसे भी बहाने के लिए नदी में ले गई तो राजा शांतनु से रहा नहीं गया और कहा हे गंगे आपने मेरे सात बच्चों को नदी में फेंक दिया, लेकिन अपने वचन के कारण, मैंने कुछ नहीं कहा अब आप इस आठवें पुत्र को भी फेंकने जा रही हैं, 



मैं आपसे विनती कर रहा हूं, कृपया इसे नदी में न डालें, यह सुनकर गंगा ने कहा राजन आपने अपना व्रत तोड़ा है, इसलिए मैं अब आपके साथ नहीं रह सकती । यह कहने के बाद, गंगा अपने पुत्र को लेकर चली गयी।




गंगा के जाने बाद महाराज शांतनु ने एक त्वरित ब्रह्मचर्य धारण किए हुए बहुत वर्ष बिता दिए । एक दिन वह गंगा तट पर गए, और उन्होंने गंगा से कहा, गंगा आज मैं उस बच्चे को देखना चाहता हूं जिसे तुम अपने साथ ले गयी थी ।



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गंगा एक बच्चे के साथ प्रकट हुईं और कहा हे राजन यह आपका पुत्र है, इसका नाम देवव्रत है, इसे आप अब अपने साथ लेकर जाइये, यह बहुत ही शक्तिशाली होने के अलावा, विद्वान भी होगा। 



ज्योतिष में वह परशुराम की तरह होगा। महाराज शांतनु अपने पुत्र देवव्रत को पाकर बहुत खुश हुए और उन्हें अपने साथ हस्तिनापुर ले आए और उन्हें युवराज घोषित कर दिया ।



भीष्म प्रतिज्ञा और शांतनु - सत्यवती का विवाह / Bhishma Pratigya and Shantanu - Satyavati's marriage in Hindi


एक दिन महाराज शांतनु यमुना के तट पर घूम रहे थे कि उन्होंने एक खूबसूरत लड़की को नदी के अंदर नाव की सवारी करते हुए देखा। उसके अंग अंग से सुगन्ध निकल रही थी, महाराज ने लड़की से पूछा, आप कौन हैं?" लड़की ने कहा महामहि मेरा नाम सत्यवती है और मैं एक निषाद कन्या हूं। 



महाराज ने तुरंत सत्यवती से कहा हे देवी मैं आपकी सुंदरता और आपके शरीर से निकलने वाली इस सुगंध ने मुझे ब्याकुल कर दिया हैं और मैं आपके साथ विवाह करना चाहता हूँ , क्या तुम्हे मेरा यह प्रस्ताव मंजूर हैं?



सत्यवती ने कहा हे राजन मुझे क्षमा करे, मैं अपने पिता की आज्ञा के बिना किसी पुरुष के साथ विवाह नहीं कर सकती। यह सुन कर महाराज तुरंत सत्यवती के पिता के पास पहुंचे और सत्यवती से अपने विवाह का प्रस्ताव रखा।



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इस पर निषाद ने कहा,"राजन! मुझे भी मेरी बेटी को आपसे शादी करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन आपको मेरी बेटी के गर्भ से पैदा हुए बेटे को ही आपके राज्य का उत्तराधिकारी बनाना होगा। निषाद की यह बात सुन कर महाराज शांतनु चुपचाप हस्तिनापुर लौट आए क्योंकि वह पहले ही देवब्रत को युवराज घोषित कर चुके थे। 



राजा शांतनु सत्यवती के साथ अलग होने के कारण व्याकुल होने लगे। उनका शरीर दुर्बल होने लगा। महाराज की यह दशा देखकर देवव्रत बहुत चिंतित हुए। जब उन्हें मंत्रियों द्वारा पिताजी की इस प्रकार की स्थिति के बारे में पता चला। 



उन्होंने तुरंत सभी मंत्रियों के साथ निषाद के घर का जा पहुंचे और उन्होंने निषाद से कहा, हे निषाद! आप खुशी खुशी अपनी पुत्री सत्यवती का विवाह मेरे पिता शांतनु के साथ करें, 



मैं आपसे वादा करता हूं कि आपकी बेटी के गर्भ से पैदा हुआ बच्चा ही हस्तिनापुर का उत्तराधिकारी बनेगा, और तो और मैं आपसे यह भी वादा करता हूं कि मैं जीवन भर अविवाहित रहूंगा।



यह वचन सुनकर निषाद ने हाथ जोड़कर कहा, हे देवव्रत आपकी प्रतिज्ञा अभूतपूर्व है, यह कहते हुए निषाद ने तुरंत अपनी बेटी सत्यवती को देवव्रत और उनके मंत्रियों के साथ हस्तिनापुर भेज दिया।



देवव्रत ने अपनी माँ सत्यवती को लाया और अपने पिता शांतनु के साथ विवाह कर दिया। पिताजी प्रसन्न हुए और बेटे से कहा वत्स आपने पितृत्व की प्रतिज्ञा ली है ।  



ऐसा वादा जो आज तक किसी ने नहीं किया है, न ही यह भविष्य में कोई करेगा। मैं तुम्हें एक वरदान देता हूं कि तुम अपनी इच्छा से ही मृत्यु को प्राप्त होगी और आपकी इस प्रतिज्ञा के कारण, आपको भीष्म कहा जाएगा और आपकी प्रतिज्ञा को हमेशा भीष्म प्रतिज्ञा के रूप में भी युगो युगो तक जाना जाएगा। 



राजा शांतनु की उत्पत्ति कैसे हुआ? / How was King Shantanu born in Hindi?


महाकाव्य महाभारत में, शांतनु हस्तिनापुर के एक कुरु राजा थे वह भरत जाति का वंशज था, चंद्र वंश और पांडवों और कौरवों के परदादा। वह हस्तिनापुर के राजा प्रतिपदा के सबसे छोटे पुत्र थे और उनका जन्म उत्तरार्द्ध काल में हुआ था।



राजा शांतनु की कितनी पत्नियां थी? / How many wives did King Shantanu have in Hindi?

राजा शांतनु की दो पत्नी थी जिनका नाम गंगा और सत्यवती था। 



शांतनु कहां के राजा थे? / Where was Shantanu the king in Hindi?


शांतनु महाभारत के एक प्रमुख पात्र और हस्तिनापुर के राजा थे ।



राजा शांतनु के कितने पुत्र थे? How many sons did King Shantanu have in Hindi?


राजा शांतनु के तीन पुत्र थे जिनका नाम भीष्म, चित्रांगद और विचित्रवीर्य था। 



राजा शांतनु के पूर्वजों के नाम क्या था ? / What were the names of the ancestors of King Shantanu in Hindi?


राजा शांतनु के पूर्वजों में राजा भरत और उनके पिता महाराजा दुष्यन्त का विशेष उल्लेख है। राजा दुष्यन्त एक प्रतापी और चक्रवर्ती राजा थे।



राजा शांतनु का विवाह किसके साथ हुआ था ? / With whom was King Shantanu married in Hindi?


शांतनु का पहला विवाह गंगा से हुआ था और दूसरा विवाह  निषाद कन्या सत्यवती से हुआ था।


महाराज शांतनु के पिता कौन थे? / Who was the father of Maharaj Shantanu in Hindi?


महाराजा प्रतीप शांतनु के पिता थे।



हस्तिनापुर के राजा प्रतीप के पिता कौन थे? / Who was the father of Raja Pratip of Hastinapur in Hindi?

राजा शांतनु की उत्पत्ति कैसे हुई?

राजा शांतनु का जन्म वे ब्रह्मदेव के श्राप के कारण पृथ्वी पर शांतनु के रूप में जन्म लिए। वे हस्तिनापुर नरेश प्रतीप के पुत्र थे राजा प्रतीप के पश्चात शांतनु राजा बने। शांतनु पितामह भीष्म के पिता एवं पांडवों, कौरवों के परदादा थे।

राजा शांतनु पूर्व जन्म में कौन थे?

पूर्व जन्म में शांतनु राजा महाभिष थे। उन्होंने बड़े-बड़े यज्ञ करके स्वर्ग प्राप्त किया।

राजा शांतनु के पिता का नाम क्या है?

हस्तिनापुर के क्षत्रिय राजा प्रतीप के पुत्र थे। उनका विवाह गंगा से हुआ था। देवी गंगा से देवव्रत नाम का पुत्र हुआ।

राजा शांतनु कौन से वंश के थे?

पुरू के वंश में भरत और भरत के कुल में राजा कुरू हुए। कुरू के वंश में शांतनु का जन्म हुआ। कुरू से वंशजों को कौरव कहा जाता है।

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