राजा दशरथ राम से अधिक प्यार क्यों करते थे? - raaja dasharath raam se adhik pyaar kyon karate the?

These NCERT Solutions for Class 6 Hindi Vasant & Bal Ram Katha Class 6 Questions and Answers Summary Chapter 1 अवधपुरी में राम are prepared by our highly skilled subject experts.

Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 1

पाठाधारित प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अयोध्या नगरी कहाँ थी?
उत्तर:
आयोध्या नगरी सरयू नदी के तट पर थी।

प्रश्न 2.
कोसल राज्य की राजधानी कहाँ थी?
उत्तर:
अयोध्या कोसल राज्य की राजधानी थी।

प्रश्न 3.
अयोध्या के राजा कौन थे?
उत्तर:
राजा दशरथ अयोध्या के राजा थे।

प्रश्न 4.
राजा दशरथ के पिता कौन थे?
उत्तर:
महाराज अज राजा दशरथ के पिता थे।

प्रश्न 5.
राजा दशरथ की कितनी रानियाँ थीं? उनके नाम लिखें।
उत्तर:
राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं। कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी।

प्रश्न 6.
विश्वामित्र के आश्रम का नाम लिखें।
उत्तर:
विश्वामित्र के आश्रम का नाम सिद्धाश्रम था।

प्रश्न 7.
राजा दशरथ के कितने पुत्र थे? उनके नाम लिखें।
उत्तर:
राजा दशरथ के चार पुत्र थे-राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न।

प्रश्न 8.
मुनि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को कौन-सा यज्ञ करने को कहा?
उत्तर:
मुनि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को पुत्रेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी।

प्रश्न 9.
राम का जन्म कब हुआ?
उत्तर:
चैत्र मास की नवमी के दिन राम का जन्म हुआ।

प्रश्न 10.
राजा दशरथ को राम अधिक प्रिय क्यों थे?
उत्तर:
ज्येष्ठ पुत्र होने के कारण और उनमें, विवेक, शालीनता, मानवीय गुणों के कारण राजा दशरथ को राम अधिक प्रिय थे।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राजा दशरथ कैसे शासक थे? उन्हें क्या दुख था?
उत्तर:
राजा दशरथ यशस्वी, न्यायप्रिय और कुशल शासक थे। उनके कोई संतान नहीं थी, इस कारण वे चिंतित एवं दुखी रहते थे।

प्रश्न 2.
विश्वामित्र राजा दशरथ के पास क्यों आए थे? उन्होंने राजा दशरथ से क्या कहा?
उत्तर:
विश्वामित्र सिद्धि के लिए एक यज्ञ कर रहे थे। उसमें राक्षस बाधा डाल रहे थे। वे राक्षसों को मारने तथा यज्ञ की रक्षा के लिए दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राम को ले जाना चाहते थे। इसलिए वे दशरथ के पास राम को लेने आए थे।

विश्वामित्र ने दशरथ से कहा कि मैं केवल कुछ दिनों के लिए राम को अपने साथ ले जाना चाहता हूँ। यज्ञ दस दिन में पूरा हो जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि मैं स्वयं राक्षसों को मार सकता हूँ पर मैंने संन्यास ले लिया है। यदि आप राम को नहीं देंगे तो मैं खाली हाथ लौट जाऊँगा।

प्रश्न 3.
अयोध्या नगरी का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर:
अवध में सरयू नदी के किनारे अयोध्या एक अति सुंदर नगर था। अयोध्या कोसल राज्य की राजधानी थी। इसकी भव्यता देखने को बनती थी। यहाँ आलीशान इमारतें थीं, चौड़ी सड़कें थीं। लोगों के घर भी भव्य थे। बाग-बगीचे थे। चारों ओर खेतों में हरियाली थी। अयोध्या में कहीं पर भी गरीबी का कोई चिह्न नज़र नहीं आता था। सभी लोग संपन्नता का जीवन व्यतीत करते थे। दुख और विपन्नता का वहाँ वास न था। पूरा नगर विलक्षण, अद्भुत एवं मनोरम था। लोग मर्यादाओं का पालन करते थे। हर व्यक्ति सदाचारी था। अत: कहा जा सकता है कि हर तरह से अयोध्या संपन्न नगरी थी।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राजा दशरथ ने राम को वन में विश्वामित्र के साथ न भेजने के लिए क्या-क्या तर्क दिए?
उत्तर:
राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राम थे, जिन्हें वे प्राणों से भी अधिक चाहते थे। जब ऋषि विश्वामित्र ने यज्ञ की रक्षा के लिए राम को माँगा तो राजा दशरथ ऋषि को सीधे शब्दों में मना नहीं कर सकते थे। अतः उन्होंने न भेज पाने की असमर्थता व्यक्त की। इसके उन्होंने निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किएँ।

  1. उन्होंने कहा कि मेरा राम अभी सोलह वर्ष का भी नहीं हुआ है। वह राक्षसों से कैसे युद्ध कर पायेगा।
  2. राक्षस मायावी हैं। वह उनका छल-कपट कैसे समझेगा? उन्हें कैसे मारेगा। इससे अच्छा तो यही होगा कि आप मेरी सेना ले जाएँ। मैं स्वयं ही आपके साथ चलकर युद्ध करूँगा।
  3. हे! महामुनि! प्राणों से प्रिय राम के बिना मैं एक पल भी नहीं रह सकता हूँ।

प्रश्न 2.
महर्षि विश्वामित्र ने क्रोध में राजा दशरथ से क्या कहा?
उत्तर:
महर्षि विश्वामित्र ने क्रोध में राजा दशरथ से कहा कि आप रघुकुल की रीति तोड़ रहे हैं। राजन, आप वचन देकर पीछे हट रहे हैं। आपका यह व्यवहार कुल के विनाश का सूचक है। मैं स्वयं दुष्ट राक्षसों का संहार कर सकता हूँ, लेकिन मैंने संन्यास ले रखा है। अगर आप राम को नहीं देंगे तो मैं यहाँ से खाली हाथ लौट जाऊँगा।

प्रश्न 3.
मुनि वशिष्ठ ने महाराज दशरथ को क्या समझाया?
उत्तर:
विश्वामित्र राम को अपने साथ ले जाना चाहते थे। राजा दशरथ इसके लिए तैयार नहीं थे। यह सुनकर महर्षि विश्वामित्र क्रोधित हो गए। बात बिगड़ती देख मुनि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को समझाते हुए कहा कि राजन, आपको अपना वचन निभाना चाहिए। यही रघुकुल की रीति रही है। आपके पूर्वजों ने सदा अपने वचनों को निभाया है। आप राम की चिंता न करें। महर्षि के रहते राम का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। स्वयं विश्वामित्र तपस्वी एवं सिद्ध पुरुष हैं। वे अनेक गुप्त विद्याओं के ज्ञाता हैं। राम का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। राम उनसे कई नई विद्याएँ सीख लेंगे। इसलिए आप राम को उनके साथ जाने दें।

प्रश्न 4.
राजा दशरथ को कौन सा दुख था? वह कैसे दूर हुआ?
उत्तर:
राजा दशरथ को निस्संतान होने का दुख था। संतान की कमी उन्हें हमेशा बहुत सताती थी। वशिष्ठ मुनि ने राजा दशरथ को पुत्रेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी। महान तपस्वी ऋष्यशृंग की देख-रेख में पुत्रेष्टि यज्ञ किया गया। इसके कुछ समय बाद राजा दशरथ की इच्छा की पूर्ति हुई। उनकी तीनों रानियाँ पुत्रवती हो गईं। इससे निस्संतान होने का दुख दूर हो गया।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रचंड गरमी के दिनों में कच्ची या पक्की सड़क की तपती धूप में नंगे पाँव चलने पर पाँव जलते हैं। इस परिस्थिति में पेड़ की छाया में खड़ा होने और पाँव धो लेने पर बड़ा आराम महसूस होता है। ठीक उसी तरह जैसे प्यास लगने पर पानी मिल जाए और भूख लगने पर भोजन। तुम्हें किसी वस्तु की आवश्यकता हुई होगी और वह कुछ समय बाद पूरी हो गई होगी। तुम सोचकर लिखो कि आवश्यकता पूरी होने के पहले तक आपकी मनोस्थिति कैसी थी?
उत्तर:
आवश्यकता न पूरी होने के पहले तक मन बहुत विचलित रहता है। मन में बार-बार यह प्रश्न उठता है कि इच्छा पूरी होगी अथवा नहीं। मन में इस तरह की बेचैनी होती है कि जितना जल्दी हो सके आवश्यकता पूरी हो जाए।

प्रश्न 2.
क्या तुम राम की तरह अपने माता-पिता के निर्णय को स्वीकार करते हो?
उत्तर:
हाँ मैं श्रीराम की तरह अपने माता-पिता के निर्णय का हमेशा पालन करता हूँ।

अभ्यास प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

1. अयोध्या किस राज्य की राजधानी थी?
2. अयोध्या के राजा कौन थे?
3. राजा दशरथ के पिता कौन थे?
4. दशरथ के पुत्रों के नाम क्या थे?
5. राजा दशरथ राम से अधिक प्रेम क्यों करते थे?
6. द्वारपाल ने किसके आने की सूचना दी?
7. मुनि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को कौन सा यज्ञ करने को कहा?
8. राजा दशरथ कैसे थे?

लघुउत्तरीय प्रश्न

1. अयोध्या नगरी की विशेषताओं का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए?
2. राजा दशरथ कैसे शासक थे। उन्हें किस बात की चिंता थी?
3. राजकुमारों के जन्म पर नगर का माहौल क्या था?
4. महर्षि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को क्या परामर्श दिया?
5. चारों राजकुमारों में क्या विशेषता थी?
6. विश्वामित्र कौन थे? वह राजा दशरथ के पास क्यों आए थे।
7. राजा दशरथ ने कौन सा यज्ञ किया था? इसका क्या उद्देश्य था? यह यज्ञ किस प्रकार संपन्न हुआ?
8. पुत्रमोह में फंसे राजा दशरथ को कर्तव्यपालन के लिए कैसे प्रेरित किया गया?

Bal Ram Katha Class 6 Chapter 1 Summary

यह कथा अवध की है। प्राचीन काल की बात है अवध में सरयू नदी के किनारे बसा बहुत ही सुंदर अयोध्या नगर था। वहाँ का राजमहल तो भव्य था ही, अन्य इमारतें भी आलीशान थीं। सड़कें चौड़ी थीं। बाग-बगीचे अत्यंत हरे-भरे थे। चारों तरफ खेतों में हरियाली नज़र आती थी। पानी से भरे सरोवर, हवा में हिलती फसलें देखने में मनमोहक लगती थीं। पूरा नगर संपन्न एवं विलक्षण था। अयोध्या कोसल राज्य की राजधानी थी। वहाँ राजा दशरथ राज करते थे। वे कुशल योद्धा और न्यायप्रिय शासक थे। लोग मर्यादाओं का पालन करते थे। उनके राज्य में सभी खुश थे किंतु राजा के मन में एक दुख था। उनकी तीन-तीन रानियों के होते हुए भी उनके यहाँ कोई संतान न थी। इस कारण राजा दशरथ चिंतित रहते थे। राजा दशरथ की चिंता बढ़ती जा रही थी।

राजा दशरथ ने अपनी चिंता से वशिष्ठ मुनि को अवगत कराया। महर्षि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को सलाह दी-“आप पुत्रेष्ठि यज्ञ करें, महाराज। आपकी इच्छा पूरी होगी।” ऋष्यशृंग की देख-रेख में पूरी तैयारी के साथ सरयू नदी के किनारे यज्ञशाला बनाकर यज्ञ प्रारंभ किया। इस यज्ञ में अनेक राजा आमंत्रित थे। अनेक ऋषि-मुनि भी पधारे। सभी ने एक-एक आहुति डाली। अंतिम आहुति राजा की थी। यज्ञ पूरा हुआ अग्निदेव ने महाराज दशरथ को आशीर्वाद दिया। कुछ समय बाद तीनों रानियाँ पुत्रवती हुईं। चैत्र मास की नवमी के दिन महारानी कौशल्या ने राम को जन्म दिया। रानी सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को तथा कैकेयी ने भरत को जन्म दिया। राजमहल में खुशियाँ छा गईं। नगर में एक बड़े समारोह का आयोजन किया गया। चारों राजकुमार धीरे-धीरे बड़े हुए। वे बड़े सुंदर थे। बड़े होने पर राजकुमारों को शिक्षा-दीक्षा के लिए गुरु के पास भेजा गया। चारों राजकुमार कुशाग्र बुद्धि के थे। उन्होंने शस्त्र विद्या तथा अन्य सभी प्रकार की विद्याओं में कुशलता प्राप्त की। चारों भाइयों में राम सर्वोपरि थे। उनमें विवेक, शालीनता एवं न्यायप्रियता के गुण थे। राजा दशरथ को राम सबसे अधिक प्रिय थे। चारों राजकुमार धीरे-धीरे बड़े होने लगे। वे विवाह के योग्य हो गए। राजा दशरथ उनके लिए सुयोग्य बधुएँ चाहते थे। राजा दशरथ सोच ही रहे थे कि एक दिन अयोध्या के राजमहल में विश्वामित्र पधारे। विश्वामित्र कभी स्वयं राजा थे किंतु अपना राजपाट छोड़कर संन्यास ग्रहण कर जंगल में आश्रम बनाकर रहते थे। उनके आश्रम का नाम था-सिद्धाश्रम। महल में उनका सत्कार किया गया। विश्वामित्र को दरबार में ऊँचा स्थान प्रदान किया गया। राजा दशरथ ने उनसे पूछा कि मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ? महर्षि विश्वामित्र ने कहा-“मैं सिद्धि के लिए एक यज्ञ कर रहा हूँ। दो राक्षस उसमें विघ्न डाल रहे हैं। आपके बड़े पुत्र राम ही उन राक्षसों को मार सकते हैं। आप उसे मुझे दे दें ताकि यज्ञ पूरा हो सके।” यह सुनकर राजा दशरथ चिंता में पड़ गए और बेहोश होकर गिर पड़े। विश्वामित्र राजा के मन की बात जानकर काफ़ी नाराज़ हो गए। राजा दशरथ ने कहा कि आप चाहें तो मेरी सारी सेना ले जाएँ। मैं खुद आपके साथ चलकर राक्षसों से युद्ध करूँगा। विश्वामित्र ने राजा दशरथ की दुविधा को समझ कर कहा कि मैं राम को केवल कुछ दिनों के लिए ही माँग रहा हूँ। यज्ञ दस दिनों में पूरा हो जाएगा। इस पर भी राजा दशरथ पुत्र वियोग की आशंका से काँप उठे, पर महर्षि वशिष्ठ शांत थे। महर्षि विश्वामित्र का क्रोध बढ़ता चला जा रहा था। वे बोले-‘आप रघुकुल की रीति तोड़ रहे हैं राजन। वचन देकर पीछे हट रहे हैं। यह वर्ताव कुल के विनाश का सूचक है।’ अगर आप राम को मेरे साथ नहीं जाने देंगे तो मैं खाली हाथ लौट जाऊँगा। राजा दशरथ यही कहते रहे कि मैं राम के बिना नहीं रह सकता। बात बिगड़ती देखकर मुनि वशिष्ठ आगे आए। उन्होंने राजा दशरथ को समझाया। महर्षि विश्वामित्र के साथ रहने पर राजकुमार राम को होने वाले लाभ के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आप राम को विश्वामित्र के साथ जाने दें। महर्षि विश्वामित्र सिद्ध पुरुष हैं। उन्हें अनेक गुप्त विद्याओं की जानकारी है। राम उनसे अनेक नई विद्याएँ सीख सकेंगे। अंत में राजा दशरथ ने मुनि वशिष्ठ की बात को दुखी मन से स्वीकार कर लिया, लेकिन वे राम को अकेले. नहीं भेजना चाहते थे। अत: लक्ष्मण को भी राम के साथ भेज दिया। राम-लक्ष्मण को दरबार में बुलाया गया। इसके अलावा वन जाने की सूचना माता कौशल्या को भी दी गई। दोनों भाइयों ने खुशी-खुशी निर्णय स्वीकार किया। शंखध्वनि हुई और नगाड़े बजे। महाराज दशरथ ने भावुक होकर दोनों पुत्रों का मस्तक सूंघकर उन्हें महर्षि को सौंप दिया। दोनों राजकुमार अपने पीठ पर तुणीर बाँधे कमर में तलवार लटकाए महर्षि के साथ चल पड़े। विश्वामित्र आगे-आगे चल रहे थे। राम-लक्ष्मण उनके पीछे। लक्ष्मण, राम से दो कदम पीछे चल रहे थे।

शब्दार्थ:

पृष्ठ संख्या 1
दर्शनीय – देखने योग्य। भव्य – शानदार। इमारत – भवन। लबालब – पूरा भरा हुआ। संपन्न – खुशहाल। विपन्नता – गरीबी, दरिद्रता। अनुमति – आज्ञा। विलक्षण – विचित्र। योद्धा – युद्ध में निपुण। उत्तराधिकारी – वारिस। मर्यादा – नियम। सदाचारी – अच्छे आचरण वाला। यशस्वी – प्रसिद्ध । आयु – उम्र।

पृष्ठ संख्या 3
सलाह – राय। पुत्रेष्टि यज्ञ – पुत्र प्राप्ति हेतु यज्ञ। तमाम – सारे। मंत्रोच्चार – मंत्रों का उच्चारण। मंगलगीत – बधाई के गीत। मनोकामना – मन की इच्छा। समारोह – जलसा, आयोजन। आयोजित करना – प्रबंध करना, मनाना। सम्मान – आदर। सुदर्शन – देखने में सुंदर। दक्ष – चतुर। अर्जित किया – प्राप्त किया। कुशाग्र – तेज। पारंगत – चतुर, कुशल, दक्ष। सर्वोपरि सबसे ऊपर। विवेक – अच्छे बुरे की पहचान। शालीनता – अच्छे चाल चलन एवं व्यवहार वाला होना। न्यायप्रियता – न्यायपूर्ण कार्य करने के लिए प्रसिद्ध।

पृष्ठ संख्या 4
परिजन – रिश्तेदार। गहन मंत्रणा – गंभीर सोच-विचार। तत्काल – उसी समय। अगवानी करना – स्वागत करना। हिचक – संकोच। सिद्धि – किसी कार्य में विशेष सफलता प्राप्त करना। अनुष्ठान – धार्मिक कार्य। बिजली गिरना – अचानक विपत्ति आना। अचकचाना – घबरा जाना। दुविधा – असमंजस। अशंका – भय डर। सन्नाटा – चुप्पी। संज्ञाशून्य – बेहाश।

पृष्ठ संख्या 5
सशंकित – शंका। अनिष्ट – हानि। मायावी – छल-कपट। प्रतिक्रिया – बदले की क्रिया। व्यक्त – प्रकट। खंडित – भंग। संहार – नाश। शक्ति – ताकत। खिन्न – दुखी, परेशान। तर्क बहस।

पृष्ठ संख्या 6
स्वीकार – मंजूर। आग्रह – निवेदन। स्वस्तिवाचन – ईश वंदना से मंगल वचन। बीहड़ – घना, उबड़ खाबड़। तुणीर – तरकश।

दशरथ का राम से क्या संबंध है?

दशरथ, वाल्मीकि रामायण के अनुसार अयोध्या के रघुवंशी राजा थे। वे राजा अज व इन्वदुमतीके के पुत्र थेे तथा इक्ष्वाकु कुल मे जन्मे थे। वे श्रीराम के पिता थे।

राजा दशरथ राम को ही राजा क्यों बनाना चाहते थे?

राजा दशरथ बूढ़े हो चले थे। उन्होंने राम को साम्राज्य के काम-काज में शामिल करना शुरू कर दिया था। राम इस जिम्मेदारी को अच्छी तरह निभा रहे थे। प्रजा भी उन्हें चाहती थी इसलिए राजा दशरथ राम का राज्याभिषेक करना चाहते थे

राम जन्म से पहले दशरथ की उम्र कितनी थी?

कहा जाता है कि राम के जन्म के समय उनके पिता दशरथ की आयु साठ हजार साल थी. Ramayana: अयोध्या के राजा दशरथ 12-16 की आयु में ही शब्दभेदी बाण चलाने में पारंगत हो गए थे. इसकी पूरे राज्य में खूब तारीफ होती थी. इसके घमंड में आकर वो रोज शिकार खेलते थे.

राजा दशरथ के मन में क्या दुख था?

उत्तर: राजा दशरथ को निस्संतान होने का दुख था। संतान की कमी उन्हें हमेशा बहुत सताती थी।