हिसारमें केंद्रीय भेड़ प्रजनन फार्म की स्थापना वर्ष 1968-70 में की गई थी। यह फार्म पर उस समय आस्ट्रेलियन सरकार की सहयोग से स्थापित किया गया था। उस समय हरियाणा सरकार ने फार्म को एक रुपए की लीज पर लगभग 6484 एकड़ जमीन दी थी। परंतु 1997 में प्रदेश सरकार ने फार्म से 4028 एकड़ जमीन वापस ले ली। फार्म के पास अब केवल 2456 एकड़ जमीन की बची है। फार्म ने भेड़ बकरियों की नई नस्ल और उन्हें बचाने के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
राजस्थान के प्रमुख पशु एवं उनकी नस्लें
- भारत में प्रथम पशुगणना 1919 में आयोजित की गई। तब राज्य की कुछ रियासतों ने भी पशुगणना करवाई।
- राजस्थान में कुल पशु – 5.77 करोड़
- सबसे ज्यादा पशुधन -बाडमेर
- सबसे कम पशुधन- धौलपुर
- वर्ष 2012 की पशु गणना के अनुसार राज्य में पशु घनत्व 169 है।
- वर्ष 2012 की पशु गणना में सर्वाधिक पशुघनत्व – डूंगरपुर
- वर्ष 2012 की पशु गणना में न्यूनतम पशुघनत्व -जैसलमेर
पशु
कुल पशु
सर्वाधिक
न्यूनतम
बकरी216 लाखबाडमेरधौलपुरगाय133 लाखउदयपुरधौलपुरभैंस129 लाखअलवरजैसलमेरभेड90.79 लाखबाड़मेरधौलपुरघोडे़37776बाडमेरबांसवाडाकुक्कुट80.24 लाखअजमेरधौलपुरगधे-खच्चर81 हजारबाडमेरटोंकऊंट3.25 लाखबाडमेरधौलपुरसूअर2.37 लाखभरतपुरबांसवाडाभारत में राजस्थान दुग्ध उत्पादन 12 प्रतिशत के साथ दुसरे स्थान पर है।
पशुपालन व पशुपालन प्रसंस्करण से लगभग 9 से 10 प्रतिशत राजस्व की प्राप्ति होती है।
भारत की कुल पशु सम्पदा का 10 प्रतिशत भाग राजस्थान का है।
गोवंश:-
राजस्थान में सर्वाधिक गोवंश उदयपुर में पाया जाता है।
नस्लें:-
1. नागौरी:- इसका उत्पति स्थल सुहालक प्रदेश नागौर है।
इस नस्ल की गाय के बैल मजबूत कद-काठी के लिए पूरे देशभर में प्रसिद्ध है।
2. थार पारकर:- इसका उत्पति स्थल मालानी प्रदेश बाड़मेर है।
यह अधिक दूध के लिए प्रसिद्ध नस्ल है।
3. राठी:- यह लाल सिंधी एवं साहीवाल की मिश्रित नस्ल है। राजस्थान के उत्तर-पष्चिमी भागों में पायी जाती है। यह भी गायों की श्रेणी में अधिक दूध के लिए प्रसिद्व नस्ल है।
4. गिर:- यह मूलतः गुजरात के गिरिवन का पशु है। इसे राजस्थान मे रैण्डा कहा जाता है। तथा अजमेर मे इसे अजमेरा कहा जाता है। यह गायों की द्विप्रयोजनीय नस्ल है।
5. कॉकरेज:- यह राजस्थान के दक्षिण-पष्चिमी भाग में पायी जाती है। यह भी गायों की द्विप्रयोजनीय नस्ल है।
6. हरियाणवी:- राजस्थान के उत्तर-पूर्वी भागों में पायी जाती है इस नस्ल की गाय के मस्तिष्क मध्य की हड्डी उठी हुई होती है।
अन्य नस्लें:- सांचौरी, मेवाती, मालवी आदि।
भैंस:-
राजस्थान में सर्वाधिक भैंसे अलवर में पायी जाती है। द्वितीय स्थान पर जयपुर है। राजस्थान की मुर्रा नस्ल की भैंस पूरे देशभर में प्रसिद्ध है।
इसके अतिरिक्त राजस्थान में भैंसो की 4 अन्य नस्लें पायी जाती है।
मुरादाबादी, जाफराबादी, नागुपुरी एवं भदावरी।
वल्लभ नगर उदयपुर में भैंस अनुसंधान एवं प्रजनन केन्द्र स्थापित किया गया है।
कुम्हेर भरतपुर में मुर्रा नस्ल की भैंस का प्रजनन केन्द्र स्थापित किया गया।
भेड़:-
भारत में भेड़ो की दृष्टि से राजस्थान प्रथम स्थान पर है।
राजस्थान में सर्वाधिक भेड़े बाड़मेर में पायी जाती है।
नस्लें:-
1. जैसलमेरी:- भेड़ की यह नस्ल सबसे लम्बी तथा सर्वाधिक उन देने वाली नस्ल है।
2. मारवाड़ी:- राजस्थान की कुल भेड़ो में लगभग 50 प्रतिशत मारवाड़ी नस्ल की भेड़े है। इस नस्ल की भेड़ लम्बी दूरी तय कर सकती है तथा शीघ्र पीड़ित नही होती है।
3. चोकला:- इसे शेखावाटी भी कहा जाता है। इसे भारत की मेरीनो भी कहा जाता है। यह राजस्थान में सबसे उत्तम किस्म की उन देने वाली भेड़ की नस्ल है।
4. सोनाड़ी:- इसे चनोथर भी कहा जाता है। यह भेड़ों की द्विप्रयोजनीय नस्ल है।
5. खैरी:- यह घुमक्कड़ रेवड़ों मे पायी जाती है इसकी उन एकदम सफेद होती है।
अन्य नस्लें:- पूॅंगल-बीकानेर, मगरा-जैसलमेर, नाली-गंगानगर व हनुमानगढ़, बागड़ी-अलवर, मालपुरी-टोंक।
अंबिकानगर टोंक मालपुरा में केन्द्रीय भेड़ अनुसंधान एवं प्रजनन केन्द्र स्थापित किया गया है।
बकरियॉं:-
इसे गरीब की गाय कहा जाता है। राजस्थान की कुल पशु सम्पदा में सर्वाधिक संख्या बकरियों की है राजस्थान में सर्वाधिक बकरियॉं बाड़मेर में पायी जाती है राजस्थान मे मुख्य रूप से बकरियों की 6 नस्लें पायी जाती है
जमनापुरी, बड़वारी, सिरोही, अलवरी, लोही एवं झरवाड़ी
जमनापुरी बकरियों की बहुप्रयोजनीय नस्ल है।
लोही एवं झरवाड़ी माँस के लिए प्रसिद्ध नस्लें है।
राजस्थान में बकरियों की सबसे प्राचीन नस्ल मारवाड़ी है।
रामसर अजमेर में बकरी विकास एवं चारा उत्पादन केन्द्र स्थापित किया गया है।
अंबिकानगर टोंक मालपुरा में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान एवं प्रजनन केन्द्र स्थापित किया गया है।
ऊँट:-
उॅंटों की दृष्टि से राजस्थान भारत में एकाधिकारी है।
राजस्थान में सर्वाधिक उॅंट बाड़मेंर में पाये जाते है।
जैसलमेर जिले मे स्थित नाचना का उॅंट सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
राजस्थान में इसके अतिरिक्त उॅंटों की चार अन्य नस्लें प्रसिद्ध है।
जैसलमेरी, बीकानेरी, अलवरी, कच्छी
जोहड़बीर बीकानेर में केन्द्रीय उॅंट अनुसंधान एवं प्रजनन केन्द्र स्थापित किया गया है।
सर्वोच्य न्यायालय ने सन् 2000 में अपने एक निर्णय में उॅंटनी के दूध को मानव प्रयोग के लिए श्रेष्ठ बताया।
घोड़े एवं गधे:-
राजस्थान के मालानी नस्ल के घोड़े पूरे देशभर में प्रसिद्ध है।
राजस्थान में घोड़े झालावाड़, राजसमन्द, उदयपुर, पाली एवं बाड़मेर में पाये जाते है।
जोहड़बीर बीकानेर में केन्द्रीय अश्व अनुसंधान एवं प्रजनन केन्द्र स्थापित किया गया है।
राजस्थान में सर्वाधिक गधे बाड़मेर में पाये जाते है।
पशु प्रजनन केन्द्र
- केन्द्रीय भेड़ प्रजनन केन्द्र – अविकानगर, टोंक।
- केन्द्रीय बकरी अनुसंधान केन्द्र – अविकानगर,टोंक।
- बकरी विकास एवं चारा उत्पादन केन्द्र – रामसर, अजमेर।
- केन्द्रीय ऊंट प्रजनन केन्द्र – जोहड़बीड़, बीकानेर(1984 में)।
- भैंस प्रजनन केन्द्र – वल्लभनगर, उदयपुर।
- केन्द्रीय अश्व प्रजनन केन्द्र –
- विलड़ा – जोधपुर
- जोहड़बिड़ – बीकानेर।
- सुअर फार्म – अलवर।
- पोल्ट्री फार्म – जयपुर।
- कुक्कड़ शाला – अजमेर।
- गाय भैंस का कृत्रिम गर्भाधारण केन्द्र(फ्रोजन सिमन बैंक)
- बस्सी, जयपुर
- मण्डौर, जोधपुर
- राज्य भेड़ प्रजनन केन्द्र – चित्तौड़गढ़, जयपुर, फतेहपुर(सीकर), बांकलिया(नागौर)
- राज्य गौवंश प्रजनन केन्द्र – बस्सी(जयपुर), कुम्हेर(भरतपुर), डग(झालावाड़), नोहर(हनुमानगढ़), चांदन(जैसलमेर), नागौर।
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