राष्ट्रमंडल खेलों में कितने देश भाग लेते हैं 2022? - raashtramandal khelon mein kitane desh bhaag lete hain 2022?

CWG 2022 Day 10 Updates: राष्ट्रमंडल खेलों के 10वें दिन भारतीय खिलाड़ियां का शानदार प्रदर्शन जारी रहा और टीम इंडिया मेडल टैली में चौथे स्थान पर पहुंच गई। भारत ने अब तक कुल 49 मेडल हासिल किये हैं, जिनमें 17 गोल्ड, 13 सिल्वर और 19 ब्रॉन्ज शामिल हैं। आपको बता दें कि इंग्लैंड के बर्मिंघम शहर में 28 जुलाई से शुरू हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की ओर से 322 सदस्यों का दल भेजा गया है। भारतीय टीम ने इस बार शानदार प्रदर्शन किया है। बॉक्सिंग में भारत ने तीन गोल्ड मेडल हासिल किये तो ट्रिपल जंप और जेवलिन थ्रो (महिला वर्ग) में पहली बार पदक जीते।

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As Indian athletes show impeccably remarkable performance in #CommonwealthGames2022, India is among the top 5 countries at 4th position in the medal tally with a total of 48 medals so far including 17 gold, 12 silver and 19 bronze pic.twitter.com/QmHlfBbQIo

— ANI (@ANI) August 7, 2022

भारत का प्रदर्शन

इस साल कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है। इससे पहले मैनचेस्टर में साल 2002 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत पहली बार सबसे ज्यादा पदक जीतने वाले टॉप-5 देशों में शामिल हुआ था। 2002 और 2006 में भारत चौथे नंबर पर रहा था। 2018 गोल्ड कोस्ट में भारत ने और बेहतर प्रदर्शन करते हुए तीसरा स्थान हासिल किया। वहीं नई दिल्ली में साल 2010 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने कुल 101 पदक जीते थे। भारत पदक तालिका में पहली बार दूसरे स्थान पर रहा था और यह भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।

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कॉमनवेल्थ गेम्स का इतिहास

कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games) का पहला आयोजन कनाडा के हैमिल्टन में साल 1930 में हुआ था. तब इसे ब्रिटिश एम्पायर गेम्स के नाम से शुरू किया गया था। इस पहले कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत (India) ने हिस्सा नहीं लिया था। भारत ने पहली बार साल 1934 में इन खेलों में भागीदारी की। तब से लेकर अब तक भारत हर बार खेलों के इस महाकुंभ में हिस्सा लेता आया है। भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स के अपने 88 साल के इतिहास में अब तक कुल 503 मेडल जीते हैं।

बर्मिंघम में 22वें Commonwealth Games खेले जा रहे हैं. इन खेलों में 72 देशों की 72 टीमें 1800 से ज्यादा मेडल के लिए मैदान में हैं. किस टीम को कितने मेडल मिले और मेडल टैली में भारत की स्थिति क्या है, यहां जानें. Birmingham 2022 Commonwealth Games में भारत ने शरथ कमल, पीवी सिंधु, लक्ष्य सेन, मीरा बाई चानू, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, दीपक पूनिया और जेरेमी लालरिनुंगा के गोल्ड सहित कुल 55 मेडल जीते हैं. जानिए सबसे आगे कौन; किस नंबर पर है भारत?

राष्ट्रमंडल खेलों में कितने देश भाग लेते हैं 2022? - raashtramandal khelon mein kitane desh bhaag lete hain 2022?

बर्मिंघम में 22वें राष्ट्रमंडल खेल (Birmingham 2022 Commonwealth Games) खेले जा रहे हैं. 1934 में लंदन और 2002 में मैनचेस्टर के बाद तीसरी बार इंग्लैंड में कॉमनवेल्थ गेम्स खेले जा रहे हैं. भारत में भी एक बार साल 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजित हो चुके हैं और कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में भारत ने सबसे बेहतर प्रदर्शन साल 2010 में ही किया था. दिल्ली में आयोजित हुए 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स (Delhi Commonwealth Games) में भारत ने 39 गोल्ड मेडल जीते थे. गोल्ड के अलावा भारत की झोली में 26 सिल्वर और 36 ब्रॉन्ज मेडल सहित कुल 101 मेडल आए थे. इस बार बर्मिंघम में खेले जा रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में भी भारतीय खिलाड़ियों से बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद है. हालांकि, इस बार शूटिंग इसमें शामिल नहीं है, जबकि महिला टी20 क्रिकेट को कॉमनवेल्थ गेम्स में जगह दी गई है.

बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स (Birmingham Commonwealth Games) में 72 देश भाग ले रहे हैं. इस दौरान यह टीमें 19 अलग-अलग तरह के खेलों में मेडल के लिए भिड़ रही हैं. इस बार इन 72 देशों के खिलाड़ी 1800 से ज्यादा मेडल के लिए बर्मिंघम में जुटे हैं. महिला टी20 क्रिकेट, 3X3 बास्केटबॉल और 3×3 व्हील चेयर बास्केटबॉल के रूप में यहां तीन नए खेलों को जगह दी गई है. इस बार किस टीम को कितने मेडल मिले और भारत मेडल टैली में किस नंबर पर है जानने के लिए नीचे टेबल को देखें.

Commonwealth Games 2022 Medals Tally (Birmingham 2022)

रैंकदेशगोल्ड मेडलसिल्वर मेडलब्रॉन्ज मेडलकुल मेडल4भारत221623611ऑस्ट्रेलिया6757541782इंग्लैंड5766531763कनाडा263234925न्यूजीलैंड201217496स्‍कॉटलैंड13112751

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पहला राष्ट्रमंडल खेल 1930 में कनाडा के शहर हैमिलटन में हुआ था. इसमें 11 देशों के लगभग 400 खिलाड़ियों ने भाग लिया था जिन्होंने छह खेलों की 59 प्रतियोगिताओं में अपना दमख़म दिखाया था.

सन 1930 के बाद से हर चार साल बाद इसका आयोजन होता रहा लेकिन द्वितीय विश्व-युद्ध के कारण 1942 और 1946 में इसका आयोजन नहीं हो सका.

अपने ज़माने में धावकों में काफ़ी महत्व रखेने वाले बॉबी रॉबिन्सन की कोशिशों के नतीजे में राष्ट्रमंडल खेलों की शुरूआत हुई थी.

बीसवीं शताब्दी की शुरूआत से ही दोस्ताना माहौल में खेली जाने वाली प्रतियोगिता की बात चल रही थी लेकिन यह ख़्वाब उस वक़्त पूरा हुआ जब कनाडा के शहर हैमिलटन ने इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले देशों के खिलाड़ियों की यात्रा के ख़र्च के लिए 30,000 डॉलर दिए.

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आई बाधा के बाद वर्ष 1950 में राष्ट्रमंडल खेल फिर शुरू किए गए. 1930 से 1950 तक इसे कॉमनवेल्थ यानी राष्ट्रमंडल खेलों के बजाए ब्रिटिश एम्पायर गेम्स यानी ब्रितानी साम्राज्य खेल कहा जाता था.

इसी प्रकार 1954 से 1966 तक राष्ट्रमंडल खेलों को ब्रितानी साम्राज्य और राष्ट्रमंडल खेल कहा गया और 1970 और 1974 में इसका नाम ब्रितानी राष्ट्रमंडल खेल रहा.

सन 1978 में जाकर कहीं इस रंगारंग खेल प्रतियोगिता का नाम राष्ट्रमंडल खेल पड़ा और तब से आज तक यह इसी नाम से आयोजित हो रहा है.

राष्ट्रमंडल खेलों की ख़ास बात ये रही है कि उसने शुरू से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले जाने वाले दोस्ताना खेल करवाना का दावा किया है.

शुरू में इसमें सिर्फ़ एकल मुक़ाबले होते थे और ये सिलसिला 1930 से लेकर 1994 के विक्टोरिया में हुए खेल तक जारी रहा.

वर्ष 1998 में मलेशिया की राजधानी क्वालालंपुर में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में टीम खेल (team event) को शामिल किया गया. पहली बार 50 ओवरों का क्रिकेट, हॉकी (महिला, पुरुष) नेटबॉल (महिला) और रगबी (पुरुष) को शामिल किया गया.

वर्ष 2006 में पहली बार बस्केटबॉल राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा बना. सन 2002 के मैन्चेस्टर राष्ट्रमंडल खेल में पहली दफ़ा शारीरिक रूप से प्रभावित लोगों के कई खेलों की पूरी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ.

राष्ट्रमंडल स्वतंत्र देशों का संगठन है जो अफ़्रीका से लेकर एशिया और प्रशांत महासागर से लेकर कैरिबियाई साहिलों तक सारे महाद्वीप में फैला हुआ है. इन देशों में बसने वाले दो अरब लोग पूरी दुनिया की आबादी का 30 प्रतिशत हैं और इनका संबंध विभिन्न धर्मों, नस्लों, भाषाओं, संस्कृतियों और परंपराओं से है.

राष्ट्रमंडल खेल अपने आप में अनूठा है और इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल होते हैं.आम तौर पर इसे फ़्रेंडली गेम्स के तौर पर देखा जाता है.राष्ट्रमंडल के हर फ़ैसले के पीछे इसके मूल मंत्र मानवता, समानता और भाग्य शामिल होते हैं जो लोगों को प्रेरित करते हैं.

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पहला राष्ट्रमंडल खेल ब्रिटिश एंपायर गेम्स के नाम से कनाडा के शहर हैमिलटन में 1930 में हुआ.

एथलीट्स विलेज के तौर पर सिविक स्टेडियम के पास स्थित प्रिंस ऑफ़ वेल्स स्कूल का इस्तेमाल किया गया था. एक कक्षा में क़रीब दो दर्जन एथलीटों के सोने का इंतज़ाम था.

हालांकि धावकों को कई बुनियादी सुविधाएं नही मिल पाई थीं लेकिन फिर भी उन्होंने खेलों और हैमिलटन की मेहमान-नवाज़ी की ख़ूब तारीफ़ की.

यह प्रतियोगिता काफ़ी व्यावहारिक और काम-चलाऊ थी.

इस पहली प्रतियोगिता के लिए 11 देशों ने कुल 400 एथलीट्स भेजे. महिलाओं ने सिर्फ़ तैराकी के मुक़ाबलों में हिस्सा लिया था.

इस पहली प्रतियोगिता में भाग लेने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, बरमूडा, ब्रिटिश ग्याना, कनाडा, इंग्लैंड, ऩॉर्थ आयरलैंड, न्यूफ़ाउंड लैंड, न्यूज़ीलैंड, स्कॉटलैंड, दक्षिण अफ़्रीका और वेल्स शामिल थे.

इसमें एथलेटिक्स, मुक्केबाज़ी, लॉन बाउल्स, कश्तीरानी, तैराकी,डाइविंग और कुश्ती के मुक़ाबले हुए थे.इस आयोजन पर कुल 97,973 डॉलर का ख़र्च आया था.

राष्ट्रमंडल खेलों के पहले संस्करण में कुल 165 पदकों के लिए मुक़ाबले हुए जिसमें इंग्लैंड को 25 स्वर्ण समेत कुल 61 पदक मिले, जबकि मेज़बान कनाडा को 20 स्वर्ण के साथ कुल 54 पदक मिले.

ऑस्ट्रेलिया को तीन स्वर्ण के साथ सिर्फ़ आठ पदक मिले थे.दो मील के स्टीपलचेज़ को 9:52.0 (मिनट) में पूरा कर इंग्लैंड के जॉर्ज विलियम बेली ने विश्व रिकॉर्ड बनाया था.

अगर इंग्लैंड ने लॉन बाउल्स के तीनों मुक़ाबलों के स्वर्ण पदक पर क़ब्ज़ा जमाया तो कुश्ती के सातों स्वर्ण पदक कनाडा ने जीते.

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दूसरा राष्ट्रमंडल खेल यानी ब्रिटिश एंपायर गेम्स प्रोग्राम के मुताबिक़ 1934 में हुआ. लेकिन यह दक्षिण अफ़्रीका के बजाए इंग्लैंड में आयोजित किया गया.

इसका कारण दक्षिण अफ़्रीका की रंगभेद नीति थी जिसका प्रभाव इसमें भाग लेने वाले एथलीटों पर पड़ सकता था.

इस संस्करण में 11 के बजाए 16 देशों ने भाग लिया. नए देशों में भारत भी शामिल था. कुल 500 एथलीट्स ने इसमें हिस्सा लिया.

पुराने 11 देशों के अलावा इसमें हॉंगकॉंग, जमैका, भारत, ज़िम्बॉबवे (रोडेशिया) और त्रिनिदाद ने भाग लिया.

इसमें छह खेल- एथलेटिक्स, मुक्केबाज़ी, साइकलिंग, लॉन बाउल्स, तैराकी,डाइविंग और कुश्ती के मुक़ाबले हुए.

इसमें न्यूफ़ाउंड लैंड ने आख़री बार एक अलग राज्य के तौर पर भाग लिया था.

सन 1934 का खेल कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा. एक तो इसमें पहली बार महिला एथलीट्स को मौक़ा दिया गया और उनके लिए ज़्यादा थकाने वाले मुक़ाबले से परहेज़ किया गया.

इंग्लैंड की एथलेटिक्स टीम के कप्तान आर. एल हॉलैंड ने धावकों की ओर से शपथ ली जो इस प्रकार थी.

"हम घोषणा करते हैं कि हम महामहिम राजा शासक की वफ़ादार प्रजा हैं और हम एक सच्चे खिलाड़ी की भावना से ब्रिटिश एंपायर गेम्स में हिस्सा लेंगे और हम साम्राज्य और खेल की शान को क़ायम रखने के लिए इसके नियमों का पालन करेंगे."

इंग्लैंड ने 29 स्वर्ण के साथ कुल 73 पदक जीते. कनाडा को 17 स्वर्ण के साथ 51 पदक मिले, ऑस्ट्रेलिया को आठ स्वर्ण के सात कुल 14 पदक मिले तो दक्षिण अफ़्रीका ने सात स्वर्ण के साथ 22 और स्कॉटलैंड ने पांच स्वर्ण के सात 26 पदक जीते.

भारत को एक मात्र कांस्य पदक कुश्ती में मिला. पुरुष के 74 किलो ग्राम वर्ग वाले मुक़ाबले में राशिद अनवर ने भारत के लिए खाता खोला.

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ब्रिटिश एंपायर गेम्स का तीसरा संस्करण 1938 में ऑस्ट्रेलिया के शहर सिडनी में हुआ.

ऑस्ट्रेलिया के मशहूर सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में इसका उदघाटन समारोह हुआ. 40,000 दर्शकों की भारी संख्या ने इसका आनंद लिया.

इस दक्षिणी गोलार्ध के लोग ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड से बेहतर प्रदर्शन की आशा कर रहे थे और ख़ास तौर से इंग्लैंड के विरुद्ध बेहतर प्रदर्शन के ख़्वाहिशमंद थे.

इसमें कुल 15 देशों के 464 एथलीट्स और 43 अधिकारियों ने हिस्सा लिया. नए देश के तौर पर फ़ीजी और सीलोन यानी श्रीलंका ने पहली बार इसमें हिस्सा लिया.

सिडनी गेम्स में सात प्रकार के खेलों के मुक़ाबले हुए-एथलेटिक्स, मुक्केबाज़ी, साइकलिंग, लॉन बाउल्स, कश्तीरानी, तैराकी,डाइविंग और कुश्ती.

ऑस्ट्रेलिया के धावक उम्मीदों पर खरे उतरे और 71 स्वर्ण पदकों में से उन्होंने 25 पर क़ब्ज़ा जमाया. इस मुक़ाबले में इंग्लैंड को सिर्फ़ 15 स्वर्ण पदक से ही संतोष करना पड़ा.

ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को रजत और कांस्य पदकों की तालिका में भी पीछे छोड़ दिया. कुल पदकों की तालिका में ऑस्ट्रेलिया 66 पदकों के साथ पहले, कनाडा, 44 पदकों के साथ दूसरे और इंग्लैंड 40 पदकों के साथ तीसरे स्थान पर रहा.

न्यूज़ीलैंड ने पांच स्वर्ण के साथ कुल 25 पदक जीते जबकि दक्षिण अफ़्रीका ने 10 स्वर्ण के साथ 26 पदक जीते.

इस बार इंडिया को कोई पदक नहीं मिल सका. बरमूडा इस बार भी अपना खाता खोलने में विफल रहा. फ़ीजी और त्रिनिदाद एंड टोबैगो को भी कोई पदक नहीं मिला.

पहली बार शामिल होने वाले देश श्रीलंका ने 57 किलो ग्राम वर्ग मुक्केबाज़ी मुक़ाबले में स्वर्ण पदक हासिल किया.

कुश्ती के मुक़ाबलों में ऑस्ट्रेलियाई पहलवानों ने कुल छह स्वर्ण पदक जीते.

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दूसरे विश्व युद्ध के कारण 1942 और 1946 के ब्रिटिश एंपायर गेम्स का आयोजन नहीं हो सका लेकिन ब्रितानी साम्राज्य में इन खेलों के प्रति उत्साह में कमी नहीं आ सकी.

ब्रितानी साम्राज्य के चौथे संस्करण का आयोजन 1950 में ऑक्लैंड में हुआ. ऑकलैंड न्यूज़ीलैंड का सबसे बड़ा शहर था और न्यूज़ीलैंड पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आकर्षण का केंद्र बना.

एडेन पार्क में 40,000 लोगों ने उदघाटन समारोह देखा जबकि कुल दो लाख 50 हज़ार लोगों ने ऑकलैंड में आयोजित मुक़ाबलों को देखा.

आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक़ इसका उदघाटन इतना शानदार था कि प्राचीन यूनान और ऐथेंस भी उसके सामने फीका था. इसमें 12 देशों के 590 एथलीट्स ने भाग लिया. ताज़ा-ताज़ा आज़ादी हासिल करने वाले देश मलेशिया और नाइजीरिया इसमें पहली बार शामिल हुए.

ऑक्लैंड गेम्स में एथलेटिक्स, मुक्केबाज़ी, साइकिलिंग, लॉन बाउल्स, कश्तीरानी, तैराकी, डाइविंग और कुश्ती के अलावा तलवारबाज़ी और

भारोत्तोलन को भी शामिल किया गया.

ऑकलैंड में हुए राष्ट्रमंडल खेल में भी ऑस्ट्रेलिया का दबदबा रहा और इसके एथलीट्स ने 34 स्वर्ण के साथ कुल 80 पदक हासिल किए.

न्यूज़ीलैंड हालांकि स्वर्ण पदकों की तालिका में 10 स्वर्ण के साथ तीसरे नंबर पर रहा लेकिन वह कुल पदकों की संख्या में इंग्लैंड के 48 के मुक़ाबले 54 पदक जीतने में सफल रहा.

इस संस्करण में भारत ने भाग नहीं लिया. इस बार ऐसा कोई देश नहीं था जिसने कोई न कोई पदक हासिल न किया हो. कनाडा को आठ स्वर्ण के साथ कुल 30 पदक मिले.

पहली बार शामिल किए गए तलवारबाज़ी के मुक़ाबलों में इंग्लैंड ने सात में से छह स्वर्ण पदक जीते.

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वर्ष 1954 में एक बार फिर कनाडा को राष्ट्रमंडल खेल के आयोजन का मौक़ा मिला.

लेकिन सन 1954 के राष्ट्रमंडल संस्करण की मेज़बानी हैमिलटन के बजाए वैंकूवर शहर ने की. शहर के मेयर और सामाजिक ग्रुप के नेताओं के सूत्रधार चार्ल्स ई थॉम्पसन की कोशिशों के नतीजे में वैंकुवर को यह मौक़ा मिला था.

वैंकूवर ने खेल के आयोजन के साथ प्रदर्शन का भी नया माप-दंड बनाया. इसबार ब्रिटिश एंपायर गेम्स से बदल कर इसका नाम ब्रिटिश एंपायर एंड कॉमनवेल्थ गेम्स नाम दिया गया.

कनाडा टीम के बिल पार्नेल ने एथलीट्स की ओर से शपथ ली जिसमें ज़ोर ब्रितानी साम्राज्य के बाहर राष्ट्रमंडल देशों पर भी दिखा. इसने जहां वैंकूवर को दुनिया के सामने आने का मौक़ा दिया वहीं यहां यादगार खेल के पल देखे गए.

ज़बरदस्त मनोरंजन के साथ साथ तकनीकी स्तर पर भी इसमें काफ़ी उपलब्धि देखी गई. सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए.

पहली बार सारी दुनिया में टेलीविज़न के ज़रिए इस खेल का प्रसारण हुआ और लोगों ने मिरैकिल माइल में इंग्लैंड के स्वर्ण पदक विजेता रॉजर बैनिसटर और ऑस्ट्रेलिया के जॉन लैंडी को देखा.

वैंकूवर में कुल 24 देशों के 662 एथलीट्स ने हिस्सा लिया. इन 24 देशों ने इनके साथ 127 अधिकारी भी भेजे थे.

कुल नौ खेलों एथलेटिक्स, मुक्केबाज़ी, साइकिलिंग, लॉन बाउल्स, कश्तीरानी (रोइंग), तैराकी, डाइविंग, भारोत्तोलन और कुश्ती.

आज़ादी हासिल करने के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों देशों ने इसमें हिस्सा लिया था. बहामास और बारबाडोस के आलावा घाना, कीनिया, और यूगांडा पहली बार शामिल हुए थे.

कुल 92 स्वर्ण पदकों के इस मुक़ाबले में इंग्लैंड अपना वर्चस्व बनाने में सफल रहा. उसने 23 स्वर्ण पदक के साथ कुल 67 पदक जीते जबकि ऑस्ट्रेलिया ने 20 स्वर्ण पदक के साथ कुल 48 पदक जीते.

दक्षिण अफ़्रीका ने 16 स्वर्ण के साथ 35 पदक जीते जबकि कनाडा को 9 स्वर्ण के साथ 43 पदक मिले. साइकलिंग के 100 किलोमीटर मुक़ाबले में इंग्लैंड के ई.जी थॉमसन ने रिकॉर्ड स्थापित किया.

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छठा संस्करण ब्रितानी साम्राज्य और राष्ट्रमंडल खेल के नाम से वेल्स में हुआ.

वेल्स के शहर कार्डिफ़ को राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन के लिए 12 साल इंतज़ार करना पड़ा था.1946 में वहां राष्ट्रमंडल खेल का आयोजन होना था जो दूसरे विश्व-युद्ध के कारण नहीं हो सका था.

कार्डिफ़ खेल दक्षिण अफ़्रीका के लिए काफ़ी समय तक अंतिम आयोजन साबित हुआ क्योंकि नस्ल-भेद के ख़ात्मे के बाद ही 1994 में उसकी वापसी हो सकी.

कार्डिफ़ में दक्षिण अफ़्रीका को लेकर काफ़ी टिप्पणी हुई थी क्योंकि आरोप लगे थे कि उसने धावकों का चयन क्षमता के बजाए रंग और नस्ल की बुनियाद पर किया था. इसके बाद दक्षिण अफ़्रीका ने 1961 में राष्ट्रमंडल से तीस साल के लिए अपने आपको हटा लिया.

वेल्स में हुए खेलों में 35 देशों के 1122 एथलीट्स के साथ 228 अधिकारियों ने भाग लिया, इनमें से 23 देशों और अधीन राज्यों ने पदक जीता. सिंगापुर, घाना, कीनिया और मन द्वीप ने पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेते हुए पदक जीते.

इसमें नौ खेलों के विभिन्न श्रेणियों के लिए मुक़ाबले हुए जिनमें एथलेटिक्स, मुक्केबाज़ी, साइकलिंग, तलवारबाज़ी, लॉन बाउल्स, कश्तीरानी, तैराकी और डाइविंग, भारोत्तोलन और कुश्ती शामिल थे.

इंग्लैंड एक बार फिर अपना लोहा मनवाने में कामयाब रहा. उसने 29 स्वर्ण पदक के साथ कुल 80 पदक जीते. स्वर्ण पदक की दौड़ में ऑस्ट्रेलिया भी कुछ पीछे नहीं रहा और उसने 27 स्वर्ण के साथ कुल 66 पदक जीते.

दक्षिण अफ़्रीका ने 13 स्वर्ण के साथ कुल 31 पदक जीते जबकि कनाडा को स्वर्ण तो एक ही मिल सका लेकिन उसके कुल पदकों की संख्या 27 रही.

भारत ने पहली बार स्वर्ण पदक हासिल किया. मिल्खा सिंह ने 440 गज़ की दौड़ में रिकॉर्ड बनाया तो 100 किलोग्राम वर्ग के कुश्ती मुक़ाबलों में लीला राम ने स्वर्ण पदक जीता.

कुश्ती में ही लक्ष्मीकांत पांडे ने रजत पदक जीता. वह 74 किलोग्राम वर्ग में थे. वहीं पाकिस्तान ने तीन स्वर्ण के साथ कुल 10 पदक जीते.

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राष्ट्रमंडल खेलों के सातवें संस्करण को गर्मी, गर्द और गौरव के लिए याद किया जाता है. इसका आयोजन ऑस्ट्रेलिया के शहर पर्थ में हुआ. लोगों का ख़्याल था कि मौसम सुहाना होगा -करीब 26 डिग्री लेकिन जिस दिन खेल शुरू हुआ गर्मी 40 डिग्री पार कर रही थी.

पूरे आयोजन के दौरान तापमान इसी तरह आसमान छूता रहा. पिछले 65 वर्षों में पर्थ में सिर्फ़ 10 दिन ऐसे देखे गए थे जब तापमान 40 से ऊपर गया हो. ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों को पर्थ में धावकों के लिए पानी लकर दौड़ने के लिए तैनात किया गया.

राष्ट्रमंडल के इस सातवें संस्करण में भी 35 देशों ने भाग लिया लेकिन इस बार एथलीट्स की संख्या कम रही, कुल 863 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया और अधिकारियों की संख्या 178 रही.

इसमें पहली बार जर्सी, ब्रिटिश हौंडुरास, पपुआ न्यू गिनिया, और सेंट लूसिया ने हिस्सा लिया था. जर्सी ने पदक भी जीता.

सबाह, सरावक और मलाया ने अंतिम बार इसमें हिस्सा लिया क्योंकि 1966 के संस्करण में वे सब मलेशिया के झंडे तले थे.

राष्ट्रमंडल के 1962 के संस्करण में भी नौ खेलों की विभिन्न श्रेणियों के लिए मुक़ाबले हुए जिनमें एथलेटिक्स, मुक्केबाज़ी, साइकलिंग, तलवारबाज़ी, लॉन बाउल्स, नौराखेवन (रोइंग), तैराकी और डाइविंग, भारोत्तोलन और कुश्ती शामिल थे.

ऑस्ट्रेलिया ने पदक लेने में सौ का आंकड़ा पार किया और उसने 38 स्वर्ण, 36 रजत और 31 कांस्य पदक जीते.

इंग्लैंड इस बार दूसरे स्थान पर रहा. उसने 29 स्वर्ण के साथ कुल 78 पदक जीते. न्यूज़ीलैंड ने 10 स्वर्ण के साथ कुल 31 पदक जीते लेकिन सबसे हैरत की बात ये रही कि पाकिस्तान को आठ स्वर्ण मिले.

भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों के इस सातवें संस्करण में हिस्सा नहीं लिया था. और दक्षिण अफ़्रीका नस्ल भेद के कारण राष्ट्रमंडल से बाहर था. पर्थ में कई रिकॉर्ड बने. महिला वर्ग की 880 गज़ दौड़ में ऑस्ट्रेलिया की डिक्सी इसाबेल विलिस ने रिकॉर्ड बनाया.

नौकाखेवन (रोइंग) के पुरुष युगल मुक़ाबले में इंग्लैंड का रिकॉर्ड बना.तैराकी के मुक़ाबलों में पांच रिकॉर्ड बने जिनमें से चार ऑस्ट्रेलिया के तैराक ने बनाया तो एक इंग्लैंड के.

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ब्रितानी साम्राज्य औपचारिक रूप से ख़त्म हो चुका था इसलिए राष्ट्रमंडल का ये संस्करण ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेल के नाम से जाना जाता है.

सन 1966 में इसका आयोजन अमरीकी महाद्वीप में जमैका के शहर किंग्सटन में हुआ. बड़े देशों में ये चिंता थी कि जमैका के पास मूलभूत व्यस्था की कमी के कारण इसका सफल आयोजन नहीं हो पाएगा.

लेकिन यह पूरी तरह से ग़लत साबित हुआ. 1950 के बाद से पहली बार इसके खेलों में बदलाव किया गया, जो विवादित भी रहा.

लॉन बाउल्स और नौकाखेवन की जगह इसमें बैडमिंटन और निशानेबाज़ी को शामिल किया गया. सऊदी अरब समेत 34 देशों ने इसमें भाग लिया और किंग्सटन में 1316 धावक और अधिकारियों ने हिस्सा लिया.

इस बार नौ खेल इस प्रकार थे-- एथलेटिक्स, बैडमिंटन, मुक्केबाज़ी, साइकिलिंग, तलवारबाज़ी, निशानेबाज़ी, नौकाखेवन(रोइंग), तैराकी और डाइविंग, भारोत्तोलन और कुश्ती.

जमैका को कोई भी स्वर्ण पदक नहीं मिला लेकिन उसने कुल 12 पदक जीते. किंग्सटन में इंग्लैंड ने 33 स्वर्ण पदक के साथ कुल 80 पदक जीते और वह ऑस्ट्रेलिया से आगे रहा.

कनाडा पिछले संस्करण में नहीं था इसबार वह तीसरे नंबर पर रहा कुल 57 पदक उसकी झोली में आए जिसमें से 14 स्वर्ण, 20 रजत और 23 कांस्य थे.

भारत ने तीन स्वर्ण, चार रजत और तीन कांस्य पदक जीते. भारत के तीनों स्वर्ण पदक कुश्ती में आए. विषंभर सिंह ने 57 किलोग्राम वर्ग में, भीम सिंह ने 100 किलोग्राम वर्ग में तो मुख़्तार सिंह ने 68 किलोग्राम वर्ग में भारत को स्वर्ण दिलाया.

पाकिस्तान को नौ पदक मिले जिनमें चार स्वर्ण थे और सारे कुश्ती में मिले थे. न्यूज़ीलैंड ने आठ स्वर्ण के साथ कुल 26 पदक जीते.

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राष्ट्रमंडल खेलों का नवां संस्करण ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेल के नाम से 1970 में स्कॉटलैंड के शहर एडिनब्रा में आयोजित हुआ.

कई कारणों से एडिनब्रा को याद किया जाता है. इसमें पहली बार मिट्रिक दूरी के लिए इलेक्ट्रॉनिक फ़ोटो-फ़िनिश तकनीक का इस्तेमाल किया गया.

और महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय ने राष्ट्रमंडल के हेड के तौर पर पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में शिरकत की.

समय के साथ देशों की संख्या भी बढ़ी और एथलीट्स की संख्या भी. पहले एडिनब्रा खेल में 42 देशों के 1744 एथलीट्स और अधिकारियों ने हिस्सा लिया.

नए शामिल होने वाले देश तंज़ानिया, मलावी और सेंट विंसेट ने पदक जीते.

इसमें भी नौ खेल की विभिन्न श्रेणियों के लिए मुक़ाबले हुए जिनमें एथलेटिक्स, मुक्केबाज़ी, साइकिलिंग, तलवारबाज़ी, बैडमिंटन, लॉन बाउल्स, तैराकी और डाइविंग, भारोत्तोलन और कुश्ती शामिल थे.

यहां ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को स्वर्ण पदक के मामले में पीछे छोड़ दिया लेकिन पदकों की कुल संख्या इंग्लैंड की ज़्यादा रही.

ऑस्ट्रेलिया को 36 स्वर्ण के साथ कुल 82 पदक मिले जबकि इंग्लैंड को 27 स्वर्ण के साथ कुल 84 पदक मिले.

भारत को कुश्ती के मुक़ाबलों में पांच स्वर्ण मिले और कुल पदकों की संख्या 12 रही.

पुरुष ट्रिपल जम्प, मुक्केबाज़ी और भारोत्तोलन में एक-एक कांस्य मिला. पाकिस्तान को चार स्वर्ण मिले और चारों कुश्ती के विभिन्न मुक़ाबलों में.

कनाडा 18 स्वर्ण के साथ तीसरे स्थान पर रहा तो मेज़बान स्कॉटलैंड ने काफ़ी बेहतर प्रदर्शन किया और छह स्वर्ण के साथ कुल 25 पदक जीते.

एडिनब्रा में हुई इस प्रतियोगिता में कुल पांच नए रिकॉर्ड बने. दो एथलेटिक्स में, एक साइकलिंग में तो दो भारोत्तोलन में.

राष्ट्रमंडल खेल 2022 में कुल कितने देशों ने भाग लिया?

28 जुलाई को शुरू हुए इन खेलों में 72 देशों ने शिरकत की और 283 स्पर्द्धाओं पांच हज़ार से अधिक खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. इस बार के खेलों में 178 मेडल लेकर सबसे ऊपर हैं ऑस्ट्रेलिया है. उसने 67 गोल्ड अपने नाम किए हैं. दूसरे नंबर पर है इंग्लैंड जिसे कुल 176 मेडल मिले हैं जिनमें से 57 गोल्ड हैं.

राष्ट्रमंडल खेल में कुल कितने देश?

राष्ट्रमंडल 54 सदस्य देशों का एक अंतरसरकारी संगठन है। मालदीव राष्ट्रमंडल का 54वां सदस्य देश बन गया है।

राष्ट्रमंडल खेल 2022 में भारत ने कुल कितने पदक जीते?

राष्ट्रमंडल खेल 2022 में भारत ने कुल 61 पदक जीते हैं। इसमें 22 स्वर्ण, 16 रजत और 23 कांस्य पदक शामिल हैं। इससे पहले 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने कुल 66 पदक जीते थे।

राष्ट्रमंडल खेल 2022 कौन सा देश?

Detailed Solution. सही उत्‍तर बर्मिंघम है। 2022 राष्ट्रमंडल खेल (आधिकारिक तौर पर XXII राष्ट्रमंडल खेलों के रूप में जाना जाता है) बर्मिंघम, इंग्लैंड में आयोजित किया जाएगा। 2022 राष्ट्रमंडल खेल लंदन 1934 और मैनचेस्टर 2002 के बाद इंग्लैंड में आयोजित होने वाला तीसरा राष्ट्रमंडल खेल है।