नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो', इस लोकोक्ति के अनुसार नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है। दशहरा पर्व पर इस पक्षी के दर्शन को शुभ और भाग्य को जगाने वाला माना जाता है। जिसके चलते दशहरे के दिन हर व्यक्ति इसी आस में छत पर जाकर आकाश को निहारता है कि उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाएँ। ताकि साल भर उनके यहाँ शुभ कार्य का सिलसिला चलता रहे।
इस विषय पर
ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शर्मा के अनुसार इस दिन नीलकंठ के दर्शन होने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है, और फलदायी एवं शुभ कार्य घर में अनवरत् होते रहते हैं। सुबह से लेकर शाम तक किसी वक्त नीलकंठ दिख जाए तो वह देखने वाले के लिए शुभ होता है।
जीत तो जीत है। इसका जश्न मनाना स्वाभाविक है। फिर चाहे बुराइयों पर अच्छाई की जीत हो या फिर असत्य पर सत्य की। विजय दशमी का पर्व भी जीत का पर्व है। अहंकार रूपी रावण पर मर्यादा के पर्याय राम की विजय से जुड़े पर्व का जश्न
पान खाने खिलाने और नीलकण्ठ के दर्शन से जुड़ा है।
विजय का सूचक पान :- बीड़ा (पान) का एक महत्व यह भी है इस दिन हम सन्मार्ग पर चलने का बीड़ा उठाते हैं। वहीं नीलकण्ठ अर्थात् जिसका गला नीला हो। यह जनश्रुति भी इसी रूप में जुड़ी है। धर्मशास्त्रों के
मुताबिक भगवान शंकर को नीलकण्ठ माना गया है इस पक्षी को पृथ्वी पर भगवान शिव का प्रतिनिधि माना गया है।
जनश्रुति तो और भी हैं लेकिन कई स्थानों पर दोनों बातों का विशेष महत्व है। दरअसल प्रेम का पर्याय है पान। दशहरे में रावण दहन के बाद पान का बीड़ा खाने की परम्परा है। ऐसा माना जाता है दशहरे के दिन पान खाकर लोग असत्य पर हुई सत्य की
जीत की खुशी को व्यक्त करते हैं, और यह बीड़ा उठाते हैं कि वह हमेशा सत्य के मार्ग पर चलेंगे। इस विषय पर ज्योतिषाचार्य पंडित हनुमान प्रसाद दुबे का कहना है कि पान का पत्ता मान और सम्मान का प्रतीक है। इसलिए हर शुभ कार्य में इसका उपयोग किया जाता है
दशहरे के दिन पान खाने की परम्परा पर वैज्ञानिकों का मानना है कि चैत्र एवं शारदेय नवरात्र में पूरे नौ दिन तक मिश्री, नीम की पत्ती और काली मिर्च खाने की परम्परा है। क्योंकि इनके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। नवरात्रि का
समय ऋतु परिवर्तन का समय होता है। इस समय संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
ऐसे में यह परम्परा लोगों की बीमारियों से रक्षा करती है। ठीक उसी प्रकार नौ दिन के उपवास के बाद लोग अन्न ग्रहण करते हैं जिसके कारण उनकी पाचन की प्रकिया प्रभावित होती है। पान का पत्ता पाचन की प्रक्रिया को सामान्य बनाए रखता है। इसलिए दशहरे के दिन शारीरिक प्रक्रियाओं को सामान्य बनाए रखने के लिए पान खाने की परम्परा है।
किसानों का मित्र :-
वैज्ञानिकों के अनुसार यह भाग्य विधाता होने के साथ-साथ किसानों का मित्र भी है, क्योंकि सही मायने में नीलकंठ किसानों के भाग्य का रखवारा भी होता है, जो खेतों में कीड़ों को खाकर किसानों की फसलों की रखवारी करता है।
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नीलकंठ को माना गया है भगवान शिव का रूप
ज्योतिष में पशु-पक्षियों को शुभ और अशुभ शगुन के तौर पर देखा जाता है। यूं तो कोई भी पशु या पक्षी कभी भी नजर आ जाता है, लेकिन अगर ज्योतिष की नजर से देखा जाए तो इनका दिखना आने वाले कल की ओर इशारा करता है। आज हम बात करने जा रहे हैं नीलकंठ के बारे में। नीलकंठ को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है। शगुन शास्त्र में नीलकंठ का दिखना बहुत शुभ माना जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि नीलकंठ का दिखना किस बात का संकेत माना जाता है।
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अविवाहित कन्या को दिखे नीलकंठ
शकुनशास्त्र के मुताबिक यदि अविवाहित कन्या को नीलकंठ उसके शरीर के दाईं ओर उड़ता हुआ दिखे तो यह इस बात का संकेत है उसकी शादी जल्द हो सकती है। वहीं दूसरी ओर अगर नीलकंठ बाईं ओर उड़ता हुआ दिखे तो ऐसा माना जाता है कि ऐसी लड़कियों को उनकी बात मानने वाली पति मिलता है।
पीठ के पीछे दिखे नीलकंठ
अगर किसी कन्या को उसकी पीठ के पीछे नीलकंठ बैठा दिखे तो ऐसा माना जाता है कि उसका रिश्ता टूट सकता है। वहीं अगर नीलकंठ आपको सामने से नजर आए तो ऐसा माना जाता है कि उस कन्या की इच्छाएं जल्द ही पूरी होने वाली हैं। वहीं अगर आपको नीलकंठ किसी लकड़ी पर बैठा हुआ दिखे तो ऐसा माना जाता है कि पार्टनर के साथ आपके अंतरंगता बढ़ सकती है और आप रिश्ते में काफी आगे बढ़ सकती हैं।
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नीलकंठ का खाया हुआ फल मिले तो
अगर किसी पुरुष को हो नीलकंठ के दर्शन
ऐसा माना जाता है कि अगर किसी पुरुष को नीलकंठ के दर्शन हो जाएं तो यह उसके लिए विजय का प्रतीक माना जाता है। अगर आपके शरीर के दाईं ओर नीलकंठ उड़ता हुआ दिखे तो ऐसा माना जाता है कि आप जिस प्रॉजेक्ट पर इस वक्त काम कर रहे हैं, उसमें आपको सफलता प्राप्त होगी। दुश्मनों पर आपको विजय प्राप्त होगी। वहीं अगर आपको पीठ के पीछे नीलकंठ दिख जाए तो ऐसा माना जाता है कि यह असफलता और दुख को दर्शाता है।