सम्प्रभुता
प्रश्न=1. “संप्रभुता राज्य के व्यक्तियों और समुदायों पर भौतिक निरंकुश और असीमित शक्ति है।” यह कथन हैं-
अ) लास्की
ब) सुकरात
स) अरस्तु
द) बरगेस
(द)
प्रश्न=2. “संप्रभुता नागरिकों और प्रजाजनों पर वह सर्वोच्च शक्ति है जो विधि द्वारा नियंत्रित नहीं है।” कथन हैं-
अ) बोदा
ब) सुकरात
स) अरस्तु
द) बरगेस
(अ)
प्रश्न=3. “राजनीतिक शास्त्र के लिए यह अस्थाई रूप से लाभदायक होगा यदि संपूर्णता के सिद्धांत को इस से निकाल दिया जाए।” कथन हैं-
अ) लास्की
ब) सुकरात
स) अरस्तु
द)बरगेस
(अ)
प्रश्न=4. प्रभुसत्ता को अंग्रेजी में (sovereignty) कहते हैं soveregnty शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के superanus शब्द से हुई है। जिसका अर्थ है-
अ) समाजवाद
ब) सर्वोच्च सत्ता
स) निम्न सत्यता
द) सभी
(ब)
प्रश्न=5. संप्रभुता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसीसी विचारक बोंदा ने कब अपनी पुस्तक ‘six book concerning republic’ मे किया ?
अ) 1576
ब) 1756
स) 1856
द) 1765
(अ)
प्रश्न=6. भारतीय संप्रभुता निवास करती है-
अ) संसद
ब) जनता
स) प्रधानमंत्री
द) राष्ट्रपति
(ब)
प्रश्न=7. भारत की संप्रभुता को अक्षुण्ण बनाए रखने का प्रावधान है-
अ) मूल कर्तव्य में
ब) प्रस्तावना में
स)नीति निदेशक तत्वों में
द) सभी
(ब)
प्रश्न=8. कौन ‘राजनीतिक संप्रभुता’ की अवधारणा के लिए adovated था ?
अ)आॅस्टिन
ब) मार्क्स
स) लास्की
द) अरस्तु
(अ)
प्रश्न=9. किसने संप्रभुता का अद्वैत सिद्धांत दिया ?
अ)अरस्तु
ब) माक्र्स
स) लास्की
द) आॅस्टिन
(द)
प्रश्न=10. “प्रभुसत्ता कानूनों का निर्माण करने तथा उन्हें लागू करने वाली प्रतिदिन क्रियाशील सकती है।” कथन हैं-
अ) अरस्तु
ब) विल्सन
स) लास्की
द) आॅस्टिन
(ब)
प्रश्न=11. “समाज का स्वरूप संघीय होता है सत्ता को भी संघीय होना चाहिए।” यह कथन निम्न में से है ?
अ) मैकाइवर
ब) लास्की
स) लिंडसे
द) मेटलैंड
(ब)
प्रश्न=12. संप्रभुता की धारणा का निरूपण सबसे पहले किसने किया ?
अ) प्लेटो ने
ब) अरस्तू ने
स) बोदा ने
द) लोक ने
(स)
प्रश्न=13. “संगठित लोकमत ही लोकप्रिय संप्रभुता है” यह कथन है?
अ) गार्नर
ब) ऑस्टिन
स) गेटेल
द) बोदा
(अ)
प्रश्न=14. भारत में कानून संप्रभुता का स्त्रोत है-
(अ) भारत का संविधान
(ब) भारत की संसद
(स) भारत के लोग
(द) भारत की सरकार
(स)
प्रश्न=15. सम्प्रभुता की विशेषता है-
(अ) अदेयता
(ब) अविभाजिता
(स) स्थायितव
(द) उपयुक्त सभी
(द)
प्रश्न=16. संप्रभुता की एकलवादी अवधारणा प्रधानता स्वीकार करती है-
(अ) स्थापित विधि कि
(ब) प्रायगत विधि की
(स) नैतिकता और सदाचरण कि
(द) समाज के औचित्य की भावना थी
(अ)
प्रश्न=17. संप्रभुता के विभाजन के पक्षधर निम्न में से कौन है ?
(अ) व्यवहारवादी
(ब) बहुलवादी
(स) मार्क्सवादी
(द) इनमें से कोई नहीं
(ब)
प्रश्न=18. सम्प्रभुता का सिद्धांत बल देता है ?
(अ) राज्य की नैतिक सर्व कार्यक्षमता पर
(ब) राज्य की वास्तविक सर्वोच्चता पर
(स) राज्य की सामाजिक एकता पर
(द) राज्य की विधिक सर्वोच्चता पर
(द)
प्रश्न=19. कौन सम्प्रभुता के बहुलवादी सिद्धांत के समर्थक नही है ?
(अ) जी डी एच कोल
(ब) मैटलेण्ड
(स) बोंदा
(द) लिण्डसे
(स)
प्रश्न=20. “सम्प्रभुता मूलक संकट का सिद्धांत है” यह मत किसने प्रतिपादित किया ?
(अ) जाॅर्ज केटलिन
(ब) एंच जे लाॅस्की
(स) वाल्टर लिपमैन
(द) इनमें से कोई नहीं
(ब)
प्रश्न=21. कौन सा युग्म सुमेलित नहीं है ?
(अ) बोंदा- कानूनी सम्प्रभुता
(ब) ऑस्टिन- एकलवादी सम्प्रभुता
(स) रूसो- लोकप्रिय सम्प्रभुता
(द) हाॅब्स- राजनीतिक सम्प्रभुता
(द)
प्रश्न=22. हाॅब्स निम्न में से किसका समर्थक हैं ?
(अ) निरंकुश सम्प्रभुता
(ब) कानूनी सम्प्रभुता
(स) एकलवादी सम्प्रभुता
(द) उपरोक्त में से कोई नही
(अ)
प्रश्न=23. निम्न में से कौन सम्प्रभुता के बहुलवादी सिद्धांत का समर्थक नही है ?
(अ) जरमी बेन्थम
(ब) लियो द्यूगी
(स) ह्यूगो क्रैब
(द) इनमें से कोई नहीं
(अ)
प्रश्न=24. निम्नलिखित में से कौन सा समूह ‘लोकप्रिय प्रभुसत्ता’ का समर्थक है ?
(अ) अल्थूजियस- रूसो -सिसरो
(ब) लाॅक- रूसो- बेन्थम
(स) ड्यूगी -ऑस्टिन- बोंदा
(द) अल्थूजर -हाॅब्स -लास्की
(अ)
प्रश्न=25. “कानून संप्रभु की आज्ञा है।” यह किसने कहा है ?
(अ) बेंथम
(ब) ब्लैक स्टोन
(स) ऑस्टिन
(द) बांदा
(स)
प्रश्न=26. ऑस्टिन के संप्रभुता सिद्धांत को निम्न नाम से जाना जाता है ?
(अ) लोकप्रिय संप्रभुता
(ब) वैधानिक संप्रभुता
(स) नाम मात्र की संप्रभुता
(द) वास्तविक संप्रभुता
(ब)
प्रश्न=27. “संप्रभुता का विभाजन एक धोखा है” यह कथन किसका है ?
(अ) गेटेल
(ब) रूसो
(स) केलहन
(द) हर्न शॉ
(ब)
प्रश्न=28. “संप्रभुता के कानूनी सिद्धांत को राजनीतिक दर्शन के लिए मान्य बना देना असंभव है” यह कथन है-
(अ) लास्की
(ब) मारकर
(स) लिंडसे
(द) क्रैब
(अ)
Specially thanks to Post and Quiz makers ( With Regards )
ज्योति जी प्रजापति, कैलाश जी गहलोत, कोमल जी शर्मा, कंचन जी पिरथानी, मुकेश पारीक ओसियाँ
आज हम संप्रभुताके बारे में चर्चा करेंगे जिसमें हम समझेगें की संप्रभुता क्या है, इसकी क्या परिभाषा हो सकती है तथा इसकी कौन-कौन सी विशेषताएं संप्रभुता में निहित होती है।
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1 संप्रभुता की परिभाषा –
2 संप्रभुता की विशेषताएं
2.1 पहली निरंकुशता या अस्मिता
2.1.1 दूसरा सर्व व्यापकता
2.1.2 तीसरा स्थिरता
2.1.3 चौथा अदेयता
2.1.4 पांचवा अविभाज्य
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संप्रभुता की परिभाषा –
- संप्रभुता वह सर्वोच्च शाक्ति है जिसके माध्यम से राज्य आंतरिक रुप से अपने आदेशों का पालन सभी मनुष्य और समुदायों से करवाता है। साथ ही बाहरी रूप से वह किसी अन्य संप्रभु से निर्देशित नहीं होता। अर्थात संप्रभुताका अर्थ सर्वोच्च शक्ति से है।
- संप्रभुताराज्य को मिली हुई वह सर्वोच्च सत्ता है। जिसके माध्यम से वह अपने अंतर्गत निवास करने वाले समस्त नागरिकों तथा व्यक्तियों के समुदायों पर सर्वोच्च अधिकार रखती है और अपने आदेशों का पालन करवाती है और ऐसा न करने पर दंड की शक्ति भी रखती है।
- इसी संप्रभुता के आधार पर राज्य अपने ही समान दूसरे राज्य के साथ अपनी इच्छा अनुसार संबंध स्थापित कर सकता है। इसके बारे में ऑस्टिन ने कहा कि यदि किसी समाज के अधिकांश व्यक्ति किसी निश्चित उच्चतर व्यक्ति की आज्ञा का आदतन पालन करते हैं और जो सब अपने ही जैसा किसी दूसरे उच्चतर व्यक्ति की आज्ञा का पालन न करता हो, वह निश्चित उच्चत्तर व्यक्ति उस समाज का संप्रभु है।
संप्रभुता की विशेषताएं
पहली निरंकुशता या अस्मितासंप्रभुता के ऊपर अन्य किसी व्यक्ति का प्रभुत्व नहीं होता जो उसके अधिकारों को सीमित करने की क्षमता रखता हो। कानून, राज्य के अंदर निवास करने वाले प्रत्येक नागरिक व नागरिकों के समूह को संप्रभु के आदेशों का पालन करना अनिवार्य है। संप्रभु ही विधि निर्माण का मुख्य स्रोत होता है जो समस्त व्यक्तियों को मान्य है, अर्थात संप्रभुता असीमित है।
दूसरा सर्व व्यापकतासंप्रभुता की सर्व व्यापकता से तात्पर्य देश की समस्त वस्तुओं पर पूर्ण अधिकार एवं नियंत्रण होता है। कोई भी उसके नियंत्रण से मुक्त होने का दावा नहीं कर सकता। साथ ही राज कुछ विशेष व्यक्तियों को अपनी इच्छा से ही कुछ अधिकार प्रदान कर सकता है या किसी प्रांत को स्वायत्तता प्रदान कर सकता है परंतु ऐसा करने पर भी संप्रभु की व्यापकता पर कोई असर नहीं पड़ता।
तीसरा स्थिरतासंप्रभुता स्थाई है। इसका राज्य के साथ अटूट संबंध है। दोनों को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। संपूर्णता का नाश राज्य के नाश के समान होता है। संप्रभु व्यक्ति की मृत्यु होने पर भी संप्रभुता का नाश नहीं होता क्योंकि उसका प्रयोग कोई अन्य दूसरे व्यक्ति करता है। हम कह सकते हैं कि सरकार में ही परिवर्तन होता है। संप्रभुता अक्षुण्ण होती है।
चौथा अदेयताअदेयता का तात्पर्य संप्रभुता अपनी संप्रभुता तक किसी दूसरे को नहीं दे सकता। ऐसा करने पर उस व्यक्ति का स्वता ही अंत हो जाएगा। अर्थात वह संप्रभु नहीं बना रह सकता। इसके बारे में लीवर ने कहा कि संपूर्णता एक वृक्ष के समान है जो अनेक विकास के अधिकार को किसी अन्य व्यक्ति के अधिकार में नहीं छोड़ सकता क्योंकि ऐसा करने पर उसका अंत हो जाएगा। यदि कोई राज्य अपने राज्य के किसी भाग को दूसरे राज्य को सोता है तो उससे उसकी संप्रभुता उस भाग पर से समाप्त हो जाएगी तथा उस भाग पर दूसरे दूसरा अपनी संपूर्णता कायम करेगा।
पांचवा अविभाज्यसंपूर्णता का विभाजन नहीं किया जा सकता क्योंकि वह अविभाज्य है। किसी राज्य में दो संप्रभु नहीं हो सकते क्योंकि सर्वोच्च इसका विभाजन असंभव है। हेनरी क्ले ने कहा कि संप्रभुता एक है। उसकी विभक्त करने का मतलब उसका अंत करना है। क्योकिं वह राज्य की सर्वोच्च सत्ता है। अर्धसर्वोच्चत्ता या सम्पुर्णता की बात करना उसी तरह है जैसे त्रिभुज की बात करना। हम कह सकते हैं कि संप्रभुता वह मौलिक निरंकुश एवं असीम शक्तियां है जो राज को अपनी समस्त शक्तियों तथा उसकी समस्त संस्थाओं को प्राप्त है।