| निम्नलिखित में से कौन सी नदी सूरत से होकर बहती है?
Please scroll down to see the correct answer and solution guide.
SOLUTION
- तापी नदी सूरत, गुजरात से होकर बहती है।
- तापी अरब सागर में अपने पानी को छोडती है। यह मध्य प्रदेश में दक्कन के पठार के गाविलगढ़ पहाड़ियों में निकलती है और फिर पश्चिम की ओर बहती है।
- सूरत शहर को भारत का डायमंड सिटी भी कहा जाता है।
- उकाई बांध गुजरात में तापी नदी पर स्थित है।
- महानदी उड़ीसा और छत्तीसगढ़ से होकर बहती है।
- किम गुजरात में एक नदी है।
- रूपेण नदी गुजरात के मेहसाणा जिले से होकर बहती है।
इसे सुनेंरोकेंसिंधु की पांच उपनदियां हैं। इनके नाम हैं: वितस्ता, चन्द्रभागा, ईरावती, विपासा एंव शतद्रु. इनमें शतद्रु सबसे बड़ी उपनदी है। सतलुज/शतद्रु नदी पर बना भाखड़ा-नंगल बांध के द्वारा सिंचाई एंव विद्दुत परियोजना को बहुत सहायता मिली है।
पढ़ना: परमानेंट हेयर कलर क्या होता है?
ताप्ती नदी की लम्बाई कितनी है?
724 कि.मी.
ताप्ती नदी/लंबाई
ताप्ती नदी कितने किलोमीटर है?
इसे सुनेंरोकेंइस नदी की लंबाई 724 किलोमीटर है । यह नदी पूर्व से पशिचम की और बहती है इस नदी के किनारे बरहापुर और सूरत जैसे नगर बसे है । ताप्ती अरब सागर में खम्बात की खाडी में गिरती है ।
मध्य प्रदेश की 5 मी सबसे बड़ी नदी कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंनर्मदा नदी मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी नदी है तथा भारत की पांचवें नम्बर की बड़ी नदी है। यह मध्यप्रदेश की जीवन रेखा कहलाती है। नर्मदा नदी का उद्गम अमरकंटक मैकल पर्वत श्रेणी से हुआ है जो अनूपपुर जिले में है। नर्मदा नदी की कुल लंबाई 1312 किमी.
ताप्ती (संस्कृत : तापी, मराठी : तापी ; गुजराती : તાપ્તી) पश्चिमी भारत की प्रसिद्ध नदी है। यह मध्य प्रदेश राज्य के बैतूल जिले के मुलताई से निकलकर सतपुड़ा पर्वतप्रक्षेपों के मध्य से पश्चिम की ओर बहती हुई महाराष्ट्र के खानदेश के पठार एवं सूरत के मैदान को पार करती है और गुजरात स्थित खम्भात की खाड़ी, अरब सागर में गिरती है। नदी का उद्गगम् स्थल मुल्ताई है। यह भारत की उन मुख्य नदियों में है जो पूर्व से पश्चिम की तरफ बहती हैं, अन्य दो हैं - नर्मदा नदी और माही नदी।
यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर लगभग 740 किलोमीटर की दूरी तक बहती है और खम्बात की खाड़ी में जाकर मिलती है। सूरत बन्दरगाह इसी नदी के मुहाने पर स्थित है। इसकी प्रधान उपनदी का नाम पूर्णा है। इस नदी को सूर्यपुत्री भी कहा जाता है।[2]
समुद्र के समीप इसकी ३२ मील की लंबाई में ज्वार आता है, किंतु छोटे जहाज इसमें चल सकते हैं। पुर्तगालियों एवं अंग्रेजों के इतिहास में इसके मुहाने पर स्थित स्वाली बंदरगाह का बड़ा महत्व है। गाद जमने के कारण अब यह बंदरगाह उजाड़ हो गया है।
मुलताई में ताप्ती का दृश्य
ताप्ती नदी का उद्गम स्थल मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में मुल्ताई नामक स्थान है। इस स्थान का मूल नाम मूलतापी है जिसका अर्थ है तापी का मूल या तापी माता। हिन्दू मान्यता अनुसार ताप्ती को सूर्य एवं उनकी एक पत्नी छाया की पुत्री माना जाता है और ये शनि की बहन है। थाईलैंड की तापी नदी का नाम भी अगस्त १९१५ में भारत की इसी ताप्ती नदी के नाम पर ही रखा गया है। महाभारत, स्कंद पुराण एवं भविष्य पुराण में ताप्ती नदी की महिमा कई स्थानों पर बतायी गई है।[2]ताप्ती नदी का विवाह संवरण नामक राजा के साथ हुुुआ था जो कि वरुण देवता के अवतार थे।
नदी घाटी एवं सहायक नदियां[संपादित करें]
धुले, महाराष्ट्र में मुदावाड़ में ताप्ती नदी के तट पर कपिलेश्वर मंदिर
ताप्ती नदी की घाटी का विस्तार कुल 65,145 कि.मी² में है, जो भारत के कुल क्षेत्रफ़ल का २ प्रतिशत है। यह घाटी क्षेत्र महाराष्ट्र में 51,504 कि.मी², मध्य प्रदेश में 9,804 कि.मी² एवं गुजरात में 3,837 कि.मीm² है। ये घाटी महाराष्ट्र उत्तरी एवं पूर्वी जिलों जैसे अमरावती, अकोला, बुल्ढाना, वाशिम, जलगांव, धुले, नंदुरबार एवम नासिक में फ़ैली है, साथ ही मध्य प्रदेश के बैतूल और बुरहानपुर तथा गुजरात के सूरत एवं तापी जिलों में इसका विस्तार है।इसके जलग्रहण क्षेत्र का79%गुजरात शेष मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र राज्य में पड़ता है
ताप्ती नदी की प्रधान सहायक नदियां हैं- मिन्धोला, गिरना, पन्ज़ारा, वाघूर, बोरी एवं आनेर। इनके अलाव अन्य छोटी सहायक नदियाम इस प्रकार से हैं:
- अरुणावती नदी, शिरपुर
- गोमती नदी, नन्दुरबार
- वाकी नदी, धुले जिला, महाराष्ट्र
- बुरई नदी, धुले
- पन्ज़ारा नदी, जलगांव एवं धुले जिले
- बोरी नदी, जलगांव
- नेर नदी, जलगांव एवं धुले
- गिरना नदी, नासिक, मालेगांव एवं जलगांव जिले। ये नदी ताप्ती में धुले एवं जलगांव जिलों की सीमा पर कपिलेश्वर में मिलती है।
- तितूर नदी, जलगांव
- मौसम नदी, मालेगांव
- वाघूर नदी, जलगांव, औरंगाबाद
- पूर्णा नदी, अमरावती, अकोला, बुल्धाना एवं जलगांव जिले, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश। यह ताप्ती में चांगदेव पर संगम करती है।
- नलगंगा नदी, बुल्ढाना
- विश्वगंगा नदी, बुल्ढाना
- निपणी नदी, बुल्ढाना
- मान नदी, बुल्ढाना, अकोला
- मास नदी, बुल्ढाना
- उतावली नदी, बुल्ढाना, अकोला
- विश्वमित्री नदी, अकोला
- निर्गुण नदी, वाशिम, अकोला
- आस नदी, अकोला
- वान नदी, बुल्ढाना, अकोला, अमरावती
- मोरना नदी, अकोला, वाशिम
- शाहनूर नदी, अकोला, अमरावती
- कतेपूर्णा नदी, अकोला, वाशिम
- उमा नदी, अकोला, वाशिम
- पेन्ढी नदी, अकोला, अमरावती
- चंद्रभागा नदी, अमरावती
- आर्णा नदी, अमरावती
- गादग नदी, अमरावती
- सिपना नदी, अमरावती
- खापरा नदी, अमरावती
- खांडू नदी, अमरावती
- तिगरी नदी, अमरावती
- सुरखी नदी, अमरावती
- बुर्शी नदी, अमरावती
- गन्जल नदी, बैतूल
- अम्भोरा नदी एवं तवा नदी, बैतूल
- नेसु नदी, सूरत जिला, गुजरात
सारंगखेडा में ताप्ती नदी पर बना बांध और पुल
नदी के तटवर्ती प्रमुख शहरों में आते हैं: मुल्ताई, नेपानगर, बैतूल और बुरहानपुर मध्य प्रदेश में, तथा भुसावल महाराष्ट्र्र में एवं सूरत और सोनगढ़ गुजरात में। नदी पर प्रमुख मार्ग सेतुओं में धुले के सवालदे का राष्ट्रीय राजमार्ग ३ एवं भुसावल-खंडवा रेलमार्ग का भुसावल रेल सेतु जो मध्य रेलवे में आता है। इस नदी पर जलगांव में हथनूर बांध एवं सोनगढ़ में उकई बांध भी बने हैं। सूरत एवं कमरेज में ३ सेतु तथा राष्ट्रीय राजमार्ग ८ पर सूरत सहित १० सेतु बने हैं जिनमें से दो निर्माणाधीन हैं। इनमें से एक गुजरात में रज्जु सेतु भी है। इनके अलावा प्रकाशा और सारंगखेड़ा के निकट शहादा में छोटे छोटे बैराज भी बने हैं। प्रकाशा एक पवित्र हिदू तीर्थ भी है जो ताप्ती का तटवर्ती शहर है और यहां भगवान शिव का एक मन्दिर, केदारेश्वर स्थित है। यह इस क्षेत्र का प्राचीनतम स्थान है।
इनके अलावा तटवर्ती अन्य महत्त्वपूर्ण स्थानों में अमरावती जिले का मेलघाट बा घ रिज़र्व नदी के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है। यह बाघ परियोजना (प्रोजेक्ट टाइगर) के अन्तर्गत्त आता है और महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। इनके साथ ही बुरहानपुर के निकट ही ऐतिहासिक असीरगढ़ दुर्ग भी स्थित है, जिसे दक्खिन की कुंजी भी कहा जाता है। जलगांव में चांगदेव में चांगदेव महाराज का एक मन्दिर भी स्थित है।
ताप्ती नदी के मूलस्थान मुल्तापी में एवं उसके सीमावर्ती क्षेत्र में सात कुण्ड अलग - अलग नामों से बने हुए हैं और उनके बारे में विभिन्न कहानियां प्रचलित है।[2]
सूर्यकुण्डयहां भगवान सूर्य ने स्वंय स्नान किया था।
ताप्ती कुण्डसूर्य के तेज प्रकोप से पशु पक्षी नर किन्नर देव दानव आदि की रक्षा करने हेतु ताप्ती माता की पसीने के तीन बूंंदें के रूप में आकाश धरती और फ़िर पाताल पहुंची। तवही एक बूंद इस कुण्ड में पहुंची और बहती हुई आगे नदी रूप बन गई।
धर्म कुण्डयहां यमराज या धर्मराज ने स्वंय स्नान किया जिस कारण से यह धर्म कुण्ड कहलाता है।
पाप कुण्डपाप कुण्ड में सच्चे मन से पापी व्यक्ति सूर्यपुत्री का ध्यान करके स्नान करता है तो उसके पाप यहां पर धुल जाते है।
नारद कुण्डयहां पर देवर्षि नारद ने श्राप रूप में हुए कोढ के रोग से मुक्ति पाई थी एवं बारह वर्षो तक मां ताप्ती की तपस्या करके उनसे वर मांगा था। उसी से उन्हें पुराण की चोरी के कारण कोढ़ के श्राप से मुक्ति मिल पाई।
शनि कुण्डशनिदेव अपनी बहन ताप्ती के घर पर आने पर इसी कुण्ड में स्नान करने के बाद उनसे मिलने गए थे। इस कुण्ड में स्नान करके मनुष्य को शनिदशा से लाभ मिलता है।
नागा बाबा कुण्ड ;यह नागा सम्प्रदाय के नागा बाबाओं का कुण्ड है जिन्होने यहां के तट पर कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था। इस कुण्ड के पास सफेद जनेउ धारी शिवलिंग भी है।[3]