पृथ्वी के द्वीप[संपादित करें]
अनुक्रम
- 1 पृथ्वी के द्वीप
यह पृथ्वी सात द्वीपों में बंटी हुई है। वे द्वीप एस प्रकार से हैं:-
- जम्बूद्वीप
- प्लक्षद्वीप
- शाल्मलद्वीप
- कुशद्वीप
- क्रौंचद्वीप
- शाकद्वीप
- पुष्करद्वीप
ये सातों द्वीप चारों ओर से क्रमशः खारे पानी, इक्षुरस, मदिरा, घृत, दधि, दुग्ध और मीठे जल के सात समुद्रों से घिरे हैं। ये सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए बने हैं और इन्हें घेरे हुए सातों समुद्र हैं। जम्बुद्वीप इन सब के मध्य में स्थित है।
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जम्बूद्वीप · प्लक्षद्वीप · शाल्मलद्वीप · कुशद्वीप · क्रौंचद्वीप · शाकद्वीप · पुष्करद्वीप · |
* खारे जल · इक्षुरस · मदिरा · घृत · दधि · दुग्ध · मीठे जल |
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पुराणों और वेदों के अनुसार धरती पर सात द्वीप हैं, जो जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक और पुष्कर हैं। इन द्वीप से धरती का मानचित्र तैयार होता है। सातों द्वीप चारों ओर से खारे पानी, इक्षुरस, मदिरा, घी, दही, दूध और मीठे जल के सात समुद्रों से घिरे हैं। ये सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए बने हैं और इन्हें घेरे हुए सातों समुद्र हैं। आइए जानते हैं धर्म ज्ञान में इन सात द्वीपों के बारे में जिनका
जिक्र पुराणों में किया गया है… जम्बू द्वीप प्लक्ष द्वीप
यह द्वीप पृथ्वी के केंद्र मे स्थित है। हमारी तमाम धार्मिक कथाओं में जम्बू द्वीप का वर्णन मिलता है। जंबूद्वीप में ही हमारा देश भारत आता है। इस देश में जामुन के वृक्ष अधिक होने के कारण इसका नाम जंबूद्वीप हुआ। इस
द्वीप के अंतर्गत वर्तमान एशिया के अधिकांश भाग शामिल हैं।
विष्णु पुराण के अनुसार, इस द्वीप में पाकड़ के वृक्ष अधिक होने के कारण यह द्वीप प्लक्ष द्वीप कहलाता था। इस द्वीप के सप्त पर्वतों में देवता और गंधर्वों के सहित सदा निष्पाप प्रजा निवास
करते हैं। इन द्वीप पर किसी भी मनुष्य को रोग नहीं होता है और उसकी आयु 5000 वर्ष होती है।
शाल्मल द्वीप
पौराणिक भूगोल की संकल्पना के अनुसार पृथ्वी के सप्तद्वीपों में से एक शाल्मल द्वीप है।इस द्वीप का नाम यहां शाल्मल के वृक्ष होने के कारण पड़ा है। इस वृक्ष का जिक्र गरुड़ पुराण में भी हुआ है। ऐसा माना जाता है कि वर्तमान इराक ईरान का क्षेत्र इसके अंतर्गत आता था।
कुश द्वीप
इस द्वीप के बारे में विष्णु पुराण में बताया गया है कि यह चारों तरफ से घृत सागर से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र के लोग अग्नि की पूजा किया करते हैं। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार इस द्वीप पर देवताओं ने कुश की
झाड़ियां लगाई थी इसलिए इसका नाम कुश द्वीप रखा गया।
क्रौंच द्वीप
क्रौंच द्वीप के निवासियों को जल देवता या वरुण का पूजक बताया गया है। इस द्वीप के चारों ओर क्षीर समुद्र की उपस्थिति है। यह द्वीप अपने ही बराबर के दधिमण्ड (मठ्ठे) से भरे समुद्र से चारों ओर से घिरा हुआ है।
शाक द्वीप
यह जम्बूद्वीप से दुगुना और क्षीर सागर से घिरा है। यहां रहने वाले लोगों को मृत्यु का भय नहीं रहता है। यहां अति महान शाक वृक्ष है, जिसके वायु के स्पर्श करने से हृदय में परम आह्लाद उत्पन्न होता है। यह द्वीप अपने ही बराबर के दुग्ध (दूध) से भरे समुद्र से चारों ओर से घिरा हुआ है।
पुष्कर द्वीप
श्रीमद्भागवत पुराण में बताया गया है कि इस द्वीप का नाम अनेक पंखुड़ियों वाले पुष्कर के कारण पड़ा है। यहां चारों तरफ मीठे पानी का सागर और इसके ही चारों ओर इंद्र और दिक्पालों की नगरी है। यहां ब्रह्माजी के उपासक रहा करते हैं।
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