Updated: | Thu, 10 Aug 2017 07:58 AM (IST)
10 अगस्त को सातुड़ी तीज है। रक्षाबंधन के तीसरे दिन आने वाला ये त्यौहार सुहागिनों और कुंवारी कन्याओं के बीच धार्मिक उल्लास लेकर आता है। सातुड़ी तीज को देश के कई हिस्सों में सौंधा के नाम से भी जाना जाता है।
दरअसल इस मौसम में तीज व्रत मनाने का अवसर तीन बार आता है। पहले हरियाली तीज मनाई जाती है, जो इस बार 26 जुलाई को थी। फिर 10 अगस्त माने गुरुवार को सातुड़ी तीज मनाई जा रही है। सबसे आखिर में 24 अगस्त को हरितालिका तीज मनाई जाएगी।
तो चलिए आपको बताते है कि असल में क्या है ये सातुड़ा तीज का त्यौहार और इसे क्यों मनाया जाता है। सातुड़ी तीज को कजली तीज और बड़ी तीज भी कहते है। इस पर्व पर सत्तु के बने विशेष व्यंजनों का आदान-प्रदान होता है।
इस दिन नीम की पूजा की जाती है। कन्याएं व सुहागिनें व्रत रखकर संध्या को नीमड़ी की पूजा करती हैं। कन्याएं सुन्दर,सुशील वर तथा सुहागिनें पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। वे तीज माता की कथा सुनती हैं। मन्दिरों में देवों के दर्शन करती हैं।
यह उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जिस तरह पंजाब में करवा चौथ के दिन सुबह सरगी की जाती है इसके बाद कुछ नहीं खाया जाता और दिन भर व्रत चलता है उसी प्रकार इस व्रत में भी एक समय आहार करने के पश्चात दिन भर कुछ नहीं खाया जाता है। शाम को चंद्रमा की पूजा कर कथा सुनी जाती है। नीमड़ी माता की पूजा करके नीमड़ी माता की कहानी सुनी जाती है।
यह व्रत सिर्फ पानी पीकर किया जाता है। चांद उदय होते नहीं दिख पाए तो चांद निकलने का समय टालकर आसमान की ओर अर्घ्य देकर व्रत खोल सकते हैं। गर्भवती स्त्री फलाहार कर सकती हैं। इस तरह तीज माता की पूजा सम्पन्न होती है।
Posted By:
- Font Size
- Close
- # Satudi teej
- # सातुड़ी तीज
- # सातुड़ी तीज 2017
- # शादीशुदा महिलाओं का व्रत
- # कुंवारियों लड़कियों का त्यौहार
- # व्रत त्यौहार
- # नीम की पूजा