स्विट्जरलैंड ने अपनी परिस्थितियों के अनुरूप जिस संविधान को अपनाया है, उसकी अपनी कुछ विशेषताएं हैं जिनका उल्लेख निम्न रूपों में किया जा सकता :
1.निर्मित, लिखित और अपेक्षाकृत व्यापक संविधान
स्विट्जरलैंड का संविधान भारत, फ्रांस, अमरीका, आदि देशों के संविधानों की भाँति एक निर्मित और लिखित संविधान हैI वर्तमान स्विस संविधान में 195 धाराएँ और 4 अध्याय हैं। स्विस संविधान के इस अपेक्षाकृत बड़े आकार के दो कारण हैं :
(1)इसमें अनेक ऐसे विषयों का उल्लेख किया गया है जिनका वास्तव में कोई संवैधानिक महत्व नहीं है।
(2)इसमें संघीय सरकार के अधिकारों तथा संघीय व कैण्टनों की सरकारों के बीच विधायी तथा प्रशासकीय अधिकार क्षेत्र के विभाजन का वर्णन अत्यधिक विस्तार से किया गया है। इस स्थिति को यह सोचकर अपनाया गया है कि स्विट्जरलैंड उन संवैधानिक विवादों से लगभग मुक्त रहे, जिनके कारण संयुक्त राज्य अमेरिका में न्यायपालिका इतनी शक्तिशाली हो गई है।
2.कठोर संविधान
स्विस संविधान एक कठोर संविधान है अर्थात् उसमें संशोधन करने के लिए सामान्य कानून के निर्माण की प्रक्रिया से भिन्न एक प्रक्रिया को अपनाना होता है। संघात्मक शासन-व्यवस्था को अपनाये जाने के कारण संविधान का कठोर होना आवश्यक भी था।
3.प्राचीनतम गणराज्य
स्विट्जरलैंड का गणराज्य विश्व का सबसे पुराना है। 1870 तक सान मेरिनो तथा हंसा टाऊन जैसे दो कम महत्वपूर्ण राज्यों के अतिरिक्त स्विट्जरलैंड ही यूरोप का एकमात्र गणराज्य था।
4.संघात्मक शासन-व्यवस्था
यद्यपि संविधान में स्विट्जरलैंड को एक ‘राज्यमंडल’ कहा गया है, किंतु वास्तव में स्विट्जरलैंड एक राज्यमंडल न होकर ‘संघ राज्य’ ही है। स्विस संविधान में संघात्मक शासन के सभी प्रमुख लक्षणों- लिखित और कठोर संविधान, संविधान द्वारा केंद्र और इकाइयों में शक्तियों का विभाजन, संघीय न्यायपालिका, राज्यों की नागरिकता और संघीय व्यवस्थापिका के द्वितीय सदन में सभी इकाइयों को समान प्रतिनिधित्व- की व्यवस्था की गयी है।
5.उदारवादी दर्शन पर आधारित संविधान
वर्तमान समय में इंगलैण्ड, अमेरिका आदि देशों के संविधान उदारवादी या व्यक्तिवादी दर्शन पर आधारित हैं, तो पूर्व सोवियत संघ या चीन आदि देशों के संविधान समाजवादी दर्शन पर। स्विट्जरलैंड के संविधान पर उदारवादी दर्शन का ही प्रभाव है।
6.संसदात्मक और अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्थाओं का समन्वय
सामान्यता ऐसा समझा जाता है कि प्रजातंत्र में या तो ब्रिटेन जैसी संसदात्मक व्यवस्था को अपनाया जा सकता है या अमेरिका जैसी अध्यक्षात्मक व्यवस्था को, लेकिन स्विट्जरलैंड की शासन-व्यवस्था एक अपवाद है, क्योंकि यह न तो पूर्णतया संसदात्मक सिद्धांत के अनुकूल है और न ही अध्यक्षात्मक सिद्धांतों के। स्विट्जरलैंड में व्यवस्थापिका (संघीय संसद) और कार्यपालिका (संघीय सरकार) परस्पर संबंधित हैं, लेकिन इंग्लैंड के समान कार्यपालिका व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी नहीं है और व्यवस्थापिका कार्यपालिका को पदच्युत नहीं कर सकती। इसे अध्यक्षात्मक शासन-व्यवस्था भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसमें अमेरिकी संविधान के समान शक्ति विभाजन के सिद्धांत को नहीं अपनाया गया है। स्विस संविधान द्वारा संसदात्मक और अध्यक्षात्मक दोनों ही प्रकार की शासन-व्यवस्थाओं के मूल गुणों को ग्रहण कर एक नवीन शासन-व्यवस्था को जन्म दिया गया है।
7.बहुल कार्यपालिका
सामान्य विचार यही है कि कार्यपालिका संगठन की दृष्टि से एकल होनी चाहिए, जिससे उसके द्वारा शासन-व्यवस्था के संचालन का कार्य कुशलतापूर्वक किया जा सके, किंतु स्विट्जरलैंड में कार्यपालिका शक्ति सात सदस्यों की एक संघीय सरकार को प्रदान की गयी है और संघीय सरकार के इन सातों सदस्यों की शक्तियां बिल्कुल समान हैं। इस आधार पर इसे ‘बहुल कार्यपालिका’ कहा जाता है और स्विट्जरलैंड में यह बहुल कार्यपालिका सफलता के साथ कार्य कर रही है।
8.औपचारिक अधिकार-पत्र तथा अत्यधिक व्यापक रूप से मूल अधिकारों की व्याख्या
स्विट्जरलैंड में नागरिकों को पूर्व के संविधान से भी मूल अधिकार प्राप्त थे, किंतु 1848 के संविधान में औपचारिक अधिकार-पत्र का अभाव था; लेकिन अप्रैल 1999 से लागू संविधान संविधान में न केवल एक ‘अधिकार-पत्र’ है, वरन् इस अधिकार-पत्र में पहले की तुलना में और विश्व के अन्य किसी भी संविधान की तुलना में बहुत अधिक व्यापक रूप में मूल अधिकारों का वर्णन किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 7 से लेकर 36 तक मूल अधिकारों का उल्लेख किया गया है।
9.धर्मनिरपेक्ष राज्य
स्विस संविधान के द्वारा एक धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना की गई है। संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों, सर्वाधिक प्रमुख रूप से अनुच्छेद 15 में धर्मनिरपेक्षता का यह स्वरूप पूर्णतया स्पष्ट हो जाता है। अनुच्छेद 15 सभी नागरिकों को ‘धर्म और दर्शन की स्वतंत्रता’ प्रदान करता है तथा इस अनुच्छेद में 4 धाराएं हैं।
10.संघीय क्षेत्र में न्यायिक पुनर्विलोकन का अभाव
संघात्मक शासन व्यवस्था में सामान्यतया ऐसा समझा जाता है कि संघीय न्यायपालिका को भी संविधान की व्याख्या करने और रक्षा करने का अधिकार प्राप्त होना चाहिए। इसका तात्पर्य यह है कि संघीय न्यायपालिका संघीय और इकाइयों की व्यवस्थापिकाओं द्वारा निर्मित कानूनों की संवैधानिकता की जांच करें और यदि वह उन्हें संविधान के प्रतिकूल समझती है तो अवैध घोषित कर दे। इसी को ‘न्यायिक पुनर्विलोकन का अधिकार’ कहा जाता है, लेकिन स्विट्जरलैंड की संघीय न्यायपालिका को न्यायिक पुनर्विलोकन का अधिकार आंशिक रूप में ही प्राप्त है। यहाँ का सर्वोच्च न्यायालय जिसे 1998 में निर्मित संविधान के अंतर्गत ‘संघीय सर्वोच्च न्यायलय’ का नाम दिया गया है, कैण्टनों के कानूनों तथा प्रशासनिक कार्यों को तो अवैध घोषित कर सकता है, परंतु संघीय कानूनों और प्रशासनिक आदेशों के संबंध में उसे ऐसा अधिकार नहीं है।
11.बहु-भाषी राज्य
सामान्यतया विविध भाषाओं वाले देश में भी किसी एक भाषा को राजभाषा का स्तर प्रदान किया जाता है और इसके पीछे यह भावना होती है कि किसी एक ही भाषा को राजकाज की भी भाषा के रूप में अपनाकर राष्ट्रीय एकता के लक्ष्य को अधिक अच्छे रूप में प्राप्त किया जा सकेगा, लेकिन स्विट्जरलैंड में भाषायी विविधता की समस्या को एक दूसरे रूप में हल किया गया है। स्विट्जरलैंड में लगभग 74% लोग जर्मन, 20% फ़्रेंच और 5% इटालियन भाषाभाषी हैं। इनके अतिरिक्त 1% व्यक्ति रोमांच नामक आदि भाषा का प्रयोग करते हैं। स्विट्जरलैंड में प्रारंभ से ही समस्त राज्य-कार्य जर्मन, फ़्रेंच और इटालियन तीनों भाषाओं में होता था, 1928 के संवैधानिक संशोधन में रोमांच नामक आदि भाषा को भी राजभाषा मान लिया गया है। 1998 में निर्मित संविधान में स्विट्जरलैंड की पहले से चली आ रही बहु-भाषाभाषी राज्य की स्थिति को बनाए रखा गया है। इस प्रकार स्विट्जरलैंड बहु-भाषाभाषी राज्य है।
12.प्रशासनिक कानून पर आधारित न्यायपालिका
स्विट्जरलैंड में इंग्लैंड की विधि के शासन की व्यवस्था को नहीं, वरन् यूरोपीय महाद्वीप के अन्य देशों की प्रशासकीय कानून की व्यवस्था को अपनाया गया है, जिसके अंतर्गत जनसाधारण तथा प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए पृथक-पृथक न्यायालय होते हैं। डायसी और अन्य ब्रिटिश लेखक प्रशासकीय कानून और न्याय-व्यवस्था को नागरिक अधिकारों पर एक आघात समझते हैं, परंतु यदि न्यायाधीश निष्पक्ष हों तो इस प्रकार की न्याय-व्यवस्था को दोषों से मुक्त रखा जा सकता है। अनेक बार तो प्रशासनिक कानून और न्यायालयों की व्यवस्था नागरिक अधिकारों एवं स्वतंत्रताओं की और अधिक अच्छे प्रकार से रक्षा कर सकती है।
वस्तुत: स्विट्जरलैंड उदारवादी आदर्शों और लोकतांत्रिक व्यवस्था का श्रेष्ठतम प्रतीक है।
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