इस कविता में कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने शाम के दृश्य का वर्णन किया है। कवि ने साधारण से लगने वाले रूपकों के माध्यम से शाम का बखूबी चित्रण किया है। Show
पहाड़ इस तरह बैठा है जैसे कोई किसान बैठा हो जिसने सिर पर आकाश का साफा बाँध लिया है। लाल सूरज ऐसे दिखता है जैसे किसान चिलम पी रहा हो। पहाड़ के पास बहती नदी ऐसी लग रही है जैसे किसान ने घुटनों तक चादर ओढ़ ली हो। पास में पलाश के जंगल इस तरह लग रहे हैं जैसे कोई अंगीठी जल रही हो। उधर पूर्व दिशा में अँधकार ऐसे सिमटा है जैसे भेड़ अपने झुंड में सिमट जाते हैं। अचानक बोला मोर। तभी कहीं से मोर की आवाज आती है तो ऐसा लगता है कि किसी ने पहाड़ रूपी किसान को आवाज दी हो उसे बुलाने के लिए। ठीक ऐसे ही जब शाम होने पर किसी की पत्नी या किसी की माँ उसे घर वापस आने के लिए आवाज लगाती हो। उसके बाद सबकुछ स्याह हो जाता है, फिर सूरज डूब जाता है और चारों ओर अंधेरा छा जाता है। कविता सेप्रश्न 1: इस कविता में शाम के दृश्य को किसान के रूप में दिखाया गया है- यह एक रूपक है। इसे बनाने के लिए पाँच एकरूपताओं की जोड़ी बनाई गई है। उन्हें उपमा कहते हैं। पहली एकरूपता आकाश और साफे में दिखाते हुए कविता में ‘आकाश का साफा’ वाक्यांश आया है। इसी तरह तीसरी एकरूपता नदी और चादर में दिखाई गई है, मानो नदी चादर सी हो। अब आप दूसरी, चौथी और पाँचवी एकरूपताओं को खोजकर लिखिए। उत्तर: चिलम सा सूरज, अंगीठी सा पलाश का जंगल, भेड़ों के गल्ले सा अंधकार प्रश्न 2: शाम का दृश्य अपने घर की छत या खिड़की से देखकर बताइए (क) शाम कब से शुरु हुई? उत्तर: लगभग साढ़े पाँच बजे (ख) तब से लेकर सूरज डूबने में कितना समय लगा? उत्तर: बीस मिनट (ग) इस बीच आसमान में क्या-क्या परिवर्तन आये? उत्तर: सबसे पहले आसमान का रंग हल्की लालिमा युक्त नीला हो गया। उसके बाद लाली बढ़ने लगी और लाग, नारंगी और पीले रंग आकाश में छाने लगे। फिर आसमान का रंग सलेटी और गहरा सलेटी होता गया। कवि ने किसान के रूप में जाड़े की शाम के प्राकृतिक दृश्य का चित्रण किया है। इस प्राकृतिक दृश्य में पहाड़-बैठे हुए एक किसान की तरह दिखाई दे रहा है, आकाश-उसके सिर पर बँधे साफ़े के समान, पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी-घुटनों पर रखी चादर-सी, पलाश के पेड़ों पर खिले लाल-लाल फूल-जलती अँगीठी के समान, पूर्व क्षितिज पर घना होता अंधकार-झुंड में बैठी भेड़ों जैसा और पश्चिम दिशा में डूबता सूरज-चिलम पर सुलगती आग की भाँति दिख रहा है। यह पूरा दृश्य शांत है। अचानक मोर बोल उठता है। मानो किसी ने आवाज़ लगाई-'सुनते हो'। इसके बाद यह दृश्य घटना में बदल जाता है-चिलम उलट जाती है, आग बुझ जाती है, धुआँ उठने लगता है, सूरज डूब जाता है, शाम ढल जाती है और रात का अँधेरा छा जाता है। 👉कक्षा सात हिंदी के सभी पाठों की विस्तृत व्याख्या और प्रश्न उत्तर( click here) 🎥 शाम एक किसान की व्याख्या व भावार्थ (विडियो) कविता का भावार्थआकाश का साफ़ा बाँधकरसूरज की चिलम खींचता बैठा है पहाड़, घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी, पास ही दहक रही है पलाश के जंगल की अँगीठी अंधकार दूर पूर्व में सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा। भावार्थ- दूर स्थित पहाड़ आसमान की पगड़ी धारण किए हुए अपने हाथों में सूरज की चिलम पीता हुआ सा लगता है। दूसरे शब्दों में दूर से पहाड़ पगड़ी पहने एक किसान की तरह बैठे हुए चिलम पीता हुआ सा दिखाई देता है। पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी किसान के घुटनों पर रखी चादर की तरह दिखती है। पहाड़ पर उगा लाल फूलों से लदा-फंदा पलाश का पेड़ उसके पास रखी दहकती अँगीठी सा दिखाई दे रहा है। सूर्यास्त होने को है। धरती के पूर्वी क्षितिज पर धीरे-धीरे अँधकार गहराने लगा है। धरती के पूर्वी छोर पर गहराता अँधकार किसी सिमटे हुए भेड़ों के झुण्ड सा दिखाई देता है। कहने का तात्पर्य यह है कि शाम के समय पहाड़ दिनभर से थके-हारे चिलम पीते किसी किसान की तरह अपनी थकावट उतारता सा प्रतीत होता है। शाम एक किसान प्रश्न-अभ्यासकविता से1. इस कविता में शाम के दृश्य को किसान के रूप में दिखाया गया है यह एक रूपक है। इसे बनाने के लिए पाँच एकरूपताओं की जोड़ी बनाई गई है। उन्हें उपमा कहते हैं। पहली एकरूपता आकाश और साफे में दिखाते हुए कविता में आकाश का साफ़ा' वाक्यांश है। इसी तरह तीसरी एकरूपता नदी और चादर में दिखाई गई है, मानो नदी चादर-सी हो। अब आप दूसरी, चौथी और पाँचवी एकरूपताओं को खोजकर लिखिए।उत्तर- 1- आकाश का साफा 2-सूरज की चिलम 3-नदी चादर सी 4-भेड़ों के गल्ले सा 5-जंगल की अंगीठी 2. शाम का दृश्य अपने घर की छत या खिड़की से देखकर बताइए(क) शाम कब से शुरू हुई?उत्तर- सर्दियों की ऋतु में दिन छोटे होते हैं। शाम की गोधूलि बेला के तुरंत बाद ही शाम की बेला या समय शुरू हो जाता है। इस समय सूर्य लगभग 5:30 बजे तक अस्त या डूब जाता है।(ख) तब से लेकर सूरज डूबने में कितना समय लगा?उत्तर- 5:30 बजे शाम को छत पर चढ़कर सूरज डूबने में अधिकतम 10 मिनट ही लेता है शाम 5:40 तक सूरज पूरी तरह पश्चिम चोर में जाकर छिप जाता है (ग) इस बीच आसमान में क्या-क्या परिवर्तन आए?उत्तर- अस्त होते हुए सूरज की रोशनी धीमी होने लगती है। उसकी किरणों से तेज समाप्त हो जाता है। सूरज को देखते हुए आंखों को कोई कष्ट नहीं होता है। नीले आकाश में तैरते सफेद बादल कालिमा में बदलने लगते हैं। सूरज की लाल किरणों से आसमान का पश्चिम छोर लालिमा से भर जाता है। 3-मोर के बोलने पर कवि को लगा जैसे किसी ने कहा हो-'सुनते हो'। नीचे दिए गए पक्षियों की बोली सुनकर उन्हें भी एक या दो शब्दों में बाँधिएकबूतर, कौआ, मैना, तोता, चीलउत्तर-पक्षी का नाम ध्वनि अर्थ कबूतर गुटर गूँ उड़ चल तू कौवा काँव-काँव छाँव-छाँव मैना। चीं-चीं नन्हीं तोता टें-टें। कह-कह चील चिलील चीं। ऊँची उड़ान शाम एक किसान कविता से आगे1-इस कविता को चित्रित करने के लिए किन-किन रंगों का प्रयोग करना होगा?उत्तर- इस कविता को चित्रित करने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले रंग- 1-बहती नदी के लिए नीला और सफेद मिलाकर आसमानी रंग। 3-सूर्यास्त के लिए सूर्य और उसके चारों ओर लाल-पीला रंग मिलाकर हलका नारंगी रंग। 2. शाम के समय ये क्या करते हैं? पता लगाइए और लिखिएपक्षी, खिलाड़ी, फलवाले, मां, पेड़-पौधे, पिताजी, किसान, बच्चेउत्तर-पक्षी- अपने घोंसलों की ओर चल देते हैं। 3. हिंदी के एक प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने संध्या का वर्णन इस प्रकार किया हैसंध्या का झुटपुटबाँसों का झुरमुट हैचहक रहीं चिड़ियाँटी-वी-टी--टुट्-टुट्ऊपर दी गई कविता और सर्वेश्वर दयाल जी की कविता में आपको क्या मुख्य अंतर लगा? लिखिए।उत्तर - हिंदी साहित्य के प्रख्यात कवि सुमित्रानंदन पंत जी ने अपनी कविता में सान्ध्यकालीन दृश्य का वर्णन करते हुए विभिन्न पक्षियों की गतिविधियों को दर्शाया है। शाम होते ही कुछ पक्षी अपने नीडों की ओर लौटते हैं, तो कुछ झुंड में कलरव करते दिखाई देते हैं। कुछ पक्षी अपने घोंसले में बैठ शांत भाव से मानो टी-वी-टी टुट-टुट करके प्रार्थना कर रहे हो। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने अपनी कविता में सूर्यास्त के दृश्य का मानवीकरण और रूपक प्रस्तुत करते हुए प्राकृतिक दृश्य का चित्रण किया है। शाम एक किसान अनुमान और कल्पनाशाम के बदले यदि आपको एक कविता सुबह के बारे में लिखनी हो तो किन-किन चीजों की मदद लेकर अपनी कल्पना को व्यक्त करेंगे? नीचे दी गई कविता की पंक्तियों के आधार पर सोचिएपेड़ों के झुनझुने |