सिर्फ इस एक पेड़ की करें पूजा, भगवान शिव, गणपति और शनिदेव तीनों होंगे प्रसन्न
शनिवार के दिन यदि आप शमी के पेड़ की पूजा करते हैं तो आप पर शनिदेव के दुष्प्रभावों में कमी आएगी।
हिन्दू ग्रंथों में पेड़-पौधे भी पूज्य माने गए हैं क्योंकि इन पेड़ों में देवताओं का वास माना जाता है। पीपल में भगवान विष्णु, शिव समेत सभी देवता, केला, आंवला और तुलसी में भगवान विष्णु, बेल, बरगद और शमी में भगवान शिव का वास माना जाता है। वहीं, कमल में साक्षात् माता लक्ष्मी का वास होता है। यदि आप शमी के पेड़ की पूजा करते हैं तो भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, वहीं शनिदेव और श्री गणेश की भी कृपा प्राप्त होती है।
शनिवार के दिन यदि आप शमी के पेड़ की पूजा करते हैं तो आप पर शनिदेव के दुष्प्रभावों में कमी आएगी। यदि आप पर साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है तो शमी की पूजा करके शनिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं। आइए जानते हैं शमी से जुड़े कुछ उपायों के बारे में —
1. यदि कोई व्यक्ति प्रत्येक दिन शमी के वृक्ष की पूजा करता है और सरसों के तेल का दीपक जलाता है तो इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं। वह शनि के कुप्रभावों से बच जाता है।
2. शनिदेव से संबंधित जीवन में जो भी समस्याएं हैं, उनके निवारण के लिए व्यक्ति को शमी के जड़ को काले धागे में बांध लें। फिर उसे अपने गले या हाथ में पहन लें।
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3. शनिदेव के दोषों से जल्द मुक्ति के लिए शमी के फूल, पत्ते, जड़, टहनी और रस का इस्तेमाल करें। अवश्य लाभ मिलेगा।
4. शमी का पेड़ घर के बाहर लगाने से वास्तु दोष दूर होता है। इसे घर के बाहर ईशान कोण (पूर्वोत्तर) में लगाना सही होता है।
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Edited By: kartikey.tiwari
हिन्दू धर्म शास्त्रों में शमी के पेड़ का खास महत्व बताया गया है। माना जाता है कि शमी के पेड़ की पूजा करने से घर में शनि का प्रकोप कम होता है। यूं तो शास्त्रों में शनि के प्रकोप को कम करने के लिए कई उपाय बताएं गए हैं। लेकिन इन सभी उपायों में से […]
हिन्दू धर्म शास्त्रों में शमी के पेड़ का खास महत्व बताया गया है। माना जाता है कि शमी के पेड़ की पूजा करने से घर में शनि का प्रकोप कम होता है। यूं तो शास्त्रों में शनि के प्रकोप को कम करने के लिए कई उपाय बताएं गए हैं। लेकिन इन सभी उपायों में से प्रमुख उपाय है शमी के पेड़ की पूजा। ज्योतिष के अनुसार घर में शमी का पौधा लगाकर पूजा करने से कामों में आने वाली रुकावट दूर होती है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि शमी के पेड़ में शनिदेव का वास होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि शमी के पेड़ से शनिदेव का क्या संबंध है? साथ ही इसे चढ़ाने से शानि क्यों प्रसन्न होते हैं? चलिए आज इसे जानते हैं।
शमी पेड़ की लकड़ी को यज्ञ की वेदी के लिए पवित्र माना जाता है। शनिवार को करने वाले यज्ञ में शमी की लकड़ी से बनी वेदी का विशेष महत्व है। एक मान्यता के अनुसार कवि कालिदास को पेड़ के वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या करने से ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। शमी को गणेश जी का प्रिय पेड़ माना जाता है। इसलिए भगवान गणेश की आराधना में शमी के पेड़ की पत्तियों को अर्पित किया जाता है। भगवान गणेश की पूजा में प्रयोग की जाने वाली इस पेड़ की पत्तियों का आयुर्वेद में भी महत्व है।
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आयुर्वेद की नजर में शमी अत्यंत गुणकारी औषधि है। कई रोगों में इस वृक्ष के अंग काम लिए जाते हैं। उत्तर भारत के बिहार और झारखंड में सुबह के समय उठने के बाद शमी के पेड़ के दर्शन को शुभ माना जाता है। बिहार और झारखंड में यह पेड़ अधिकतर घरों के दरवाजे के बाहर लगा हुआ मिलता है। लोग किसी भी काम पर जाने से पहले इसके दर्शन करते और इसे माथे से लगाते हैं, ऐसे करने से उन्हें उस काम में कामयाबी मिलती है। शमी के पेड़ पर कई देवताओं का वास होता है। सभी यज्ञों में शमी पेड़ का उपयोग शुभ माना गया है। शमी के कांटों का प्रयोग तंत्र-मंत्र बाधा और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए होता है। शमी के पांच अंग, यानी फूल, पत्तियों, जड़, टहनियों और रस का इस्तेमाल कर शनि संबंधी दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है।
दशहरे पर शमी के पेड़ के पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्र में भी शमी के पेड़ की पत्तियों से पूजन करने का महत्व बताया गया है। नवरात्र के नौ दिनों में प्रतिदिन शाम के समय पेड़ का पूजन करने से धन की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले शमी के वृक्ष के सामने अपनी विजय के लिए प्रार्थना की थी। शमी की पूजा के साथ ही एक सवाल यह भी है कि इस पेड़ को घर में किस तरफ लगाना चाहिए। शमी के पेड़ को घर के मुख्य दरवाजे के बांयी तरफ लगाएं। इसके बाद नियमित रूप से सरसों के तेल का दीपक जलाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से घर-परिवार के सभी सदस्यों पर हमेशा शनि की कृपा बनी रहती है।