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अगर, आपकी ठीक-कमाई होती है (सालाना 2.5 लाख रुपए से अधिक) तो आपको टैक्स चुकाना पड़ सकता है। हालांकि, सरकार ने ऐसी व्यवस्था कर दी है कि 5 लाख रुपए तक की आमदनी पर टैक्स नहीं देना पड़ता। टैक्स छूट, टैक्स कटौती, टैक्स स्लैब और टैक्स रिबेट के माध्यम से आप ये सहूलियत ले पाते हैं। बहरहाल सरकार अलग-अलग कैटेगरी के लोगों से और अलग-अलग तरह की आमदनियों पर, अलग-्अलग तरीके से टैक्स वसूलती है। इसीलिए इनके अलग-अलग नाम भी सुनने को मिलते हैं, जैसे कि इनकम टैक्स, प्राेफेशनल टैक्स, गूड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी), सेस, सरचार्ज वगैरह। इस लेख में हम जानेंगे कि टैक्स क्यों लगाया जाता है? और टैक्स कितने प्रकार के होते हैं? What are taxes ?How many types of taxes there are? पूरा लेख एक नजर में
टैक्स क्यों लगाया जाता है? why tax is imposed by the governmentसरकार को अपने विभागों और योजनाओं के संचालन के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है। देश व राज्यों के विकास के लिए और जनता को सुविधाएं देने के लिए लोगों से टैक्स वसूलती है। ये पैसे सरकार, मुख्य रूप से टैक्सों के माध्यम से ही प्राप्त करती है। नीचे हम कुछ ऐसे उद्देश्यों की लिस्ट दे रहे हैं, जिनके लिए सरकार को टैक्स लगाने की जरूरत पड़ती है।
भारत में टैक्स के प्रकार | Types of Taxes In Indiaभारत में सरकार या अधिकृत संस्थाओं की ओर से टैक्स वसूलने का सिस्टम दो कैटेगरी में बंटा हुआ है-
दोनों तरह के टैक्सों के बारे में पहले संक्षेप में इनका परिचय प्राप्त करते हैं, फिर इनके प्रमुख प्रकारों के बारे में जानेंगे। प्रत्यक्ष कर | Direct Taxesये वो Tax होते हैं जो Government आपकी कमाई के हिस्से के रूप में सीधे आपसे वसूल लेती हैं। जैसे Income Tax, Propery Tax, Corporate Tax, Capital Gain Tax, TDS आदि । इन्हें प्रत्यक्ष कर यानी Direct Taxes इसलिए कहते हैं क्योंकि इन्हें जिस व्यक्ति पर लगाया जाता है, Direct उसी से वसूला भी जाता है। इन्हें भरने वाला आगे चलकर किसी और पर उसका भार Transfer नहीं कर सकता। टैक्स की भाषा में कहें तो कराघात (Impact of Tax) और करापात Incident of Tax दोनों समान व्यक्ति पर होता है। इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स ऐसे ही टैक्स हैं। अप्रत्यक्ष कर | Indirect Taxesये वो Tax होते हैं जिन्हें सरकार आपसे अप्रत्यक्ष तौर पर (Indirectly) वसूल करती है। मतलब यह कि Government ने किसी और से लिया, फिर उस देने वाले ने आगे चलकर किसी और से टैक्स की भरपाई कर ली। इनडायरेक्ट टैक्स वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में शामिल करके वसूले जाते हैं। Excise Duty, Service Tax, Intertainment Tax आदि इसी Catagory के Tax हैं। हाल ही में आया GST भी इसी Catagory का Tax है। आ र्थिक भाषा में कहें Indirect Taxes में कराघात (Impact of Tax) और करापात (Incident of Tax) दोनों अलग-अलग व्यक्ति पर होता है। प्रमुख प्रत्यक्ष करों के नाम| Major Direct Taxesइनकम टैक्स | Income taxजैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह लोगों की Income पर लगाया जाता है। लोग जो भी कमाते हैं, उसमें से एक तय हिस्सा सरकार उनसे Tax के रूप में ले लेती है। इसे Central Government की ओर से लगाया और वसूला जाता है, लेकिन Finance Commision की सिफारिशों के अनुसार केंद्र और State Government के बीच बांटा जाता है । भारत में, बहुत कम Income वाले लोगों को Income Tax के दायरे से बाहर रखा गया है। इसके ऊपर थोड़ा ज्यादा Income वालों से कुछ Percentage में और बहुत ज्यादा income वालों से ज्यादा Percentage में इनकम टैक्स लिया जाता है। किस Level की कमाई होने पर कितना हिस्सा (Percentage में) टैक्स लिया जाएगा, इसकी घोषणा सरकार हर साल Financial Year शुरू होने से पहले Budget में Tax Slab के रूप में करती है। ये Tax Slab भी अलग-अलग श्रेणी के लोगों के लिए अलग-अलग होते हैं। जैसे Senior Citizens, Companies, Firms, Organisations आदि के लिए अलग-अलग Tax Slab Rates होते हैं। Tax Slab Rates के बारे में विस्तार से जानकारी हमने अलग लेख में दी है। यहां पर हम टैक्स स्लैब से परिचित कराने के लिए, आपको वित्त वर्ष 2022-23 में सामान्य़ नागरिकों (60 वर्ष से कम उम्र वाले) पर लागू टैक्स स्लैब को दे रहे हैं- Income Tax Slab Rate (2022-23) for Individual Below 60)
इनकम टैक्स में शामिल Income Sources: इनकम टैक्स की गणना करते वक्त निम्नलिखित Sources से हुई आय को आपकी कुल Income में शामिल किया जाता है।
Note :
टीडीएस | Tax Deduction at Source-TDSIncome के कुछ तरीके ऐसे होते हैं, जिनमें Payment पहले से तय होता है, जैसे सैलरी, Contract Payment आदि। ऐसे मामलों में सरकार Salary देने वाले या Contract Payment करने वाले को ही Payment से पहले ही टैक्स काटकर जमा करने का जिम्मा सौंपती है। इस प्रक्रिया में चूंकि आमदनी देने वाले स्रोत से ही टैक्स कटौती कर ली जाती है, इसलिए इसे स्रोत पर कर कटौती Tax Deduction at Source या टीडीएस कहा जाता है। For Example: अगर आप किसी संस्थान के Salaried कर्मचारी हैं और आपकी सैलरी टैक्सेबल है तो कंपनी तनख्वाह देने से पहले TDS काट लेती है। बचा हिस्सा ही आपके Account में जमा करती है। TDS काटने वाला इसका Certificate भी देता है।
प्रोफेशनल टैक्स | Professional Taxअगर आप कमाऊ professional हैं तो आप जिस राज्य की सीमा में काम कर रहे हैं, वहां की राज्य सरकार आप पर यह टैक्स लगा सकती है। देश के ज्यादातर राज्यों में यह टैक्स लगता है। Private organizations में काम करने वाले हर इस Catagory के व्यक्ति को यह Tax देना पड़ता है। यह आपके Employer की ओर से हर महीने काट लिया जाता है और State Government या नगर निगम के पास जमा कर दिया जाता है। income tax की ही तरह यह टैक्स भी अनिवार्य है। हर राज्य में इसकी दर अलग-अलग हो सकती है। Professional Tax लगाने वाली सरकारेें बाकायदा इसके टैक्स स्लैब जारी करती हैं। आप जिस स्लैब में आते हैं, उसके अनुसार आपको ये टैक्स भरना पड़ता है। फिलहाल Professional Tax ज्यादा से ज्यादा 2500 रुपए ही लगाया जा सकता है। और पढ़ें – राज्यों में प्रोफेशनल टैक्स के रेट सुविधाओं पर टैक्स | Perquisite TaxEmployer की ओर से अपने Staff को Salary के अलावा दी जाने वाले पर्क्स (अतिरिक्त सुविधाओं) पर Perquisite Tax लगता है। उदाहरण के लिए, आपकी कंपनी आपको Salary के अलावा जो कार-ड्राइवर, आवास, क्लब मेंबरशिप, Employee stock ownership plan-ESOP आदि की सुविधाएं देती है उन पर Perquisite Tax देना पडता है। इस Tax के अंतर्गत यह देखा जाता है कि क्या Company द्वारा दी गई सुविधा का वास्तविक फायदा Staff को हो रहा है कि नहीें। For Example: अगर आपको Company सिर्फ कंपनी के Business संबंधी कार्यों के लिए कार उपलब्ध कराती है तो उस पर आपको Tax नहीं देना होगा। इसके विपरीत, अगर वही Car आपको घर से आने-जाने और अन्य निजी कार्यों के लिए भी उपलब्ध कराई जाती है तो इस पर इस पर होने वाले खर्च पर Perquisite Tax लगेगा। अगर दोनों तरह के कामों में यही Car लगाई जाती है तो भी यह Tax लगेगा।
कैपिटल गेन्स टैक्स| Capital Gains taxProperty, Gold, Jwellery, Shares और B0nds वगैरह को बेचने से होने वाले लाभ को Capital Gain कहा जाता है। सरकार Capital Gain पर भी टैक्स लेती है। Capital Gain दो प्रकार के होते हैं-long Term Capital Gain और Short Term Capital Gain। हर पूंजी पर Long Term और Short Term की गणना और उस पर Tax का Rate अलग-अलग होता है।
विस्तार से जानें:कैपिटल गेन्स टैक्स क्या है? प्रॉपर्टी टैक्स| Property Tax/Municipal Taxअगर आप किसी बडे़ शहर में निवास कर रहे हैं, जहां Municipal Corporation है तो आपको अपनी प्रॉपर्टी पर property tax या Municipal Tax भी देना पड़ता है। आपकी प्रॉपर्टी में आपके आवासीय भवन, Office, फैक्टरी बिल्डिंग, गोदाम, Flat, दुकान वगैरह हो सकती हैं। Property Tax उस टैक्स से अलग होता है जो आपको Income Tax के अंतर्गत Property से होने वाली आमदनी पर देना पड़ता है। इसे सिर्फ Property पर आपके मालिकाना हक होने के कारण देना पड़ता है। दरअसल Property Tax नगर निगम तमाम सुविधाओं के बदले में लेता है, जैसे कि सडकें, सीवेज सिस्टम, बिजली, पार्क आदि। गिफ्ट टैक्स | Gift Taxभारत में अगर आप 50 हजार रुपए से अधिक का Gift प्राप्त करते हैं तो आपको सरकार को उस पर Tax देना पड़ता है। यह Tax अन्य स्रोतों से आमदनी शीर्षक के तहत गिना जाता है। अगर यह आपके Family के किसी सदस्य या नजदीकी Relative की ओर से दिया गया है जैसे कि माता-पिता, पति-पत्नी, भाई-बहन आदि तो इसे Tax से मुक्त रखा गया है। स्थानीय अधिकारियों से मिला Gift भी टैक्स से छूट प्राप्त होता है। शादी के वक्त मिले गिफ्ट पर भी टैक्स नहीं लगता है।
कॉर्पोरेट टैक्स | Corporate Taxकोई कंपनी यदि भारत में कारोबार करती है तो उस पर Corporate Tax लगाया जाता है। दरअसल जिस तरह हम लोगों की कमाई पर इनकम टैक्स लगता है उसी तरह कंपनियों की कमाई पर कॉरपोरेट टैक्स लगता है। फिलहाल 400 करोड़ से कम टर्नओवर वाली कंपनियों पर 22% टैक्स लगता है। उस पर सेस और सरचार्ज मिलाकर कुल 25.17% बैठता है। लेकिन नई कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए 1st October 2019 या उसके बाद शुरू की गई कंपनियों के लिए कार्पोरेट टै्क्स की दर सिर्फ 15% रखी गई है। सेस और सरचार्ज मिलाकर यह 17.01% पड़ता है। विदेशी कंपनियों पर 40 प्रतिशत Corporate Tax लगता है। हालांकि यह उस देश के साथ Trade संधियों पर भी निर्भर करता है। डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स| Dividend Distribution Tax (DDT)कंपनियां अपने मुनाफे को दो तरीके से इस्तेमाल करती हैं। पहला मुनाफे को आने वाले दिनों या विस्तार के लिए अपने पास रख लेना। दूसरा मुनाफे को कंपनी के मालिक और शेयरहोल्डरों के बीच डिविडेंड के तौर पर बांट देना। जब मुनाफे का इस्तेमाल पहले तरीके से होता है तो उसे कॉरपोरेट टैक्स या MAT देना होता है। लेकिन अगर मुनाफा का हिस्सा शेयरहोल्डरों को Dividend के तौर पर दिया जाए तो उस पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स लगता है। कंपनी इस टैक्स को काटकर ही डिविडेंड बांटती है। यानी हमें आपको शेयर पर जो डिविडेंड मिलता है उस पर पहले से टैक्स कट चुका होता है। और इसीलिए डिविडेंड की कमाई पर इनकम टैक्स नहीं लगता है। फिलहाल Dividend Distribution Tax करीब 20% है।
सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स | Securities Transaction Taxआप Stock Exchange में जो शेयर की खरीद-बिक्री करते हैं, उस पर मिलने वाले लाभ पर तो Capital Gain Tax देना ही पड़ता है इसके पहले भी जब आप शेयर बाजार में Share आदि का सौदा कर रहे होते हैं, उसी समय उस खरीद या बेच पर भी Tax देना पडता है। इसे Securities Transaction Tax कहते हैं। यह Equity Shares, derivative instruments, equity oriented Mutual Funds आदि की खरीदारी करने और बेचने, दोनों पर लगता है। वैसे इसकी मात्रा इतनी कम होती है कि Tax देने वाले को इसका भार ज्यादा प्रभावित नहीं करता। प्रमुख अप्रत्यक्ष कर| Major Indirect Taxesजीएसटी | Goods And Services Taxes-GSTGST यानी माल एवं सेवा कर देश भर में 1 जुलाई 2017 से लागू हुआ है। इसे इसके पहले केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से लागू तीन दर्जन से ज्यादा Indirect Taxes को हटाकर लागू किया गया है। मतलब यह कि वस्तुओं और सेवाओं पर अब पहले लगने वाले ढेरों Taxes की बजाय अब अकेला GST टैक्स लगना है। GST में जो टैक्स मिलाए गए हैं, उनमें से प्रमुख Taxes के नाम हम नीचे सारणी में दे रहे हैं।
तीन प्रकार के जीएसटी | Three Forms Of GST
जीएसटी की दरें | Rates Of GST GST Council ने अलग-अलग प्रकार की वस्तुओं के लिए जीएसटी के कुल पांच रेट तय किए हैं-
स्टांप शुल्क , रजिस्ट्री फीस, ट्रांसफर टैक्सअगर आप कोई अचल संपत्ति खरीदते हैं तो आपको उसकी कीमत तो उसके पुराने मालिक को देनी पड़ती है। उस कीमत का कुछ प्रतिशत आपको Stamp Duty, Registration Fees के रूप में भी देना पड़ता है। ऐसा आपके नाम प्रॉपर्टी के legal document तैयार करने के लिए किया जाता है। अलग-अलग तरह की Property पर उसके स्थान व स्वरूप के मुताबिक ये शुल्क अलग-अलग हो सकते हैं। इसके अलावा अगर प्रॉपर्टी को अगर बेचा नही गया है और ट्रांसफर के माध्यम से आपके नाम किया गया है तो भी Transfer Tax देना पड़ता है। स्टांप डयूटी property के सहमति मूल्य या circle rate (राज्य सरकार द्वारा तय Property की न्यूनतम खरीद दर) पर लगता है। दोनों में जो भी ज्यादा होगा, उसका एक तय प्रतिशत Stamp Duty के रूप में देना पड़ता है। Stamp Duty के अलावा सौदे की रकम का 1 प्रतिशत Registration Charge के रूप मेें भी देना पड़ता है। कुछ राज्यों में महिलाओं के नाम प्रॉपर्टी खरीदने पर कम स्टांप शुल्क लगता है। Note: GST लागू होने के बाद भी ये शुल्क जारी रहने हैं। क्योंकि सरकार ने इन्हें GST Act में नहीं लिया है। वैसे 13 वें Finance Commission में जीएसटी पर बनाई गई टास्क फोर्स ने Stamp Duty को भी जीएसटी के तहत लाने की सिफारिश की थी, लेकिन फिलहाल इसे इससे बाहर ही रखा गया है। मंडी शुल्क| Mandi Shulkदेश भर में 1 जुलाई 2017 से GST लगने के बाद ज्यादातर Indirect Taxes खत्म हो गए हैं, लेकिन मंडियों में के कृषि उपज की बिक्री पर लगने वाला मंडी शुल्क अब भी बरकरार है। कोई भी किसान किसी मंडी में जब अपना माल बेचने जाता है तो उस पर मंडी शुल्क लगता है। मंडी शुल्क की दरें देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हैं। अधिकांश राज्यों में यह डेढ़ से 2 प्रतिशत है, हरियाणा-पंजाब में 4 प्रतिशत भी है। हालांकि कुछ विशेषज्ञ मंडी शुल्क को Tax की कैटेगरी में नहीं मानते। उनके मुताबिक मंडी शुल्क से प्राप्त होने वाली धनराशि किसी राज्य सरकार के खजाने में नहीं जाती, बल्कि इसका इस्तेमाल मंडियों के रख-रखाव, प्रबंधन और कर्मचारियों आदि के लिए किया जाता है। इस कारण इसे टैक्स नहीं माना जा सकता। तो दोस्तों ये थी टैक्स के प्रमुख प्रकारों पर जानकारी। रुपयो-पैसों से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियों के लिए देखें हमारे लेख-
टैक्स क्या है और क्यों लगाया जाता है?कर करदाता द्वारा किया जाने वाला ऐसा अनिवार्य अंशदान है जो कि सामाजिक उद्देश्य जैसे आय व संपत्ति की असमानता को कम करके उच्च रोजगार स्तर प्राप्त करने तथा आर्थिक स्थिरता व वृद्धि प्राप्त करने में सहायक होता है। कर एक ऐसा भुगतान है जो आवश्यक रुप से सरकार को उसके बनाए गए कानूनों के अनुसार दिया जाता है।
टैक्स क्या है टैक्स के प्रकार?भारत में करों के प्रकार प्रत्यक्ष कर माल और सेवा कर प्रतिभूति लेनदेन कर कॉर्पोरेट टैक्स. अप्रत्यक्ष कर बिक्री कर सेवा कर मूल्य वर्धित कर (वैट) सीमा शुल्क टोल टैक्स. भारत में सबसे ज्यादा टैक्स कौन करता है?TCS ने सबसे ज्यादा 11536 करोड़ का टैक्स जमा किया
BSE की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 31 मार्च 2022 को समाप्त वित्त वर्ष में टीसीएस ने 11536 करोड़ का टैक्स जमा किया. उसके बाद टाटा स्टील ने 11079 करोड़, JSW स्टील ने 8013 करोड़, एलआईसी ने 7902 करोड़ और रिलायंस ने 7702 करोड़ का टैक्स जमा किया है.
टैक्स का हिंदी में क्या होता है?Toxic का मतलब जहरीला होता है.
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