तालव्य वर्ग में कौन से वर्ण आते हैं? - taalavy varg mein kaun se varn aate hain?

तालव्य व्यंजन वो व्यंजन होते हैं जिनके उच्चारण में जीभ के पिछले भाग को तालू से संघर्ष करना पड़ता है। वैदिक संस्कृत में च वर्ग के समस्त अक्षर इसी निसर्ग के हैं।जैसे कि  : "च" "छ" "ज" "झ" "ञ"। हिन्दी में इन अक्षरों को पश्वर्त्स्य स्पर्शसंघर्षी व्यंजनों के लिए प्रयोग किया जाता है जोकि पूर्ण रूप से तालव्य नहीं हैं। स्मरण रहे कि बिन्दु वाले अक्षर भी इसी श्रेणी से संबंधित हैं। जैसे कि "च़" का उच्चारण "tch" के समान होगा, ठीक वैसे ही "छ़' की ध्वनि "tchh" जैसी होगी। और ये दोनों अक्षर विदेशी भाषा की ध्वनियों को दर्शाने के लिए प्रयुक्त होते हैं। साथ ही साथ ध्यान देने की आवश्यकता है कि "ज़" या "झ़" तालव्य ध्वनियाँ नहीं हैं बल्कि यह "ऊष्म ध्वनियाँ" मानी जाती हैं।

तालव्य वर्णों की संख्या कितनी है?

तालव्य का अर्थ देवनागरी वर्णमाला के तालव्य वर्ण हैं- इ, ई, च, छ, ज, झ, ञ्‌, य और श।

तालव्य वर्ग में कौन से वर्ण आते है?

तालव्य : च, x, ज, झ, ञ ।

मूर्धन्य वर्ण कौन सा है?

मूर्धन्य व्यंजन ऐसे किरीट व्यंजन (यानि जिह्वा के लचीले के सामने के हिस्से से उच्चारित) होते हैं जो जिह्वा द्वारा वर्त्स्य कटक और कठोर तालू के बीच उच्चारित होते हैं। इनमें "ट", "ठ", "ड", "ढ", "र", "ड़" और "ण" शामिल हैं

लुंठित व्यंजन कौन कौन से हैं?

लुण्ठित व्यंजन (trill consonant) ऐसा व्यंजन वर्ण होता है जिसमें मुँह के एक सक्रीय उच्चारण स्थान और किसी अन्य स्थिर उच्चारण स्थान के बीच कंपकंपी या थरथराहट कर के व्यंजन की ध्वनि पैदा की जाती है। हिन्दी में इसका सबसे बड़ा उदाहरण "र" की ध्वनि है जिसमें जिह्वा का सबसे आगे का भाग कंपकंपाया या थरथराया जाता है।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग