Vishwa Me Chini Ka Sabse Bada Utpadak Desh Kaun Hai ।
GkExams on 12-05-2019
विश्व में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक ब्राजील देश है।
Comments Ravi verma on 09-09-2022
Chini
Paras suthar on 17-06-2022
Sabse jyada utpadak chini Desh kaun sa hai
Vikash Mishra on 08-04-2022
Bharat ka sugar utpadak desh me kon sa sthan hai
सवाल पूछे on 22-01-2022
भारत का सबसे छोटा नदी
Laxmidhar Behera on 11-11-2021
क्यूबा
Iishu on 29-08-2021
Chiene ka sabse bada Desh
Nishu. Kohli on 29-08-2021
Dude ka sabasa bada dase bibes ma
Chino utpadan m visv m sabse bada desh konsa h on 24-12-2019
Chino utpadan m visv m sabse bada desh konsa h
Highlights
- 1.18 लाख करोड़ रुपये से अधिक के गन्ने की खरीद
- यह मौसम भारतीय चीनी क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण
- भारत सरकार की नीति साबित हुई कारगर
World's Largest Sugar Producer: भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और उपभोक्ता और दूसरे सबसे बड़े निर्यातक के रूप में उभरा है। चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) 2021-22 में, देश में 5,000 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) से अधिक गन्ने का उत्पादन हुआ, जिसमें से लगभग 3,574 एलएमटी चीनी मिलों द्वारा कुचल कर लगभग 394 एलएमटी चीनी (सुक्रोज) का उत्पादन किया गया। इसमें से 35 एलएमटी चीनी को एथेनॉल उत्पादन के लिए और 359 एलएमटी चीनी का उत्पादन चीनी मिलों द्वारा किया गया था।
यह मौसम भारतीय चीनी क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, यह मौसम भारतीय चीनी क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ है। गन्ना उत्पादन, चीनी उत्पादन, चीनी निर्यात, गन्ने की खरीद, गन्ना बकाया भुगतान और इथेनॉल उत्पादन के सभी रिकॉर्ड सीजन के दौरान बनाए गए थे।
भारत सरकार की नीति साबित हुई कारगर
सीजन का एक अन्य आकर्षण लगभग 109.8 एलएमटी का उच्चतम निर्यात है, वह भी बिना किसी वित्तीय सहायता के जिसे 2020-21 तक बढ़ाया जा रहा था। सहायक अंतरराष्ट्रीय कीमतों और भारत सरकार की नीति ने भारतीय चीनी उद्योग की इस उपलब्धि तक पहुंचाने का काम किया है। इन निर्यातों ने देश के लिए लगभग 40,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित की है।
चीनी उद्योग की सफलता की कहानी देश में व्यापार के लिए एक बहुत ही सहायक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र के साथ केंद्र और राज्य सरकारों, किसानों, चीनी मिलों, इथेनॉल डिस्टिलरीज के समकालिक और सहयोगात्मक प्रयासों का परिणाम है। पिछले 5 वर्षो से समय पर सरकारी हस्तक्षेप चीनी क्षेत्र को 2018-19 में वित्तीय संकट से बाहर निकालने से लेकर 2021-22 में आत्मनिर्भरता के चरण तक बनाने में महत्वपूर्ण रहा है।
1.18 लाख करोड़ रुपये से अधिक के गन्ने की खरीद
अधिकारियों ने कहा कि एसएस 2021-22 के दौरान, चीनी मिलों ने 1.18 लाख करोड़ रुपये से अधिक के गन्ने की खरीद की और केंद्र से बिना किसी वित्तीय सहायता (सब्सिडी) के 1.12 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान जारी किया। इस प्रकार, चीनी सीजन के अंत में गन्ना बकाया 6,000 करोड़ रुपये से कम है, जो दर्शाता है कि गन्ना बकाया का 95 प्रतिशत पहले ही चुकाया जा चुका है। यह भी उल्लेखनीय है कि शुगर सीजन 2020-21 के लिए 99.9 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया चुकाया गया है।स्थगित करने के लिए भी कहा है।
टीम ने कहा कि डेलावेयर चांसरी कोर्ट को 'अदालत के इस तरह के समापन या आगे के आदेश को लंबित करने के लिए परीक्षण और उससे संबंधित अन्य सभी कार्यवाही स्थगित करनी चाहिए।' हाल ही में, मस्क और अग्रवाल के बीच आदान-प्रदान किए गए ग्रंथों का एक नया खजाना सार्वजनिक डोमेन में लीक हो गया था।
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हाइलाइट्स
चीनी उद्योग के लिए ऐतिहासिक है ये सत्र
सरकार के हस्तक्षेप से टला वित्तीय संकट
भारत ने चीनी के निर्यात में नया रिकॉर्ड बनाया है. भारत ने सितंबर में समाप्त विपणन वर्ष 2021-22 के दौरान 57 प्रतिशत बढ़ाकर 109.8 लाख टन का चीनी निर्यात किया है. बता दें कि चीनी विपणन वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है. निर्यात बढ़ने से भारत को लगभग 40,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. खाद्य मंत्रालय ने बुधवार इस बारे में जानकारी दी. दरअसल किसानों का गन्ना बकाया विपणन वर्ष 2021-22 (अक्टूबर सितंबर) के अंत में केवल 6,000 करोड़ रुपये था. वहीं चीनी मिलें 1.18 लाख करोड़ रुपये की कुल देय राशि में से किसानों को पहले ही 1.12 लाख करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी हैं.
दुनिया का सबसे बड़ा चीनी निर्यातक बना भारत
खाद्य मंत्रालय ने जानकारी दी कि, "भारत दुनिया में चीनी के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में उभरा है, देश चीनी का उपभोक्ता होने के साथ साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक भी है." देश में बीते वित्त
वर्ष में रिकॉर्ड 5000 लाख टन से अधिक गन्ने का उत्पादन हुआ. इसमें से चीनी मिलों ने लगभग 3,574 लाख टन गन्ने की पेराई कर 394 लाख टन चीनी (सुक्रोज) का उत्पादन किया गया.
चीनी उद्योग के लिए ऐतिहासिक है ये सत्र
इसमें से एथनॉल तैयार करने के लिए 35 लाख टन चीनी का इस्तेमाल किया गया. वहीं चीनी मिलों ने 359 लाख टन चीनी का उत्पादन किया. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "यह सत्र भारतीय चीनी उद्योग के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक साबित हुआ है. गन्ना उत्पादन, चीनी उत्पादन, चीनी
निर्यात, गन्ना खरीद, गन्ना बकाया भुगतान और एथनॉल उत्पादन के सभी रिकॉर्ड इसी सीजन के दौरान बनाए गए."
इस दौरान भारत ने सरकार ने बिना किसी वित्तीय सहायता के लगभग 109.8 लाख टन का उच्चतम निर्यात भी किया. भारत का चीनी निर्यात विपणन वर्ष 2020 21 में 70 लाख टन, 2019 20 में 59 लाख टन और 2018 19 में 38 लाख टन रहा था.
सरकार के हस्तक्षेप से टला वित्तीय संकट
मंत्रालय के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में सरकार के समय-समय पर हस्तक्षेप करने की वजह से ये क्षेत्र वित्तीय
संकट से बाहर निकला है. मंत्रालय ने कहा, "सहायक अंतरराष्ट्रीय कीमतों और भारत सरकार की नीति ने भारतीय चीनी उद्योग की इस उपलब्धि तक पहुंचाया. इन निर्यातों से देश में लगभग 40,000 करोड़ रुपये विदेशी मुद्रा हासिल हुई."
मंत्रालय का अनुमान है कि, "नए सीजन में चीनी का एथनॉल में बदलने की उम्मीद 35 लाख टन से बढ़कर 50 लाख टन हो जाएगी, जिससे चीनी मिलों को लगभग 25,000 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा."
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