वायु तत्व प्रधान धनु राशि का स्वामी गुरु है और इसके कारक ग्रह चंद्र और गुरु माने गए हैं। भाग स्थिर है और धनु लग्न की बाधक राशि कुंभ तथा बाधक ग्रह शनि है। लाल किताब अनुसार नवम भाव में धनु राशि मानी गई है जिसके गुरु का पक्का घर दो, पांच, नौ, ग्यारह और बारह माना जाता है। यदि आप धनु राशि के जातक हैं तो आपके लिए यहां लाल किताब अनुसार सामान्य सलाह दी जा रही है।
धनु राशि का ग्रह बृहस्पति होता है। यदि आपकी कुंडली में बृहस्पति खराब है तो आप निम्नलिखित सावधानी
और उपाय अपना सकते हैं। बृहस्पति खराब होने की नीचे अशुभ की निशानी दी गई है। इससे आप पता लगा सकते हैं कि आपका बृहस्पति खराब है या नहीं।
अशुभ की निशानी
*सिर पर चोटी के स्थान से बाल उड़ जाते हैं।
*गले में व्यक्ति माला पहनने की आदत डाल लेता है।
*सोना खो जाए या चोरी हो जाए।
*बिना कारण शिक्षा रुक जाए।
*व्यक्ति के संबंध में व्यर्थ की अफवाहें उड़ाई जाती हैं।
*आंखों में तकलीफ होना, मकान और मशीनों की खराबी, अनावश्यक दुश्मन पैदा होना, धोखा होना, साँप के सपने।
*सांस या फेफड़े की बीमारी, गले में दर्द।
*2, 5, 9, 12वें भाव में बृहस्पति के शत्रु ग्रह हों या शत्रु ग्रह उसके साथ हों तो बृहस्पति मंदा होता है।
सावधानी
*कभी झूठ न बोले।
*ज्ञान का घमंड न करें।
*पिता, दादा और गुरु का अपमान न करें।
*धर्म स्थान, धर्मग्रंथ, देवी और देवता का अपमान न करें।
*नास्तिक और नास्तिकता से दूर रहें।
उपाय
पीपल में जल चढ़ाएँ।
हो सके तो गुरु बनाएँ।
गीता का पाठ या कृष्ण नाम जपें।
हल्दी की गाँठ घर में रखें आदि।
गुरु ज्यादा खराब हो या उसे जल्द ही ठीक करना हो तो घर के उत्तर में पीपल पेड़ लगाएँ।
पश्चिम या उत्तर मुखी मकान हो तो अति उत्तम। ईशान में ही जल का स्थान रखें।
अक्षर तालिका : ये, यो, भो, भी, भू, धा, फा, ढा, भ।
विशेषत : सत्यभाषी, महत्वाकाँक्षी, चतुर नेतृत्व तथा मधुरभाषी।
धनु राशि (Sagittarius) का स्थान जाँघ में होता है। इसके कारक ग्रह
चंद्र और गुरु माने गए हैं। वायु तत्व प्रधान धनु राशि का स्वामी गुरु है। भाग स्थिर है और धनु लग्न की बाधक राशि कुंभ तथा बाधक ग्रह शनि है, लेकिन
लाल किताब अनुसार शत्रु और मित्र ग्रहों का निर्णय कुंडली अनुसार ही होता है।
लाल किताब अनुसार नवम भाव में धनु राशि मानी गई है जिसके गुरु का पक्का घर दो, पाँच, नौ, ग्यारह और बारह माना जाता है। लाल किताब की कुंडली अनुसार गुरु के खराब या अच्छा होने की कई स्थितियाँ हैं। यदि आप धनु राशि के जातक हैं तो आपके लिए यहाँ लाल किताब अनुसार सामान्य सलाह दी जा रही है।
अशुभ की निशानी : सिर पर चोटी के स्थान से बाल उड़ जाते हैं। गले में व्यक्ति माला पहनने की आदत डाल लेता है। सोना खो जाए या चोरी हो जाए। बिना कारण शिक्षा रुक जाए। व्यक्ति के संबंध में व्यर्थ की अफवाहें उड़ाई जाती हैं। आँखों में तकलीफ होना, मकान और मशीनों की खराबी, अनावश्यक दुश्मन पैदा होना, धोखा होना, साँप के सपने। साँस या फेफड़े की बीमारी, गले में दर्द। 2, 5, 9, 12वें भाव में बृहस्पति के शत्रु ग्रह हों या शत्रु ग्रह उसके साथ हों तो बृहस्पति मंदा होता है।
सावधानी व उपाय : कभी झूठ न बोले। ज्ञान का घमंड न करें। पीपल में जल चढ़ाएँ। आचरण को शुद्ध रखें। पिता, दादा और गुरु का आदर करें। हो सके तो गुरु बनाएँ। घर में धूप-दीप दें। गीता का पाठ या कृष्ण नाम जपें। हल्दी की गाँठ घर में रखें आदि। गुरु ज्यादा खराब हो या उसे जल्द ही ठीक करना हो तो घर के उत्तर में पीपल पेड़ लगाएँ। पश्चिम या उत्तर मुखी मकान हो तो अति उत्तम। ईशान में ही जल का स्थान रखें।
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- 4 Planets In Sagittarius Chaturgrahi Yoga Made By Shani, Surya, Guru And Ketu In Dhanu Rashi
जीवन मंत्र डेस्क. वर्तमान में धनु राशि में गुरू, केतु, सूर्य और शनि हैं। इन ग्रहों के कारण चतुर्ग्रही योग बन रहा है। इससे पहले धनु राशि में शनि और केतु ही थे। फिर शुक्र के आने से चर्तुग्रही योग बन गया था। इसके बाद शुक्र राशि बदलकर मकर में चला गया, लेकिन 16 दिसंबर को सूर्य के वृश्चिक से धनु राशि में आ जाने से ये योग फिर से बन गया है। जो कि अगले महीने मकर संक्रांति तक बना रहेगा।
- चतुर्ग्रही योग का प्रभाव
काशी विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं गणेश मिश्रा के अनुसार जब भी दो या दो से अधिक ग्रह एक ही राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दौरान कई तरह की अप्रत्याशित घटनाएं होने लगती है। चतुर्ग्रही योग की वजह से प्राकृतिक आपदाएं भी आने की संभावना है। ग्रहों की ऐसी स्थिति से देश में अनचाही स्थितियां बन सकती हैं।
- पं गणेश मिश्रा के अनुसार धनु राशि में शत्रु ग्रहों के साथ होने से सूर्य पीड़ित हो गया है। इसके प्रभाव से प्रशासनिक और भाैगोलिक बड़े बदलाव होने की संभावना है।
- राहु-केतु के कारण बृहस्पति के भी पीड़ित होने से देश में धार्मिक और सांप्रदायिक विवादों की स्थिति बनी रहेगी। धर्म और संप्रादायों से जुड़े बड़े फैसले हो सकते हैं। इसी से संबंधित बड़ी घटनाएं भी होने की संभावना है।
- शनि भी अपनी शत्रु राशि में स्थित है। शनि के कारण विवाद, झगड़े, तनाव, गलत काम, धन हानि, मेहनत और बीमारियां बढ़ने की संभावना है। राहु-केतु की स्थिति के कारण शनि के शुभ-अशुभ प्रभाव भी प्रबल हो जाएंगे।
- ज्योतिष में राहु-केतु को उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव कहा गया है। इसलिए इन ग्रहों के कारण बड़े मौसमी बदलाव होने की संभावना है। इन ग्रहों के प्रभाव से देश की सीमाओं से जुड़े बड़े फैसले और बदलाव भी हो सकते हैं।
आपकी राशि पर चतुर्ग्रही योग का असर
धनु राशि में सूर्य,
बृहस्पति, शनि और केतु के होने से 4 राशियों के लिए समय शुभ रहेगा और 4 राशियों के लिए समय ठीक नहीं रहेगा। वहीं इनके अलावा अन्य राशि वालों के लिए मिला-जुला समय रहेगा।
- शुभ असर - मेष, कर्क, वृश्चिक, कुंभ
- अशुभ असर - वृषभ, मिथुन, धनु और मकर राशि के जातकों के लिए चतुर्ग्रही योग अनुकूल नहीं रहेगा
- मिलाजुला समय - सिंह, कन्या, तुला और मीन