धरती के नीचे कौन सा लोक है? - dharatee ke neeche kaun sa lok hai?

पाताल लोक (source: Pixabay)  |  तस्वीर साभार: Representative Image

मुख्य बातें

  • ब्रह्मांड में भूलोक और स्वर्गलोक के जैसे ही पाताल लोक का भी अस्तित्व है

  • हिंदू महाग्रंथों और पुराणों के मुताबिक ब्रह्मांड में तीन लोक हैं जिसे त्रैलोक्य कहा जाता है

  • पृथ्वी के नीचे सात लोक हैं और सबसे अंतिम लोक पाताल लोक है

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक जिस तरह भू लोक और स्वर्गलोक का ब्रह्मांड में अस्तित्व है उसी तरह से पाताल लोक का भी अस्तित्व है। आज हम इसी पाताल लोक के बारे में जानने की कोशिश करेंगे कि ये आखिर में कहां पर है और कैसा दिखता है। हिंदू महाग्रंथों और पुराणों के मुताबिक ब्रह्मांड में तीन लोक हैं जिसे त्रैलोक्य कहा जाता है। इसे कृतक त्रैलोक्य, महर्लोक और अकृतक त्रैलोक्य कहा जाता है। 

कृतक त्रैलोक्य को त्रिभुवन भी कहा जाता है इसके तीन भेद हैं- भूलोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक। जितनी दूर तक सूर्य, चंद्रमा आदि का प्रकाश जाता है भूलोक कहलाता है। इसके अलावा पृथ्वी और सूर्य के बीच के लोक को भुवर्लोक कहते हैं यह सभी ग्रहों और नक्षत्रों का क्षेत्र है। तीसरा स्वर्लोक इसे स्वर्गलोक भी कहा जाता है। यह सूर्य और ध्रुव के बीच का भाग है जिनके बीच चौदह लाख योजन की दूरी का अंतर है। इसी में स्पतर्षि मंडल आता है। 

क्या है पाताल लोक
पुराणों में पाताल लोक से जुड़ी कई कहानियों का वर्णन मिलता है। पुराणों के अनुसार भूलोक यानि पृथ्वी के नीचे सात लोग स्थित है जिनमें सबसे निचला हिस्सा पाताल लोक कहलाता है। कहा जाता है कि इक बार देवी पार्वती की कान की बाली गलती से पाताल लोक में गिर गई थी उन्होंने काफी इसे ढूंढ़ने की कोशिश की लेकिन उन्हें इसका पता नहीं चला। भूलोक के नीचे रहने वाले शेषनाग को जब इसका पता लगा तो उन्होंने क्रोधित होकर पाताल लोक से ही जोर की फुफकार मारी और पृथ्वी के अंदर से गर्म जल की फुहार निकल पड़ी और इसी जल के साथ मणि (कान की बाली) भी बाहर आ गई। 

पृथ्वी के नीचे के सातों लोगों के नाम हैं क्रमश: अतल, वितल, सुतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल। विष्णु पुरान के मुताबिक पूरे भूलोक का क्षेत्रफल 0 करोड़ योजन है और इसकी उंचाई 70 सहस्त्र योजन है। और इसी के नीचे ये सातों लोक बसे हैं।

ये हैं पाताल लोक के निवासी
ऐसा माना जाता है कि पाताल लोक के सबसे मध्य भाग में शेषनाग विराजमान हैं। पाताल लोग के निवासियों में दैत्य, दानव, मत्स्य कन्याओं की जातियां, नागों इत्यादि पाए जाते हैं। इसके अलावा यहां पर हिमालय के समान ही एक पर्वत भी है जिसे अरुणनयन भी कहा जाता है। 

चंडीगढ़। हमारे देश में कुछ ऐसे रहस्य है जिन्हें जान पाना कठिन ही नहीं असंभव है। पाताल लोक की कहानियों का जिक्र तो हमारे शास्त्रों में बहुत है, लेकिन आज आपको बता दें कि पाताल लोक जाने का रास्ता भी हमारे ही देश में है। हिमालय की गोद में स्वर्ग के रास्ते ही नहीं पाताल लोक जाने के भी रास्ते है। हिमालय के आंचल में एक स्थान ऐसा है जहां करीब 82 सीढियां ऊपर जाने पर पाताल जाने का रास्ता है। कहां है यह स्थान और धरती के नीचे कैसी है यह दुनियां?

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दुनिया के सामने खुला पाताल लोक का रहस्य, खुदाई में मिला पूरा शहर और हनुमान की मूर्ति

पाताल लोक ठीक धरती के नीचे है. वहां तक पहुंचने के लिए 70 हजार योजन (लगभग 9 लाख 10 हजार किमी) की गहराई पर जाना पड़ेगा.

  • News18HindiLast Updated :May 02, 2018, 21:56 IST

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पाताल लोक, वो दुनिया जो जमीन के नीचे है. वो दुनिया जहां इंसानों का पहुंचना संभव नहीं. पौराणिक कथाओं में पाताल लोक का जिक्र बार-बार मिलता है, लेकिन सवाल ये है कि क्या पाताल लोक वाकई में है या सिर्फ कल्पना? पाताल लोक के अस्तित्व को पूरी तरह से नहीं नकारा जा सकता.

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रामायण की कथा के मुताबिक पवनपुत्र हनुमान पाताल लोक तक पहुंचे थे. भगवान राम के सबसे बड़े भक्त. रामायण की कथा के मुताबिक रामभक्त हनुमान अपने ईष्ट देव को अहिरावण के चंगुल से बचाने के लिए एक सुरंग से पाताल लोक पहुंचे थे.

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इस कथा के मुताबिक पाताल लोक ठीक धरती के नीचे है. वहां तक पहुंचने के लिए 70 हजार योजन (लगभग 9 लाख 10 हजार कि.मी.) की गहराई पर जाना पड़ेगा. अगर आज के वक्त में हम अपने देश में कहीं सुरंग खोदना चाहें तो ये जमीन की सीध में ये सुरंग अमेरिका महाद्वीप के मैक्सिको, ब्राजील और होंडुरास जैसे देशों तक पहुंचेगी.

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हाल ही में वैज्ञानिकों ने मध्य अमेरिका महाद्वीप के होंडुरास में सैकड़ों वर्ष पहले गुम हो चुके सियूदाद ब्लांका नाम के एक प्राचीन शहर की खोज की है. वैज्ञानिकों ने इस शहर को आधुनिक लाइडर तकनीक से खोज निकाला है.

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इस शहर को बहुत से जानकार वो पाताल लोक मान रहे हैं जहां राम भक्त हनुमान पहुंचे थे. दरअसल, इस विश्वास की कई पुख्ता सबूत है. संभव है कि भारत या श्रीलंका से कोई सुरंग खोदी जाएगी तो वो सीधे यहीं निकलेगी. दूसरी वजह ये है कि वक्त की हजारों साल पुरानी परतों में दफन सियुदाद ब्लांका में ठीक राम भक्त हनुमान के जैसे वानर देवता की मूर्तियां मिली हैं.

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होंडूरास के गुप्त प्राचीन शहर के बारे में सबसे पहले ध्यान दिलाने वाले अमेरिकी खोजी थियोडोर मोर्डे ने दावा किया था कि स्थानीय लोगों  वहां के प्राचीन लोग वानर देवता की ही पूजा करते थे. उस वानर देवता की कहानी काफी हद तक मकरध्वजा की कथा से मिलती-जुलती है. हालांकि अभी तक प्राचीन शहर सियूदाद ब्लांका और रामकथा में कोई सीधा रिश्ता नहीं मिला है.

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विस्तृत वर्गीकरण के मुताबिक तो 14 लोक हैं- 7 तो पृथ्वी से शुरू करते हुए ऊपर और 7 नीचे. ये हैं- भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक और ब्रह्मलोक. इसी तरह नीचे वाले लोक हैं- अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल , महातल और पाताल.

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आपने धरती पर ऐसे कई स्थानों को देखा या उनके बारे में सुना होगा जिनके नाम के आगे पाताल लगा हुआ है, जैसे पातालकोट, पातालपानी, पातालद्वार, पाताल भैरवी, पाताल दुर्ग, देवलोक पाताल भुवनेश्वर आदि, ये भी पाताल के अस्तित्व पर मुहर लगाते हैं.

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नर्मदा नदी को भी पाताल नदी कहा जाता है. कई शोध में इस बात की संभावना जताई गई है कि नदी के भीतर और समुद्र में भी ऐसे कई रास्ते हैं, जहां से पाताल लोक पहुंचा जा सकता है. धरती के 75 प्रतिशत भाग पर तो जल ही है. पाताल लोक कोई कल्पना नहीं, पुराणों में इसका विस्तार से वर्णन मिलता है.

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कहते हैं कि ऐसी कई गुफाएं हैं, जहां से पाताल लोक जाया जा सकता है. ऐसी गुफाओं का एक सिरा तो दिखता है लेकिन दूसरा कहां खत्म होता है, इसका किसी को पता नहीं. जोधपुर के पास भी ऐसी गुफाएं हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि इनका दूसरा सिरा आज तक किसी ने नहीं खोजा.

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इसके अलावा पिथौरागढ़ में भी हैं पाताल भुवनेश्वर गुफाएं. यहां पर अंधेरी गुफा में देवी-देवताओं की सैकड़ों मूर्तियों के साथ ही एक ऐसा खंभा है, जो लगातार बढ़ रहा है. बंगाल की खाड़ी के आसपास नागलोक होने का जिक्र है. यहां नाग संप्रदाय भी रहता था.

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प्राचीनकाल में समुद्र के तटवर्ती इलाके और रेगिस्तानी क्षेत्र को पाताल कहा जाता था. इतिहासकार मानते हैं कि वैदिक काल में धरती के तटवर्ती इलाके और खाड़ी देश को पाताल में माना जाता था.

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राजा बलि को जिस पाताल लोक का राजा बनाया गया था उसे आज कल सऊदी अरब का क्षेत्र कहा जाता है. माना जाता है कि मक्का क्षे‍त्र का राजा बलि ही था और उसी ने शुक्राचार्य के साथ रहकर मक्का मंदिर बनाया था. हालांकि यह शोध का विषय है.

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माना जाता है कि जब देवताओं ने दैत्यों का नाश कर अमृतपान किया था तब उन्होंने अमृत पीकर उसका अवशिष्ट भाग पाताल में ही रख दिया था अत: तभी से वहां जल का आहार करने वाली असुर अग्नि सदा उद्दीप्त रहती है. वह अग्नि अपने देवताओं से नियंत्रित रहती है और वह अग्नि अपने स्थान के आस-पास नहीं फैलती.

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इसी कारण धरती के अंदर अग्नि है अर्थात अमृत के समान माने जाने वाले जल की हानि और वृद्धि निरंतर दिखाई पड़ती है. सूर्य की किरणों से मरकर पाताल निवासी चन्द्रमा की अमृतमयी किरणों से पुन: जी उठते हैं.

First Published: May 02, 2018, 21:56 IST

पृथ्वी लोक में क्या है?

पुरुणानुसार पुथ्वी के नीचे के सात लोकों में से सातवाँ । २. पृथ्वी से नीचे के लोक । अधोलोक ।

पृथ्वी से पाताल लोक कितनी दूर है?

इस कथा के मुताबिक पाताल लोक ठीक धरती के नीचे है. वहां तक पहुंचने के लिए 70 हजार योजन (लगभग 9 लाख 10 हजार कि. मी.)

धरती के नीचे कौन चीज है?

अंतरिक्ष से नीचे का नज़ारा इसे पूरी धरती पर नज़र दौड़ाने में सिर्फ़ दो दिन के करीब लगते हैं. इसके अलावा, यह सिर्फ़ आंखों से दिखने वाली रोशनी ही नहीं देखता, बल्कि उस प्रकाश को भी पकड़ता है जो इंफ़्रा रेड (अवरक्त) और करीब-करीब पराबैंगनी है.

पाताल के नीचे क्या रहता है?

आगे पढ़ें, कौन रहता है तलातल, महातल और रसातल में... उसके नीचे महातल में कश्यप की पत्नी कद्रू से उत्पन्न हुए अनेक सिरों वाले सर्पों का 'क्रोधवश' नामक एक समुदाय रहता है। उनमें कहुक, तक्षक, कालिया और सुषेण आदि प्रधान नाग हैं। उनके बड़े-बड़े फन हैं। उनके नीचे रसातल में पणि नामके दैत्य और दानव रहते हैं।

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