एक साल में मिले 50 हजार रुपये से अधिक कीमत के उपाय टैक्स के दायरे में आते हैं. (Image-Pixabay)
भारतीय कर कानूनों के अनुसार एक व्यक्ति द्वारा प्राप्त उपहार, आमतौर पर उस समय कर योग्य हो जाते हैं जब एक वर्ष के अंदर प्राप्त किए गए इन उपहारों की कीमत 50,000 रुपये से ज्यादा हो जाती है.
- News18Hindi
- Last Updated : October 16, 2021, 14:11 IST
देश के मौजूदा इनकम टैक्स कानूनों के तहत किसी भी व्यक्ति को उपहार देने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. हालांकि, कुछ मामलों में कई तरह के उपहार आयकर कानून के दायरे में आते हैं जैसे बहू और किसी के जीवनसाथी को दिए गए उपहार, हस्तांतरित संपत्ति के कारण होने वाली आय को उपहार के तौर देने के मामले टैक्स के दायरे में आते हैं. लेकिन एक पिता किस हद तक अपने बेटे को उपहार दे सकता है, क्या कोई पिता अपने बेटे को फ्लैट खरीदकर उपहार दे सकता है, इस पर कानून क्या कहता है, यह जानने के लिए हमने इनकम टैक्स के जानकारों से राय ली.
भारतीय कर कानूनों के अनुसार एक व्यक्ति द्वारा प्राप्त उपहार, आमतौर पर उस समय कर योग्य हो जाते हैं जब एक वर्ष के अंदर प्राप्त किए गए इन उपहारों की कीमत 50,000 रुपये से ज्यादा हो जाती है. जब इन गिफ्ट्स की कीमत 50 हजार रुपये से कम रहती है, तो ये टैक्स के दायरे से परे होते हैं.
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर आपको एक वित्त वर्ष में 50,000 रुपये तक के उपहार मिलते हैं तो इस पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा. हां, अगर गिफ्ट की कीमत 50 हजार के सीमा को जैसे ही क्रॉस करती है तो पूरे कीमत पर टैक्स देना होगा. माना आपको एक वित्त वर्ष में 60 हजार रुपये के उपहार मिले तो 60 हजार रुपये आपकी इनकम में जोड़ लिए जाएंगे.
खून के रिश्तों से मिले उपहार
हालांकि, इनमें भी कुछ अपवाद हैं. कुछ मामलों में 50,000 रुपये अधिक कीमत के उपहार भी टैक्स फ्री होते हैं. इनमें कुछ खास रिश्तेदारों से मिले उपहार आते हैं. जैसे एक पिता अपने बेटे को या एक बेटा अपने पिता कितनी भी राशि का उपहार दे सकते हैं. ये उपहार टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं.
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इनकम टैक्स में रिश्तेदारों से मिलने वाले उपहार टैक्स छूट के दायरे में आते हैं. पति, पत्नी, भाई, बहन, पति और पत्नी के भाई-बहन समेत खून के रिश्ते वालों से मिलने वाला उपहार भी टैक्स छूट के दायरे में आता है.
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शादी के समय मिलने वाले उपहार पर भी किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगता है. साथ ही विरासत या वसीयत में मिले उपहार पर टैक्स नहीं देना होता है. लेकिन शादी के अलावा किसी अन्य अवसर जैसे जन्मदिन, शादी की सालगिरह, मकान का मुहूर्त आदि पर गैर रिश्तेदारों से मिले उपहार 50 हजार की लिमिट पार करते ही टैक्सेबल हो जाते हैं.
पिता-बेटे का उपहार
इनकम टैक्स के मुताबिक, एक पिता अपने बेटे को या फिर एक बेटा अपने पिता को कितनी भी कीमत का उपहार दे सकता है. यह उपहार कर मुक्त होता है. इस उपहार के लिए कोई कानूनी कार्रवाई की जरूरत नहीं होती है. एक साधारण कागज पर आपसी संबंध और उपहार के बारे में जानकारी देते हुए दो गवाहों का हस्ताक्षर करवाया जा सकता है. उपहार प्राप्त करने वाले को अपनी आमदनी में इस गिफ्ट का उल्लेख करना होगा.
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Tags: Gifts, Income tax, Personal finance
FIRST PUBLISHED : October 16, 2021, 13:27 IST
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आयकर कानून के हिसाब से रिश्तेदारों से ली गई मदद, उधार या पैसा डोनेशन ही माना जाता है और कानून इसे गिफ्ट के तौर पर देखता है. आयकर कानून के तहत सारे गिफ्ट टैक्स के दायरे में नहीं आते. कुछ को इससे छूट भी मिली है, लेकिन किसी व्यक्ति के सालभर में गिफ्ट स्वीकार करने की एक सीमा है. इतना ही नहीं कुछ बहुत करीबी रिश्तेदारों से ली मदद टैक्स फ्री भी होती है. अब यदि कोरोना टाइम में आपको रिश्तेदारों से मदद जुटानी पड़ी है तो जान लीजिए कि किस से ली गई और कितनी रकम टैक्स-फ्री होगी. (File Photo : Aajtak)
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आयकर कानून के हिसाब से एक व्यक्ति को सालभर में अधिकतम 50,000 रुपये मूल्य तक के गिफ्ट पर ही टैक्स से छूट मिलती है. लेकिन ये गिफ्ट स्वीकार करने की व्यक्तिगत सीमा है, ना कि परिवारिक. इसका मतलब परिवार का हर सदस्य साल में अधिकतम 50,000 रुपये तक टैक्स-फ्री गिफ्ट के तौर पर स्वीकार कर सकता है. इसमें नकद या किसी वस्तु के रूप में लिया गिफ्ट शामिल है. हालांकि कुछ रिश्तेदारों से ली गई मदद या गिफ्ट टैक्स-फ्री होता है.(Photo : Getty Images)
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अगर ऊपर के नियम को समझने की कोशिश करें, तो मान लीजिए आपके परिवार में 5 सदस्य हैं और सभी ने सिर्फ कोरोना टाइम में ही अपने रिश्तेदारों से गिफ्ट के तौर पर मदद स्वीकार की है. ऐसे में प्रत्येक अपने व्यक्ति 50-50 हजार रुपये की टैक्स-फ्री मदद स्वीकार कर सकता है. इस तरह एक परिवार के तौर पर अधिकतम 2.5 लाख रुपये की रिश्तेदारों से ली मदद टैक्स-फ्री होगी. (File Photo : Aajtak)
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ऊपर बताई गई 50,000 रुपये की सीमा से अधिक गिफ्ट में मिली राशि करदाता को ‘अन्य स्रोतों से आय’ के तौर पर दिखाना होती है. इस राशि पर कर का भुगतान उस पर लगने वाले टैक्स-स्लैब के आधार पर होता है. हालांकि मुसीबत की इस घड़ी में इस मदद पर टैक्स का ये नियम काफी दुखदायी है, लेकिन कुछ करीबी रिश्तेदारों से ली मदद पूरी तरह टैक्स-फ्री होती है. जानें आगे...
(Photo : Getty Images)
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टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक सारे डोनेशन या गिफ्ट टैक्स के दायरे में नहीं आते. बहुत करीबी रिश्तेदारों से लिए गए गिफ्ट या उधार (मदद) पर टैक्स नहीं लगता और ये पूरी तरह टैक्स-फ्री होता है. करीबी रिश्तेदारों में किसी व्यक्ति के भाई-बहन या माता-पिता, माता-पिता के भाई-बहन, इन सभी के जीवनसाथी इत्यादि आते हैं. ऐसे में यदि आपने उधार या डोनेशन इन लोगों से स्वीकार किया है तो ये पूरी तरह कर-मुक्त होगा. (File Photo : Aajtak)