स्टोरी हाइलाइट्स
- अब बनारस की जेल में बंद है सुभाष ठाकुर
- कई साल तक फतेहगढ़ जेल में रहा है बाबा
- फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में लगाता था दरबार
यूपी के पूर्वांचल में चाहे सियासत हो या फिर ठेकेदारी, हर जगह बाहुबलियों का बोलबाला रहा है. यूं तो पूर्वांचल के कई माफिया गैंगस्टर सुर्खियों में रहे हैं. लेकिन एक नाम ऐसा भी है, जिसे लोग यूपी का सबसे बड़ा माफिया डॉन कहते हैं और वो नाम है बाबा उर्फ सुभाष ठाकुर का. जो इस वक्त बनारस की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है. लेकिन उसके रसूख को राजनीति में अनदेखा नहीं किया जा सकता. बाबा के खिलाफ दर्जनों संगीन मामले चल रहे हैं. कई मामलों में उसे दोषी करार दिया जा चुका है.
पूर्वांचल में सियासी प्रभाव
बताया जाता है कि यूपी में होने वाले किसी भी चुनाव में बाबा का बहुत दखल रहता है. खासकर पूर्वांचल की बात करें तो वहां की कई सीटों पर सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा का सीधा प्रभाव है. सूत्रों के मुताबिक, इलाके के कई बड़े-छोटे नेता सुभाष ठाकुर से जीत का आशीर्वाद लेते हैं. कई संगीन
मामलों में दोषी करार दिए जाने के बाद बाबा उम्रकैद की सजा काट रहा है. उसने लंबी दाढ़ी रख ली है. उसका हुलिया बाबाओं जैसा हो गया है. इसीलिए लोग उसे बाबा कहकर बुलाते हैं.
ऐसे बाहुबली बना बाबा
नए काम की तलाश में जब सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा ने पहली बार मायानगरी मुम्बई में कदम रखा, तभी वो जुर्म की दुनिया के करीब पहुंचा. वहां रहते हुए ही बाबा ने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया. इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. वो एक बाद एक ताबड़तोड़ वारदातों को अंजाम दे रहा था. जुर्म की
काली दुनिया में उसका नाम तेजी से मशहूर हो रहा था. उसके नाम की दहशत भी मुंबई में नजर आने लगी थी. बाबा का नाम मुंबई अंडरवर्ल्ड छाने लगा था. वो वहां के बिल्डरों और बड़े कारोबारियों पर शिकंजा कसता जा रहा था. एक वक्त था जब उसका कारोबार यूपी से लेकर मुम्बई तक फैला हुआ था.
बाबा का शिष्य था मोस्ट वॉन्टेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद
जिस दौर में सुभाष ठाकुर का नाम जरायम की दुनिया में चमक रहा था. तभी मुम्बई पुलिस के एक कांस्टेबल का बेटा दाऊद इब्राहिम कासकर अपराध की दुनिया में एंट्री करता
है. मगर इस काली दुनिया में दाऊद को भी किसी गुरु की ज़रूरत थी. इसी वजह से वो सुभाष ठाकुर के दरबार में पहुंचा. बाबा ने उसे अपना शिष्य बना लिया. फिर उसे जरायम की दुनिया के पाठ पढ़ाए. वहीं से दाऊद ने जुर्म करने के तरीके सीखे. वहीं से वो पहले एक कुख्यात गैंगस्टर बना और फिर मुंबई का सबसे बड़ा माफिया डॉन बन गया था.
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मुंबई धमाकों के बाद अलग हुए रास्ते
सबको मालूम था कि दुनिया के कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का गुरू सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा है. दाऊद भी बाबा को बहुत मानता था लेकिन कुछ सालों बाद ही दोनों का
रिश्ता टूट गया. जिसकी वजह थे मुम्बई में 1992 के दौरान हुए सीरियल ब्लास्ट. उसी वक्त सुभाष ठाकुर और दाऊद इब्राहिम हमेशा के लिए अलग हो गए थे.
अदालत से मांगी थी बुलेटप्रूफ जैकेट और सुरक्षा
दाऊद से अलग हो जाने के बाद सुभाष ठाकुर ने दाऊद के दुश्मन बन चुके माफिया सरगना छोटा राजन के साथ हाथ मिला लिया था. हालांकि सुभाष ठाकुर को अपने शिष्य दाऊद इब्राहिम से ही जान का खतरा महसूस होने लगा था. बाबा का ये खौफ आज भी बरकरार है. क्योंकि गिरफ्तारी के बाद अपनी जान को खतरा बताते हुए
साल 2017 में बनारस कोर्ट में एक याचिका दायर कर बुलेटप्रूफ जैकेट और सुरक्षा की मांग की थी.
कोई दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहता था
पूर्वांचल में जुर्म की दुनिया से निकलकर सियासत में कदम रखने वाले बृजेश सिंह को सुभाष ठाकुर ने सहारा दिया था. सुभाष ठाकुर का हाथ सिर पर आ जाने से बृजेश सिंह को बहुत फायदा हुआ था. दोनों साथ मिलकर काम करने लगे थे. बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी से लेकर अतीक अहमद तक कोई भी सुभाष ठाकुर से दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहता था. मुन्ना बजरंगी भी सुभाष ठाकुर का
चरणगोह था.
बाबा का चर्चित कांड
जब सुभाष ठाकुर उर्फ बाबा, दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन मिलकर मायानगरी पर राज कर रहे थे, तो उनकी दुश्मनी अरुण गवली गैंग के साथ हो गई थी. इसी दौरान गवली ने दाऊद को गहरी चोट दी. उसके शूटरों ने 26 जुलाई 1992 को मुंबई के नागपाड़ा की अरब गली में दाऊद इब्राहिम के बहनोई इस्माइल पारकर का कत्ल कर दिया था. इस हत्याकांड में पहली बार एके47 राइफल और 9 एमएम पिस्टल का इस्तेमाल किया गया था. इस हत्या से दाऊद खुद दहल गया था. उसने अपने बहनोई की मौत का
बदला लेने के लिए सुभाष ठाकुर और छोटा राजन को लगाया था. इन दोनों की टीम ने 12 सितम्बर 1992 को मुंबई के जेजे अस्पताल में गवली के शूटर शैलेश की हत्या कर दी थी.
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अब भी यूपी में कई डॉन मौजूद हैं जो जरायम की दुनिया से राजनीति की दुनिया तक पहुंच चुके हैं.
नई दिल्ली. 9 जुलाई, 2018 (सोमवार) को यूपी के बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद उत्तर प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है. मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने कई लोगों पर हत्या का आरोप लगाया है. घटना के पीछे साजिश की बात कही जा रही है. मुन्ना बजरंगी और उसकी पत्नी पहले ही हत्या की आशंका जता रही थीं. बता दें कि मुन्ना बजरंगी के पकड़े जाने से पहले उसके ऊपर 7 लाख रुपये का इनाम था. दूसरी तरफ ये कहा जा रहा है कि यूपी से एक खूंखार अपराधी का खात्मा हो गया. हालांकि, अब भी यूपी में कई डॉन मौजूद हैं जो जरायम की दुनिया से राजनीति की दुनिया तक पहुंच चुके हैं. इनके नाम का आज भी लोगों के बीच खौफ है. कहा तो ये भी जाता है कि राजनीति सिर्फ इनका एक चेहरा है. ये अब भी दूसरी तरफ से अपनी जरायम की दुनिया को चलाते रहते हैं और प्रदेश में दहशत फैलाए रहते हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही 5 डॉन को…
बृजेश सिंह
बृजेश सिंह का पूरा नाम अरुण कुमार सिंह है. उसके पिता रविंद्र सिंह वाराणसी में रसूखदार लोगों में एक थे. 27 अगस्त 1984 को वाराणसी के धरहरा में पिता की हत्या के बाद बृजेश ने बदला लेने के लिए जरायम की दुनिया में एंट्री ली. बताया जाता है कि 27 मई 1985 को पिता के हत्यारे हरिहर सिंह को देख बृजेश सिंह ने उसे मौत के घाट उतार दिया. इसके बाद से उसने जो अपराध की दुनिया में खौफ कायम किया, वह आज तक बना हुआ है. उसके ऊपर कई हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी जैसे मामले दर्ज हैं. साल 2008 में उड़ीसा से गिरफ्तार किया गया. इसके बाद वह उसने राजनीति में एंट्री ली. आज वह एमएलसी है.
बृजेश सिंह
मुख्तार अंसारी
मुख्तार पूर्वांचल के बाहुबली नेता के तौर पर जाने जाते हैं. वह मऊ विधानसाभ से लगातार चार बार से विधानसभा में एक सदस्य के रूप में निर्वाचित हो रहे हैं. उनपर बीजेपी नेता कृष्णानंद राय की हत्या का आरोप है. साल 1988 में उनके ऊपर पहली बार हत्या का आरोप लगा था. बृजेश सिंह से उनकी बड़ी अदावत थी, जिसे लेकर पूर्वांचल में कई बार गोलियों की तड़तड़ाहत सुनने को मिली. मुख्तार आज भी जेल में बंद है और वह लगातार आरोप लगा रहा है कि उसके हत्या की साजिश रची जा रही है.
मुख्तार अंसारी
मुन्ना बजरंगी की हत्या से सहमा माफिया डॉन मुख्तार अंसारी, बांदा जेल की बैरक से दो दिन हो गए नहीं निकला बाहर
अतीक अहमद
इलाहाबाद के रहने वाले अतीक अहमद को बाहुबली नेता के तौर पर जाना जाता है. वह फूलुप से सांसद भी रह चुके हैं. साल 2014 में उनके हलफनामे के मुताबिक, अतिक के खिलाफ 42 मामले लंबित है. इसमें हत्या की कोशिश, 6 अपहरण और 4 हत्या का आरोप है. इसमें सबसे चर्चित मामला बसपा विधायक राजूपाल की हत्या का है.
अतीक अहमद
धनंजय सिंह
मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद उनकी पत्नी ने धनंजय सिंह पर हत्या कराने का आरोप लगाया है. धनंजय जौनपुर से सांसद रह चुके हैं. वह रारी विधानसभा सीट से विधायक भी रह चुके हैं. साल 1990 में जब धनंजय 10वीं में थे तो उनके ऊपर एक टीचर की हत्या का आरोप लगा था. बाद में सरकारी टेंडरों के कई आपराधिक मामलों में धनंजय का नाम शामिल हुआ. उसके ऊपर लखनऊ के हजरतगंज थाने में आधा दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं. धनंजय ने तीन शादी की है.
धनंजय सिंह
सुंदर भाटी
मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद सुंदर भाटी गैंग का जिक्र भी सबके सामने है. आरोप है कि मुन्ना के साले की भी हत्या इसी गैंग ने की थी. इस गैंग ने दिल्ली, यूपी और हरियाणा में कई वारदातों को अंजाम दिया. वह नोएडा के घंघोला इलाके का रहने वाला है. उसपर नरेश भाटी की हत्या का आरोप है. आरोप लगता है कि वह जेल से ही अपने गैंग को चलाता है. उसपर जय भगवान की भी हत्या का आरोप है.
सुंदर भाटी
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