वनवास के दौरान राम ने कहाँ निवास किया था? - vanavaas ke dauraan raam ne kahaan nivaas kiya tha?

वीडियो डेस्क। डी डी नेशनल पर इन दिनों दिखाए जा रहे धारावाहिक रामायण का समापन हो गया। भगवान राम ने अपने 14 वर्ष का वनवास पूरा किया, रावण का वध किया, अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश दिया। और ईश्वर की शक्ति से परिचय कराया। इस दौरान समस्त भारतवासियों ने भी 

वीडियो डेस्क। डी डी नेशनल पर इन दिनों दिखाए जा रहे धारावाहिक रामायण का समापन हो गया। भगवान राम ने अपने 14 वर्ष का वनवास पूरा किया, रावण का वध किया, अधर्म पर धर्म की विजय का संदेश दिया। और ईश्वर की शक्ति से परिचय कराया। इस दौरान समस्त भारतवासियों ने भी समझा कि भगवान राम से बड़ा उनका नाम है तभी तो 100 यौजन का सेतु बनाकर तैयार किया और लंका पर विजय पाई। लेकिन इन सबके बीच आज हम आपको बताएंगे कि 14 वर्ष के वनवास में भगवान राम ने कहां कहां भ्रमण किया। क्या आप जानते हैं भगवान राम 14 साल के वनवास के दौरान 16 जगह गए थे। आइये जानते हैं कौन से स्थान हैं। 

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भगवान राम ने वनवास के दौरान वर्षा के समय पंचवटी नामक स्थान पर विश्राम किया था

bhagwan ram ne vanvas ke dauran varsha ke samay panchawati namak sthan par vishram kiya tha

भगवान राम ने वनवास के दौरान वर्षा के समय पंचवटी नामक स्थान पर विश्राम किया था

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वनवास के दौरान राम ने कहाँ निवास किया था? - vanavaas ke dauraan raam ne kahaan nivaas kiya tha?
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वनवास के दौरान राम ने कहाँ निवास किया था? - vanavaas ke dauraan raam ne kahaan nivaas kiya tha?

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यह बात तो हम सभी जानते हैं कि भगवान श्री राम को 25 वर्ष की आयु में वनवास जाना पड़ा। लेकिन इन 14 सालों में वह कहां-कहां और किन-किन लोगों से मिले? इस बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। आज हम इसी व‍िषय पर जानकारी शेयर कर रहे हैं, आइए जानते हैं...

RamRaah: राम'राह' के पांचवें एपिसोड में हम आपको बता रहे हैं छत्तीसगढ़ के उन स्थानों के बारे में, जहां भगवान राम के आगमन से जुड़ी कहानियां प्रचलित हैं. पिछले एपिसोड में भी हमने कई स्थानों के बारे में आपको बताया था.

टीवी डिजिटल की खास सीरीज राम ‘राह’ में आपको उन जगहों के बारे में बता रहे हैं, जिनके लिए कहा जाता है कि भगवान राम उन जगहों से होकर ही लंका तक पहुंचे थे. ये राम राह का पांचवां अंक है, जिसमें हम भगवान राम के वनवास के दौरान की बात कर रहे हैं. दरअसल, कहा जाता है कि भगवान राम अपने 14 वर्ष के वनवास (Ram Van Gaman) में करीब 10 सालों तक एक ही क्षेत्र में रहे थे और लंका की यात्रा काफी बाद में शुरू हुई थी. हमने चौथे अंक में भी उन्हीं स्थानों का जिक्र किया था, जहां लंबे समय तक भगवान राम, भाई लक्ष्मण और माता सीता के साथ रहे थे. आज आपको बचे हुए स्थानों के बारे में बता रहे हैं, जहां वनवास का अधिक समय बीता.

इस सीरीज में हमने 14 वर्ष के वनवास के दौरान की गई भगवान राम की यात्रा के साथ उससे पहले सीता विवाह के वक्त की गई जनकपुर तक की यात्रा का भी वर्णन किया है. हम सीरीज में बता रहे हैं कि वनवास के दौरान भगवान राम कहां-कहां रुके थे और अब उन जगहों पर क्या है. इसके अलावा आपको ये भी बताया जा रहा है कि वर्तमान में उन स्थानों पर भगवान राम को लेकर क्या क्या प्रसंग हैं और रामायण से उनका क्या संबंध है…

कहां बीता था सबसे ज्यादा समय?

कहा जाता है कि भगवान राम सबसे पहले अयोध्या से चित्रकूट पहुंचे थे. इसके बाद उनके वनवास का करीब डेढ़ साल चित्रकूट में बीता और उसके बाद वे आगे मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की तरफ बढ़े. दरअसल, कहा जाता है कि भगवान राम ने वनवास का काफी वक्त दंडकारण्य में बिताया था और ये आज का छत्तीसगढ़ है. इसके हिसाब से भगवान राम का काफी वक्त छत्तीसगढ़ में बीता और यहां रहकर उन्होंने कई आश्रमों का दौरा किया और ऋषि मुनियों से मुलाकात की. ऐसे में छत्तीसगढ़ के भगवान राम के किसी रास्ते का खास नक्शा नहीं है, इसलिए हम आपको छत्तीसगढ़ के उन स्थानों के बारे में बता रहे हैं, जहां के लिए कहा जाता है कि वहां भगवान राम आए थे.

पिछले अंक में भी हमने छत्तीसगढ़ के स्थानों के बारे में बताया था और आज के अंक में भी हम छत्तीसगढ़ के स्थानों के बारे बात रहे हैं. इन स्थानों को लेकर ही छत्तीसगढ़ सरकार ने भी राज्य में राम वन गमन का एक रास्ता बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया है.

रामायण में भी है काफी कम जिक्र

जिन दस सालों के बारे में हमनें पिछले अंक और इस अंक में बात की है, उन जगहों के बारे में रामायण में भी कोई खास वर्णन नहीं है. 48 सालों से लगातार भगवान राम के तीर्थों पर शोध कर रहे डॉ राम अवतार द्वारा लिखी गई किताब वनवासी राम और लोक संस्कृति और उनकी वेबसाइट के अनुसार,माना जाता है कि करीब 10 साल के इस वक्त को रामायण में सिर्फ कुछ ही चौपाइयों में समझा दिया गया है. यहां तक कि तुलसीदास जी की रामचरितमानस में तो सिर्फ एक चौपाई में ही इस पूरे समय का वर्णन मिलता है. लेकिन, वाल्मीकि रामायण में इस समय के लिए 3-4 श्लोक मिलते हैं. ऐसे में जिन स्थानों के बारे में बताया जा रहा है, उनके प्रसंग लोक कथाओं पर आधारित हैं. रामचरितमानस में लिखा है-

निसिचर हीन करऊं मही, भुज उठाइ पन कीन्ह। सकल मुनिन्ह के आश्रमही, जाह जाई सुख दीन्ह।।

पिछले अंक में क्या था?

राम राह में अभी तक हम अयोध्या से जनकपुर के बाद अयोध्या से मध्यप्रदेश के शहडोल तक का रास्ता तय कर चुके हैं और अब छत्तीसगढ़ के बारे में बात कर रहे हैं. पिछले अंक में हमने हरचोका, विश्रामपुर, उड़गी, पायन मरहट्टा, सरासोर, लक्ष्मीगुड़ी, पैसर घाट, श्रीराम मंदिर जैसे स्थानों के बारे में बात की थी और कहा जाता है कि इन स्थानों पर भगवान राम लंबे समय तक रूके थे.

चौथा अंक- पढ़िए वनवास में 10 साल तक कहां रहा था राम परिवार, यहां हैं वो जगहें

इस अंक में क्या है खास?

अगर इस अंक की बात करें तो इस अंक में भी छत्तीसगढ़ के उन स्थानों के बारे में बताया जाएगा, जहां भगवान राम से जुड़ी कहानियां हैं. इन स्थानों में राजीम, सिहावा, घटुला, धमतरी जैसे स्थान शामिल हैं. इसके बाद आपको बताएंगे कि छत्तीसगढ़ के बाद भगवान राम किस तरह आगे बढ़े थे और उससे जुड़ी क्या क्या कहानियां हैं.

वनवास के दौरान राम ने कहाँ निवास किया था? - vanavaas ke dauraan raam ne kahaan nivaas kiya tha?

छत्तीसगढ़ में किन-किन जगहों पर हुआ था भगवान राम का आगमन?

माण्डव्य आश्रम- छत्तीसगढ़ के राजिम में फिंगेश्वर मार्ग पर प्राचीन माण्डव्य आश्रम में भगवान राम ऋषि दर्शन के लिए आए थे. इसी स्थान के पास सरगी नाला नाम की एक जगह है, जिसके लिए कहा जाता है कि यहां भगवान राम ने अपने हथियार धोए थे. वहीं, राजीम में राजीव लोचन नाम की एक जगह है, जिसके लिए कहा जाता है कि वहां भगवान राम ने विष्णु की पूजा की थी.

कुलेश्वर नाथ मंदिर- इनके अलावा राजीम में एक कुलेश्वर नाथ मंदिर है, जिसके लिए कहा जाता है कि यहां माता सीता जी ने जनक वंश के कुल देव भगवान शिव की पूजा की थी. अभी यहां कुलेश्वर नाथ मंदिर की बहुत मान्यता है. इसके अलावा एक लोमश ऋषि का आश्रम है, जहां भगवान उनका दर्शन करने आए थे. बता दें कि कई स्थान उस वक्त नदियों के किनारे ही बसे थे.

धमतरी- धमतरी से 5 किलोमीटर दूर महानदी के किनारे भगवान शिव का प्राचीन मन्दिर है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां से ही भगवान राम गुजरे थे. वहीं पास ही में विश्रामपुर में एक मंदिर है, जिसे राम लक्षमण मंदिर कहा जाता है और कहा जाता है कि यहां भगवान राम और लक्ष्मण रुके थे.

ऋषि मण्डल नगरी (धमतरी)- यह जो जगह है, इसके आस-पास कई तरह के मंदिर या आश्रम हैं. माना जाता है कि जब भगवान राम यहां लंबे तक रुके थे तो उन्होंने लोमश (राजीम), वाल्मीकि (तुरतुरिया), माण्डव्य (फिंगेश्वर), शृंगी (सिहावा), शरभंग (दलदली), लोमश और शरभंग (डोंगरी) अंगीरा (घटुला) अगस्त्य (हर्दीभाटा/खारूगढ़), पुलस्त्य (दुधावा), कर्क/कंक (कांकेर डोगरी) जैसे ऋषियों से मुलाकात की थी.

अगस्त आश्रम- अगस्त्य आश्रम ऋषि मण्डल में सभी सात ऋषियों के आश्रम हैं. कहा जाता है कि भगवान सभी सभी आश्रमों के दर्शन के लिए गए थे. इसी क्रम में वे यहां भी आए थे.

शरभंग आश्रम- शरभंग जी के और भी कई आश्रम मिले हैं. सभी स्थलों पर श्रीराम व शरभंग जी की भेंट नहीं हुई, लेकिन श्रीराम यहां रहने वाले संतों के दर्शन के लिए यहां आए थे.

अंगिरा आश्रम- अंगिरा आश्रम घटुला नगरी से करीब 20 किलोमीटर दूर है. यहां भगवान राम अंगिरा ऋषि से मिलने आए थे.

मुचकुंद आश्रम- मुचकुंद आश्रम नगरी से 27 किलोमीटर दूर है और यहां मैचका नाम के एक गांव में मुचकुंद ऋषि का आश्रम है. आश्रम के पास सुंदर तालाब और सीताजी एवं अन्य देवों की प्रतिमाएं हैं.

वाल्मीकि आश्रम- वाल्मीकि आश्रम सीता अभ्यारण्य सिहावा से दक्षिण दिशा में सीता नदी को चित्रोत्पला नदी कहते हैं. बता दें कि राम वन गमन के पूरे रास्ते में वाल्मीकि आश्रम होने की बात कही जाती है.

कर्क आश्रम- उन्होंने काफी रास्ता महानदी के किनारे पूरा किया था और माना जाता है कि ऋषि कर्क ने श्रीराम को शत्रु के हथियार ध्वस्त करने की विद्या सिखाई थी.

गड़िया मंदिर- वनवास के दौरान भगवान श्रीराम कांकेर जिले के दुधावा कर्क ऋषि आश्रम पहुंचे और यहां से रामपुर जुनवानी, कांकेर गढिय़ा पहाड़, भंडारीपारा प्राचीन शिवमंदिर होते केशकाल की ओर बढ़ गए थे. कहा जाता है कि जोगी गुफा में श्रीराम कंक ऋषि से मिलने आए थे.

शिव मंदिर कांकेर- गढिय़ा पहाड़ में कंक ऋषि से मिलने के बाद भगवान श्रीराम वर्तमान वाले शहर के भंडारीपारा पहुंचे थे. मान्यता है कि भगवान राम ने भंडारीपारा में तालाब किनारे रामनाथ महादेव की स्थापना करते शिव पूजन किया था. इसके पास एक और शिव मंदिर है, जिसके लिए कहा जाता है कि यहां भी भगवान का आगमन हुआ था.

राकस हाडा (नारायणपुर)- नारायणपुर में राकस हाडा में श्रीराम ने यहां राक्षसों का भयंकर विनाश किया था. यहां तक कहा जाता है कि नारायणपुर से 11 कि.मी. दूर श्रीराम द्वारा मारे गए राक्षसों की हड्डियों का ढेर है. राकस हाड़ा का अर्थ हैं-राक्षस की हड्डियां. इसके पास ही कुछ गुफाएं भी हैं, जिसे भी जुड़े रामायण के कई प्रसंग हैं.

शिव मंदिर चित्रकोट (बस्तर)- राम वन गमन के पूरे रास्ते में ऐसे कई स्थान हैं, जहां भगवान शिव का मंदिर है. कहा जाता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान कई जगह शिवलिंग की स्थापना की थी. आज वहां शिवजी के मंदिर हैं. बता दें कि इन्द्रावती नदी के पास भी भगवान राम रुके थे और यहां भी भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना की थी. इसके अलावा बस्तर में कई जगह भगवान राम के आगमन की कहानियां कही जाती हैं.

शिव मंदिर इंजरम (कोंटा)- कोंटा नगर से 8 किलोमीटर दूर उत्तर में शबरी नदी के किनारे इंजरम गांव के पास एख शिव मंदिर है, जिसके लिए कहा जाता है यहां भगवान राम ने भगवान शिव की पूजा की थी.

(आर्टिकल में दी गई जानकारी डॉ राम अवतार के सहयोग से प्राप्त की गई है. डॉ राम अवतार ने भारत सरकार के मानव संसाधन विकास की ओर से वनवासी राम और लोक संस्कृति पर उनका प्रभाव विषय पर शोध योजना की स्वीकृति मिलने के बाद रिसर्च की है. साथ ही रामवन गमन की यात्रा का दौरा किया और भगवान राम से जुड़े स्थानों का दौरा किया है. साथ ही अपनी किताब में इनकी जानकारी दी है और वेबसाइट पर भी ये जानकारी है. ऐसे में यह सीरीज उनके सहयोग के साथ बनाई गई है.)

वनवास के समय श्रीराम कहाँ जाकर रहे थे *?

रामायण में उल्लेखित और अनेक अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार जब भगवान राम को वनवास हुआ तब उन्होंने अपनी यात्रा अयोध्या से प्रारंभ करते हुए रामेश्वरम और उसके बाद श्रीलंका में समाप्त की। इस दौरान उनके साथ जहां भी जो घटा उनमें से 200 से अधिक घटना स्थलों की पहचान की गई है। जाने-माने इतिहासकार और पुरातत्वशास्त्री अनुसंधानकर्ता डॉ.

क्या भगवान राम ने मांस खाया था?

अर्थात राम ने कभी मांस सेवन नहीं किया न ही उन्होंने मदिरा का पान किया है। हे देवी, वे हर दिन केवल संध्यासमय में उनके लिए एकत्रित किए गए कंद ग्रहण करते हैं। इसके अलावा अयोध्याकांड में निम्मिलिखित श्लोक निहित है जिसका कथन भोजन का प्रबंध करने के पश्चात लक्ष्मण ने किया था।

राम की उम्र कितनी है?

कहते हैं कि वे 11 हजार वर्षों तक जिंदा वर्तमान रहे। परंपरागत मान्यता अनुसार द्वापर युग के 8,64,000 वर्ष + राम की वर्तमानता के 11,000 वर्ष + द्वापर युग के अंत से अब तक बीते 5,121 वर्ष = कुल 8,80,111 वर्ष

राम कहाँ रहता था?

वाल्मीकि कृत रामायण और रामचरित रामायण के अनुसार अयोध्या में राम का जन्म हुआ था। अब सवाल यह उठता है कि अयोध्या कहां बसी थी या है।