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स्व. श्री हरिशंकर ठाकुर
जन्मतिथि - 14 नवम्बर 1964 वैवाहिक स्थिति - विवाहितविवाह की तिथि -
21 फरवरी 1995 पत्नी का नाम - श्रीमती सावित्री मंडावी संतान - 02 पुत्र शैक्षणिक योग्यता -एम.ए., एलएल.बी.(अंतिम वर्ष)
स्थायी पता - ग्राम व पोस्ट- नथिया नवागांव, तहसील- कांकेर, जिला- उत्तर बस्तर कांकेर (छ.ग.) 494336 स्थानीय पता- ए-1, पलाश विहार, न्यू पुरैना, महावीर नगर, रायपुर (छ.ग.)
- सी-3 एवं बी-9, सिविल लाईन्स, शंकर नगर, रायपुर (छ.ग.)
दूरभाष -9424288889, 9406166669
ई-मेल - विदेश यात्रा - फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी एवं ब्रुसेल्स सार्वजनिक एवं राजनैतिक जीवन का संक्षिप्त विकास क्रम : 1998- प्रथम बार म.प्र. विधान सभा के सदस्य निर्वाचित
- वरिष्ठ उपाध्यक्ष युवा कांग्रेस म.प्र.
- महासचिव, युवा कांग्रेस, म.प्र.
1998-2000 सदस्य- एस.सी., एस.टी., परिवहन, आदिवासी मंत्रणा समिति मध्यप्रदेश शासन 2000- राज्यमंत्री गृह, जेल, परिवहन, लोक निर्माण, नगरीय प्रशासन, विधि विधायी, आवास, विमानन
- अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ आदिवासी विकास परिषद
2013 द्वितीय बार छ.ग. विधान सभा के सदस्य निर्वाचित 2014-2015 सदस्य, विशेषाधिकार समिति, छ.ग. विधान सभा 2015-2016 सदस्य, गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति, छ.ग. विधान सभा 2017-2018 सदस्य, प्रत्यायुक्त विधान समिति, प्रश्न एवं संदर्भ समिति, छ.ग. विधान 2018 तृतीय बार छ.ग. विधान सभा के सदस्य निर्वाचित 2018-2019 सदस्य, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति, पटल पर रखे गये पत्रों के परीक्षण करने संबंधी समिति, छ.ग. विधान सभा 2019-2020 सभापति, प्राक्कलन समिति, छ.ग. विधान सभा 2019 से 16 अक्टूबर 2022उपाध्यक्ष, छत्तीसगढ़ विधान सभा
2020-21विशेष आमंत्रित सदस्य, कार्य मंत्रणा समिति, छत्तीसगढ़ विधान सभा
रुचि/अभिरूचिसमाज सेवा, खेल, संगीत एवं आध्यात्मिक
महाराष्ट्र विधानसभा भारतीय राज्य महाराष्ट्र की विधायिका का निचला सदन है। यह राजधानी मुंबई में दक्षिण मुंबई के नरीमन पॉइंट इलाके में स्थित है। वर्तमान में, विधानसभा के २८८ सदस्य एकल-सीट वाले निर्वाचन क्षेत्रों से सीधे चुने जाते हैं। महाराष्ट्र विधानसभा की २८८ सीटों में से २९ अनुसूचित जाति और २५ अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।Raj Bhitale
बजट सत्र और मानसून सत्र मुंबई में आयोजित किया जाता है जबकि शीतकालीन सत्र सहायक राजधानी नागपुर में आयोजित किया जाता है। 1975 में क्योंकि चुनाव सर्दियों के मौसम में थे, मानसून (दूसरा) सत्र नागपुर में और शीतकालीन (तीसरा) सत्र मुंबई में बुलाया गया था।
महाराष्ट्र की 14 वीं महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चुने गए, जिसके परिणाम 21 अक्टूबर 2019 को घोषित किए गए। सरकार बनाने के लिए 288 विधायकों की विधानसभा में बहुमत की आवश्यकता 145 सीटों की है। मौजूदा भाजपा शिवसेना गठबंधन ने गठबंधन में कुल 161 सीटें जीतकर विधानसभा में आवश्यक 145 सीटों के बहुमत को पार कर लिया। व्यक्तिगत रूप से बीजेपी ने 105 और सेना ने 56 सीटें जीतीं। 106 सीटों के साथ विपक्षी कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंचा। व्यक्तिगत रूप से INC ने 44 और NCP ने 54 सीटें जीतीं। सत्ता के बंटवारे की व्यवस्था में मतभेदों के कारण, 2019 में महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट पैदा हो गया और शिवसेना ने भाजपा के नए मुख्यमंत्री का समर्थन करने से इनकार कर दिया। विधानसभा में बीजेपी ने बहुमत साबित नहीं किया. शिवसेना और भाजपा गठबंधन से अलग हो गए।
शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी के साथ चुनाव के बाद गठबंधन किया और इस प्रकार 172 का बहुमत हासिल किया। नए गठबंधन का नाम महा विकास अघाड़ी रखा गया। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। भाजपा महाराष्ट्र में प्रमुख विपक्षी दल बन गई।
21 जून 2022 को, शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता, एकनाथ शिंदे, महा विकास अघाड़ी के कई अन्य विधायकों के साथ सूरत चले गए और गठबंधन को संकट में डाल दिया। उनकी मांग थी की सेना अघाड़ी गठबंधन को तोड़ कर बीजेपी के साथ सरकार बनाए जो आलाकमान को कतई मंजूर नहीं था तो शिंदे अघाड़ी गठबंधन से बगावत करते हुए अपने विधायकों को लेकर सूरत से गुवाहाटी पहुँच गए। खबर आती रही की शिंदे, फडणवीस जैसे बीजेपी के नेताओं के संपर्क मे रहे। 29 जून तक शिंदे समेत अघाड़ी गठबंधन के 51 विधायकों ने उद्धव सरकार के खिलाफ बगावत कर दी, जिसमे शिवसेना के 39 और 12 निर्दलीय विधायक थे। फलस्वरूप उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा। 30 जून को बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री और देवेन्द्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाते हुए नई सरकार बनाई।
विधानसभा अध्यक्ष विधानसभा एवं विधानसभा सचिवालय का प्रमुख, पीठासीन अधिकारी (अध्यक्ष) होता है, जिसे संविधान, प्रक्रिया, नियमों एवं स्थापित संसदीय परंपराओं के अन्तर्गत व्यापक अधिकार होते हैं। सभा के परिसर में उनका प्राधिकार सर्वोच्च है। सभा की व्यवस्था बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी होती है और वे सभा में सदस्यों से नियमों का पालन सुनिश्चित कराते हैं। सभा के सभी सदस्य अध्यक्ष की बात बड़े सम्मान से सुनते हैं। अध्यक्ष सभा के वाद-विवाद में भाग नहीं लेते, अपितु वे विधान सभा की कार्यवाही के दौरान अपनी व्यवस्थाएँ/निर्णय देते हैं। जो पश्चात् नज़ीर के रूप में संदर्भित की जाती हैं।सभा में अध्यक्ष और उनकी अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष सभा का सभापतित्व करते हैं और दोनों की अनुपस्थिति में सभापति तालिका का कोई एक सदस्य। सभापति तालिका की घोषणा प्रत्येक सत्र में माननीय अध्यक्ष सदन में करते हैं।
प्रत्येक राज्य की विधान सभा, यथाशक्य शीघ्र अपने दो सदस्यों को अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनती है और जब-जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद रिक्त होता है, तब-तब विधान सभा किसी अन्य सदस्य को, यथास्थिति, अध्यक्ष या उपाध्यक्ष चुनती है। [1]
पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाने की प्रक्रिया[संपादित करें]
विधान सभा के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के रूंप में पद धारण करने वाला सदस्य-
- यदि विधान सभा का सदस्य नहीं रहता है तो अपना पद रिक्त कर देगा।
- किसी भी समय, यदि वह सदस्य अध्यक्ष है तो उपाध्यक्ष को संबोधित और यदि वह सदस्य उपाध्यक्ष है तो अध्यक्ष को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा।
- विधान सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा, परंतु खंड (ग) के प्रयोजन के लिए कोई संकल्प तब तक प्रस्तावित नहीं किया जाएगा, जब तक कि उस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की कम से कम चौदह दिन की सूचना न दे दी गई हो, परंतु यह और कि जब कभी विधान सभा का विघटन किया जाता है तो विघटन के पश्चात होने वाले विधान सभा के प्रथम अधिवेशन के ठीक पहले तक अध्यक्ष अपने पद को रिक्त नहीं करेगा।
अध्यक्ष के पद के कर्तव्यों का पालन करने या अध्यक्ष के रूंप में कार्य करने की उपाध्यक्ष या अन्य व्यक्ति की शक्ति-[2]