वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन है स्त्री जीवन में कौन सा अलंकार है?
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन है स्त्री जीवन में कौन सा अलंकार है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये।
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन है स्त्री जीवन में उपमा अलंकार है क्योंकि यहाँ वस्त्र औरआभूषण की तुलना शाब्दिक भ्रम से की गई है।
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन है स्त्री जीवन में उपमेय, उपमान, समान धर्म एवं वाचक को स्पष्ट कीजिये
Advertisement
उपमेय – जिसकी उपमा दी जाय। उपर्युक्त पंक्ति में वस्त्र औरआभूषण उपमेय है।
उपमान – जिस प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से उपमा दी जाती है। उपर्युक्त पंक्ति में शाब्दिक भ्रम उपमान है।
Advertisement
समान धर्म – उपमेय-उपमान की वह विशेषता जो दोनों में एक समान है। उपर्युक्त उदाहरण में बंधन समान धर्म है।
वाचक शब्द – वे शब्द जो उपमेय और उपमान की समानता प्रकट करते हैं। उपर्युक्त उदाहरण में वाचक शब्द है।
Advertisement
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन है स्त्री जीवन में उपमा अलंकार का कौन सा भेद है?
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन है स्त्री जीवन में उपमा का भेद है – लुप्तोपमा
उपमा अलंकार- जब काव्य में किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना किसी अत्यंत प्रसिद्ध वस्तु या व्यक्ति से की जाती है तो उसे उपमा अलंकार कहते हैं
वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन का बंधन इसलिए कहा गया है क्योंकि बहू को घर-गृहस्थी के बंधन में बाँधने के मोहक अस्त्र होते हैं| स्त्री वस्त्र और आभूषण पाकर मोह में पड़ जाती है और इनकी आड़ में वह अपने ऊपर होने वाले सारे अत्याचारों को चुपचाप सहन कर लेती है|
आपके विचार से माँ ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना?
माँ के इन शब्दों में लाक्षणिकता का गुण विद्यभाव है। नारी में ही कोमलता, सुंदरता, शालीनता, सहनशक्ति, माधुर्य, ममता आदि गुण अधिकता से होते हैं। ये गुण ही परिवार को बनाने के लिए आवश्यक होते हैं। माँ ने इसीलिए कहा है कि उसका लड़की होना आवश्यक है। उसमें आज की सामाजिक स्थितियों का सामना करने का साहस होना चाहिए। उसमें सहजता सजगता और सचेतता के गुण होने चाहिए। उसे दव्यू और डरपोक नहीं होना चाहिए। इसलिए उसे लड़की जैसी दिखाई नहीं देना चाहिए ताकि कोई सरलता उसे डरा-धमका न सके।इसे सुनेंरोकेंकन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन इसलिए कहा गया है क्योंकि स्त्रियाँ सुंदर वस्त्र व सुंदर आभूषणों के चमक व लालच में भ्रमित होकर आसानी से अपनी आजादी खो देती हैं और मानसिक रूप से हर बंधन स्वीकारते हुए जुल्मों का शिकार होती हैं।
लड़की जैसी न दिखाई देने से कवि का क्या तात्पर्य है कन्यादान कविता के आधार पर लिखिए?
इसे सुनेंरोकेंQuestion. 2: लड़की जैसी न दिखाई देने से कवि का तात्पर्य है? Solution: माँ कन्यादान के समय बेटी से कहती है कि तुम लड़की होते हुए भी लड़की जैसी मत दिखाई देना। माँ द्वारा ऐसा कहने का भाव यह है कि वह लड़कियों की तरह सौंदर्य व कोमलता के गुणों से युक्त होते हुए भी सामाजिक मान्यता के अनुरूप ‘अबला’ न बने।
* कवि के अनुसार फसल क्या है?*?
पढ़ना: योनि में सूजन कैसे ठीक करें?
इसे सुनेंरोकेंकवि के अनुसार फसल क्या है? कवि के अनुसार नदियों के पानी का जादू, मनुष्यों के श्रम का परिणाम और पानी, मिट्टी, धूप, हवा का मिला-जुला रूप फसल है। फसल में मिट्टी के गुण-धर्म, सूर्य की किरणों का रूपांतरण और हवा की थिरकन है।
वस्त्र और आभूर्ण स्त्री जीवि के बंधि हैं कवव िे ऐसा क्यों कहा है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: महिलाएं जीवन भर अपने रूप को संवारती रहतीं हैं । अच्छे वस्त्र और आभूषण स्त्री जीवन को बांध देते हैं , उन्हें आगे बड़ने से रोकते हैं। इसीलिए कन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को ‘स्त्री जीवन के बंधन’ कहा गया है।
माँ ने वस्त्रों और आभूषणों को क्या और क्यों कहा है?
इसे सुनेंरोकेंExplanation: माँ कहती है कि वस्त्र-आभूषण के मोह में कभी ना पड़ना, यह केवल एक बंधन है, जिसमें कभी भी नहीं बंधना चाहिए। इसके चक्कर में बसा-बसाया संसार भी उजड़ सकता है।
धुंधले प्रकाश की पाठिका होने से क्या आशय है?
पढ़ना: कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों के शिक्षा के विरोधी क्यों थे?
इसे सुनेंरोकेंधुंधले प्रकाश की पाठिका होने से क्या आशय है? Answer: (c) विषय का अस्पष्ट ज्ञान होना। “दुःख बाँचना’ से कवि का क्या अभिप्राय है? Answer: (a) जीवन में आने वाले दुःखों की समझ होना।
धुंधले प्रकाश की पाठिका से कवि का क्या आशय है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की वह तो अज्ञान और अपनी छोटी के धुंधले प्रकाश में जीवन की कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों को पढ़ने वाली पाठिका है जो चुपचाप उन्हीं को पड़ती है।
* संदली मिट्टी से क्या आशय है?*?
इसे सुनेंरोकेंमिट्टी के लिए ‘संदली’ शब्द का प्रयोग क्यों किया जाता है? ‘संदल’ का अर्थ है ‘चंदन’। मिट्टी में सदा सोंधी-सोंधी-सी गंध होती है। कवि ने मिट्टी की इसी विशेषता को प्रकट करने के लिए ‘संदली’ शब्द का प्रयोग किया है।
* कवि ने अपने आप को क्या कहा है?*?
इसे सुनेंरोकेंकवि ने अपने जीवन के बारे मे यह कहा है कि वह अपने सांसारिक जीवन के भार को निरंतर वहन करते हुए अपना जीवन-यापन कर रहा है। इससे वह दुखी नहीं होता। उसके जीवन में प्यार का भी समावेश है।