युगपत समीकरण के कितने हल होते हैं? - yugapat sameekaran ke kitane hal hote hain?

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युगपत समीकरण

गणित के सन्दर्भ में एक से अधिक चरों (variables or unknown) से युक्त एक से अधिक समीकरणों के समूह को युगपत समीकरण (simultaneous equations) कहते हैं। 'युगपत' का अर्थ है - 'एक साथ'। दिये गये समीकरणों पर गणितीय संक्रियायें करके उनमें आने वाले सभी चरों का ऐसा मान निकालते हैं जो सभी समीकरणों को संतुष्ट करें; इन चरों का मान प्राप्त करना ही युगपत समीकरण का हल कहलाता है। .

7 संबंधों: प्राचीन मिस्र, बीजीय समीकरण, रासायनिक समीकरण, समीकरण का हल, संख्यात्मक विश्लेषण, गणित का इतिहास, आर्यभट।

प्राचीन मिस्र

गीज़ा के पिरामिड, प्राचीन मिस्र की सभ्यता के सबसे ज़्यादा पहचाने जाने वाले प्रतीकों में से एक हैं। प्राचीन मिस्र का मानचित्र, प्रमुख शहरों और राजवंशीय अवधि के स्थलों को दर्शाता हुआ। (करीब 3150 ईसा पूर्व से 30 ई.पू.) प्राचीन मिस्र, नील नदी के निचले हिस्से के किनारे केन्द्रित पूर्व उत्तरी अफ्रीका की एक प्राचीन सभ्यता थी, जो अब आधुनिक देश मिस्र है। यह सभ्यता 3150 ई.पू.

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बीजीय समीकरण

गणित में निम्नलिखित स्वरूप वाले समीकरणों को बीजीय समीकरण (algebraic equation) या बहुपद समीकरण (polynomial equation) कहते हैं। जहाँ P_n(x), n घात का बहुपद है। तथा a_n \neq 0.

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रासायनिक समीकरण

मिथेन का दहन किसी रासायनिक अभिक्रिया के प्रतीकात्मक निरूपण को रासायनिक समीकरण कहते हैं। इसे समीकरण इसलिये कहा जाता है कि इसमें समता चिन्ह (.

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समीकरण का हल

गणित में, 'समीकरण के हल' का अर्थ है, ऐसी संख्याएँ, फलन या समुच्चय खोजना जो उस दिये गये समीकरण को सन्तुष्ट करते हैं। जब हम समीकरण के हल की बात करते हैं तो उसमें आये हुए एक या अधिक चर राशियों को 'अज्ञात' (unknowns) माना गया होता है। उदाहरण के लिए, समीकरण 4.x3 + x2 - 36 .

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संख्यात्मक विश्लेषण

गणितीय समस्याओं का कम्प्यूटर की सहायता से हल निकालने से सम्बन्धित सैद्धान्तिक एवं संगणनात्मक अध्ययन संख्यात्मक विश्लेषण या आंकिक विश्लेषण (Numerical analysis) कहलाता है। सैद्धान्तिक तथा संगणनात्मक पक्षों पर जोर वस्तुतः कलन विधियों (अल्गोरिद्म) की समीक्षा की ओर ले जाती है। इस बात की जाँच-परख की जाती है कि विचाराधीन कलन विधि द्वारा दी गयी गणितीय समस्या का हल निकालने में -.

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गणित का इतिहास

ब्राह्मी अंक, पहली शताब्दी के आसपास अध्ययन का क्षेत्र जो गणित के इतिहास के रूप में जाना जाता है, प्रारंभिक रूप से गणित में अविष्कारों की उत्पत्ति में एक जांच है और कुछ हद तक, अतीत के अंकन और गणितीय विधियों की एक जांच है। आधुनिक युग और ज्ञान के विश्व स्तरीय प्रसार से पहले, कुछ ही स्थलों में नए गणितीय विकास के लिखित उदाहरण प्रकाश में आये हैं। सबसे प्राचीन उपलब्ध गणितीय ग्रन्थ हैं, प्लिमपटन ३२२ (Plimpton 322)(बेबीलोन का गणित (Babylonian mathematics) सी.१९०० ई.पू.) मास्को गणितीय पेपाइरस (Moscow Mathematical Papyrus)(इजिप्ट का गणित (Egyptian mathematics) सी.१८५० ई.पू.) रहिंद गणितीय पेपाइरस (Rhind Mathematical Papyrus)(इजिप्ट का गणित सी.१६५० ई.पू.) और शुल्बा के सूत्र (Shulba Sutras)(भारतीय गणित सी. ८०० ई.पू.)। ये सभी ग्रन्थ तथाकथित पाईथोगोरस की प्रमेय (Pythagorean theorem) से सम्बंधित हैं, जो मूल अंकगणितीय और ज्यामिति के बाद गणितीय विकास में सबसे प्राचीन और व्यापक प्रतीत होती है। बाद में ग्रीक और हेल्लेनिस्टिक गणित (Greek and Hellenistic mathematics) में इजिप्त और बेबीलोन के गणित का विकास हुआ, जिसने विधियों को परिष्कृत किया (विशेष रूप से प्रमाणों (mathematical rigor) में गणितीय निठरता (proofs) का परिचय) और गणित को विषय के रूप में विस्तृत किया। इसी क्रम में, इस्लामी गणित (Islamic mathematics) ने गणित का विकास और विस्तार किया जो इन प्राचीन सभ्यताओं में ज्ञात थी। फिर गणित पर कई ग्रीक और अरबी ग्रंथों कालैटिन में अनुवाद (translated into Latin) किया गया, जिसके परिणाम स्वरुप मध्यकालीन यूरोप (medieval Europe) में गणित का आगे विकास हुआ। प्राचीन काल से मध्य युग (Middle Ages) के दौरान, गणितीय रचनात्मकता के अचानक उत्पन्न होने के कारण सदियों में ठहराव आ गया। १६ वीं शताब्दी में, इटली में पुनर् जागरण की शुरुआत में, नए गणितीय विकास हुए.

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आर्यभट

आर्यभट (४७६-५५०) प्राचीन भारत के एक महान ज्योतिषविद् और गणितज्ञ थे। इन्होंने आर्यभटीय ग्रंथ की रचना की जिसमें ज्योतिषशास्त्र के अनेक सिद्धांतों का प्रतिपादन है। इसी ग्रंथ में इन्होंने अपना जन्मस्थान कुसुमपुर और जन्मकाल शक संवत् 398 लिखा है। बिहार में वर्तमान पटना का प्राचीन नाम कुसुमपुर था लेकिन आर्यभट का कुसुमपुर दक्षिण में था, यह अब लगभग सिद्ध हो चुका है। एक अन्य मान्यता के अनुसार उनका जन्म महाराष्ट्र के अश्मक देश में हुआ था। उनके वैज्ञानिक कार्यों का समादर राजधानी में ही हो सकता था। अतः उन्होंने लम्बी यात्रा करके आधुनिक पटना के समीप कुसुमपुर में अवस्थित होकर राजसान्निध्य में अपनी रचनाएँ पूर्ण की। .

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युगपत समीकरण कितने प्रकार के होते हैं?

युगपत समीकरणों का हल.
प्रतिस्थापन विधि (substitution).
ग्राफीय विधि (समीकरणों का ग्राफ खींचकर).
विलोपन विधि (elimination).
मैट्रिक्स विधि.
आंकिक विधि (न्युमेरिकल मेथड).

युगपत समीकरणों का हल क्या है?

'युगपत' का अर्थ है - 'एक साथ'। दिये गये समीकरणों पर गणितीय संक्रियायें करके उनमें आने वाले सभी चरों का ऐसा मान निकालते हैं जो सभी समीकरणों को संतुष्ट करें; इन चरों का मान प्राप्त करना ही युगपत समीकरण का हल कहलाता है।

समीकरण हल करने के कितने प्रकार होते हैं?

समीकरण के प्रकार.
बीजीय समीकरण (algebraic equation) रेखीय समीकरण (Linear equation) ... .
ट्रान्सिडेन्टल समीकरण (Transcendental equation).
अवकल समीकरण (Differential equation) पूर्ण अवकल समीकरण (Total Differential equation) ... .
अन्तर समीकरण (Difference equation).
समाकलन समीकरण (Integral equation).
फलनिक समीकरण (Functional equation).

दो चार वाले रैखिक समीकरण युग्म क्या है?

आप यह भी जानते हैं कि वह समीकरण, जिसको ax + by + c = 0 के रूप में रखा जा सकता है, जहाँ a, b और c वास्तविक संख्याएँ हैं और a और b दोनों शून्य नहीं हैं, दो चरों x और y में एक रैखिक समीकरण कहलाता है ।

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