1 साधारण आदम केहदल मेंकौन स बात बैठी हुई है - 1 saadhaaran aadam kehadal menkaun sa baat baithee huee hai

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1 साधारण आदम केहदल मेंकौन स बात बैठी हुई है - 1 saadhaaran aadam kehadal menkaun sa baat baithee huee hai

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Extra Questions of Class 9 Hindi Chapter 5 Dharm ki Aad . myCBSEguide has just released Chapter Wise Question Answers for class 09 Hindi – B. There chapter wise Practice Questions with complete solutions are available for download in myCBSEguide website and mobile app. These test papers with solution are prepared by our team of expert teachers who are teaching grade in CBSE schools for years. There are around 4-5 set of solved Hindi Extra questions from each and every chapter. The students will not miss any concept in these Chapter wise question that are specially designed to tackle Exam. We have taken care of every single concept given in CBSE Class 09 Hindi – B syllabus and questions are framed as per the latest marking scheme and blue print issued by CBSE for class 09.

CBSE Class 9 Hindi Ch – 5

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  1. धर्म की आड़ पाठ में साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है?

  2. धर्म की आड़ में किस प्रकार के प्रपंच रचे जा रहे हैं?

  3. धर्म की आड़ पाठ के आलोक में चालाक लोग सामान्य आदमियों से किस तरह फायदा उठा लेते हैं?

  4. धर्म की आड़ पाठ के अनुसार धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं?

  5. धर्म और ईमान के नाम पर कौन-कौन से ढोंग किए जाते हैं?

  6. लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?

  7. लेखक चलते-पुरज़े लोगों को यथार्थ दोष क्यों मानता है? धर्म की आड़ पाठ के आधार पर बताइए।

  8. देश में धर्म की धूम है – का आशय धर्म की आड़ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

Ch-5 धर्म की आड़


Answer

  1. साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह से घर करके बैठ गई है कि धर्म के सम्मान की रक्षा के लिए प्राण दे देना उचित है।
  2. दो घण्टे बैठकर पूजा करना, पाँच-वक्त नमाज अदा करना, अजाँ देना, शंख बजाना, फिर अपने को दिनभर बेईमानी करने और दूसरों को कष्ट पहुँचाने के लिए आज़ाद समझना। इसका नाम धर्म नहीं है।
  3. चालाक लोग सामान्य लोगों की धार्मिक भावनाओं का शोषण करना अच्छी तरह जानते हैं। ये सामान्य लोग धर्म के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। वे लकीर को पीटते रहना ही धर्म समझते हैं। चालाक लोग धर्म का भय दिखाकर उनसे अपनी बातें मनवा ही लेते हैं और उनसे फायदा उठा लेते हैं।
  4. धर्म की आड़ पाठ के अनुसार धर्म के दो स्पष्ट चिह्न हैं-शुद्ध आचरण और सदाचार।
  5. आज धर्म और ईमान के नाम पर उपद्रव किए जाते हैं और आपसी झगड़े करवाए जाते हैं। स्वार्थ सिद्धि के लिए लड़ाया जाता है। धर्म के नाम पर दंगे होते हैं और धर्म तथा ईमान पर जिद की जाती है। हर समुदाय का व्यक्ति दूसरे की जान लेने तथा जान देने के लिए तैयार है।
  6. लेखक के अनुसार, धर्म के विषय में मानव स्वतन्त्र होना चाहिए। हर व्यक्ति आजाद हो। वह जो धर्म अपनाना चाहे, अपनाए। कोई किसी की स्वतन्त्रता में बाधा न खड़ी करे। धर्म का सम्बन्ध हमारे मन से, ईमान से, ईश्वर और आत्मा से होना चाहिए।
  7. कुछ चालाक पढ़े-लिखे और चलते पुरज़े लोग, अनपढ़-गँवार साधारण लोगों के मन में कट्टर बातें भरकर उन्हें धर्माध बनाते हैं। ये लोग धर्म विरुद्ध कोई बात सुनते ही भड़क उठते हैं, और मरने-मारने को तैयार हो जाते हैं। ये लोग धर्म के विषय में कुछ नहीं जानते यहाँ तक कि धर्म क्या है, यह भी नहीं जानते हैं। सदियों से चली आ रही घिसी-पिटी बातों को धर्म मानकर धार्मिक होने का दम भरते हैं और धर्मक्षीण रक्षा के लिए जान देने को तैयार रहते हैं। चालाक लोग उनके साहस और शक्ति का उपयोग अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए करते हैं। उनके इस दुराचार के लिए लेखक चलते-पुरज़े लोगों का यथार्थ दोष मानता है।
  8. देश में धर्म की धूम है-का आशय यह है कि देश में धर्म का प्रचार-प्रसार अत्यंत जोर-शोर से किया जा रहा है। इसके लिए गोष्ठियाँ, चर्चाएँ, सम्मेलन, भाषण आदि हो रहे हैं। लोगों को अपने धर्म से जोड़ने के लिए धर्माचार्य विशेषताएँ गिना रहे हैं। वे लोगों में धर्मांधता और कट्टरता भर रहे हैं। इसका परिणाम यह है कि साधारण व्यक्ति आज भी धर्म के सच्चे स्वरूप को नहीं जान-समझ सका है। लोग अपने धर्म को दूसरे से श्रेष्ठ ‘समझने की भूल’ मन में बसाए हैं। ये लोग अपने धर्म के विरुद्ध कोई बात सुनते ही बिना सोच-विचार किए मरने-कटने को तैयार हो जाते हैं। ये लोग दूसरे धर्म की अच्छाइयों को भी सुनने को तैयार नहीं होते हैं और स्वयं को सबसे बड़ा धार्मिक समझते हैं।

Class 9 Hindi – B Chapter Wise Important Question


1 साधारण आदम केहदल मेंकौन स बात बैठी हुई है - 1 saadhaaran aadam kehadal menkaun sa baat baithee huee hai


These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़.

प्रश्न-अभ्यास

( पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
1. आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है?
2. धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होने चाहिए?
3. लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का कौन-सा दिन सबसे बुरा था?
4. साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है?
5. धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं?
उत्तर

  1. आज धर्म के नाम पर नेता, आतंकवादी और धूर्त, लोगों का शोषण करते हैं। धर्म के नाम पर दंगे-फसाद किए जाते हैं और नाना प्रकार के उत्पात किए जाते हैं।
  2. धर्म के नाम पर व्यापार को रोकने के लिए हमें दृढ़ता से धार्मिक उन्माद का विरोध करना होगा। हमें ऐसे लोगों की धूर्तता के जाल में नहीं उलझना चाहिए। अपनी बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए। इन धूर्त लोगों का आसन ऊँचा करने से बचना चाहिए।
  3. लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का वह सबसे बुरा दिन था जिस दिन स्वाधीनता के लिए मुल्ला, मौलवियों व धर्माचार्यों को आवश्यकता से अधिक महत्त्व दिया गया। ऐसा करने पर हमने स्वाधीनता के आंदोलन में अपना एक कदम पीछे कर दिया। उसी पाप का फल हमें आज तक भुगतना पड़ रहा है।
  4. साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह से घर करके बैठ गई है कि धर्म के सम्मान की रक्षा के लिए प्राण दे देना उचित है। साधारण आदमी धर्म के तत्त्वों को नहीं समझते पर धर्म के नाम पर भड़क जाते हैं।
  5. धर्म के दो स्पष्ट चिह्न हैं-शुद्ध आचरण और सदाचार।

लिखित

प्रश्न (क)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1. चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?
2. चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं?
3. आनेवाला समय किस प्रकार के धर्म को टिकने नहीं देगा?
4. कौन-सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा?
5. पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है?
6. कौन-से लोग धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे हैं?
उत्तर
1. चलते-पुरजे लोग धर्म के नाम पर मूर्ख लोगों की शक्तियों और उत्साह का दुरुपयोग करते हैं। उन्हीं मूर्खा के आधार पर वे अपना बड़प्पन और नेतृत्व कायम रखना चाहते हैं। ये लोग दूसरों को अपनी चतुराई से दबाते हैं और अपनी मनमानी करते हैं। मनचाही कामनाओं को पूरा करवाते हैं। स्वयं कुछ करें या न करें परंतु दूसरों की शक्ति उनकी कामनाओं को पूरा करने में सहायक होती है। उनकी जीवनचर्या इसी चतुराई के आधार पर चलती है।

2. चालाक लोग साधारण आदमी की धर्म के प्रति निष्ठा का लाभ उठाते हैं। साधारण आदमी को धर्म के बारे में अधिक नहीं जानता। वे लोग उसकी अज्ञानता का लाभ उठाकर उसकी शक्तियों और उत्साहों का शोषण करते हैं। साधारण आदमी उन लोगों के भड़काने एवं बहकावे में आ जाता है और चालाक आदमी अनेक प्रकार से अपने स्वार्थों की पूर्ति करता है। वह आस्थावान धार्मिक लोगों को मरने-मारने के लिए छोड़ देता है। इस प्रकार चालाक आदमी का काम बन जाता है। और वह अपना नेतृत्व और बड़प्पन कायम करने में सफ़ल हो जाता है।

3. वे लोग जो धर्म की आड़ लेकर लोगों को आपस में लड़वाते हैं, आनेवाला समय उन्हें टिकने नहीं देता। जन साधारण की समझ में आ गया है कि बेईमानी करने और दूसरों को दुःख पहुँचाने की आजादी धर्म नहीं है। जहाँ धार्मिक नेता लोगों की भावनाओं से खेलता है। ऐसा धर्म शीघ्र नष्ट हो जाएगा।

4. कुछ लोग धर्म की आड़ लेकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने की कोशिश करते हैं, ऐसे लोगों की कुटिल चालों को देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति धर्म की मानने के लिए स्वतंत्र है। उसका मन जिस प्रकार करेगा वह उसी प्रकार पूजा-अर्चना करेगा। उसकी स्वाधीनता को कुचलने का प्रयास व जबरदस्ती उसे धर्म
को मानने से रोकने का प्रयास देश की स्वाधीनता के विरुद्ध कार्य है।

5. पाश्चात्य देशों में धनी लोगों की ऊँची-ऊँची इमारतें गरीब लोगों का मजाक बनाती हैं। उसके अतिरिक्त उनके पास सभी सुख-सुविधाएँ हैं। गरीब लोगों का शोषण करके ये लोग धनी बने हैं। धन का मार्ग दिखाकर ये निर्धन लोगों को वश में करते हैं। फिर मनमाना धन पैदा करने के लिए उन्हें दबाते हैं क्योंकि गरीब लोगों को रोटी के लिए लगातार संघर्ष करनापड़ता है। इतना परिश्रम करने के बाद भी इन्हें झोंपड़ियों में जीवन बिताना पड़ता है। इसी कारण साम्यवाद और बोल्शेविज्म का जन्म हुआ।

6. वे लोग जो ईश्वर को नहीं मानते या किसी मजहब को नहीं मानते परंतु उनका आचरण अच्छा है और लोगों के सुख-दुख का ख्याल रखते हैं, अपनी स्वार्थ सिद्ध के लिए दूसरों को उकसाते नहीं है, इस प्रकार के लोग धार्मिक लोगों से कहीं अच्छे माने गए हैं। ये लोग किसी धर्म को नहीं मानते। दूसरों की मूर्खता और पवित्र भावना का मजाक नहीं उड़ाते।

प्रश्न (ख)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1. धर्म और ईमान के नाम पर किए जानेवाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है?
2. ‘बुधि पर मार’ के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं?
3. लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?
4. महात्मा गाँधी के धर्म-संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
5. सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?
उत्तर
1. धर्म और ईमान के नाम पर किए जानेवाले भीषण व्यापार को रोकने के लिए हमें साहस और दृढ़ता से काम लेना होगा। हमें उन धूर्त लोगों का पर्दाफाश करना होगा जो धर्म और ईमान के नाम पर दंगे-फसाद करवाते हैं। लोगों को आपस में लड़वाते हैं। स्वार्थ पूर्ति के लिए आम आदमी के प्राण ले लिए जाते हैं। हमें धर्म के वास्तविक रूप को समझना होगा। धर्म के नाम पर हो रहे ढोंग व आडंबरों से स्वयं को बचाना होगा।

2. बुधि पर मार से लेखक का अर्थ है लोगों की बुधि में ऐसे विचार भरना जिससे वे गुमराह हो जाएँ। इससे उनके सोचने-समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काया जाता है। उनके मन में दूसरे धर्म के विरुद्ध गलत धारणा भरी जाती है और सामान्य लोगों को धर्म-ईमान और आत्मा के नाम पर आपस में लड़वा देते हैं।

3. लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना पवित्र आचरण से परिपूर्ण होनी चाहिए। शुद्ध आचरण और मनुष्यता के गुणों वाली होनी चाहिए। पशुत्व को समाप्त कर मनुष्यता फैलाने वाली होनी चाहिए। धर्म की भावना ईश्वर और आत्मा में पवित्र संबंध स्थापित करनेवाली होनी चाहिए। कल्याण की भावना होनी चाहिए न कि दूसरों को भड़काने वाली।

4. महात्मा गाँधी धर्म को सर्वोच्च स्थान देते थे। धर्म के बिना वे एक कदम भी चलने को तैयार नहीं थे। उनका धर्म शुद्ध पवित्र भावनाओं से परिपूर्ण था, जिसमें कल्याण की भावनाएँ निहित थीं। वह सत्य, और अहिंसा को ही परम धर्म मानते थे। उनके अनुसार धर्म उदारता की रक्षा करता है इसलिए महात्मा गाँधी के अनुसार धर्म में केवल ऊँचे और उदार विचारों का ही स्थान होना चाहिए।

5. सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि आनेवाले समय में हमें शुद्ध आचरण और सदाचार के बल पर ही जीवन जीना होगा। अपने स्वार्थ को छोड़कर जन कल्याण की भावना को मन में लाना होगा। यदि हम अपने आचरण को नहीं सुधारेंगे तो हमारे द्वारा रखे गए रोजे, नमाज, पूजा आदि व्यर्थ हो जाएँगे।
जन कल्याण हेतु आचरण में शुद्धता अति आवश्यक है।

प्रश्न (ग)
निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
1. उबल पड़नेवाला साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग उसे जिधर भी जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।
2. यहाँ पर बुधि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा को स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।।
3. अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपको आचरण होगी।
4. तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो!
उत्तर
1. आशय-इस कथन का आशय है कि साधारण आदमी धर्म के बारे में कुछ नहीं जानता। उसमें सोचने-विचारने की
अधिक शक्ति नहीं होती। वह अपने धर्म-संप्रदाय के प्रति अंधी श्रद्धा रखता है। वह तो धर्म के नाम पर जान लेने और देने को तैयार रहता है। छोटे से संकट की बात सुनकर क्रोधित हो उठता है। ऐसा आदमी दूसरों के हाथ की कठपुतली होता है। उसके मन में यह बात बैठा दी जाती है कि धर्म के हित में जान दे देना पुण्य का काम है। चालाक किस्म के लोग उसे अपना हित साधने के लिए निर्देशित काम में उलझा देते हैं। वह उसमें मन से जुट जाता है। अर्थात् धर्म के नाम पर जिस काम के लिए कहा जाता है वह उसी को करने लगता है। उसमें सोचने-विचारने की शक्ति नहीं होती।।

2. आशय-भारत में धार्मिक नेता लोगों की बुधि का शोषण करते हैं। धर्म के नाम पर ऐसे लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करके दूसरे लोगों की शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। पहले वे अपने प्रति अंधी श्रद्धा उत्पन्न करते हैं। वे स्वयं को ईश्वर के रूप में प्रस्तुत करते हैं। लोग उन्हें ईश्वर और धर्म का ऊँचा प्रतीक मान बैठते हैं जब लोगों की श्रद्धा उनपर जम जाती है तो वे ईमान, धर्म, ईश्वर या आत्मा का नाम लेकर उन्हें दूसरे धर्म वालों से लड़वाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं। इस प्रकार साधारण लोगों का दुरुपयोग कर उनका शोषण करते हैं।

3. आशय-इस सूक्ति का अर्थ है-धर्म ईश्वर की प्राप्ति का सीधा मार्ग है। यह आत्मा व परमात्मा के मिलन की कड़ी है। पूजा-पाठ को ढोंग, आडंबर और धूर्तता समझा जाता है। भले ही पाँचों वक्त नमाज पढ़ी जाए। दूसरों को गलत मार्ग का अनुसरण करने के लिए प्रेरित कर स्वार्थ सिद्ध किया जाए अपना आचरण न सुधारा जाए तो रोजा, नमाज, पूजा सब व्यर्थ हो जाएगा। यदि हमारा आचरण शुद्ध है तो धर्म का वास्तविक मूल्य सिद्ध होता है। मनुष्य की कसौटी उसकी मनुष्यता है न कि धर्म। धर्म तो शुद्ध आचरण और सदाचार का एक मार्ग है जिस पर चलकर ईश्वर की साधना की जा सकती है।

4. आशय-वे लोग जिन्हें नास्तिक कहा जाता है कहीं अच्छे हैं क्योंकि वे दूसरों का सुख चाहते हैं। उनके विचार अच्छे व ऊँचे हैं। उनका आचरण दूसरों के हृदय को ठेस नहीं पहुँचाता। केवल ईश्वर की पूजा-अर्चना ही ईश्वरत्व नहीं है। मानव कल्याण का मार्ग धर्म का मार्ग है। पशुत्व भावनाओं का त्याग करना होगा और आदमी बनकर आदमीयता को समझना होगा। मनुष्यत्व ही है जो धर्म की धार्मिकता को बनाए रखता है। मनुष्यता कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। पशुता स्वार्थ की भावना को बढ़ावा देती है। ये मनुष्य को ही सोचना होगा कि वह किसे धर्म बनाए।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
उदाहरण के अनुसार शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए-

1 साधारण आदम केहदल मेंकौन स बात बैठी हुई है - 1 saadhaaran aadam kehadal menkaun sa baat baithee huee hai

उत्तर
1 साधारण आदम केहदल मेंकौन स बात बैठी हुई है - 1 saadhaaran aadam kehadal menkaun sa baat baithee huee hai

प्रश्न 2.
निम्नलिखित उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाइए-
ला, बिला, बे, बद, ना, खुश, हर, गैर
उत्तर

1 साधारण आदम केहदल मेंकौन स बात बैठी हुई है - 1 saadhaaran aadam kehadal menkaun sa baat baithee huee hai

प्रश्न 3.
उदाहरण के अनुसार ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाइए
उदाहरण: देव + त्व-देवत्व
उत्तर

1 साधारण आदम केहदल मेंकौन स बात बैठी हुई है - 1 saadhaaran aadam kehadal menkaun sa baat baithee huee hai

प्रश्न 4.
निम्नलिखित उदाहरण को पढ़कर पाठ में आए संयुक्त शब्दों को छाँटकर लिखिए-
उदाहरणः चलते-पुरजे
उत्तर

1 साधारण आदम केहदल मेंकौन स बात बैठी हुई है - 1 saadhaaran aadam kehadal menkaun sa baat baithee huee hai

प्रश्न 5.
‘भी’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए-
उदाहरणः आज मुझे बाजार होते हुए अस्पताल भी जाना है।
उत्तर

  1. नौकरी के लिए सिफ़ारिश ही नहीं, मेहनत भी करनी पड़ती है।
  2. मुझे अभी भी पढ़ाई करनी है।
  3. तुमने भी उसकी बात पर विश्वास कर लिया।
  4. आज बाजार से फल भी लेते आना।
  5. वह मुझसे अभी भी नाराज़ है।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
‘धर्म एकता का माध्यम है’-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए-
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

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साधारण से साधारण आदमी के दिल में कौन सी बात घर कर बैठी है?

उत्तर: साधारण से साधारण आदमी के दिल में यह बात अच्छी तरह घर कर बैठी है कि धर्म और ईमान की रक्षा के लिए प्राण तक निछावर कर देना वाजिब है।

उबल पड़ने वाले साधारण व्यक्ति का क्या दोष है?

1. उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता - बूझता, और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।

चालाक लोग धर्म के नाम पर मूर्ख लोगों के साथ क्या करते हैं *?

चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं? उत्तर:- चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, लोगों की शक्तियों और उनके उत्साह का दुरूपयोग करते हैं। उन्हीं मूर्खों के आधार पर वे अपना बड़पन्न और नेतृत्व कायम रखना चाहते हैं

धर्म और ईमान के नाम पर कौन कौन से ढोंग किए जाते हैं?

1 Answer. आज धर्म और ईमान के नाम पर उत्पात, जिद और झगडे करवाये जाते हैं। अपने स्वार्थ को पूरा करने लिए धर्म को साधन बनाया जाता है और दंगे कराये जाते हैं। आम आदमी धर्म को जाने या ना जाने परन्तु धर्म के नाम पर जान देने और लेने के लिए तैयार हो जाता है।