जनन स्वास्थ्य क्या है ? इसके लिए किन पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए ? (What is reproductive health ? Which aspects need special attention ?)
जनन स्वास्थ्य (Reproductive health) :-
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार जनन स्वास्थ्य जनन संबंधी सभी तथ्यों के साथ एक संपूर्ण स्वास्थ्य है। भारत विश्व का वह पहला देश था जिसने जनन स्वास्थ्य से संबंधित राष्ट्रीय स्तर पर एक्शन प्लान तथा कार्यक्रमों की शुरुआत की थी। भारत में सर्वप्रथम 1951 में परिवार नियोजन कार्यक्रमों की शुरुआत हुई।
जनन संबंधी सभी विषयों की जानकारी हेतु स्वास्थ्य समाज तैयार करना तथा उसके लिए जनता को उत्साहित करना आवश्यक होता है।
जनन स्वास्थ्य की पहलुएं (Aspects of reproductive health) :-
इसके लिए निम्नांकित पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए —-
- जनता के बीच जनन संबंधी विषयों पर विभिन्न उपाय करना चाहिए जैसे ऑडियो विजुअल एवं मुद्रित सामग्री।
- विद्यालयों में यौन शिक्षा की पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
- लोगों को यौन संचारित रोगों के विषय में जानकारी देना चाहिए।
- किशोर आयु वर्ग के लोगों को यौन संबंध में शिक्षित करना, गर्भवती माताओं की देखभाल तथा स्तनपान के महत्व के संबंध में जानकारी देना चाहिए।
- यौन संबंधी अपराधों के बारे में शिक्षा देना स्वस्थ परिवार के निर्माण में सहायक होता है।
- इसके लिए जनन संबंधी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए जैसे गर्भपात, यौन संचारित रोग, गर्भनिरोधक इत्यादि।
- मादा भ्रूण हत्या के लिए उल्बवेधन (Amniocentesis) जांच पर कानूनी प्रतिबंध लगाना चाहिए।
- यौन संबंधी सभी प्रकार की चिकित्सा विशेषरूप से संपादित होने से माता एवं शिशु मृत्यु-दर में कमी होती है तथा लघु परिवार की संख्या में वृद्धि होती है।
चित्र :- उल्बवेधन जांच।
मानव विकास की परिभाषा लिखों । मानव विकास के विभिन्न उपगमों का वर्णन करों।
मानव विकास, स्वास्थ्य भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों को सम्मिलित करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।
मानव विकास के उपागम-
- आय उपागम - आय का स्तर किसी व्याक्ति द्वारा भोगी जा रही स्वतंत्रता के स्तर को परिलक्षित करता है। आय का स्तर ऊँचा होने पर, मानव विकास का स्तर भी ऊँचा होगा ।
- कल्याण उपागम - यह उपागम शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और सुख - साधनों पर उच्चतर सरकारी व्यय का तर्क देता है। सरकार कल्याण पर अधिकतम व्यय करके मानव विकास के स्तरों में वृद्धि करने के लिए जिम्मेदार है।
- आधारभूत-आवश्यकता उपागम - मूलभूत आवश्यकताओं की व्यवस्था पर जोर दिया गया है। इसमें छ: न्यूनतम आवश्यकताओ - स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन, जलापूर्ति, स्वच्छता और आवास की पहचान की गई थी ।
- क्षमता उपागम - संसाधनो तक पहुँच के क्षेत्रों में मानव क्षमताओं का निर्माण बढ़ते मानव विकास की कुंजी है।
निम्नलिखित में से कौन-सा विकास का सर्वोत्तम वर्णन करता है?
आकार में वृद्धि
गुण में धनात्मक परिवर्तन
आकार में स्थिरता
गुण में साधारण परिवर्तन
B.
गुण में धनात्मक परिवर्तन
मानव विकास की अवधारणा निम्नलिखित में से किस विद्वान की देन है?
प्रो० अमर्त्य सेन
डॉ० महबूब-उल-हक
एलन सी० सेंपल
रेटज़ेल
मानव विकास शब्द से आपका क्या अभिप्राय है?
मानव विकास - मानव विकास की अवधारणा का प्रतिपादन प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ० महबूब-उल-हक ने किया था । उन्होंने मानव विकास की कल्पना एक ऐसे विकास के
रूप में की जिसका संबंध लोगों के विकल्पों में बढ़ोतरी से है, ताकि वे आत्म-सम्मान के साथ दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन जी सकें। सन् 1990 की मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार मानव विकास को इस प्रकार से परिभाषित किया गया है, ''मानव विकास मनुष्य की आकांक्षाओं एवं उन्हें उपलब्ध जीवनयापन की सुविधाओं के स्तर को विकसित करने की प्रक्रिया है।''
मानव विकास के उद्देश्य - मानव विकास का मूल उद्देश्य ऐसी परिस्थितियों को उत्पन्न करना है जिनमें लोग सार्थक जीवन
व्यतीत कर सकें। मानव विकास के तीन महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं:- (1) दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन, (2) शिक्षा का प्रसार, (3) संसाधनों तक पहुँच ।
उपरोक्त तीनों पक्ष मानव विकास के केंद्र बिंदु हैं। इन पक्षों में से प्रत्येक के मापन के लिए उपयुक्त सूचकों का विकास किया गया है।
मानव विकास के लिए क्षमताओं का निर्माण - जब तक लोगों की क्षमताओं का निर्माण नहीं किया जाता, तब तक उनके विकल्पों को बढ़ाया नहीं जा सकता । विकल्पों को बढ़ाए बिना स्वास्थ्य, शिक्षा व संसाधनों तक लोगों की पहुँच
संभव नहीं है। उदाहरणतया एक अशिक्षित बच्चा इंजीनियर अथवा डॉक्टर बनने का विकल्प नहीं चुन सकता, क्योंकि उसका विकल्प शिक्षा के अभाव में सीमित हो जाता है।
मानव विकास के चार स्तंभ - मानव विकास के चार स्तंभ निम्नलिखित हैं-
- समता,
- सतत् पोषणीयता,
- उत्पादकता,
- सशक्तीकरण ।
मानव विकास के उपागम - मानव विकास की समस्या को देखने के अनेक उपागम हैं जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं :-
- आय उपागम,
- आधारभूत आवश्यकता उपागम,
- क्षमता उपागम,
- कल्याण उपागम ।
निम्नलिखित में कौन-सा देश उच्च मानव विकास वाला नहीं है?
नार्वे
अर्जेंटाइना
जापान
मिस्र
मानव विकास अवधारणा के अंतर्गत समता और सतत् पोषणीयता से आप क्या समझते हैं?
समता :- प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध संसाधनों के लिए समान पहुँच की व्यवस्था करना समता कहलाता है। लोगों को उपलब्ध अवसर धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान तथा आय के भेदभाव के विचार के बिना समान होने चाहिएँ। भारतीय संविधान में भी समानता का अधिकार प्रदान किया गया है।
सतत् पोषणीयता :- सतत् पोषणीयता से अभिप्राय है कि लोगों को विकास करने के अवसर लगातार मिलते रहें। सतत् पोषणीयता मानव विकास तभी होगा जब प्रत्येक पीढ़ी को समान अवसर मिलें। अत: यह जरूरी है कि हम पर्यावरणीय, वित्तीय और मानव संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करें कि वे भावी पीढ़ी को भी पर्याप्त मात्रा में मिल सकें।