भारत का संवैधानिक इतिहास भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण संविधान के स्त्रोत संवैधानिक अनुच्छेद भारतीय संविधान में वर्णित अनुसूचियां प्रस्तावना संघ और उसके क्षेत्र & नागरिकता मौलिक अधिकार नीति निर्देशक तत्व राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति मंत्रीपरिषद महान्यावादी निर्वाचन आयोग संसद सर्वोच्च न्यायालय भारत में पंचायती राज स्थानीय नगरीय प्रशासन राज्य विधानमण्डल राज्यपाल संविधान संशोधन की प्रक्रिया प्रमुख संविधान संशोधन लोक सेवा आयोग राष्ट्रीय मानवाअधिकार आयोग भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नीति आयोग जीएसटी परिषद केन्द्रीय सूचना आयोग लोकपाल केन्द्रीय मंत्रिमंडल महिला एवं बाल अपराध Show
संविधानभारत का संवैधानिक इतिहास भारतीय संविधान सभा तथा संविधान निर्माण संविधान के स्त्रोत संवैधानिक अनुच्छेद भारतीय संविधान में वर्णित अनुसूचियां प्रस्तावना संघ और उसके क्षेत्र & नागरिकता मौलिक अधिकार नीति निर्देशक तत्व राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति मंत्रीपरिषद महान्यावादी निर्वाचन आयोग संसद सर्वोच्च न्यायालय भारत में पंचायती राज स्थानीय नगरीय प्रशासन राज्य विधानमण्डल राज्यपाल संविधान संशोधन की प्रक्रिया प्रमुख संविधान संशोधन लोक सेवा आयोग राष्ट्रीय मानवाअधिकार आयोग भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नीति आयोग जीएसटी परिषद केन्द्रीय सूचना आयोग लोकपाल केन्द्रीय मंत्रिमंडल महिला एवं बाल अपराधPlease enable JavaScript भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेससंस्थापक - एलन ओक्टोवियो ह्यूम(स्काटलैंड) पहले भारतीय राष्ट्रीय संघ - 1884 में प्रथम अधिवेशन - बम्बई में(1885)अध्यक्ष - व्योमेश चन्द्र बनर्जी लार्ड डफरिन उस समय वायसराय था। दादा भाई नौरोजी के सुझाव पर इसका नाम - भारतीय राष्ट्रीय संघ से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कुल प्रतिनिधि - 72 पहले यह अधिवेशन पूणें में आयोजित था लेकिन वहां अकाल के कारण बम्बई में गोकुलदास तेजपाल संस्कृत विद्यालय मेें हुआ। सुरेन्द्र नाथ बनर्जी प्रथम अधिवेशन में शामिल नही हुए क्योंकि कलकत्ता में इंडियन एसोसिएशन के दुसरे नेशनल कान्फ्रेस की अध्यक्षता कर रहे थे। प्रथम अधिवेशन में कुल 9 प्रस्ताव रखे गये सरकार के सामने हिन्दु पत्रिका में 5 दिसम्बर 1885 को इसके स्थापना की घोषण की गयी थी। दुसरा अधिवेशन - कलकत्ता(1886 में)अध्यक्ष - दादा भाई नैरोजी सुरेन्द्र नाथ बनर्जी से मिलकर नेशनल कांफ्रेंस का कांग्रेस में विलय कर दिया गया - कांग्रेस स्टैडिंग कमेटी का गठन(कुल प्रतिनिधि - 434) डफरिन ने कांग्रेस सदस्यों को गार्डेन पार्टी दी थी। दादा भाई नौरोजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 3 बार अध्यक्ष बने - 1886, 1893 और 1906 में। तिसरा अधिवेशन - मद्रास(1887 में)अध्यक्ष - बदरूद्दीन तैययब जी(प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष) “कांग्रेसी बनों का नारा” विषय निर्धारण समिति की नीव रानाडे द्वारा सोशल कांफ्रेस का आयोजन आम्र्स एक्ट के खिलाफ प्रस्ताव पहला अधिवेशन - तमिल भाषा में भाषण चैथा अधिवेशन - इलाहाबाद(1888 में)अध्यक्ष - जार्ज यूले(प्रथम यूरोपिय) प्रथम बार लाला लाजपत राय अधिवेशन में शामिल - हिन्दी में भाषण दिया। गवर्नर काल्विन ने इस अधिवेशन का विरोध किया अधिवेशन हेतु स्थल उपलब्ध नहीं होने पर राजा दरभंगा ने इलाहाबाद में लोधर काउंसिल खरीद करे कांग्रेस को दिया। सैयद अहमद खां और बनारस के राजा सितारे हिन्द ने इसका विरोध किया। यूनाइटेड इंडिया पेट्रोयोटिक एसोशिएसन की स्थापना की सैयद अहमद खां ने। लार्ड डफरिन - कांग्रेस को कहा कि यह जनता के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है जिसकी संख्या सूक्ष्म है। विपिन चन्द्रपाल - कांग्रेस को याचना संस्था कहा। अश्वनी कुमार दत्त - तीन दिनो का तमाशा कहा। पांचवां अधिवेशन - बम्बई(1889 में)अध्यक्ष - विलियम बेडरबर्न इसमें 21 वर्षीय मताधिकार पारित किया गया। कांग्रेस ने लन्दन में अपनी एक संस्था ब्रिटिश इंडिया कमेटी का गठन किया - समिति का मुख्यपत्र - इंडिया सम्पादक - विलियम डिग्बी छठा अधिवेशन - कलकत्ता(1890 में)अध्यक्ष - फिरोजशाह मेहता प्रथम महिला स्नातक कादम्बिनी गांगुली ने भाग लिया। सातवां अधिवेशन - नागपुर(1891 में)अध्यक्ष - आनन्द चार्लू कांग्रेस का दुसरा नाम - राष्ट्रीयता आठवां अधिवेशन - इलाहाबाद(1892 में)अध्यक्ष - व्योमेश चन्द्र बनर्जी यह अधिवेशन इंग्लैण्ड में प्रस्तावित था लेकिन वहां हो नहीं सका। नौवां अधिवेशन - लाहौर में(1893 में)अध्यक्ष - दादा भाई नौरोजी इस अधिवेशन में सिविल सेवा परीक्षा भारत मं करवाने की मांग की गई। दसवां अधिवेशन - मद्रास(1894 में)अध्यक्ष - अल्फ्रेंड वेब 11 वां अधिवेशन - पूना(1895 में)अध्यक्ष - सुरेन्द्र नाथ बनर्जी तिलक ने एम जी रानाडे द्वारा प्रारंभ सोसल कांफ्रेस को कांग्रेस मंच से बंद करवा दिया। 12 वां अधिवेशन - कलकत्ता(1896 में)संस्थापक - रहीमतुल्ला सयानी भारत का राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम पहली बार गाया गया - बकिंम चन्द्र चटर्जी ने। दादा भाई नौराजी के धन बर्हिगमन के सिद्धान्त को स्वीकार किया गया। 17 वां अधिवेशन - कलकत्ता(1901 में)अध्यक्ष - दिनशा ऐडुल्वी वाचा महात्मा गांधी पहली बार इस अधिवेशन का हिस्सा बने। 20 वां अधिवेशन - बम्बई(1904 में)अध्यक्ष - सर हेनरी काटन मुहम्मद अली जिन्ना ने पहली बार भाग लिया। 21 वां अधिवेशन - वाराणसी(1905 में)अध्यक्ष - गोपाल कृष्ण गोखले स्वदेशी आन्दोलन को समर्थन देने की बात कही - यह बंगाल विभाजन के विरोध में चलाया गया। विपक्ष का नेता की उपाधि - गोखले को 22 वां अधिवेशन - कलकत्ता(1906 में)अध्यक्ष - दादा भाई नौरोजी जिन्ना इस अधिवेशन में दादा भाई नौरोजी के सचिव के रूप में शामिल हुये। कांग्रेस के मंच से पहली बार स्वराज का प्रयोग - नौरोजी द्वारा। 23 वां अधिवेशन - सूरत(1907 में)अध्यक्ष - रास बिहारी घोष कांग्रेस का नरमदल और गरमदल में विभाजन 26 वां अधिवेशन - कलकत्ता(1911 में)अध्यक्ष - विशन नारायण धर रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित राष्ट्रगान - (जनगण मन) पहली बार गाया गया - 27 दिसम्बर 1911 सर्वप्रथम - तत्वबोधिनी पत्रिका में 1912 ई. में भारत भाग्य विधाता शीर्षक से प्रकाशित 27 वां अधिवेशन - बाकीपुर(1912 में)अध्यक्ष - आर. एन. मुधोलकर ह्यूम को कांग्रेस का पिता कहा गया। 31 वां अधिवेशन - लखनऊ(1916 में)अध्यक्ष - अम्बिका चरण मजूमदार कांग्रेस के नरमदल व गरमदल में समझौता, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका तिलक और ऐनी बेसेन्ट की रही। तिलक और जिन्ना के सहयोग से कांग्रेस और लीग के बीच समझौता हुआ - लखनऊ समझौता/कांग्रेस - लीग पैक्ट मुस्लिम लीग की पृथक निर्वाचन के मांग को स्वीकार कर लिया गया। मदन मोहन मालवीय ने इसका विरोध किया। स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहुंगा - बाल गंगाधर तिलक ने इस अधिवेशन में कहा। कांग्रेस ने मार्ले - मिंटो सुधार को अपनी स्वीकृति दी। 32 वां अधिवेशन - कलकत्ता(1917 में)अध्यक्ष - ऐनी बेसेन्ट(प्रथम विदेशी महिला अध्यक्ष, प्रथम महिला अध्यक्ष) सर्वप्रथम तिरंगे झण्डे को कांग्रेस ने अपनाया। 33 वां अधिवेशन - दिल्ली(1918 में)अध्यक्ष - मदन मोहन मालवीय हिन्दी भाषा के प्रयोग पर जोर कांग्रेस का दुसरा विभाजन इस अधिवेशन का अध्यक्ष बाल गंगाधर तिलक को चुना गया था लेकिन वेलेन्टाइल सिराल से सम्बधित मुकदमें के सिलसिले में वे ब्रिटेन चले गये थे। वेलेन्टाइल सिराल ने तिलक को भारतीय अशांति का जनक कहा था। मैक्स मुलर ने तिलक को सजा सुनाये जाने के पश्चात् 17 फरवरी 1898 को प्रिवी कौंसिल के सदस्य सन जान लुब्बाक से एक पत्र में दया की वकालत करते हुए कहा - “ संस्कृत के एक विद्वान के रूप में तिलक में मेरी दिलचस्पी है।” केसरी में प्रकाशित लेखों के आधार पर तिलक पर राजद्रोह का मुकदमा चला कर 1908 में 6 वर्ष के कारावास की सजा हुई। माण्डले जेल(वर्मा) में ही इन्होंने “गीता रहस्य” नामक पुस्तक लिखी थी। महाराष्ट्र में गणपति पर्व का श्रीगणेश - बाल गंगाधर तिलक ने किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला विशेष अधिवेशन - 1918 में(बम्बई) अध्यक्ष - सैयद हसन इमाम मौलिक अधिकारों की मांग की गयी तथा रौलेट एक्ट पर विचार विमर्श के लिए अधिवेशन 34 वां अधिवेशन - अमृतसर(1919 में)अध्यक्ष - मोती लाल नेहरू जलियावाला बाग हत्याकांड की निन्दा की गयी। खिलाफत आन्दोलन को सर्मथन देने का निर्णय। 35 वां अधिवेशन - नागपुर(1920 में)अध्यक्ष - वीर राघवाचारी चितरजंन दास ने असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव रखा। पहली बार भाषायी आधार पर प्रान्तों में विभाजन की बात कही गयी। प्रथम बार कांग्रेस ने रियासतों के लिए अपनी नीति घोषित की। कलकत्ता का विशेष अधिवेशन - 1920 मेंअध्यक्ष - लाला लाजपत राय गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव रखा। चितरजनदास, मोतीलाल नेहरू, एनी बेसेन्ट, मुहम्मद अली जिन्ना ने इसका विरोध किया। परन्तु यह प्रस्ताव बहुमत से पारित हो गया। 36 वां अधिवेशन - अहमदाबाद(1921 में)अध्यक्ष - चितरंजन दास थे लेकिन जेल में होने के कारण अध्यक्षता - हकीम अजमल खां ने की। चितरंजन दास का भाषण - सरोजनी नायडु ने पढ़ा। 37 वां अधिवेशन - गया(1922 में)अध्यक्ष - चितरंजन दास “स्वराज पार्टी की स्थापना” - 1923 में 1923 में होने वाली चुनाव में भागीदारी की बात की गई। जिसे कांग्रेस ने खारिज कर दिया। चितरंजन दास का इस्तीफा। 38 वां अधिवेशन - काकीनाड़ा बंगाल(1923 में)अध्यक्ष - मौलाना मुहम्मद अली - (कामरेड समाचार पत्र का सम्पादन किया) विशेष अधिवेशन दिल्ली मेंअबुल कलाम आजाद सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बनें। 39 वां अधिवेशन - बेलगांव(1924 में)अध्यक्ष - महात्मा गांधी(एकमात्र अधिवेश के अध्यक्ष) कांग्रेस - मुस्लिम-लीग अलग हो गये। गांधी-दास पैक्ट की स्वीकृति। 40 वां अधिवेशन - कानपुर(1925 में)अध्यक्ष - सरोजनी नायडू(प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष) हिन्दी का राष्ट्रभाषा के रूप में प्रयोग। पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव किन्तु पारित नही हो सका। सरोजन नायडू ने प्रथम बार लखनऊ अधिवेशन(1916) में हिस्सा लिया था। 41 वां अधिवेशन - गोहाटी(1926 में)अध्यक्ष - एम. श्रीनिवास आयंगर कांग्रेस नेताओं को खादी पहनना अनिवार्य कर दिया गया। 42 वां अधिवेशन - मद्रास(1927 में)अध्यक्ष - मुख्तार अहमद अंसारी साइमन कमीशन का विरोध 43 वां अधिवेशन - कलकत्ता(1928 में)अध्यक्ष - मोतीलाल नेहरू नेहरू रिर्पोट को स्वीकारने की बात की गयी सरकार से। स्वीकार नहीं होने पर अहिंसक असहयोग आन्दोलन शुरू करने को कहा गया। कांग्रेस का एक विदेश भाग स्थापित किया गया। 44 वां अधिवेशन - लाहौर(1929 में)अध्यक्ष - जवाहर लाल नेहरू पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया गया।(31 दिसंबर 1926 को) 1930 ई. में कांग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं हुआ। 26 जनवरी 1930 - पूर्ण स्वाधीनता दिवस। 45 वां अधिवेशन - कराची(1931 में)अध्यक्ष - सरदार वल्लभ भाई पटेल मूल अधिकारों की मांग शामिल - प्रस्ताव बनाया - जवाहर लाल नेहरू ने। आर्थिक नीति से सम्बन्धित एक प्रस्ताव रखा गया। गांधी जी को प्रतिनिधि के रूप में गोलमेज सम्मेलन के लिए नामित किया गया। गांधी - इरविन समझौता की स्वीकृति। 48 वां अधिवेश - बम्बई(1934 में)अध्यक्ष - राजेन्द्र प्रसाद कांग्रेस समाजवादी पार्टी की स्थापना। अखिल भारतीय खादी ग्रामोद्योग की स्थापना - अध्यक्ष - महात्मा गांधी। मंत्री - श्रीकृष्ण दास अखिल भारतीय चरखा संघ की स्थापना - अध्यक्ष - महात्मा गांधी। मंत्री - जवाहर लाल नेहरू यह अधिवेशन कांग्रेस के स्वर्ण जयंति के रूप में मनाया जाता है। कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन - 1934 में(जय प्रकाश नरायण और आचार्य नरेन्द्र देव)। 1935 में कांग्रेस का कोई अधिवेशन नहीं हुआ। 49 वां अधिवेशन - लखनऊ(1936 में)अध्यक्ष - जवाहर लाल नेहरू कांग्रेस पार्लियामेंट बोर्ड की स्थापना कांग्रेस का लक्ष्य समाजवाद निर्धारित किया गया। 50 वां अधिवेशन - फैजपुर, बंगाल(1937 में)अध्यक्ष - जवाहर लाल नेहरू पहली बार कांग्रेस का अधिवेशन एक गांव में हुआ। एक 13 सुत्रीय अस्थाई कृषि कार्यक्रम घोषित हुआ। 51 वां अधिवेशन - हरिपुरा, गुजरात(1938 में)अध्यक्ष - सुभाष चन्द्र बोस राष्ट्रीय नियोजन समिति का गठन - अध्यक्ष - जवाहर लाल नेहरू(रोमन लिपि लागु करने की वकालत की - बोस ने) भारत की स्वतंत्रता में रजवाड़ों को भी शामिल किया। 52 वां अधिवेशन - त्रिपुरी मध्यप्रदेश, जवलपुर(1939 में)अध्यक्ष - सुभाष चन्द्र बोस गांधी जी के प्रतिनिधि पट्टाभि सीतारमैया को हटाया, गांधी जी से विवाद होने पर इस्तीफा देकर फाडवर्ड ब्लाक की स्थापना की। बाद में अध्यक्षता राजेन्द्र प्रसाद ने की। 54 वां अधिवेशन - मेरठ(1946 में)अध्यक्ष - जे. बी. कृपलानी जवाहरलाल नेहरू ने नवम्बर में इस्तिफा दे दिया अतः कृपलानी अध्यक्ष बनाये गये। स्वतंत्रता प्राप्ति तक कृपलानी ही कांग्रेस अध्यक्ष थे। नवम्बर 1947 में इस्तीफा दिया अतः डा. राजेन्द्र प्रसाद अध्यक्ष बनाये गये। अबुल कलाम आजाद - सबसे लम्बे समय तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे(1940 से 1945 तक)। वायसराय कर्जन - मोत की अन्तिम घड़ीयां गिन रही है। लाला लाजपत राय - कांग्रेस लार्ड डफरिन के दिमाग की उपज है। बंकिम चन्द्र चटर्जी - कांग्रेस के लोग पदों के भूखें हैं। तिलक - वर्ष में एक बार टर्राने से कुछ नहीं मिलेगा। स्थापना के संबंध में पेश किए जाने वाला सिद्धान्त - सुरक्षा वाल्व का सिद्धान्त। « Previous Next Chapter » ExamHere You can find previous year question paper and model test for practice. Start ExamTricksFind Tricks That helps You in Remember complicated things on finger Tips. Learn MoreCurrent AffairsHere you can find current affairs, daily updates of educational news and notification about upcoming posts. 1929 का कांग्रेस अधिवेशन कहाँ हुआ?31 दिसम्बर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन तत्कालीन पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में हुआ। इस ऐतिहासिक अधिवेशन में कांग्रेस के 'पूर्ण स्वराज' का घोषणा-पत्र तैयार किया तथा 'पूर्ण स्वराज' को कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य घोषित किया। जवाहरलाल नेहरू, इस अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गये।
कांग्रेस का पहला अधिवेशन कब और कहां हुआ था?भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना 72 प्रतिनिधियों की उपस्थिति के साथ 28 दिसम्बर 1885 को बंबई (मुंबई) के गोकुल दास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में हुई थी। इसके संस्थापक महासचिव (जनरल सेक्रेटरी) ए ओ ह्यूम थे जिन्होंने कलकत्ते के व्योमेश चन्द्र बनर्जी को अध्यक्ष नियुक्त किया था।
1920 में कांग्रेस का कौनसा अधिवेशन हुआ था?सितंबर 1920 का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन कलकत्ता में हुआ था। लाला लाजपत राय इस अधिवेशन के अध्यक्ष थे। यह एक विशेष अधिवेशन था। असहयोग आंदोलन के प्रस्ताव को पारित करने के लिए इस विशेष अधिवेशन को आयोजित किया गया था।
1929 में क्या हुआ था?1929 के कांग्रेस अधिवेशन में की गई थी पूर्ण स्वराज की मांग 31 दिसंबर 1929 को कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में प्रस्ताव पारित कर भारत के लिए पूर्ण स्वराज की मांग की गई थी। नेहरू ने कहा था, "हमारा लक्ष्य सिर्फ स्वाधीनता प्राप्त करना है।
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