2 कानूनन लड़कियों के विवाह की उम्र क्या है? - 2 kaanoonan ladakiyon ke vivaah kee umr kya hai?

नई दिल्‍ली
भारत सरकार ने पिछले दिनों महिलाओं की शादी की न्‍यूनतम कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का विधेयक संसद में पेश किया। इस कदम के पक्ष और विपक्ष में तमाम बातें कही गईं। बाल विवाह निषेध संशोधन बिल, 2021 में महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव है। जबकि पुरुषों के लिए उम्र 21 साल ही है। इस बिल में शादी की उम्र वाला प्रावधान देश के सभी समुदायों के विवाह संबंधी कानूनों पर लागू होगा, जिसके बाद देश में मौजूद तमाम विवाह कानूनों में संशोधन करना होगा।

हमने अब तक क्‍या हासिल किया है?
नैशनल काउंसिल ऑफ अप्‍लाइड इकनॉमिक रिसर्च (NCAER) की संपादक अनुपमा मेहता ने इस कदम को राष्‍ट्रीय परिवार स्‍वास्‍थ्‍य सर्वे (NFHS-5) के नतीजों से जोड़कर देखा है। हमारे सहयोगी 'द इकनॉमिक टाइम्‍स' के लिए उन्‍होंने लिखा है कि ताजा सर्वे में दो अहम सवाल उठाए गए हैं। राजस्‍थान में बाल विवाह में 35.4% की कमी आई है। 2015-16 में हुए NFHS-4 के मुकाबले किशोरावस्‍था में मातृत्‍व दर भी 46% से घटकर 31% तक आ गई है। इन दोनों पैमानों पर छत्‍तीसगढ़ और हरियाणा ने भी अच्‍छा परफॉर्म किया है।

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2 कानूनन लड़कियों के विवाह की उम्र क्या है? - 2 kaanoonan ladakiyon ke vivaah kee umr kya hai?
शादी की उम्र
दिसंबर 2016 में ऐक्‍शन ऐड की एक स्‍टडी बताती है कि 20-24 साल उम्र वाली महिलाओं जिनकी 18 साल की उम्र से पहले शादी हुई, की संख्‍या में कमी आई है। 1992-92 में इस आयुवर्ग की 56.8% महिलाओं की शादी 18 साल से कम उम्र में हुई। 2011-12 तक यह प्रतिशत घटकर 36.2% तक आ चुका था।

लड़कियों में बाल विवाह के आंकड़े चिंताजनक
एक तरफ ये आंकड़े उम्‍मीद जगाते हैं मगर सिक्‍के का दूसरा पहलू भी है। बाल विवाह और खासकर लड़कियों में, अब भी काफी ज्‍यादा है। 2011 में हुई आखिरी जनगणना में पता चला था कि 74 लाख लोगों की शादी 18 साल से कम उम्र में हुई। इनमें से 88% लड़कियां थीं।

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शादी के मामले में बराबर होंगे पुरुष और महिला
मेहता का सवाल है कि महिलाओं की शादी की कानूनी उम्र बढ़ाने से क्‍या इन आंकड़ों में सुधार आएगा? उन्‍होंने लिखा है कि चाइल्‍ड और सिविल राइट्स ऐक्टिविस्‍ट कहते हैं बिल पास होने पर भी यह ऐसा कानून होगा जिसके दांत नहीं होंगे। अगर इसे ठीक से लागू नहीं किया गया कुछ नहीं बदलेगा। लड़कों और लड़कियों में शिक्षा के अंतर को दूर करना होगा। लड़कियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना होगा। मेहता के अनुसार, जब तक ऐसा नहीं होता, लैंगिक समानता नहींआ सकती। हालांकि उन्‍होंने यह जरूर कहा कि कम से कम शादी के मामले में तो महिलाओं और पुरुषों को एक बराबर करने की शुरुआत हुई है।

विपक्ष ने कहा, हड़बड़ी में गड़बड़ी होगी
सदन के भीतर कांग्रेस, टीएमसी, एआईएमआईएम, एनसीपी, डीएमके, बीजेडी और शिवसेना जैसे दलों ने आपत्ति जताई। जहां कुछ सांसदों ने बिल के प्रावधानों पर ऐतराज जताया तो वहीं कुछ लोगों को इसके लाए जाने के तरीके पर ऐतराज था। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी, टीएमसी के सौगत रॉय, एनसीपी की सुप्रिया सुले, डीएमके के टीआर बालू और कनिमोरी जैसे सांसदों की आपत्ति सामने आई। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस बिल को स्टैंडिंग कमिटी को भेजा जाना चाहिए। चौधरी ने कहा कि हड़बड़ी में बहुत गड़बड़ी होती है। सरकार ने किसी से बात नहीं की। टीएमसी सांसद सौगत राय और बीजेडी के अनुभव मोहंती ने कहा कि ये बिल जिस तरह की जल्दबाजी में लाया जा रहा है, वह इसका विरोध करते हैं।

लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के खिलाफ क्यों है कांग्रेस?

एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर निशाना साधते हुए इस बिल को पीछे ले जाने वाला करार दिया। उनकी दलील थी कि यह आर्टिकल 19 के तहत आजादी के अधिकार का हनन करता है। आपने 18 साल की लड़कियों के लिए क्या किया। 18 साल की एक लड़की जब देश का प्रधानमंत्री चुन सकती है, लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकती है तो फिर उसका शादी का अधिकार क्यों छीना जा रहा है। एनसीपी की सुप्रिया सुले ने आरोप लगाया कि बिजनेस अडवाइजरी कमिटि में जो तय होता है, उस पर अमल नहीं किया जा रहा है। बिल पर बिना इसके स्टेकहोल्डर्स से चर्चा किए इसे सदन में पेश किया जा रहा है। जबकि कनिमोरी ने आरोप लगाया कि यह सरकार चर्चा करने में विश्वास नहीं करती है।

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2 कानूनन लड़कियों के विवाह की उम्र क्या है? - 2 kaanoonan ladakiyon ke vivaah kee umr kya hai?

केंद्र सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 संशोधन का कानून लाएगी और इसके साथ ही स्पेशल मैरेज एक्ट और पर्सनल ला जैसे हिंदू मैरेज एक्ट 1955 में भी संशोधन होगा. (सांकेतिक तस्वीर)

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  • News18Hindi
  • Last Updated : December 17, 2021, 15:31 IST

नई दिल्ली. महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र (legal Minimum Age of Marriage) को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने 15 अगस्त 2020 को इस प्रस्ताव की घोषणा करते हुए इसकी जानकारी दी थी. वर्तमान में देश में पुरुषों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष है, जबकि महिलाओं के लिए 18 वर्ष है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के फैसले के पीछे उन्हें स्वस्थ्य बनाना और कुपोषण से बचाना बताया था.

साथ ही सरकार शादी की उम्र बढ़ाकर महिलाओं के कम उम्र में मां बनने से उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभावों को रोकना चाहती है. इस मामले में टास्क फोर्स गठित किए जाने के बारे में जानकारी देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के अपने बजट भाषण में कहा था कि 1978 में शारदा एक्ट 1929 में बदलाव करते हुए महिलाओं की शादी की उम्र 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष की गई थी. उन्होंने महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के हालिया प्रस्ताव की वजह बताते हुए कहा था कि अब जबकि भारत और तरक्की कर रहा है तो महिलाओं के लिए ऊंची शिक्षा हासिल करने और करियर बनाने के अवसर भी बढ़ गए हैं.

साथ ही इस फैसले का उद्देश्य कम उम्र में शादी से मातृ मृत्यु दर के बढ़ते खतरे को कम करना और महिलाओं के पोषण स्तर में सुधार करना भी है. सीतारमण ने कहा था कि इस पूरे मुद्दे को एक लड़की के मां बनने की उम्र में प्रवेश के नजरिए से देखा जाना चाहिए.

क्या है मौजूदा कानून?
केंद्र सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 संशोधन का कानून लाएगी और इसके साथ ही स्पेशल मैरिज एक्ट और पर्सनल लॉ जैसे हिंदू मैरिज एक्ट 1955 में भी संशोधन होगा. यहां आपको बता दें कि मौजूदा कानून के मुताबिक देश में पुरुषों की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और महिलाओं की 18 साल है अब सरकार बाल विवाह निषेध कानून स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन करेगी इसके बाद लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़कर 21 साल हो जाएगी. आपको बता दें कि इंडियन क्रिश्चियन मैरिज एक्ट 1872, पारसी मैरिज एंड डायवोर्स एक्ट 1936, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 और हिंदू मैरिज एक्ट 1955 सभी के अनुसार शादी के लिए लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की 18 वर्ष होनी चाहिए. इसमें धर्म के हिसाब से कोई बदलाव या छूट नहीं दी गई है. फिलहाल बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है. जिसके मुताबिक 21 और 18 साल से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाएगा. ऐसा करने और करवाने पर 2 साल की जेल और एक लाख तक का जुर्माना हो सकता है. अब केंद्र सरकार बेटियों की 18 साल आयु का कानून खत्म कर 21 साल करने जा रही है.

इस एक्ट में करने होंगे बदलाव
महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के लिए सरकार हिंदू मैरिज ऐक्ट, 1955 के सेक्शन 5 (iii), स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 और बाल विवाह निषेध एक्ट, 2006 में बदलाव करेगी, इन तीनों में ही सहमति से महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष होने का जिक्र है.

महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाए जाने के बाद इसके समाज पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. कई लोगों के मन में ये सवाल है कि देश में बालिग होने की उम्र 18 वर्ष है और अगर कोई महिला 18 वर्ष से अधिक और 21 साल से कम उम्र में शादी करती है तो क्या उसकी शादी वैध माना जाएगी?

कानूनी सवाल
दूसरा सवाल ये भी है कि अगर 18 साल से अधिक लेकिन 21 साल से कम उम्र की महिला सहमति से संबंध बनाती है तो क्या विवाह के लिए प्रस्तावित उम्र (21 वर्ष) से कम में ऐसा करने पर उसके साथी पर रेप की धाराएं लगेंगी? चलिए जानते हैं कि इन सवालों के क्या जवाब हैं?

18 से अधिक पर 21 साल से कम उम्र की महिला अगर सहमति से बनाएगी संबंध तब क्या होगा?
अगर कोई महिला 18 वर्ष की होने, यानी बालिग होने पर और शादी की उम्र (प्रस्तावित 21 वर्ष) से पहले ही अपनी सहमति से संबंध बनाती है तो क्या होगा?

सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में लता सिंह बनाम स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश मामले में फैसला देते हुए कहा था कि, ‘अगर कोई महिला बालिग है, तो वह अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति से शादी करने या अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति के साथ रहने के लिए स्वतंत्र है.’

सुप्रीम कोर्ट कई बार ये कह चुका है कि दो बालिग लोग, जो 18 या उससे अधिक के हों, अपनी सहमति से ‘लिव-इन पार्टनर’ के रूप में एक साथ रह सकते हैं, भले ही वे शादीशुदा न हों. 7 मई, 2018 के एक आदेश में, जस्टिस एके सीकरी और अशोक भूषण की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ऐसे ही एक मामले में जहां लड़की 19 वर्ष की थी, लेकिन लड़का 21 वर्ष का नहीं था, पर कहा था, ‘वे दोनों बालिग हैं. यहां तक कि अगर वे शादी की व्यवस्था में शामिल होने के योग्य नहीं भी हैं, तो भी उन्हें शादी के बाहर भी साथ रहने का अधिकार है. पसंद की आजादी लड़की की होगी कि वह किसके साथ रहना चाहती है.”

लिव-इन रिलेशनशिप को घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम के तहत भी मान्यता मिल चुकी है. इन नियमों से स्पष्ट है कि भले ही महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाकर 21 वर्ष कर दी जाए, लेकिन तब भी किसी महिला को 18 वर्ष का होने, यानी बालिग होने पर शादी के बिना भी अपनी सहमति से संबंध बनाने या लिव-इन पार्टनर के रूप में रहने का अधिकार होगा.

1- अगर लड़की और लड़का दोनों 18 साल से कम उम्र के हैं
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006, की धारा 3 के मुताबिक, अगर लड़का और लड़की दोनों नाबालिग यानी 18 साल से कम उम्र के हैं, तो बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के मुताबिक, बाल विवाह को शून्य माना जाएगा.

2- अगर लड़की 18 साल से कम की हो और लड़का 18 साल से अधिक हो
अगर लड़का 18 साल से अधिक और लड़की 18 साल से कम है तो भी बाल विवाह होने के कारण इसे शून्य माना जाएगा. ऐसे मामलों में अगर लड़की शिकायत करती है तो लड़के को दो साल की जेल हो सकती है.

3. अगर लड़की 18 साल से कम की हो और लड़का 21 साल से अधिक हो
अगर लड़का 21 साल या उससे अधिक हो, यानी शादी की उम्र के कानूनी रूप से योग्य हो, लेकिन लड़की 18 साल के कम उम्र की हो, तो इस स्थिति में भी एक के बालक होने की वजह से इसे बाल विवाह ही माना जाएगा और शादी को शून्य माना जाएगा. इस स्थिति में भी लड़की शिकायत करती है तो लड़के को दो साल की जेल हो सकती है.

18 साल से अधिक लेकिन 21 साल से कम हो
अब तक लड़की के 18 या उससे अधिक की उम्र का होने पर उसे शादी के लिए कानूनी रूप से योग्य माना जाता था, लेकिन अब जब लड़की की शादी की उम्र 21 साल होगी तो अगर वह 18 साल से अधिक लेकिन 21 साल से कम उम्र में शादी करेगी तो उसके भी बाल विवाह के अंतर्गत आने का खतरा रहेगा, ऐसे में उसके लिए बालिग होने के बावजूद शादी करना मुश्किल होगा. हालांकि इसे लेकर स्थिति कानून बनने के बाद ही साफ हो पाएगा.

देश की अदालतों में कुछ अपवाद भी हैं जब बाल विवाह को कोर्ट ने वैध भी माना है
भारत में पिछले कुछ दशकों में कई मामले ऐसे सामने आए हैं, जब अदालतों ने अलग-अलग आधार पर बाल विवाह (शादी के लिए नियत उम्र से कम में) हुई शादियों को भी मान्यता दी है. सितंबर 2021 में एक ऐसे ही मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने ये फैसला दिया था कि नाबालिग लड़की के साथ शादी उस स्थिति में कानूनी रूप से वैध होगी, अगर नाबालिग लड़की 18 साल की होने के बाद भी उस शादी को अमान्य घोषित नहीं करती है या ऐसा करने के लिए कोर्ट के पास नहीं जाती है.
इसके अलावा अगस्त 2010 में भी दिल्ली हाई कोर्ट ने 18 साल से कम उम्र के लड़के और 16 साल से कम उम्र की लड़की के मामले में भी इन दोनों नाबालिगों की शादी को मान्यता दी थी.

कोर्ट ने कहा कि नाबालिग लड़की की शादी तब वैध हो जाएगी, अगर बालिग होने के बाद भी वह उसे अमान्य घोषित नहीं करती है. अगर सीधे शब्दों में समझें तो, भले ही कानून बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाता है, लेकिन यह तब तक वैध माना जाता है जब तक दुल्हन अपनी शादी को अमान्य घोषित करने के लिए अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाती. ऊपर दिए गए दो कॉलम से साफ है कि अगर कोई लड़की शादी के लिए प्रस्तावित 21 साल से कम और 18 साल से अधिक की होने पर शादी करती है और अगर वह शादी के लिए वाले यानी कि 21 साल होने के बाद भी इसे रद्द करवाने के लिए अपील नहीं करती तो यह उसकी शादी वैध मानी जाएगी.

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Tags: Illegal Marriage, Married

FIRST PUBLISHED : December 17, 2021, 12:07 IST

भारत में विवाह की कानूनी आयु क्या है 2022?

प्रश्न – वर्ष 2022 में, लड़के की शादी की उम्र कितना होना चाहिए? उत्तर – वर्ष 2022 में लड़कों की शादी की उम्र आमतौर पर 21 साल के आसपास मानी जाती है।

2022 में लड़की की उम्र कितनी होनी चाहिए शादी के लिए?

केंद्र सरकार ने देश में समाज सुधार से जुड़ा एक बड़ा कदम उठाया है. केंद्रीय कैबिनेट ने लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. यानी अब लड़कों की तरह ही लड़िकयों की शादी की आधिकारिक उम्र 21 साल होने जा रही है.

भारत में लड़कियों की शादी की उम्र क्या है?

भारत सरकार ने पिछले दिनों महिलाओं की शादी की न्‍यूनतम कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का विधेयक संसद में पेश किया। इस कदम के पक्ष और विपक्ष में तमाम बातें कही गईं। बाल विवाह निषेध संशोधन बिल, 2021 में महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव है। जबकि पुरुषों के लिए उम्र 21 साल ही है।

भारतीय कानून के अनुसार शादी की न्यूनतम उम्र क्या है?

मौजूदा कानून के मुताबिक, देश में पुरुषों की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और महिलाओं की 18 साल है. अब सरकार बाल विवाह निषेध कानून, स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट में संशोधन करेगी. नीति आयोग में जया जेटली की अध्यक्षता में बने टास्क फोर्स ने इसकी सिफारिश की थी.