धन लाभ के लिए और कर्ज से मुक्ति पाने के लिए वट सावित्री व्रत के दिन करें ये उपाय, दूर होगी सारी परेशानियां
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आज आपका दिन मंगलमयी रहे, यही शुभकामना है। 'वेबदुनिया' प्रस्तुत कर रही है खास आपके लिए आज के दिन के विशिष्ट मुहूर्त। अगर आप आज वाहन खरीदने का विचार कर रहे हैं या आज कोई नया व्यापार आरंभ करने जा रहे हैं तो आज के शुभ मुहूर्त में ही कार्य करें ताकि आपके कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो सकें। ज्योतिष एवं धर्म की दृष्टि से इन मुहूर्तों का विशेष महत्व है। मुहूर्त और चौघड़िए के आधार पर 'वेबदुनिया' आपके लिए प्रतिदिन के खास मुहूर्त की सौगात लेकर आई है।
प्रस्तुत हैं आज के मुहूर्त
शुभ विक्रम संवत्-2079, शक संवत्-1944, हिजरी सन्-1443, ईस्वी सन्-2022
तिथि (सूर्योदयकालीन)-अमावस
नक्षत्र (सूर्योदयकालीन)-कृत्तिका
योग (सूर्योदयकालीन)-सुकर्मा
शुभ समय- 6:00 से 7:30 तक, 9:00 से 10:30 तक, 3:31 से 6:41 तक
राहुकाल-प्रात: 7:30 से 9:00 बजे तक
व्रत/मुहूर्त-सोमवती अमावस्या/वट सावित्री व्रत पूर्ण
यात्रा शकुन- मीठा दूध पीकर यात्रा करें।
आज का मंत्र-ॐ सौं सोमाय नम:।
आज का उपाय-किसी विप्र को घी से भरा कलश भेंट करें।
वनस्पति तंत्र उपाय- पलाश के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
(निवेदन-उपर्युक्त विवरण पंचांग आधारित है पंचांग भेद होने पर तिथि/मुहूर्त/समय में परिवर्तन होना संभव है।)
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इसके निम्नलिखित नियम हैं जैसे कि दैनिक पंचांग की बेहतर समझ के लिए इससे अच्छी तरह से वाकिफ होना चाहिए। यह विभिन्न ज्योतिषीय घटनाओं के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करता है और किसी भी तरह से आपको कुछ भी नया शुरू करने के लिए सबसे उपयुक्त समय खोजने में मदद करता है।
सूर्योदय और सूर्यास्त - हिंदू कैलेंडर में सूर्योदय से अगले सूर्यादय तक की अवधि को एक दिन माना जाता है। अतः, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय ज्योतिष में बहुत महत्व रखता है। सभी प्रमुख निर्णय सूर्य और चंद्रमा की स्थिति पर विचार करने के बाद ही लिए जाते हैं।
चंद्रोदय और चन्द्रास्त - अनुकूल समय का निर्धारण करने के लिए चंद्रोदय और चन्द्रास्त का समय हिंदू कैलेंडर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शक संवत - शक संवत भारतीय आधिकारिक नागरिक कैलेंडर है, जिसे 78 ईस्वी में स्थापित किया गया था।
अमांत माह - हिंदू कैलेंडर, में जो चंद्र महीना अमावस्या के दिन समाप्त होता है, उसे अमांत माह के रूप में जाना जाता है। आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा कुछ ऐसे राज्य हैं जो इस हिंदू कैलेंडर का पालन करते हैं।
पूर्णिमांत माह - हिंदू कैलेंडर में चंद्र महीना पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है उसे पूर्णिमांत माह के रूप में जाना जाता है। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं जो इस हिंदू कैलेंडर का पालन करते हैं।
सूर्य राशि और चंद्र राशि - सूर्य चिह्न, राशि के आधार पर किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को दर्शाता है और यह उसके जन्म के समय एक मूल राशि के राशि चक्र में सूर्य की स्थिति से निर्धारित होता है। चंद्र चिन्ह से किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के भावनात्मक पहलू का पता चलता है, और यह उसके जन्म के समय मूल राशि के चार्ट में राशि चक्र की स्थिति से निर्धारित होता है।
पक्ष - तिथि को दो हिस्सों में बांटा गया है। प्रत्येक ‘आधे’ भाग को एक पक्ष के रूप में जाना जाता है। इसके दो पक्ष हैं, जैसेः शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।
शुभ समय / अच्छा समय
अभिजीत नक्षत्र - जब भगवान ब्रह्मा मकर राशि में स्थित होते हैं, तो इसे अभिजीत नक्षत्र के रूप में जाना जाता है। नए कार्यों को करने और नई खरीदारी करने के लिए यह सबसे शुभ अवधियों में से एक माना जाता है।
अमृत कालम् - यह अन्नप्राशन संस्कार और अन्य हिंदू अनुष्ठानों को करने का समय है। यह बहुत ही शुभ समय माना जाता है।
गुलिकई कालम् - गुलिका मंडा के बेटे उर्फ शनि थे। इस समय को गुलिकई कालम् के नाम से जाना जाता है। इस अवधि के दौरान किसी भी कार्य की शुरुआत करना शुभ नहीं माना जाता है अतः इससे बचना चाहिए।
यमगंडा - यह एक अशुभ अवधि है, और किसी भी सफल और समृद्ध उद्यम के कार्य के लिए यह समयावधि वर्जित है।
दुर मुहूर्तम - यह दिन में एक बार सूर्यास्त से पहले एक बार आता है। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले इस समय से बचना चाहिए
व्रज्याम कालम् - व्रज्याम या विशघटिका वह समय है जो वर्तमान दिन से शुरू होता है और आने वाले दिन से पहले समाप्त होता है। इसे सौम्य काल नहीं माना जाता है।
राहु कालम् - राहु की अवधि किसी भी कार्य के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। किसी भी नई पहल के लिए राहु के प्रभाव से पूरी तरह बचा जाना चाहिए।