7 रहीम के काव्य का मुख्य विषय क्या है? - 7 raheem ke kaavy ka mukhy vishay kya hai?

7 रहीम के काव्य का मुख्य विषय क्या है? - 7 raheem ke kaavy ka mukhy vishay kya hai?
Rahim ke kavya ka mukhya vishay kya hai

नमस्कार, आज के इस पोस्ट में हम आपको Rahim ke kavya ka mukhya vishay kya hai | रहीम के काव्य का मुख्य विषय क्या है? इसकी पूरी जानकारी देंगे. यह सवाल अक्सर विद्यार्थी google पर खोज करते रहे हैं.

रहीम मुसलमान होते हुए भी हिन्दी में अपने द्वारा रचित उत्कृष्ट शायरी के लिए हिन्दी में बहुत गौरवान्वित स्थान रखते हैं. हालांकि उन्होंने कोई महाकाव्य नहीं लिखा था. लेकिन उनकी रचनाओं में जीवन के विभिन्न अनुभवों का मार्मिक चित्रण मिलता है और अनुभवों की सत्यता के कारण वे हिंदी में बहुत लोकप्रिय हो गए हैं.

  • Rahim ke kavya ka mukhya vishay kya hai | रहीम के काव्य का मुख्य विषय क्या है
  • बाबा राम रहीम के बारे में जानकारी दीजिए

उत्तर – रहीम की कविता या काव्य का मुख्य विषय श्रृंगार, नीति और भक्ति है. रहीम बहुत लोकप्रिय कवि थे. उनके दोहे आम आदमी को आसानी से याद हो जाते हैं. उनके नैतिक दोहे अधिक लोकप्रिय हैं, जिनमें कवि ने उन्हें दैनिक जीवन का दृष्टान्त देकर सहज, सरल और बोधगम्य बना दिया है. अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं पर रहीम का समान अधिकार प्राप्त था. उन्होंने अपने काव्य में प्रभावशाली भाषा का प्रयोग किया है

बाबा राम रहीम के बारे में जानकारी दीजिए

  • जन्म- 1556 ई०, लाहौर।
  • मृत्यु- 1627 ई० के लगभग।
  • पिता- बैरम खाँ।
  • रंचनाएँ- ‘रहीम सतसई’, ‘बरवै नायिका भेद’, ‘मदनाष्टक’, ‘रास पंचाध्यायी’ आदि।
  • काव्यगत विशेषताएँ
  • वर्ण्य-विषय- नीति, भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, शृंगार ।
  • रस- शृंगार, शान्त, हास्य।
  • भाषा- अवधी तथा ब्रज, जिसमें अरबी, फारसी, संस्कृत के शब्दों का मेल है।
  • शैली- नीतिकारों की प्रभावोत्पादक वर्णनात्मक शैली।
  • अलंकार- दृष्टान्त, उपमा, उदाहरण, उत्प्रे्षा आदि।
  • छन्द- दोहा, सोरठा, बरवै, कवित्त, सरवैया।

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7 रहीम के काव्य का मुख्य विषय क्या है? - 7 raheem ke kaavy ka mukhy vishay kya hai?
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7 रहीम के काव्य का मुख्य विषय क्या है? - 7 raheem ke kaavy ka mukhy vishay kya hai?

  • रहीम (Abdul Rahim Khan-I-Khana)
    • जीवन-परिचय
    • रचनाएँ
    • काव्यगत विशेषताएं
    • साहित्य में स्थान
    • स्मरणीय तथ्य
      • महत्वपूर्ण लिंक 

रहीम (Abdul Rahim Khan-I-Khana)

जीवन-परिचय

रहीम का पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था। ये अकबर के दरबारी कवि थे। इनके पिता का नाम बैरम खाँ था। इनका जन्म सन् 1556 ई० के आस-पास लाहौर में हुआ था जो आजकल पाकिस्तान में है। रहीम अकबर के दरबारी नवरत्नों में से एक थे। कवि होने के साथ-साथ वीर योद्धा और कुशल नायक भी थे। अकबर के प्रधान सेनापति और मन्त्री होने का गौरव भी इन्हें प्राप्त था। इनका स्वभाव अत्यन्त ही उदार था। ये कवियों और कलाकारों का समुचित सम्मान करते थे। रहीम के जीवन का अन्तिम समय अत्यन्त ही कष्ट में बीता था। अकबर की मृत्यु के पश्चात् जहाँगीर ने रहीम पर रुष्ट हो उनके ऊपर राजद्रोह का आरोप लगाकर उनकी सारी सम्पत्ति जब्त कर ली थी। रहीम इधर-उधर भटकते रहे, किन्तु कभी आत्मसम्मान नहीं गँवाया । सन् 1627 ई० में इनकी मृत्यु हो गयी। रहीम अरबी, फारसी, तुर्की और संस्कृत आदि कई भाषाओं के पण्डित तथा हिन्दी काव्य के मर्मज्ञ थे। गोस्वामी तुलसीदास जी से भी का परिचय था।

रचनाएँ

रहीम सतसई, श्रृंगार सतसई, मदनाष्टक, रास पंचाध्यायी, रहीम रत्नावली तथा बरवै नायिका-भेद आदि रहीम की उत्कृष्ट रचनाएँ हैं। इन्होंने खड़ीबोली के साथ-साथ फारसी में भी रचनाएँ की हैं। रहीम की रचनाओं का संग्रह ‘रहीम-रत्नावली’ के नाम से प्रकाशित हुआ है।

काव्यगत विशेषताएं

(क) भाव-पक्ष– (1) रहीम अत्यन्त ही लोकप्रिय कवि हैं। इनकी नीति के दोहे जन-साधारण की जिह्वा पर रहते हैं। (2) अनुभूति की सत्यता के कारण ही इनके दोहों को जनसाधारण द्वारा बात-बात में प्रयुक्त किया जाता है। (3) नीति के अतिरिक्त रहीम के काव्य में भक्ति, वैराग्य, श्रृंगार, हास, परिहास आदि के भी बहुरंगी चित्र देखने को मिलते हैं । (4) मुसलमान होते हुए भी एक हिन्दू की भाँति इनमें श्रीकृष्ण के प्रति अटूट श्रद्धा है। (5) इनके नीति विषयक दोहों में जीवन की गहरी पैठ है। (6) बरवै नायिका- भेद में शास्त्रीय ज्ञान की झलक है।

(ख) कला-पक्ष- (1) भाषा-शैली- रहीम की भाषा अवधी और ब्रजी दोनों हैं । ‘बरवै नायिका-भेद’ की भाषा अवधी और ‘रहीम दोहावली’ की भाषा ब्रज है। अरबी संस्कृत आदि कई भाषाओं के मर्मज्ञ होने के कारण इनकी रचनाओं में उक्त भाषाओं के शब्द प्रयुक्त हुए हैं। उनकी भाषा सरल, स्वाभाविक एवं महत्वपर्ण हैं।

रहीम की शैली वर्णनात्मक शैली है। वह सरस, सरल और बोधगम्य है। उनमें हृदय को छ लेने की अदभुत शक्ति है। रचना की दृष्टि से रहोम मुक्तक शैली को अपनाया है।

(2) रस-छन्द-अलंकार- रहीम के काव्य में शृंगारक, शान्त और हास्य रस- का समावेश है। सृंगार में संयोग और वियोग दोनों का वर्णन किया है।

रहीम के प्रिय छन्दों में सोरठा, बरवै, सवैया प्रमुख हैं। काव्य में प्रायः दृष्टान्त, रूपक, उत्प्रेक्षा, श्लेष, यमक आदि अलंकारों का प्रयोग हुआ है ।

साहित्य में स्थान

रहीम ने मुसलमान होते हुए भी हिन्दी में जो उत्कृष्ट काव्य की रचना की है उसके लिए हिन्दी में उनका अत्यन्त ही गौरवपूर्ण स्थान है। यद्यपि इन्होंने कोई महाकाव्य नहीं लिखा, किन्तु मुक्तक रचनाओं में ही जीवन की विविध अनुभूतियों के मार्मिक चित्रण मिल जाते हैं और अनुभूतियों की सत्यता के कारण ही वे हिन्दी में अत्यन्त ही लोकप्रिय हो चुके हैं।

स्मरणीय तथ्य

जन्म- 1556 ई०, लाहौर।

मृत्यु- 1627 ई० के लगभग।

पिता- बैरम खाँ।

रंचनाएँ- ‘रहीम सतसई’, ‘बरवै नायिका भेद’, ‘मदनाष्टक’, ‘रास पंचाध्यायी’ आदि।

काव्यगत विशेषताएँ

वर्ण्य-विषय- नीति, भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, शृंगार ।

रस- शृंगार, शान्त, हास्य।

भाषा- अवधी तथा ब्रज, जिसमें अरबी, फारसी, संस्कृत के शब्दों का मेल है।

शैली- नीतिकारों की प्रभावोत्पादक वर्णनात्मक शैली।

अलंकार- दृष्टान्त, उपमा, उदाहरण, उत्प्रे्षा आदि।

छन्द- दोहा, सोरठा, बरवै, कवित्त, सरवैया।

महत्वपूर्ण लिंक 

  • भारतीय संविधान की विशेषताएँ
  • जेट प्रवाह (Jet Streams)
  • चट्टानों के प्रकार
  • भारतीय जलवायु की प्रमुख विशेषताएँ (SALIENT FEATURES)
  • Indian Citizenship
  • अभिभावक शिक्षक संघ (PTA meeting in hindi)
  • कम्प्यूटर का इतिहास (History of Computer)
  • कम्प्यूटर की पीढ़ियाँ (Generations of Computer)
  • कम्प्यूटर्स के प्रकार (Types of Computers )
  • अमेरिका की क्रांति
  • माया सभ्यता
  • हरित क्रान्ति क्या है?
  • हरित क्रान्ति की उपलब्धियां एवं विशेषताएं
  • हरित क्रांति के दोष अथवा समस्याएं
  • द्वितीय हरित क्रांति
  • भारत की प्रमुख भाषाएँ और भाषा प्रदेश
  • वनों के लाभ (Advantages of Forests)
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  • द्वितीय अध्याय – प्रयागराज की भौगोलिक तथा सामाजिक स्थित
  • तृतीय अध्याय – प्रयागराज के सांस्कृतिक विकास का कुम्भ मेल से संबंध
  • चतुर्थ अध्याय – कुम्भ की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि
  • पंचम अध्याय – गंगा नदी का पर्यावरणीय प्रवाह और कुम्भ मेले के बीच का सम्बंध

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कवि रहीम के काव्य का मुख्य विषय क्या है?

रहीम के काव्य का मुख्य विषय शृंगार, नीति और भक्ति है। रहीम बहुत लोकप्रिय कवि थे। इनके दोहे सर्वसाधारण को आसानी से याद हो जाते हैं। इनके नीतिपरक दोहे ज़्यादा प्रचलित हैं, जिनमें दैनिक जीवन के दृष्टांत देकर कवि ने उन्हें सहज, सरल और बोधगम्य बना दिया है।

रहीम के काव्य की भाषा कौनसी है?

रहीम की भाषा गंगा-जमुनी तहजीब वाली थी. उन्हें अरबी, तुर्की, फारसी, संस्कृत और हिन्दी की अच्छी जानकारी थी. रहीम ने हिन्दी के तद्भव शब्दों का प्रयोग अपने काव्य में किया है.

कवि रहीम की कुल कितनी रचना है?

रहीम की ग्यारह रचनाएं प्रसिद्ध हैं। इनके काव्य में मुख्य रूप से श्रृंगार, नीति और भक्ति के भाव मिलते हैं। 70 वर्ष की उम्र में 1626 ई. में रहीम का देहांत हो गया।

रहीम की काव्य भाषा कैसे है?

(ख) कला-पक्ष- (1) भाषा-शैली- रहीम की भाषा अवधी और ब्रजी दोनों हैं । 'बरवै नायिका-भेद' की भाषा अवधी और 'रहीम दोहावली' की भाषा ब्रज है। अरबी संस्कृत आदि कई भाषाओं के मर्मज्ञ होने के कारण इनकी रचनाओं में उक्त भाषाओं के शब्द प्रयुक्त हुए हैं। उनकी भाषा सरल, स्वाभाविक एवं महत्वपर्ण हैं।