राष्ट्रीय कवि मैथिली शरण गुप्त द्वारा आह्वान कविता लिखी गई है। जब यह कविता लिखी गई थी, तब देश में स्वतंत्रता आंदोलन जोरों पर था और देशभक्त इन पंक्तियों को गाकर सत्याग्रह जुलूस और प्रभात फेरी में भाग लेते थे। क्योंकि इन पंक्तियों में ऐसा उत्साह और प्रवाह है जो निराशा में डूबे व्यक्ति के मन में उत्साह और उत्साह पैदा करता है। ऐसी भाषा को सशक्त भाषा (ओजपूर्ण भाषा) कहा जाता है।
भावार्थ – प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि ने देश के निराश, हताश और निष्क्रिय लोगों का आह्वान किया है। कवि नये जोश का संचार कर देश की जनता को सक्रिय बनाना चाहता है। कवि की इच्छा है कि देश न केवल अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो बल्कि आगे बढ़ते हुए विकास भी करे। इसीलिए कवि मैथिलीशरण गुप्त ने लोगों से ऊपर उठने और कड़ी मेहनत करने का आह्वान किया है।
कवि का कहना है कि बिना मेहनत के सामने रखा भोजन का एक टुकड़ा भी मुंह में नहीं जाता। जैसे दीया जलाने के लिए तेल की जरूरत होती है। उसी तरह भाग्य बदलने के लिए लिए कर्म रूपी तेल की जरूरत होती है, और जैसे मूर्ति बनाने के लिए सांचे की जरूरत होती है। इसी तरह किस्मत बनाने के लिए मेहनत की जरूरत होती है।
आगे कवि ने कहा है कि जैसे हमारे देश में विभिन्न प्रकार के धर्मों, संप्रदायों और जातियों के लोग रहते हैं। वे सब मिलकर एक सुंदर और खुशहाल भारत का निर्माण कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, कवि कहता है कि विभिन्न प्रकार के फूलों से एक सुंदर माला बनाई जा सकती है। उसी तरह हम विभिन्न संप्रदायों के लोग मिलकर एक सुंदर और स्वतंत्र खुशहाल भारत का निर्माण कर सकते हैं।
प्रश्न – आह्वान कविता में कवि हमें देश के विकास के लिए प्रेरित कर रहा है। देश के विकास में आप स्वयं को किस भूमिका में पाते है। टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – आह्वान कविता में कवि हमें देश के विकास के लिए प्रेरित कर रहा है। देश के विकास में हम स्वयं को कार्यर्शील भूमिका में पाते है। हमें लगातार अपने उद्देश्य की तरफ बढते रहना चाहिए। कभी भी हार कर या हाताश हो कर नहीं बैठ जाना चाहिए। किस्मत बनाने के लिए मेहनत की जरूरत होती है। मेहनत से कभी भी नहीं भागना चाहिए। इस तरह से ही हम युवा एक सुंदर और खुशहाल भारत का निर्माण कर सकते हैं।
NIOS SOLVED ASSIGNMENT 2020-21
Scheduled maintenance: Thursday, December 8 from 5PM to 6PM PST
Home
Subjects
Expert solutions
Create
Log in
Sign up
Upgrade to remove ads
Only A$47.99/year
-
Flashcards
-
Learn
-
Test
-
Match
-
Flashcards
-
Learn
-
Test
-
Match
Terms in this set (24)
कवि और कविता का नाम लिखिए|
कवि का नाम मैथिलीशरण गुप्त है और कविता का नाम आह्वान है।
आह्वान शब्द का अर्थ क्या है?
आह्वान का मतलब पुकार।
कवी की मुलाकात किस तरह लोगो से हुआ?
कवी की मुलाकात सेहमी और डरी हुई जनता से हुआ। जो लोग थे वह डरे हुए थे अंग्रेज़ो से और ऐसे ही बैठ गए थे |
कवी ने यह कविता क्यों लिखा है?
कवी ने यह कविता देश के जनता को कर्म और मेहनत करने की प्रेरणा देने के लिए। स्वतंत्रता संग्राम के लिए काम करने के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए भी
कवी के हिसाब से हमे कौनसी चीज़ करती रेहनी चाहिए ?
कवी के हिसाब से हमे मेहनत और परिश्रम करते रहना चाहिए।
"तुम्हे पता है की सामने रखा निवाला भी मुंह में खुद नहीं जाता" - इसका मतलब क्या है?
सामने रखा निवाला भी मुंह में खुद नहीं जाता , इसका मतलब यह है की जैसे हमे खाने के लिए भी अपना हाथो का प्रयोग करना पढता है वैसे ही हमे कामयाब होना है तो कर्म करना होगा बिना कर्म का हम कुछ हासिल नहीं कर सकते है।
किस चीज़ की प्रतीक्षा करने से कोई फायदा नहीं है?
भागय की प्रतीक्षा करने से कोई फायदा नहीं है। उद्धरण - परीक्षा के लिए बिना पढाई किये पास होने का उम्मीद करना
भाग्यवादी और कर्मशील का मतलब क्या है?
भाग्यवादी यानी जो भाग्य के भरोसा रहता है कोई काम नहीं करता है और कर्मशील वह होता है जो काम / मेहनत करता है भाग्य के भरोसा नहीं बेठता है।
क्या कोई मनुष्य भाग्य से आगे बढ़ सकते है? क्यों/ क्यों नहीं?
मनुष्य सिर्फ भाग्य से आगे नहीं बढ़ सकता है, के साथ साथ उसको मेहनत और कर्म करना होगा तभी वह आगे बढ़ेगा।
जो लोग कभी पीछे थे वे कैसे आगे बढ़ गए?
कठिन परिश्रम करके आगे बढ़ गए|
कवी ने हमे परिश्रम और कर्म के महत्व को किसके माध्यम से समझाया है?
कवी ने हमे परिश्रम और कर्म के महत्व को दीपक और तेल के माध्यम से समझाया है - जैसा बिना तेल का दीपक नहीं जलता वैसा ही बिना कर्म और परिश्रम का हम सफल नहीं हो सकते है।
बदलते समय के साथ सफल रहने के लिए हमे क्या करते रहना चाइए?
सफल रहने के लिए हमें निरंतर परिश्रम और कर्म करना चाहिए।
"दैव दैव आलसी पुकारा" से आप क्या समझते है?
आलसी लोग कर्म नहीं करते और मुसीबत में हमेशा देव को दोष देते रहते है।
एकता में क्या है?
एकता में बल है।कवी ने अलग अलग फूलो को मिलकर एक माला का उद्धरण दिया है इस कविता में।
कवी ने अलग अलग जाती, संप्रदायो, धर्म के लोगो को एक साथ रहने के लिए क्यों कहा है?
कवी ने अलग अलग जाती, संप्रदायो, धर्म के लोगो को एक साथ रहने के लिए कहा क्यूंकि इसे देश का विकास होगा और देश गरीबी और गुलामी से मुक्त होगा।
इस कविता में किस तरह का अलंकार का प्रयोग किया है? उदहारण दीजिए.
दृष्टांत अलंकार - इसमें एक बात कह कर दूसरी बात उसके उदाहरण के रूप में दी जाती है। पहले वाक्य में दी गयी बात की पुष्टि दूसरे वाक्य में होती हैं।
उदहारण - 'एक म्यान में दो तलवारें कभी नहीं रह सकती हैं,किसी और पर प्रेम नारियाँ पति का क्या सह सकती
हैं ?
यहाँ एक म्यान में दो तलवार रखने और एक दिल में दो नारियों का प्यार बसाने में बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव है। पूर्वार्द्ध का उपमान वाक्य उत्तरार्द्ध के उपमेय वाक्य से सर्वथा स्वतन्त्र है, फिर भी बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव से दोनों वाक्य परस्पर सम्बद्ध हैं। एक के बिना दूसरे का अर्थ स्पष्ट नहीं होता।
भाग्यवादी किसे कहते हैं? क्यों मनुष्य को भाग्य के सहारे ही आगे बढ़ना चाहिए?
भाग्यवादी वे होते हैं जो अपने परिश्रम और बुद्धि की अपेक्षा भाग्य के भरोसे रहते हैं I वह हर अच्छे बुरे काम को भाग्य की देन मानते हैं I उनका मानना होता है कि जीवन में जो भी होता है उसका कारण भाग्य है I चाहे कितने भी परिश्रम कर ले यदि भाग्य में सफलता लिखी होगी तभी मिलेगी I किंतु यह सही धारणा(पकड़) नहीं है I क्योंकि आज संसार में जो भी उन्नति दिखती है वह कर्म या परिश्रम का फल है, भाग्य का नहीं I इसलिए मनुष्य को भाग्य पर नहीं अपने परिश्रम पर भरोसा करना चाहिए I भाग्य भी उन्हीं का साथ देता है जो परिश्रम और साहस(हिम्मत) के साथ आगे बढ़ने का प्रयास करता है I
पिछड़े देश और समाज भी हम से आगे निकल गए I आपके विचार से इसका क्या कारण हो सकता है?
भारत प्राचीन काल में एक समृद्ध और विकसित देश था I भारत के ज्ञान और वीरता का लोहा सारा संसार मानता था I लेकिन हमारे देश में समय-समय पर होने वाली विदेशी आक्रमणों और शासन के संकीर्ण(तंग) मानसिकता ने हमें पराधीन(निर्भर) बना दिया और साधारण जन इसे अपना भाग्य मानने लगे तथा हम भाग्यवादी बन गए I इसी भाग्यवादी ता के कारण हम पिछड़ गए और जो देश पिछड़े हुए थे वह हम से आगे निकल गए और उन्नति करने लगे I आज वह संसार में स्वयं को सर्वोत्तम(सबसे अच्छा) मानते हैं और हम स्वयं को कमजोर मानकर उनकी कृपा (तरस)का इंतजार करते हैं I इस अकर्मण्यता(आलस्य) के कारण हम निरंतर पतन (बिगड़ जाना) की ओर जा रहे हैं I
पाठ पौरूष(बहादुरी) को पढ़ो" कथन से कवि का क्या आशय(मतलब) है?
कवि कहता है कि भारत वासियों यदि स्वतंत्रता का प्रकाश लाना है और गुलामी की जंजीरों से आजाद होना है तो भाग्य के भरोसे रहना छोड़ कर अपने परिश्रम पर ,अपनी शक्ति पर ,अपने साहस पर , भरोसा करो I अपने गौरवशील अतीत(past ) को याद करो और आगे बढ़ो हमारा और देश का उद्धार(सुलझाव,मुक्ति) तभी होगा जब हम ईश्वर की कृपा दृष्टि का इंतजार करना छोड़ कर खुद मेहनत करेंगे I कवि देशवासियों को सोई हुई आत्मा को जगाने के लिए आव्हान कर रहा है I
कवि देशवासियों को क्यों आत्मबोध(आत्मज्ञान) करना चाहता है? क्यों देश के प्रति हमारे भी कुछ कर्तव्य है। उल्लेख कीजिए।
कवि देशवासियों को अपने उन्नति के लिए कर्म का महत्व समझाना चाहता है I वह कहता है कि अपने अतीत का गौरव को याद करो और देखो आज कितने पीछे हैं हम से पिछड़े देश और समाज हम से आगे निकल चुके हैं I इसलिए देशवासियों को जागकर अपने भाग्य के भरोसे ना बैठ कर आगे बढ़ने कह रहे हैं और अपना गौरव वापस लाने कह रहे हैं I देश के प्रति हर नागरिक के कुछ कर्तव्य होते हैं
जैसे -
देश की स्वतंत्रता और एकता को बनाए रखना
राष्ट्र ध्वज का सम्मान करना
देश के पर्यावरण की
रक्षा करना
देश के वनों(जंगल),पशु,पक्षी को नुकसान न पहुंचाना और उनकी रक्षा करना
देश के संपत्ति को बनाए रखना और उन में वृद्धि लाना
देश के विविध धर्मों संप्रदायों के बीच पारस्परिक एकता का महत्व समझाइए I
भारत विविध संप्रदायों और धर्मों का देश है I सभी धर्मों के बीच एकता होना बहुत महत्वपूर्ण है I हमारे देश पर सैकड़ों वर्षो तक विदेशियों ने शासन(राज) किया और हमारे देश को हर तरह से खोखला कर दिया I इसका सबसे बड़ा कारण सांप्रदायिक भेदभाव था I आज भी हम दूसरे देशों से पिछड़ रहे हैं धर्म के नाम पर दंगे होते हैं जिनसे देश की संपत्ति का नुकसान होता है I यदि सभी धर्म मिलजुल कर रहेंगे तो देश मजबूत होगा फिर कोई विदेशी हम पर शासन करने की नहीं सोचेगा धार्मिक सद्भाव से समाज मजबूत होगा और देश उन्नति करेगा I
सभी देशवासियों को आह्वान कर कवि उनसे क्या आशा करता है ?
कवि देशवासियों के सोए हुए आत्मविश्वास और पौरुष को जगा रहा है I वह देश के लोगों से आशा करता है कि वह फिर उठेंगे अपनी शक्ति को पहचानेंगे और भेदभाव छोड़कर एकजुट होकर देश को आगे ले जाएंगे I संसार को दिखा देंगे कि हम भारतवासी अलग होकर भी एक है और सबसे ऊपर है I
विविध सुमनो की एक माला से क्या तात्पर्य(मतलब) है और यह उदाहरण क्यों दिया गया है ?
साधारण माला में एक ही प्रकार के फूल होते हैं I लेकिन अलग-अलग प्रकार के फूलों को एक साथ लगाकर माला बनाई जा सकती है I कवि यहां यह उदाहरण हमें समझाने के लिए दिया है हर देशवासी जाति, धर्म, क्षेत्र, भाषा के नाम पर लड़ रहा है और दूसरों से खुद को अलग समझ रहा है I कवि का मानना है कि यदि देश को स्वतंत्र करना है तो हमें आपसी भेदभाव छोड़कर एक होना होगा और विविध फूलों की माला की तरह हम एक क्यों नहीं हो सकते I
काव्य(पोयट्री) सौंदर्य(सुंदरता) स्पष्ट कीजिए
पर कर्म तेल बिना कभी विधि दीप जल सकता नहीं,
है देव क्यों ? साँचे बिना कुछ आप ढल सकता नहीं।
इन काव्य पंक्ति का भाव है कि व्यक्ति को अपना भाग्य जगाने के लिए कर्म करना जरूरी है I इसके लिए कवि ने तेज और दीपक का उदाहरण दिया है जो उपयुक्त(उचित) है I यह काव्य पंक्ति दोहे छंद में लिखी गई है I कर्म तेल तथा विधि दीप में रूपक अलंकार है I इन पंक्तियों में उदाहरण अलंकार भी है "साँचे(आकार) बिना कुछ ढल सकता नहीं " द्वारा कवि ने कर्म और भाग्य के संबंध में उदाहरण दिया है I
Sets found in the same folderChapter 16 - Apna Parya (अपना पराया)
33 terms
meritta_anju_joseph
Chapter 18 - Naakhun Kyun Badhte hai? (न…
29 terms
meritta_anju_joseph
Hin Ch-1: Bahadur (बहादुर)
22 terms
meritta_anju_joseph
Chapter 19 - Shatranj ke Khiladi (शतरंज…
25 terms
meritta_anju_joseph
Other sets by this creatorCHP 15
24 terms
meritta_anju_joseph
CHP 9
8 terms
meritta_anju_joseph
CHP 8
23 terms
meritta_anju_joseph
CHP 7
29 terms
meritta_anju_joseph
Other Quizlet setsAssessment in Kine Final Review
59 terms
malroach27
APSA
53 terms
theincredibleagathe
Real estate 3
20 terms
darriQUEEN01
MLT test 4B
78 terms
Obanai-1guro