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जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओ और सेवाओ के उत्पादन में निरन्तर गिरावट हो रही हो और सकल घरेलू उत्पाद कम से कम तीन महीने डाउन ग्रोथ में हो तो इस स्थिति को विश्व आर्थिक मन्दी कहते हैं। सन् 1929 में शुरुआती आर्थिक मंदी आधुनिक विश्व के आर्थिक इतिहास में सर्वाधिक गंभीर उथल पुथल में से एक थी
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
- आर्थिक शिथिलता (recession)
- महामन्दी या भीषण मन्दी (द ग्रेट डिप्रेशन)
आर्थिक मंदी का मतलब क्या होता है?
मंदी यानी किसी भी चीज़ का लंबे समय के लिए मंद या सुस्त पड़ जाना और जब इसी को अर्थव्यवस्था के संदर्भ में कहा जाए, तो उसे आर्थिक मंदी कहते हैं. लंबे समय तक जब देश की अर्थव्यवस्था धीमी और सुस्त पड़ जाती है, तब उस स्थिति को आर्थिक मंदी के रूप में परिभाषित किया जाता है.
आर्थिक मंदी क्या है Drishti IAS?
आर्थिक मंदी का अर्थ
दरअसल, आर्थिक मंदी अर्थव्यवस्था का एक कुचक्र है जिसमें फंसकर आर्थिक वृद्धि रुक जाती है और देश के विकास कार्यों में बाधा आ जाती है। इस दौरान बाज़ार में वस्तुओं की भरमार होती है लेकिन खरीदने वाला कोई नहीं होता है। उत्पादों की आपूर्ति अधिक व मांग कम होने से अर्थव्यवस्था असंतुलित हो जाती है।
मंदी से आप क्या समझते हैं?
सरल शब्दों में, इसका अर्थ है कि सकल घरेलू उत्पाद में लगातार दो तीन महीने की अवधि के लिए गिरावट आती है, या इसका उत्पादनअर्थव्यवस्था सिकुड़ता है लेकिन, राष्ट्रीय आर्थिक अनुसंधान ब्यूरो, जो विस्तार और मंदी का आधिकारिक समय तय करता है, मंदी को "कुल उत्पादन में गिरावट की आवर्ती अवधि" के रूप में परिभाषित करता है।
महान आर्थिक मंदी से आप क्या समझते हैं इसके कारण?
आर्थिक महामंदी के क्या कारण थे? सही मायने में 1930 की महामंदी का कोई एक कारण नहीं था लेकिन बाजार में मांग का ना होना, बैंको का विफल होना और शेयर बाज़ार की भारी गिरावट को प्रमुख कारण माना जाता है जिसमें शेयर धारकों के 40 अरब डॉलरों का सफ़ाया हो गया था.