जॉन्डिस या फिर वायरल हैपेटाइटिस को साधारण भाषा में पीलिया कहते हैं। पीलिया बहुत ही सूक्ष्म वायरस की वजह से होता है। शुरुआत में यह बहुत ही धीमी गति से फैलता है। इसलिए इसके लक्षण जल्द सामने नहीं आते हैं। लेकिन जब यह गंभीर रूप धारण कर लेता है, तो मरीज की आंखे, नाखून और स्किन के कई हिस्से पीले होने लगते हैं। इसी वजह से इस रोग को पीलिया कहा जाता है। यह बीमारी उन लोगों को अधिक होने की संभावना है, जो अपने आसपास साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखते हैं। वहीं, भीड-भाड़ इलाकों में रहने वालों को भी पीलिया की समसया हो सकती है। यह बीमारी पीड़ित व्यक्ति के मल से, दूषित जल, भोजन और दूध के जरिए प्रसारित हो सकता है। अगर समय पर पीलिया का इलाज नहीं कराया गया, तो यह गंभीर रूप धारण कर सकती है। ऐसे में पीलिया से जुड़ी जानकारियां हमारे पास होनी बेहद जरूरी है। कई लोगों के मन में पीलिया को लेकर कई सवाल उठ रहे होंगे। आज हम इस लेख में आपके द्वारा पूछे जाने वाले पीलिया के कुछ अहम सवालों के जबाव देने जा रहे हैं। इस लेख में हम दिल्ली के द्वारका स्थित मनीपाल हॉस्पिटल के गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर कुणाल दास से आपके सवालों के जबाव जानने की कोशिश करेंगे।
1. पीलिया कितने पॉइंट होना चाहिए?
डॉक्टर कुणाल दास बताते हैं कि हमारे शरीर के प्लाज्मा में पित्तरंजक (Billrubin) नामक एक रंग होता है, जिसकी वजह से स्किन का रंग हल्का पीला दिखता है। शरीर में इसकी अधिकता से पीलिया (Jaundice) की समस्या हो सकती है। डॉक्टर का कहना है कि सामान्यत: प्लाज्मा में पित्तरंजक का लेवल 1.0 प्रतिशत या इससे कम होना चाहिए। इससे अधिक बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने से पीलिया के लक्षण दिख सकते हैं। बिलीरुबिन का स्तर का स्तर वयस्कों और बच्चों में लगभग समान ही होता है।
वहीं, डॉक्टर का कहना है कि पीलिया कितना घातक है, यह बिलीरुबिन के स्तर से नहीं, बल्कि पीलिया किन वजहों से हुआ है। इस बात पर डिपेंड करता है।
2. पीलिया की जांच कैसे करें?
डॉक्टर कुणाल बताते हैं कि पीलिया के शुरुआती लक्षण दिखने पर सबसे पहले LFT यानि लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver Function Test) करवाने की सलाह दी जाती है। दूसरे नंबर पर सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी टेस्ट Prothrombin Time Test and INR (PT/INR) किया जा सकता है। इसके अलावा पेट का अल्ट्रॉसाउंट भी करवाने की सलाह दी जा सकती है। इन तीनों टेस्ट से पीलिया के कारणों का पता चलता है, जिसके बाद डॉक्टर आपका इलाज शुरू कर सकते हैं। कुछ मामलों में डॉक्टर सीबीसी (Complete Blood Count) करवाने की भी सलाह दे सकते हैं।
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3. सफेद पीलिया के लक्षण
डॉक्टर का कहना है कि ज्यादातर पीलिया तीन कारणों से होता है। हेपेटोसेल्यूलर पीलिया (Hepatocellular Jaundice), यह लिवर की बीमारी या फिर लिवर से जुड़ी किसी अन्य परेशानी की वजह से होता है। दूसरा होता है हेमोलिटिक पीलिया (Hemolytic Jaundice)। वहीं, तीसरा है पोस्ट हेपेटाइटिस पीलिया या ऑब्सट्रक्टिव पीलिया (Obstructive Jaundice), यह पीलिया शरीर की पित नालिकाओ में रुकावट के कारण होता है। इसे ही कभी-कभी सफेद पीलिया का नाम दे दिया जाता है, क्योंकि जब इसमें वाइल का परीक्षण किया जाता है, जो व्हाइट हिस्सा अधिक होता है। आंखें काफी ज्यादा पीला होना, खुजली होना, वजन घटना, पेट में दर्द होना इत्यादि सफेद पीलिया के लक्षण होते हैं।
4. पीलिया कब तक ठीक हो जाता है?
इस बारे में डॉक्टर कुणाल दास बताते हैं कि यह व्यक्ति की स्थिति और पीलिया के कारणों पर डिपेंट करता है कि पीलिया कितने दिनों में ठीक होगा। सफेद पीलिया दो कारणों से होता है, एक नॉन कैंसर और दूसरा है कैंसर। नॉन कैंसर पीलिया जल्दी ठीक हो सकता है। वहीं, कैंसर्स पीलिया को ठीक होने में काफी वक्त लग सकता है। कैंसर्स पीलिया काफी खतरनाक स्थिति की वजह से होता है। इसे ठीक करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, क्योंकि कई ऐसे व्यक्ति हैं, जो अपना इलाज लास्ट स्टेज में आने के वक्त करवाता है। ऐसे में कुछ स्थितियों में मरीज की मौत भी हो सकती है।
हेपेटोसेल्यूलर पीलिया (Hepatocellular Jaundice), यह पीलिया एको हेपेटाइटिस या फिर क्रोनिक हेपेटाइटिस की वजह से होता है। एको हेपेटाइटिस की वजह से होने वाली पीलिया की समस्या को 6 सप्ताह से 6 महीने के अंदर मरीज का इलाज किया जा सकता है। क्रोनिक हेपेटाइटिस की वजह से हुए पीलिया को ठीक होने में 6 सप्ताह या फिर उससे अधिक वक्त लग सकता है।
हेमोलिटिक पीलिया (Hemolytic Jaundice), यह पीलिया रक्त कोशिकाओं के टूटने की वजह से होता है। ऐसे में ब्लड की कोशिकाओं के टूटने के कारणों को ठीक करके व्यक्ति का इलाज किया जाता है। ऐसी स्थिति में इसके कारणों पर डिपेंट करता है कि हेमोलिटिक पीलिया ठीक होने में कितना वक्त लेगा।
5. क्या पीलिया में दूध पीना चाहिए?
डॉ. कुणाल दास का कहना है कि पीलिया में दूध पी सकते हैं। इससे स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है। इस दौरान आप किसी भी तरह का दूध अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं।
6. पीलिया में कौन सी दाल खानी चाहिए?
कई लोगों का मानना है कि पीलिया में पीली चीजें जैसे-दालों का सेवन नहीं करना चाहिए। इस बारे में डॉक्टर कुणाल दास का कहना है कि आप पीलिया में दाल खा सकते हैं। यह सिर्फ एक मिथ है। इससे बिलीरुबिन के स्तर पर किसी भी तरह का प्रभाव नहीं पड़ता है।
7. क्या पीलिया में हल्दी खा सकते हैं?
पीलिया में हल्दी नहीं खाते हैं, यह बात आपके कई बार लोगों को कहते हुए सुना होगा। इस बारे में डॉक्टर का कहना है कि यह एक मिथ है। आप पीलिया में हल्दी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कर सकते हैं। इससे आपके स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं होता है। इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि पीलिया में हल्दी खाने से नुकसान होता है।
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8. क्या पीलिया में चावल खा सकते हैं?
कई परेशानियों में चावल खाने के लिए मना किया जाता है। ऐसे में कई रोगियों को लगता है कि पीलिया में चावल नहीं खाना चाहिए। इस बारे में डॉक्टर कुणाल दास बताते हैं कि यह एक मिथ है। आप पीलिया में चावल खा सकते हैं। हालांकि, एक बार अपने डॉक्टर से सलाह लेकर ही अपने डाइट का चुनाव करें।
ध्यान रखें कि पीलिया एक घातक बीमारी है। इसलिए इसका इलाज समय पर कराएं। पीलिया होने पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। एल्कोहल और धूम्रपान से दूर रहें। साथ ही डॉक्टर के सभी दिशा-निर्देशों को अच्छे से फॉलो करें।